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बॉण्ड्स के प्रकार

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म्युचुअल फंड (MUTUTAL FUNDS) क्या होता है? mutual funds in hindi

सभी निवेश विकल्पों में से म्युचुअल फंड को दीर्घावधि में पैसा कमाने का सर्वोत्तम साधन माना जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं, और जिस तरह की संपत्ति श्रेणी में ये फंड निवेश करते हैं उसी के अनुसार जोखिम भी अलग-अलग तरह के होते हैं जैसा कि नाम से पता चलता है। एक म्युचुअल फंड एक ऐसा फंड है जिसका निर्माण तब होता है जब बड़ी संख्या में निवेशक अपना धन इसमें लगाते हैं और इसका प्रबंधन विभिन्न संपत्ति श्रेणियों-शेयर, बॉण्ड्स, मुद्रा बाजार साधनों, जैसे-कॉल मनी, और अन्य संपत्तियों, जैसे-स्वर्ण और प्रॉपर्टी, में निवेश करने का अनुभव रखने वाले योग्य व्यक्तियों द्वारा बॉण्ड्स के प्रकार किया जाता है। आमतौर पर उनके नाम से पता चलता है कि कोई फंड किस प्रकार की संपत्ति, जिसे योजना कहते हैं, में निवेश करेगा। उदाहरण के तौर पर कोई डाईवर्सिफाईड इक्विटी फंड' बड़ी संख्या में शेयरों में निवेश करेगा, जबकि कोई 'गिल्ट फंड' मुख्य रूप से फॉर्मास्यूटिकल और संबंधित उद्योगों की कंपनियों के शेयर में निवेश करेगा।

म्युचुअल फंड, सबसे पहले मुद्रा बाजार (आर.बी. आई. द्वारा विनियमित) में आए, लेकिन इन्हें पूंजी बाजार में भी व्यापार करने की छूट है। इसलिए, इनके दोहरे विनियामक-आर.बी.आई. और सेबी का प्रावधान हैं। म्युचुअल फंड को अनिवार्य रूप से भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत कराना होता है, जो प्रतिरक्षा की पहली पंक्ति के रूप में भी काम करता है। जो यह नहीं समझते कि म्युचुअल फंड कैसे काम करते हैं परंतु निवेश करने के इच्छुक होते हैं, उनके लिए सेबी का यह प्रयास एक बड़ी राहत हैं।

प्रत्येक म्युचुअल फंड को योग्य व्यक्तियों के समूह द्वारा चलाया जाता है जो संपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) नामक कंपनी का गठन करते हैं; और एएमसी का संचालन लोगों के एक दूसरे समूह के निर्देशन के अंतर्गत होता है, जिन्हें ट्रस्टी कहा जाता है। दोनों ए.एम.सी. के लोग और ट्रस्टी की ही न्यासीय जिम्मेदारी होती है क्योंकि ये वे लोग होते हैं जिन्हें उन लोगों के मेहनत से कमाए गए पैसे के प्रबंधन का काम सौंपा जाता है जिन्हें पैसे के प्रबंधन की अधिक समझ नहीं है।

कोई फंड हाउस अथवा फंड हाऊस हेतु कार्यरत कोई वितरक (जो कोई व्यक्ति, कंपनी अथवा एक बैंक भी हो सकता है) म्युचुअल फंड बेचने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। फंड हाउस ऐसी कीमत पर एम.एफ. की 'यूनिट' निदेशक को आवंटित करता है जो सेबी द्वारा अनुमोदित प्रक्रिया द्वारा निर्धारित की गई हो, जो नेट एसेट वैल्यू (एन.ए.वी) पर आधारित होती है। सरल शब्दों में, एन.ए.वी किसी स्कीम में किए गए निवेश की कुल कीमत को उसी स्कीम में निवेशकों को जारी यूनिटों की कुल संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त होती है। तथापि, जब भी कोई फंड हाऊस किसी योजना को पहली बार लाता है तो यूनिट 10 रुपए प्रत्येक की दर से बेची जाती है।

खुली योजना वह होती है जो किसी एम.एफ. से जारी रहने के आधार पर उपलब्ध होती है अर्थात्, कोई भी निवेशक अपनी इच्छा से एन.ए.वी. आधारित मूल्य पर जब चाहे खरीद अथवा बेच सकता है। जब निवेशक किसी विशेष खुली योजना में यूनिटों की खरीद-फरोख्त करते हैं, तो जारी की गई यूनिटों की संख्या भी प्रतिदिन बदलती है और इसी तरह योजना के पोर्टफोलियो की कीमत भी बदलती है इस तरह, एन.ए.वी. भी दैनिक आधार पर बदलते रहते है। भारत में, फंड हाउस किसी विशेष योजना की कितनी भी यूनिट बेच सकते है, परंतु कभी-कभी फंड हाउस कुछ समय के लिए किसी योजना की अतिरिक्त यूनिटों की

कोई बंद योजना आमतौर पर निवेशकों को एक बार यूनिट जारी करती है जब वे किसी पेशकश की घोषणा करते है, भारत में इसे न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) कहा जाता है तत्पश्चात्, ये यूनिटें स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध की जाती है जहां उनका दैनिक आधार पर व्यापार किया जाता है। चूंकि ये यूनिट सूचीबद्ध होती है, कोई भी निवेशक एक्सचेंज के माध्यम से इन यूनिटों को खरीद और बेच सकता ही जैसा कि नाम से पता चलता है, बंद योजनाओं का प्रबंधन फंड हाउसों द्वारा सीमित वर्षों के लिए किया जाता है और इस अवधि की समाप्ति पर या तो निवेशकों को पैसे लौटा दिये जाते है अथवा योजना को खुली योजना बना दिया जाता है तथापि, सावधानी के लिए आमतौर पर बंद योजनाओं की यूनिट, जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती है, उनकी अपने एन.ए.वी. पर छूट और ट्रेडिंग मूल्य का अंतर कम हो जाता है और योजना के बंद होने के समय यह अंतर खत्म हो जाता है।

ई.टी.एफ., खुली और बंद योजनाओं का मिश्रण है। बंद योजनाओं की तरह ई.टी.एफ. स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध और इनमें दैनिक आधार पर व्यापार होता है, लेकिन इनका मूल्य इनके एन.ए.बी अथवा स्वर्ण ई.टी.एफ. जैसी अन्तनिर्हित संपत्तियों के बहुत पास होता है।

यदि किसी सुप्रबंधित एमएफ में निवेश किया गया है, तो दीर्घावधि में, जो कि दस वर्ष अथवा अधिक हो सकता है, तो लाभ हानि की अपेक्षा अधिक होते है। निवेशकों के लिए अन्य जोखिम मुक्त निवेशों, यथा-एफ.डी, पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करने की अपेक्षा इनमें पैसा कमाने की संभावना बहुत अधिक होती है।

  • (a) पोर्टफोलियो की विभिन्नता
  • (b) अच्छी निवेश प्रबंधन सेवाएं,
  • (c) तरलता
  • (d) सरकार से सहायता प्राप्त सुदृढ़ विनियामक मदद,
  • (e) पेशेवर सेवा, और
  • (f) सभी लाभों हेतु कम लागत।

कोई निवेशक, किसी ऐसे म्युचुअल फंड स्कीम में निवेश कर जिसके पोर्टफोलियो में ब्लू चिप स्टॉक हो, अप्रत्यक्ष रूप से इन स्टॉक से भी परिचित होता है। इसकी तुलना में यदि वही निदेशक इन सभी स्टॉक में से प्रत्येक को अपने पोर्टफोलियो में रखना चाहता है तो खरीदने और पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने की लागत कहीं अधिक होगी।

म्युचुअल फंड निवेशकों के धन को ऋण और शेयर बाजार दोनों में ही निवेश करते हैं। एम.एफ. की यूनिट के खरीदारों के पास यह पंसद/विकल्प रहता है कि वे एम. एस. के फंड प्रबंधकों द्वारा उसके पीछे को किस तरीके से निवेशकों के निम्नलिखित विकल्प मिलते हैं:

  • (i) ऋण (फंड का 100 प्रतिशत ऋण बाजार में निवेश किया जाएगा)
  • (ii) शेयर (फंड का 100 प्रतिशत शेयर बाजार में निवेश किया जाएगा)
  • (iii) संतुलित (फंड का 60 प्रतिशत ऋण बाजार में निवेश किया जाएगा जबकि शेष 40 प्रतिशत को शेयर बाजार में बाजार की स्थिति के अनुसार; यह प्रावधान बदलता रहता है, एम.एफ. द्वारा स्पष्ट घोषित)।

अक्तूबर 2017 में सेबी (SEBI) द्वारा म्युचअल फंड योजनाओं को 5 वृहत् श्रेणियों में बांटने की घोषणा की गई ताकि इस क्षेत्र की व्यवस्था (clutter) को सुधारा जा सके तथा निवेशकों को एक जैसी दिखने वाली योजनाओं के बारे में बेहतर तुलनीय सूचना प्राप्त हो सके। अब इनकी 5 श्रेणियां हैं- ऋण योजनाएं. इक्विटी योजनाएं. संकर (hybrid) योजनाएं, समाधान उन्मुख (solution-oriented) योजनाएं तथा अन्य (other) योजनाएं।

यथा- डिविडेंड यील्ड इक्विटी फंड जिनका उद्देश्य होता है उन शेयरों में निवेश करना जहां से अधिकतम लाभांश (dividend) की उगाही की जा सके तथा बैंकिंग एवं पी.एस. यू. डेट फंड, जिनके द्वारा अपने सकल कोष का न्यूनतम 80 प्रतिशत सरकारी कंपनियों या सरकारी बैंकों द्वारा जारी किए गए ऋण पत्रों (debt papers) में निवेश किया जाता है। कोई फंड कंपनी किसी एक श्रेणी में एक से अधिक योजनाएं नहीं शुरू कर सकती ताकि पुनरावृत्ति (duplication) पर रोक लगायी जा सके।

IIFL Home Finance NCD : 8 दिसंबर को खुल गया ऑफर, क्या आपको करना चाहिए निवेश?

यह एनसीडी 36, 60 और 84 महीनों की अवधि के बॉण्ड्स के प्रकार लिए 8.25 फीसदी से 8.75 फीसदी के दायरे में ब्याज दरों की पेशकश करता है

आईआईएफएल होम फाइनैंस (IIFLHF) ने निवेशकों के लिए अपना नॉन कन्वर्टिबिल डिबेंचर (NCD) लॉन्च कर दिया है। क्या जोखिम को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरें आकर्षक हैं? क्या आपको इस एनसीडी (NCD) में निवेश करना चाहिए? हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या है ऑफर

IIFLHF का यह एनसीडी (NCD) 8 दिसंबर को खुल गया है। इसमें कंपनी की दूसरी किस्त में एनसीडी जारी करके 900 करोड़ रुपये (कुल 1000 करोड़ रुपये तक) के ओवरसब्सक्रिप्शन के विकल्प के साथ 100 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। ये सिक्योर्ड एनसीडी हैं और इसे ‘CRISIL AA/Stable’ ‘BWR AA+/Negative (Assigned)’ रेटिंग मिली है। इस रेटिंग वाले इंस्ट्रुमेंट्स में वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए उच्च स्तर की सेफ्टी होती है। ऐसे इंस्ट्रुमेंट्स के साथ खासा कम क्रेडिट रिस्क होता है। इस इश्यू की फेस वैल्यू 1,000 रुपये है। एनसीडी को बीएसई और एनएसई पर लिस्ट कराया जाएगा। न्यूनतम 10,000 रुपये के एनसीडी के लिए आवेदन कर सकते हैं। एनसीडी को डिमैट फॉर्म में जारी किया जाता है।

किस तरह कारोबार करती है कंपनी

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IIFLHF तीन श्रेणियों- हाउसिंग, सिक्योर्ड बिजनेस और सस्ते हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंसिंग से संबंधित मॉर्टगेज की पेशकश करती है। 30 सितंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार, एसेट अंडर मैनेजमेंट इनकी हिस्सेदारी क्रमशः 73.10 फीसदी, 24.66 फीसदी और 2.24 फीसदी है। लोन को मंजूरी देते समय हाउसिंग लोन्स और सिक्योर्ड बिजनेस लोन के लिए लोन-टू-वैल्यू रेश्यो क्रमशः 71.78 फीसदीऔर 47.24 फीसदी रखते हैं। 30 सितंबर, 2021 तक कंपनी की ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स और नेट नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स का क्रमशः 2.07 फीसदी और 1.39 फीसदी था।

कोविड ने नहीं दिया झटका तो कम हो सकता है बॉण्ड्स के प्रकार एनपीए

बॉन्ड्सइंडिया डॉट कॉम के को-फाउंडर और सीईओ अंकित गुप्ता कहते हैं, “अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से बाहर आ चुकी है और ग्रोथ की राह पर है। यदि कोविड-19 का नया वैरिएंट ग्रोथ को झटका नहीं देता है तो लोन बुक में एनपीए की हिस्सेदारी आगे खासी कम हो सकती है।”

एनसीडी 36, 60 और 84 महीनों की अवधि के लिए 8.25 फीसदी से 8.75 फीसदी तक ब्याज दरों की पेशकश करता है।

आईआईएफएल के शेयरहोल्डर्स को मिलेगी 25 बीपीएस अंक ज्यादा ब्याज

एक बात ध्यान रखनी चाहिए फिक्स्ड डिपॉजिट (fixed deposits) नेचर में अऩसिक्योर्ड हैं, जबकि एनसीडी सिक्योर्ड हैं। एनसीडी मासिक, सालाना या मैच्योरिटी के समय ब्याद देती हैं। आईआईएफएल के शेयरहोल्डर सीरीज I, III, IV, VI और VII पर अतिरिक्त 25 बेसिस प्वाइंट्स के लिए पात्र हैं, हालांकि कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं।

सिनर्जी कैपिटल सर्विसेज के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम दलाल कहते हैं, “36 महीनों में मैच्योर होने वाली एनसीडी में निवेश की योजना बना रहे निवेशकों के लिए ब्याज दर काफी आकर्षक हैं।” निवेशकों के लिए बढ़ती ब्याज दरें और अनुमान से कम आर्थिक विकास की संभावना दो अहम जोखिम हैं। उन्होंने कहा, “लॉन्ग टर्म के लिए पैसा फंसाने से बचें। शॉर्ट टर्म में मैच्योर होने वाली एनसीडी तक ही खुद की सीमित रखें।”

क्या निवेश करना चाहिए?

इस प्रकार तीन साल में मैच्योर हो रहीं एनसीडी निचले इनकम टैक्स ब्रेकिट में आने निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, डायवर्सिफिकेशन की अनदेखी न करें, क्योंकि इससे जोखिम कम करने में मदद मिलती है। अपना पूरा पैसा एनसीडी में सिर्फ इसलिए न लगा दें, क्योंकि इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है। दलाल ने कहा, “चूंकि इसी तरह की एए रेटिंग वाली एनसीडी स्टॉक एक्सचेंजों पर ज्यादा यील्ड के साथ ट्रेड कर रही हैं, इसलिए निवेशकों को मैच्योरिटी तक इन्हें होल्ड करने के लिए तैयार रहना चाहिए।”

गुप्ता कहते हैं, “इन्वेस्टर्स को पहले सेकेंडरी मार्केट के अवसरों पर गौर करना चाहिए, क्योंकि कुछ एए रेटेड सिक्योर्ड पेपर बेहतर यील्ड की पेशकश करते हैं। निवेशक अपनी पूंजी को प्राइमरी इश्यू और सेकेंडरी मार्केट की डील्स के बीच बांट सकते हैं।”

IIFL Home Finance NCD : 8 दिसंबर को खुल गया ऑफर, क्या आपको करना चाहिए निवेश?

यह एनसीडी 36, 60 और 84 महीनों की अवधि के लिए 8.25 फीसदी से 8.75 फीसदी के दायरे में ब्याज दरों की पेशकश करता है

आईआईएफएल होम फाइनैंस (IIFLHF) ने निवेशकों के लिए अपना नॉन कन्वर्टिबिल डिबेंचर (NCD) लॉन्च कर दिया है। क्या जोखिम को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरें आकर्षक हैं? क्या आपको इस एनसीडी (NCD) में निवेश करना चाहिए? हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या है ऑफर

IIFLHF का यह एनसीडी (NCD) 8 दिसंबर को खुल गया है। इसमें कंपनी की दूसरी किस्त में एनसीडी जारी करके 900 करोड़ रुपये (कुल 1000 करोड़ रुपये तक) के ओवरसब्सक्रिप्शन के विकल्प के साथ 100 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। ये सिक्योर्ड एनसीडी हैं और इसे ‘CRISIL AA/Stable’ ‘BWR AA+/Negative (Assigned)’ रेटिंग मिली है। इस रेटिंग वाले इंस्ट्रुमेंट्स में वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए उच्च स्तर की सेफ्टी होती है। ऐसे इंस्ट्रुमेंट्स के साथ खासा कम क्रेडिट रिस्क होता है। इस इश्यू की फेस वैल्यू 1,000 रुपये है। एनसीडी को बीएसई और एनएसई पर लिस्ट कराया जाएगा। न्यूनतम 10,000 रुपये के एनसीडी के लिए आवेदन कर सकते हैं। एनसीडी को डिमैट फॉर्म में जारी किया जाता है।

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कोविड ने नहीं दिया झटका तो कम हो सकता है एनपीए

बॉन्ड्सइंडिया डॉट कॉम के को-फाउंडर और सीईओ अंकित गुप्ता कहते हैं, “अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से बाहर आ चुकी है और ग्रोथ की राह पर है। यदि कोविड-19 का नया वैरिएंट ग्रोथ को झटका नहीं देता है तो लोन बुक में एनपीए की हिस्सेदारी आगे खासी कम हो सकती है।”

एनसीडी 36, 60 और 84 महीनों की अवधि के लिए 8.25 फीसदी से 8.75 फीसदी तक ब्याज दरों की पेशकश करता है।

आईआईएफएल के शेयरहोल्डर्स को मिलेगी 25 बीपीएस अंक ज्यादा ब्याज

एक बात ध्यान रखनी चाहिए फिक्स्ड डिपॉजिट (fixed deposits) नेचर में अऩसिक्योर्ड हैं, जबकि एनसीडी सिक्योर्ड हैं। एनसीडी मासिक, सालाना या मैच्योरिटी के समय ब्याद देती हैं। आईआईएफएल के शेयरहोल्डर सीरीज I, III, IV, VI और VII पर अतिरिक्त 25 बेसिस प्वाइंट्स के लिए पात्र हैं, हालांकि कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं।

सिनर्जी कैपिटल सर्विसेज के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम दलाल कहते हैं, “36 महीनों में मैच्योर होने वाली एनसीडी में निवेश की योजना बना रहे निवेशकों के लिए ब्याज दर काफी आकर्षक हैं।” निवेशकों के लिए बढ़ती ब्याज दरें और अनुमान से कम आर्थिक विकास की संभावना दो अहम जोखिम हैं। उन्होंने कहा, “लॉन्ग टर्म के लिए पैसा फंसाने से बचें। शॉर्ट टर्म में मैच्योर होने वाली एनसीडी तक ही खुद की सीमित रखें।”

क्या निवेश करना चाहिए?

इस प्रकार तीन साल में मैच्योर हो रहीं एनसीडी निचले इनकम टैक्स ब्रेकिट में आने निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, डायवर्सिफिकेशन की अनदेखी न करें, क्योंकि इससे जोखिम कम करने में मदद मिलती है। अपना पूरा पैसा एनसीडी में सिर्फ इसलिए न लगा दें, क्योंकि इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है। दलाल ने कहा, “चूंकि इसी तरह की एए रेटिंग वाली एनसीडी स्टॉक एक्सचेंजों पर ज्यादा यील्ड के साथ ट्रेड कर रही हैं, इसलिए निवेशकों को मैच्योरिटी तक इन्हें होल्ड करने के लिए तैयार रहना चाहिए।”

गुप्ता कहते हैं, “इन्वेस्टर्स को पहले सेकेंडरी मार्केट के अवसरों पर गौर करना चाहिए, क्योंकि कुछ एए रेटेड सिक्योर्ड पेपर बेहतर यील्ड की पेशकश करते हैं। निवेशक अपनी पूंजी को प्राइमरी इश्यू और सेकेंडरी मार्केट की डील्स के बीच बांट सकते हैं।”

म्युचुअल फंड (MUTUTAL FUNDS) क्या होता है? mutual funds in hindi

सभी निवेश विकल्पों में से म्युचुअल फंड को दीर्घावधि में पैसा कमाने का सर्वोत्तम साधन माना जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं, और जिस तरह की संपत्ति श्रेणी में ये फंड निवेश करते हैं उसी के अनुसार जोखिम भी अलग-अलग तरह के होते हैं जैसा कि नाम से पता चलता है। एक म्युचुअल फंड एक ऐसा फंड है जिसका निर्माण तब होता है जब बड़ी संख्या में निवेशक अपना धन इसमें लगाते हैं और इसका प्रबंधन विभिन्न संपत्ति श्रेणियों-शेयर, बॉण्ड्स, मुद्रा बाजार साधनों, जैसे-कॉल मनी, और अन्य संपत्तियों, जैसे-स्वर्ण और प्रॉपर्टी, में निवेश करने का अनुभव रखने वाले योग्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। आमतौर पर उनके नाम से पता चलता है कि कोई फंड किस प्रकार की संपत्ति, जिसे योजना कहते हैं, में निवेश करेगा। उदाहरण के तौर पर कोई डाईवर्सिफाईड इक्विटी फंड' बड़ी संख्या में शेयरों में निवेश करेगा, जबकि कोई 'गिल्ट फंड' मुख्य रूप से फॉर्मास्यूटिकल और बॉण्ड्स के प्रकार संबंधित उद्योगों की कंपनियों के शेयर में निवेश करेगा।

म्युचुअल फंड, सबसे पहले मुद्रा बाजार (आर.बी. आई. द्वारा विनियमित) में आए, लेकिन इन्हें पूंजी बाजार में भी व्यापार करने की छूट है। इसलिए, इनके दोहरे विनियामक-आर.बी.आई. और सेबी का प्रावधान हैं। म्युचुअल फंड को अनिवार्य रूप से भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत कराना होता है, जो प्रतिरक्षा की पहली पंक्ति के रूप में भी काम करता है। जो यह नहीं समझते कि म्युचुअल फंड कैसे काम करते हैं परंतु निवेश करने के इच्छुक होते हैं, उनके लिए सेबी का यह प्रयास एक बड़ी राहत हैं।

प्रत्येक म्युचुअल फंड को योग्य व्यक्तियों के समूह द्वारा चलाया जाता है जो संपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) नामक कंपनी का गठन करते हैं; और एएमसी का संचालन लोगों के एक दूसरे समूह के निर्देशन के अंतर्गत होता है, जिन्हें ट्रस्टी कहा जाता है। दोनों ए.एम.सी. के लोग और ट्रस्टी की ही न्यासीय जिम्मेदारी होती है क्योंकि ये वे लोग होते हैं जिन्हें उन लोगों के मेहनत से कमाए गए पैसे के प्रबंधन का काम सौंपा जाता है जिन्हें पैसे के प्रबंधन की अधिक समझ नहीं है।

कोई फंड हाउस अथवा फंड हाऊस हेतु कार्यरत कोई वितरक (जो कोई व्यक्ति, कंपनी अथवा एक बैंक भी हो सकता है) म्युचुअल फंड बेचने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। फंड हाउस ऐसी कीमत पर एम.एफ. की 'यूनिट' निदेशक को आवंटित करता है जो सेबी द्वारा अनुमोदित प्रक्रिया द्वारा निर्धारित की गई हो, जो नेट एसेट वैल्यू (एन.ए.वी) पर आधारित होती है। सरल शब्दों में, एन.ए.वी किसी स्कीम में किए गए निवेश की कुल कीमत को उसी स्कीम में निवेशकों को जारी यूनिटों की कुल संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त होती है। तथापि, जब भी कोई फंड हाऊस किसी योजना को पहली बार लाता है तो यूनिट 10 रुपए प्रत्येक की दर से बेची जाती है।

खुली योजना वह होती है जो किसी एम.एफ. से जारी रहने के आधार पर उपलब्ध होती है अर्थात्, कोई भी निवेशक अपनी इच्छा से एन.ए.वी. आधारित मूल्य पर जब चाहे खरीद अथवा बेच सकता है। जब निवेशक किसी विशेष खुली योजना में यूनिटों की खरीद-फरोख्त करते हैं, तो जारी की गई यूनिटों की संख्या भी प्रतिदिन बदलती है और इसी तरह योजना के पोर्टफोलियो की कीमत भी बदलती है इस तरह, एन.ए.वी. भी दैनिक आधार पर बदलते रहते है। भारत में, फंड हाउस किसी विशेष योजना की कितनी भी यूनिट बेच सकते है, परंतु कभी-कभी फंड हाउस कुछ समय के लिए किसी योजना की अतिरिक्त यूनिटों की

कोई बंद योजना आमतौर पर निवेशकों को एक बार यूनिट जारी करती है जब वे किसी पेशकश की घोषणा करते है, भारत में इसे न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) कहा जाता है तत्पश्चात्, ये यूनिटें स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध की जाती है जहां उनका दैनिक आधार पर व्यापार किया जाता है। चूंकि ये यूनिट सूचीबद्ध होती है, कोई भी निवेशक एक्सचेंज के माध्यम से इन यूनिटों को खरीद और बेच सकता ही जैसा कि नाम से पता चलता है, बंद योजनाओं का प्रबंधन फंड हाउसों द्वारा सीमित वर्षों के लिए किया जाता है और इस अवधि की समाप्ति पर या तो निवेशकों को पैसे लौटा दिये जाते है अथवा योजना को खुली योजना बना दिया जाता है तथापि, सावधानी के लिए आमतौर पर बंद योजनाओं की यूनिट, जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती है, उनकी अपने एन.ए.वी. पर छूट और ट्रेडिंग मूल्य का अंतर कम हो जाता है और योजना के बंद होने के समय यह अंतर खत्म हो जाता है।

ई.टी.एफ., खुली और बंद योजनाओं का मिश्रण है। बंद योजनाओं की तरह ई.टी.एफ. स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध और इनमें दैनिक आधार पर व्यापार होता है, लेकिन इनका मूल्य इनके एन.ए.बी अथवा स्वर्ण ई.टी.एफ. जैसी अन्तनिर्हित संपत्तियों के बहुत पास होता है।

यदि किसी सुप्रबंधित एमएफ में निवेश किया गया है, तो दीर्घावधि में, जो कि दस वर्ष अथवा अधिक हो सकता है, तो लाभ हानि की अपेक्षा अधिक होते है। निवेशकों के लिए अन्य जोखिम मुक्त निवेशों, यथा-एफ.डी, पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करने की अपेक्षा इनमें पैसा कमाने की संभावना बहुत अधिक होती है।

  • (a) पोर्टफोलियो की विभिन्नता
  • (b) अच्छी निवेश प्रबंधन सेवाएं,
  • (c) तरलता
  • (d) सरकार से सहायता प्राप्त सुदृढ़ विनियामक मदद,
  • (e) पेशेवर सेवा, और
  • (f) सभी लाभों हेतु कम लागत।

कोई निवेशक, किसी ऐसे म्युचुअल फंड स्कीम में निवेश बॉण्ड्स के प्रकार बॉण्ड्स के प्रकार कर जिसके पोर्टफोलियो में ब्लू चिप स्टॉक हो, अप्रत्यक्ष रूप से इन स्टॉक से भी परिचित होता है। इसकी तुलना में यदि वही निदेशक इन सभी स्टॉक में से प्रत्येक को अपने पोर्टफोलियो में रखना चाहता है तो खरीदने और पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने की लागत कहीं अधिक होगी।

म्युचुअल फंड निवेशकों के धन को ऋण और शेयर बाजार दोनों में ही निवेश करते हैं। एम.एफ. की यूनिट के खरीदारों के पास यह पंसद/विकल्प रहता है कि वे एम. एस. के फंड प्रबंधकों द्वारा उसके पीछे को किस तरीके से निवेशकों के निम्नलिखित विकल्प मिलते हैं:

  • (i) ऋण (फंड का 100 प्रतिशत ऋण बाजार में निवेश किया जाएगा)
  • (ii) शेयर (फंड का 100 प्रतिशत शेयर बाजार में निवेश किया जाएगा)
  • (iii) संतुलित (फंड का 60 प्रतिशत ऋण बाजार में निवेश किया जाएगा जबकि शेष 40 प्रतिशत को शेयर बाजार में बाजार की स्थिति के अनुसार; यह प्रावधान बदलता रहता है, एम.एफ. द्वारा स्पष्ट घोषित)।

अक्तूबर 2017 में सेबी (SEBI) द्वारा म्युचअल फंड योजनाओं को 5 वृहत् श्रेणियों में बांटने की घोषणा की गई ताकि इस क्षेत्र की व्यवस्था (clutter) को सुधारा जा सके तथा निवेशकों को एक जैसी दिखने वाली योजनाओं के बारे में बेहतर तुलनीय सूचना प्राप्त हो सके। अब इनकी 5 श्रेणियां हैं- ऋण योजनाएं. इक्विटी योजनाएं. संकर (hybrid) योजनाएं, समाधान उन्मुख (solution-oriented) योजनाएं तथा अन्य (other) योजनाएं।

यथा- डिविडेंड यील्ड इक्विटी फंड जिनका उद्देश्य होता है उन शेयरों में निवेश करना जहां से अधिकतम लाभांश (dividend) की उगाही की जा सके तथा बैंकिंग एवं पी.एस. यू. डेट फंड, जिनके द्वारा अपने सकल कोष का न्यूनतम 80 प्रतिशत सरकारी कंपनियों या सरकारी बैंकों द्वारा जारी किए गए ऋण पत्रों (debt papers) में निवेश किया जाता है। कोई फंड कंपनी किसी एक श्रेणी में एक से अधिक योजनाएं नहीं शुरू कर सकती ताकि पुनरावृत्ति (duplication) पर रोक लगायी जा सके।

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