USD कीमत का इतिहास

दुनिया में 9वें नंबर पर
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार सभी विदेशी बैंकों के करंसी भंडार में 59 फीसदी हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है. वैसे, अमेरिका की इस करंसी की मजबूत स्थिति के बावजूद एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करंसी नहीं है. यूएसए टुडे अखबार के अनुसार, दुनिया की करंसी की लिस्ट में यह 9वें नंबर पर है. इस लिस्ट में पहले नंबर पर कुबैती दीनार है.
अमेरिकी डॉलर फिर चर्चा में, दुनिया की इस शक्तिशाली रिजर्व करंसी का क्या है इतिहास?
- News18Hindi
- Last Updated : April 23, 2022, 09:54 IST
नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डॉलर की उपेक्षा नहीं करने की सलाह देकर एक बार फिर इस अमेरिकी करंसी को चर्चा में ला दिया है. दुनिया की अर्थव्यवस्था में मजबूत स्थिति रखने वाला रूस, यूक्रेन पर हमले के कारण लगाए गए प्रतिबंध के कारण विदेशी कर्ज मामले में डिफॉल्ट कर चुका है. पिछले दिनों क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने कहा था कि रूस अपने विदेशी डेट पर डिफॉल्ट कर चुका है, क्योंकि उसने बांडधारकों को 4 अप्रैल, 2022 को मेच्योर होने वाले बांड पर डॉलर के बदले USD कीमत का इतिहास रूबल में पेमेंट करने की पेशकश की थी.
INR USD Exchange Rate Today: भारत का 100 रुपया अमेरिका में 1.29 डॉलर, 13 मई का एक्सचेंज रेट
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में काफी संख्या में भारतीय लोग ऐसे भी रहते हैं जिन्हें भारत से रुपया आता है जो अमेरिका में डॉलर के रूप में उन्हें मिलता है। छात्र और काफी पहले से यूएस में सेटल हो चुके भी वहां ऐसे काफी लोग हैं जिनका किसी न किसी जरिए ये पैसा भारत से अमेरिका जाता है। वहीं वैश्विक मार्केट में हर रोज डॉलर और रुपयों का भाव ऊपर-नीचे होता रहता है। ऐसे में हम आपको प्रतिदिन एक्सचेंज रेट में दोनों करेंसी का भाव बताते हैं जिससे भारत से आया पैसा यूएस डॉलर में कनवर्ट कराने में आप परेशान ना हो।
INR USD Exchange Rate Today: भारत का 100 रुपया अमेरिका में 1.33 डॉलर, 5 अप्रैल का एक्सचेंज रेट
भारत के 100 USD कीमत का इतिहास रुपये के बदले में अमेरिका में 1.33 डॉलर मिलेंगे। 5 अप्रैल के एक्सचेंज रेट के मुताबिक भारत का एक रुपया अमेरिका के 0.013 डॉलर होगा। एक्सचेंज रेट के मुताबिक अमेरिका का एक डॉलर भारत के 75.32 रुपये होगा। भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 75.28 रुपये पर बंद हुआ। एक्सचेंज रेट या मुद्रा विनिमय दर आर्थिक प्रदर्शन, मुद्रास्फीति, ब्याज दर के अंतर और पूंजी के फ्लो पर निर्भर करती है।
अमेरिकी मुद्रा और कच्चे तेल की कीमतें हाल के उच्च स्तरों से गिरने के कारण रुपया ने मंगलवार को मजबूती जारी रखी, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 25 पैसे बढ़कर 75.28 पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में कमजोरी ने निवेशकों की धारणा को बढ़ावा दिया, यहां तक कि घरेलू इक्विटी एक नकारात्मक नोट पर रही। इंटरबैंक फॉरेक्स मार्केट में, घरेलू इकाई अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 75.54 पर खुली और 75.28 के इंट्रा-डे हाई को छू गई और अंत में 75.28 पर बंद हुई, जो अपने पिछले बंद से 25 पैसे की वृद्धि दर्ज कर रही थी।
अमेरिकी डॉलर सोने की कीमतों को कैसे प्रभावित करता है?
सोना हमारी जानकारी के अनुसार विनिमय के सबसे पुराने साधनों में से एक है और काफी लम्बे समय तक इसने एक मुद्रा की भूमिका निभायी है। आज जहाँ अन्य मुद्राओं ने यह भूमिका ले ली है, आधुनिक दौलत और सोने का आपसी सम्बंध नहीं खोया है।
गोल्ड स्टैंडर्ड के पतन के बाद, अमेरिकी डॉलर ही सोने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए वास्तविक मानक मूल्य निर्धारण तंत्र बन गया। फलत: दोनों एक दूसरे से बहुत करीब से जुड़े हैं। तो आइए देखते हैं अमेरिकी डॉलर सोने की कीमतों को कैसे प्रभावित करता है।
सोना एक बहुमुखी सम्पत्ति है, और इसकी कीमत दुनिया भर की सभी मुद्राओं के कुल अनुमानित मूल्य के प्रति संवेदनशील है। भय या भू-राजनैतिक उथल-पुथल के समय, सोने की कीमत में उछाल आता है, ठीक वैसे ही जैसे जुलाई में अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक चिंता के कारण हुआ था। हालाँकि, उसके तुरंत बाद अगस्त में, इन भू-राजनैतिक चिंताओं के बावजूद, सोना 20 महीनों में सबसे ज़्यादा नीचे गया। और इसके पीछे सबसे मुख्य कारण रहा डॉलर का तगड़ा होना। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि डॉलर के तेज़ होने के कारण या फिर अमेरिकी अर्थ-व्यवस्था के कारण सोने के मूल्य में उतार-चढ़ाव हुआ हो।
Highlights
- आजादी के बाद से ही रुपया होता रहा कमजोर
- रुपये की वैल्यू को तब की केंद्र सरकार करती थी मॉनिटर
- पहली बार की आर्थिक मंदी ने रुपये की कमर तोड़ दी
Explained: भारतीय करेंसी (Indian Currency) की वैल्यू आज 79.50 रुपये प्रति डॉलर (Dollar) हो गई है। आप जब इस आर्टिकल को पढ़ रहे होंगे, तब शायद इसमें कोई बदलाव आ चुका होगा। देश आज 75वां स्वतंत्रता दिवस (Independent Day) मनाने जा रहा है। जब देश आजाद हुआ था तब रुपये की वैल्यू एक डॉलर के बराबर हुआ करती USD कीमत का इतिहास थी। इन 75 सालों में रुपये की कीमत प्रति डॉलर 80 पार USD कीमत का इतिहास कर गई है। देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने एक बार संसद में कहा था कि जब देश की करेंसी गिर रही होती है तब सिर्फ रुपये का नुकसान नहीं होता है, बल्कि उस देश की मान प्रतिष्ठा भी गिरने लगती है। ऐसे में आज हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि भारतीय मुद्रा दिनों-दिन इतना कमजोर क्यों होता गया? इसका अब तक का इतिहास (History) कैसा रहा है?
आजादी के बाद से ही रुपया होता रहा कमजोर
भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। उस समय एक डॉलर की कीमत एक रुपये हुआ करती थी, लेकिन जब भारत स्वतंत्र हुआ तब उसके पास उतने पैसे नहीं थे कि अर्थव्यवस्था को चलाया जा सके। उस समय देश के USD कीमत का इतिहास प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) थे। उनके नेतृत्व वाली सरकार ने विदेशी व्यापार को बढ़ाने के लिए रुपये की वैल्यू को कम करने का फैसला किया। तब पहली बार एक डॉलर की कीमत 4.76 रुपये हुआ था।
1962 तक रुपये की वैल्यू में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन जब 1962 और फिर 1965 का युद्ध भारत ने लड़ा तब देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा और 1966 में विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रुपये की कीमत 6.36 रुपये प्रति डॉलर हो गई। 1967 आते-आते सरकार ने एक बार दुबारा से रुपये की कीमत को कम करने का निर्णय लिया। उसके बाद एक डॉलर की कीमत 7.50 USD कीमत का इतिहास रुपये हो गई। आपको बता दें, उस वक्त रुपये की वैल्यू को सरकार ही मॉनिटर किया करती थी कि रुपये की वैल्यू मार्केट में एक डॉलर के बराबर कितनी होगी। उसे फिक्ड एक्सचेंज रेट सिस्टम (Fixed Exchange Rate System) कहते हैं।
पहली बार की आर्थिक मंदी ने रुपये की कमर तोड़ दी
देश के आजाद होने के बाद से पहली बार 1991 में मंदी आई। तब केंद्र में नरसिंम्हा राव (Narasimha Rao) की सरकार थी। उनकी अगुआई में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की गई, जिसने रुपये की कमर तोड़ दी। रिकार्ड गिरावट के साथ रुपया प्रति डॉलर 22.74 पर जा USD कीमत का इतिहास पहुंचा। दो साल बाद रुपया फिर कमजोर हुआ। तब एक डॉलर की कीमत 30.49 रुपया हुआ करती थी। उसके बाद से रुपये के कमजोर होने का सिलसिला चलता रहा है। वर्ष 1994 से लेकर 1997 तक रुपये की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। उस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 31.37 से 36.31 रुपये के बीच रहा।
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