शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है

Volume In Share Market In Hindi? |Trading Volumeक्या होता है?
देखिये volume दो तरह के होते है, पहला शेयर का volume जो किसी एक कंपनी के पास किसी particular प्रोडक्ट के लिए होता है | और दूसरा trading volume यह वह volume होता है जिस पर अभी trading चल रही होती है | मतलब इन शेयर्स को या तो कोई ख़रीदता है या फिर बेंचता है |Volume In Share Market In Hindi|
एक्साम्प्ले के लिए एक कंपनी के टोटल शेयर्स है 1000 जो कि NSE में रजिस्टर्ड है | और अभी 1000 में से सिर्फ 300 शेयर्स को लोगो ने ख़रीदा है और 200 लोग ने इसे बेंचा है | तो यहाँ पर जो टोटल tradig शेयर्स हो गए वो होगा 500 |Volume In Share Market In Hindi|
और हमें जब भी किसी भी company के शेयर्स अथवा stocks को buy करना है तो फिर हमें यह trading volume जरूर देखना चाहिए | क्योकि हो सकता है कंपनी का शेयर volume तो अच्छा हो पर ट्रेडिंग volume कम हो |
और trading volume कम होने का मतलब यह होता है कि शेयर कि volatility बहुत कम है | और फिर ऐसे शेयर को हमें ज्यादा वॉल्यूम में नहीं खरीदना चाहिए | हाँ कंपनी की मैनेजमेंट और दूसरी analysis कर के आप इस पर long term investment कर सकते हो |
पर instant profit के शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है लिए आप ऐसे स्टॉक से ज्यादा उम्मीद नहीं रख सकते है | क्योकि यह शेयर आप अगर खरीद लेंगे तो फिर बेंचने में दिक्कत आ सकती है, क्योकि आपको फिर खरीददार ही नहीं मिलेंगे | और अगर आप पहले बेंच भी देते हो तो फिर आपको sellers नहीं मिलेंगे | क्योकि stocks कि volatility रेट बहुत कम है | और आपको अपने शेयर्स के सेटलमेंट के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ सकता है |
Quick Q&A:
What is the volume in the stock market for example?/ share market में volume का क्या मतलब होता है example दे कर समझाइये?
किसी भी एक टाइम फ्रेम में ख़रीदे जाने वाले और बेंचे जाने वाले शेयर्स की संख्या को यहाँ पर हम शेयर volume कहते है | और जब किसी भी शेयर अथवा स्टॉक के buyer और seller दोनों होते है तो फिर वह शेयर बहुत ही active मन जाता है | और ऐसे शेयर्स में buyer और seller दोनों को शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है कोई परेशानी नहीं होती है |
example के लिए राम को XYZ कंपनी के 100 shares खरीदने है और shyam को XYZ कंपनी के 100 शेयर्स बेचने है | तो ऐसे स्थिति शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है में दोनों ही आराम से अपनी ट्रेडिंग कर सकते है |
What does high volume mean in stocks?/ high volume का शेयर मार्किट में हम क्या मतलब निकाल सकते है?
अगर किसी भी stock का volume high है इसका मतलब यह होता है की उस stock के buyer भी बहुत है और seller भी बहुत है | और इस प्रकार share के price में भी fluctuation होता रहता है | कभी शेयर के price बढ़ सकते है तो कभी शेयर के price घट भी सकते है | और इस तरह से लोग अपना प्रॉफिट निकालते रहते है |
What is the role of volume in the share market?/ volume का शेयर मार्किट में क्या role है ?
volume को analyse करके हम किसी भी स्टॉक का movementum पता कर सकते है | अगर शेयर का trading volume अच्छा है तो उसकी security भी अच्छी होगी और ऐसे शेयर में हम invest करने का plan कर सकते है|
आप share market से जुड़े हुए कुछ और अच्छे blog नीचे दी हुई ब्लॉग लिंक का उपयोग करके पढ़ सकते है:
Conclusion:
तो दोस्तों इस ब्लोग पोस्ट(Volume In Share Market In Hindi) में हमने share volume के बारे में जाना | Shares का टोटल volume शेयर्स की कुल संख्या होती है जो कि किसी एक stock अथवा company के पास होते है | और किसी भी स्टॉक का trading volume वह होता है जितने पर अभी tradig चल रही होती है | मतलब की लोग शेयर्स को खरीद और बेंच रहे होते है |
इस ब्लॉग(Volume In Share Market In Hindi) को लेकर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप हमें इस पते [email protected]पर ईमेल लिख सकते है|
आशा करता हूँ, कि आपने इस पोस्ट(Volume शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है In Share Market In Hindi) को खूब एन्जॉय किया होगा|
आप स्वतंत्रता पूर्वक अपना बहुमूल्य फीडबैक और कमेंट यहाँ पर दे सकते है|Volume In Share Market In Hindi|
Anurag
I am a blogger by passion, a software engineer by profession, a singer by consideration and rest of things that I do is for my destination.
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Share Trading Rules: शेयर बाजार के निवेशकों को बड़ी राहत, आज से एक दिन में होगा शेयरों का लेनदेन, शेयर बेचने के अगले दिन खाते में आएंगे पैसे
Stock Exchange Rules: देश के स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 system) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है.
By: ABP Live | Updated at : 25 Feb 2022 02:20 PM (IST)
Stock Market News: शेयर बाजार ( Stock Market) में निवेश करने वाले निवेशकों को शुक्रवार से बाद से बड़ी राहत मिलने वाली है. शेयर बेचने के बाद अकाउंट में पैसे आने में अब दो दिन नहीं लगेंगे. बल्कि एक दिन में ही खाते में पैसा आ जाएगा तो शेयर खरीदने के अगले ही दिन डिमैट खाते में शेयर ट्रांसफर कर दिए जायेंगे. दरअसल देश के स्टॉक एक्सचेंज मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 System) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है. टी प्लस वन का मतलब यह है कि लेनदेन से संबंधित सेटलमेंट वास्तविक लेनदेन के एक दिन के भीतर ही अबसे हो जाएगा. मौजूदा समय में सेंटलमेंट का नियम टी प्लस टू है, यानी शेयरों की खरीद-बिक्री की रकम संबंधित खाते में वास्तविक लेनदेन के दो दिनों के भीतर जमा की जा रही है.
क्या है टी प्लस वन
इसे उदाहरण के दौर पर समझते हैं. अगर आपने कोई शेयर बुधवार को खरीदा तो आपके डिमैट खाते में शेयर दो दिन बाद शुक्रवार को आता था. उसी तरह आपने बुधवार को शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है शेयर बेचे तो शुक्रवार को उसके एवज में आपको भुगतान किया जाता था और आपके खाते में पैसे आते थे. लेकिन अब से बुधवार को आपने शेयर खरीदे से गुरुवार को ही शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है आपके डिमैट खाते में शेयर आ जायेंगे. साथ ही अगर आपने बुधवार को शेयर बेचे तो उसके बदले में पैसे गुरुवार को ही खाते में ट्रांसफर कर दिए जायेंगे.
क्या होगा फायदा
टी प्ल्स वन सेटेलमेंट सिस्टम के लागू होने से डिफॉल्ट का जोखिम कम होगा साथ ही बाजार में नगदी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकेगा. बाजार के जानकारों का मानना है शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है कि इससे निवेशकों की रुचि बढ़ेगी और शेयर बाजार में वॉल्यूम भी बढ़ेगा.
एक्सचेंजों ने लिया था फैसला
बीएसई और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) ने पिछले साल नवंबर में इसका ऐलान किया शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है था. तब कहा गया था कि 25 फरवरी 2022 से टी प्लस वन की शुरुआत की जाएगी. सबसे पहले यह व्यवस्था बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे छोटी 100 कंपनियों में शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है लागू की जाएगी. उसके बाद मार्च के आखिरी शुक्रवार को इसमें बाजार पूंजीकरण के लिहाज से कम से ज्यादा के क्रम में 500 नए स्टॉक्स शामिल किए जाएंगे. उसके बाद हर महीने के आखिरी शुक्रवार को इसी तरह नए 500 स्टॉक्स तब तक शामिल किए जाते रहेंगे, जब तक सभी स्टॉक्स इसके दायरे में नहीं आ जाते.
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2003 में घटाकर दो दिन कर दिया गया
शेयरों के लेनदेन से हासिल रकम खाते में आने की अवधि पहले वास्तविक लेनदेन से पांच दिनों तक यानी T+5 थी. शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने इसे साल 2002 में घटाकर T+3 किया, जिसके बाद संबंधित शेयरधारक के खाते में बिक्री की रकम तीन दिनों के भीतर आने लगी. बाजार के रेग्युलेटर ने वर्ष 2003 में इसे घटाकर दो दिन कर दिया था. जानकारों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से शेयर बाजारो में रकम का आदान-प्रदान तेजी से होगा.
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Published at : 25 Feb 2022 02:16 PM (IST) Tags: NSE bse demat account Stock Exchange Rules Indian Stock Exchange Adopts T+1 settlement What Is T+1 settlement हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Stock market me volume kya hota hai
आपने बहुत बार निवेशकों के मुंह से जरूर सुना होगा कि इसका वॉल्यूम इतना बढ़ा या फिर इतना गिरा। उस समय आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर Stock market me volume kya hota hai / शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है।
तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको मैं बताऊंगा कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai) इसके साथ साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है। आखिर शेयर मार्केट में वॉल्यूम की क्या भूमिका है।
शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है me volume kya hota hai)
स्टॉक मार्केट में हमें वॉल्यूम यह दिखलाता है, कि किसी एक निश्चित समय में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। या फिर उस समय में कितने शेयरों में ट्रेड किया गया है। अर्थात जितने शेयर को बेचा और खरीदा जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
आपको बता दें, कि खरीदे हुए शेयर या फिर बेचे गए शेयर की संख्या जितनी अधिक होगी चार्ट में स्टॉक्स का उतना ही ज्यादा बढ़ जाएगा। और जितना ही अधिक लोग शेयर को बेचेंगे उतना ही अधिक उसका वॉल्यूम का कैंडल भी बढ़ता जाता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो एक निश्चित समय में ट्रेड किए गए शेयर की संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम = शेयर के कुल नंबरों के संख्या।
इसका अर्थ यही हुआ की एक समय अंतराल के दौरान कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। तब उन सभी शेयर को गिनने में जो संख्या आती है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम कितने समय में ट्रेड किया जाता है।
Stock market me volume kya hota hai– कोई भी टाइम के अंतराल में चाहे वह 1 दिन का हो, या फिर 1 महीने या फिर 1 साल का कुछ भी समय हो, उसके दौरान चाहे वह 1 मिनट हो या फिर आधे या फिर 1 घंटे का, उस समय में किसी भी कंपनी के जितने भी नंबर ऑफ शेयर को ट्रेड किया जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है। वॉल्यूम को आप अपने ब्रोकर के हिसाब से उसमे उपस्थित हर टाइम फ्रेम में देख सकते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम –
Stock market me volume kya hota hai – वॉल्यूम को आपने समझा कि जितने शेयर को खरीदे और बेचे जाते हैं, उनकी कुल संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
ठीक उसी तरह ट्रेड लेते समय जब आप या फिर कोई भी हर बार शेयर को खरीदते और फिर उन्हें बेचते हैं, तो उनकी कुल संख्या को ट्रेडिंग वॉल्यूम कहते हैं।
इसे एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं, माना आपने आज स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के 20 शेयर को खरीदा है, और कुछ समय बीत जाने के बाद आपने उन शेयर को बेच दिया तो total trading volumes जो होगा वह 40 हो जायेगा। इसमें हाई वॉल्यूम को आप यह समझ सकते हो, की बहुत से शेयर को एक जगह से दूसरी जगह ट्रेड किया जा रहा है।
शेयर के अलावा वॉल्यूम कहां प्रयोग होता है–
वॉल्यूम केवल और केवल शेयर के लिए ही नहीं बल्कि बाकी इन्वेस्टमेंट के लिए भी मापा जाता है। जैसे फ्यूचर और ऑप्शन, गोल्ड, mcx आदि चीजों में भी वॉल्यूम का प्रयोग किया जाता है। जैसे स्टॉक में नंबर ऑफ शेयर जो निश्चित समय में किया जाता है, को वॉल्यूम कहते हैं।
ठीक उसी तरह फ्यूचर और ऑप्शन में वॉल्यूम को इस तरह देखा जाता है, कि कितने लोगों ने कॉन्ट्रैक्ट्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजा हुआ है। इसके अलावा वॉल्यूम को अन्य फाइनेंस रिलेटेड इन्वेस्टमेंट में भी प्रयोग में लाया जाता है।
वॉल्यूम का क्या काम है–
वॉल्यूम का काम मार्केट में लिक्विडिटी और एक्टिविटी को मापना है। लिक्विडिटी को आप कुछ इस तरीके से समझ सकते हो, कि आप जितनी आसानी से स्टॉक को खरीद और बेच सकते हो उसे लिक्विडिटी कहते हैं।
इसका मतलब यह हुआ की जितना अधिक लिक्विडिटी होगी, उतने ही आसानी से हम स्टॉक को खरीद और बेच सकते हैं। साथ ही उसका वॉल्यूम भी हमको उतना ही अधिक देखने को मिलेगा। और जो स्टॉक्स अधिक लिक्विड होते हैं, उनमें वॉल्यूम भी उतना ही अधिक दिखता है।
वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है–
Stock market me volume kya hota hai –आपको हमेशा ट्रेड करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए, कि इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडिंग सेशन के दौरान जब मार्केट ओपन होता है, और जब मार्केट क्लोज होता है, उस दौरान आपको वॉल्यूम बहुत अधिक देखने को मिलता है। और बीच के समय में मार्केट कुछ भी हो सकता है। याने की लिक्विडिटी कम या फिर अधिक। इसलिए इंट्राडे ट्रेडर के लिए वॉल्यूम का देखना बहुत ही जरूरी भी बन जाता है।
इसके साथ साथ जो लोग फंडामेंटल को देख कर के इन्वेस्टमेंट करते हैं, उनके लिए भी वॉल्यूम देखना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि वह बड़े टाइम फ्रेम में देख पाते हैं, की कितने लोग किस प्राइस पर Buy or Sell कर रहे हैं।
टॉप-लाइन और बॉटम-लाइन ग्रोथ के आधार पर विश्लेषण कर शेयर चुनें
यूटिलिटी डेस्क. जब हम बुनियादी कारकों के आधार पर कंपनी के मूल्यांकन की बात करते हैं उस वक्त \'टॉप-लाइन\' और \'बॉटम-लाइन\' दो ऐसे शब्द हैं जो आमतौर पर इस्तेमाल में आते हैं। टॉप-लाइन का आशय एक निश्चित अवधि में कंपनी की बिक्री से होने वाली आमदनी से है। जबकि बॉटम लाइन से आशय उस नेट प्रॉफिट से है जिसमें से सारे ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस, डेप्रिसिएशन, ब्याज व टैक्स घटाए जा चुके हैं। कंपनियां तिमाही नतीजों के अलावा सालाना आधार पर अपने टॉप-लाइन और बॉटम-लाइन का जिक्र करती हैं।
Stock market me volume kya hota hai
आपने बहुत बार निवेशकों के मुंह से जरूर सुना होगा कि इसका वॉल्यूम इतना बढ़ा या फिर इतना गिरा। उस समय आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर Stock market me volume kya hota hai / शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है।
तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको मैं बताऊंगा कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai) इसके साथ साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है। आखिर शेयर मार्केट में वॉल्यूम की क्या भूमिका है।
शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai)
स्टॉक मार्केट में हमें वॉल्यूम यह दिखलाता है, कि किसी एक निश्चित समय में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। या फिर उस समय में कितने शेयरों में ट्रेड किया गया है। अर्थात जितने शेयर को बेचा और खरीदा जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
आपको बता दें, कि खरीदे हुए शेयर या फिर बेचे गए शेयर की संख्या जितनी अधिक होगी चार्ट में स्टॉक्स का उतना ही ज्यादा बढ़ जाएगा। और जितना ही अधिक लोग शेयर को बेचेंगे उतना ही अधिक उसका वॉल्यूम का कैंडल भी बढ़ता जाता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो एक निश्चित समय में ट्रेड किए गए शेयर की संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम = शेयर के कुल नंबरों के संख्या।
इसका अर्थ यही हुआ की एक समय अंतराल के दौरान कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। तब उन सभी शेयर को गिनने में जो संख्या शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है आती है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम कितने समय में ट्रेड किया जाता है।
Stock market me volume kya hota hai– कोई भी टाइम के अंतराल में चाहे वह 1 दिन का हो, या फिर 1 महीने या फिर 1 साल का कुछ भी समय हो, उसके दौरान चाहे वह 1 मिनट हो या फिर आधे या फिर 1 घंटे का, उस समय में किसी शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है भी कंपनी के जितने भी नंबर ऑफ शेयर को ट्रेड किया जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है। वॉल्यूम को आप अपने ब्रोकर के हिसाब से उसमे उपस्थित हर टाइम फ्रेम में देख सकते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम –
Stock market me volume kya hota hai – वॉल्यूम को आपने समझा कि जितने शेयर को खरीदे और बेचे जाते हैं, उनकी कुल संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
ठीक उसी तरह ट्रेड लेते समय जब आप या फिर कोई भी हर बार शेयर को खरीदते और फिर उन्हें बेचते हैं, तो उनकी कुल संख्या को ट्रेडिंग वॉल्यूम कहते हैं।
इसे एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं, माना आपने आज स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के 20 शेयर को खरीदा है, और कुछ समय बीत जाने के बाद आपने उन शेयर को बेच दिया तो total trading volumes जो होगा वह 40 हो जायेगा। इसमें हाई वॉल्यूम को आप यह समझ सकते हो, की बहुत से शेयर को एक जगह से दूसरी जगह ट्रेड किया जा रहा है।
शेयर के अलावा वॉल्यूम कहां प्रयोग होता है–
वॉल्यूम केवल और केवल शेयर के लिए ही नहीं बल्कि बाकी इन्वेस्टमेंट के लिए भी मापा जाता है। जैसे फ्यूचर और ऑप्शन, गोल्ड, mcx आदि चीजों में भी वॉल्यूम का प्रयोग किया जाता है। जैसे स्टॉक में नंबर ऑफ शेयर जो निश्चित समय में किया जाता है, को वॉल्यूम कहते हैं।
ठीक उसी तरह फ्यूचर और ऑप्शन में वॉल्यूम को इस तरह देखा जाता है, कि कितने लोगों ने कॉन्ट्रैक्ट्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजा हुआ है। इसके अलावा वॉल्यूम को अन्य फाइनेंस रिलेटेड इन्वेस्टमेंट में भी प्रयोग में लाया जाता है।
वॉल्यूम का क्या काम है–
वॉल्यूम का काम मार्केट में लिक्विडिटी और एक्टिविटी को मापना है। लिक्विडिटी को आप कुछ इस तरीके से समझ सकते हो, कि आप जितनी आसानी से स्टॉक को खरीद और बेच सकते हो उसे लिक्विडिटी कहते हैं।
इसका मतलब यह हुआ की जितना अधिक लिक्विडिटी होगी, उतने ही आसानी से हम स्टॉक को खरीद और बेच सकते हैं। साथ ही उसका वॉल्यूम भी हमको उतना ही अधिक देखने को मिलेगा। और जो स्टॉक्स अधिक लिक्विड होते हैं, उनमें वॉल्यूम भी उतना ही अधिक दिखता है।
वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है–
Stock market me volume kya hota hai –आपको हमेशा ट्रेड करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए, कि इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडिंग सेशन के दौरान जब मार्केट ओपन होता है, और जब मार्केट क्लोज होता है, उस दौरान आपको वॉल्यूम बहुत अधिक देखने को मिलता है। और बीच के समय में मार्केट कुछ भी हो सकता है। याने की लिक्विडिटी कम या फिर अधिक। इसलिए इंट्राडे ट्रेडर के लिए वॉल्यूम का देखना बहुत ही जरूरी भी बन जाता है।
इसके साथ साथ जो लोग फंडामेंटल को देख कर के इन्वेस्टमेंट करते हैं, उनके लिए भी वॉल्यूम देखना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि वह बड़े टाइम फ्रेम में देख पाते हैं, की कितने लोग किस प्राइस पर Buy or Sell कर रहे हैं।