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टेक्निकल इंडीकेटर्स

टेक्निकल इंडीकेटर्स

प्रतिभूतियों का मूल्यांकन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह उस राशि को बताता है जो फर्म उधार लेता है और परिपक्वता के समय चुकाने का वादा करता है। बांड समय के निश्चित अंतराल पर देय ब्याज की एक निश्चित दर ले जाते हैं। ब्याज की गणना टेक्निकल इंडीकेटर्स टेक्निकल इंडीकेटर्स ब्याज की दर के साथ बांड के मूल्य को गुणा करके की जाती है।

इक्विटी का हिंदी क्या होगा?

इसे सुनेंरोकेंEquity का सीधी और सरल भाषा में मतलब है, कंपनी में मालिक और निवेशक का कंपनी में पैसा। इसे कंपनी में मालिक और निवेशक की हिस्सेदारी भी कह सकते है। जैसे अगर किसी कंपनी में मालिक ने अपने 60 लाख रुपए लगाए है, और कंपनी की कुल कीमत 1 करोड़ रुपए है।

मौलिक विश्लेषण से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमौलिक विश्लेषण एक शेयर के आंतरिक मूल्य को मापने की विधि के लिए निर्धारित है कि क्या एक शेयर बाजार में सही ढंग से मूल्यवान है । मौलिक विश्लेषक वित्तीय विवरणों, मूल्यांकन अनुपात और अन्य गुणात्मक मापदंडों को देख कर विश्लेषण करते हैं ।

निम्न में से क्या धारक की इक्विटी में कमी का प्रतिनिधित्व करता है?

इसे सुनेंरोकेंउदाहरण के लिए, कल-पुर्जों की कीमत कम होने पर इक्विटी में कमी आएगी जिसे परिसंपत्ति के मूल्य में गिरावट के रूप में पंजीकृत किया जाता है और फर्म के तुलन पत्र के देयताओं वाले हिस्से में शेयरधारकों की इक्विटी में कमी के रूप में दर्ज किया जाता है।

इक्विटी शेयर कौन से होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइक्विटी शेयर की क्या परिभाषा है “इक्विटी शेयर” उसे कहते हैं जिसमें लाभांश तय नहीं होता है तथा जिसमें निवेशक यानी शेयर होल्डरों को मालिक माना जाता है। एक इक्विटी शेयर, जिसे आम तौर पर साधारण शेयर के रूप में जाना जाता है, एक हिस्सा स्वामित्व होता है। जहां प्रत्येक सदस्य एक आंशिक मालिक होता है।

बिजनेस में इक्विटी का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंइक्विटी कंपनी में शेयरधारकों की हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करती है, जिसकी कंपनी की बैलेंस शीट पर पहचान की जाती है। इक्विटी की गणना किसी कंपनी की कुल देनदारियों को घटाने के बाद उसके कुल एसेट के रूप में की जाती है और इसका उपयोग आरओई जैसे प्रमुख वित्तीय अनुपातों में किया जाता है।

मौलिक विश्लेषण और तकनीकी विश्लेषण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमौलिक विश्लेषण सुरक्षा का आकलन करने का एक तरीका है जिससे दीर्घकालिक निवेश के अवसरों के लिए इसके आंतरिक मूल्य को समझा जा सके। इसके विपरीत, तकनीकी विश्लेषण वर्तमान के साथ-साथ पिछली कीमत और लेन-देन की मात्रा के आधार पर सुरक्षा की भविष्य की कीमत का मूल्यांकन और भविष्यवाणी करने का एक तरीका है।

टेक्निकल एनालिसिस को सरल शब्दों में क्या कह सकते है?

इसे सुनेंरोकेंस्टॉक चयन के लिए फंडामेंटल (मौलिक) एनालिसिस का उपयोग करें लेकिन हम फंडामेंटल एनालिसिस के माध्यम से सिग्नल्स खरीदने और बेचने का उत्पादन नहीं कर सकते हैं। सिग्नल टेक्निकल इंडीकेटर्स खरीदना और बेचना केवल अल्पकालिक ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ टेक्निकल इंडीकेटर्स के माध्यम से उत्पन्न किया जा सकता है।

कौन सा शेयर खरीदना चाहिए 2021?

इसे सुनेंरोकें2021 में आप फार्मा कंपनी के शेयर ले सकते हैं क्योंकि इस सेक्टर का शेयर ने काफी बढ़िया रिटर्न दिया है जिसका सबसे बड़ी वजह हैं कोरोना महामारी और इसके वजह से ही सारे के सारे फार्मा सेक्टर के शेयर ने बहुत बढ़िया रिटर्न दिया हैं और इसके अलावा आप it सेक्टर या फिर technology से जुडी share में भी अपना पैसा लगा सकते हैं जिसे …

इंट्राडे ट्रेडिंग v/s T-20 मैच

इंट्राडे ट्रेडिंग v/s T-20 मैच : Intraday trading v/s T-20 Match

Intraday Trading v/s T-20 Match

इंट्राडे-ट्रेडिंग यानी आज ही शेयर ख़रीदे और मार्केट बंद होने से पहले आज ही बेच दिए, या उसका उल्टा आज ही बेचे और आज ही खरीद लिए। इंट्राडे-ट्रेडिंग यानी T-20 मैच ! जैसे टी -ट्वेंटी मैच में दोनों टीमें मैच शुरू होने से पहले रणनीति बनाती हैं , पिच का निरीक्षण करती हैं , Toss जीतने पर बैटिंग या बॉलिंग का निर्णय निश्चित करते हैं। ठीक वैसे ही इंट्राडे -ट्रेडिंग में ट्रेड करने के लिए एक दिन पहले ही शेयर का चुनाव किया जाता है , उसका टेक्निकल एनालिसिस किया जाता है , उससे जुडी खबरों को पढ़ा / देखा जाता है। कैंडल -स्टिक पैटर्न , MACD [Moving Average Convergence Divergence] , RSI [Relative Strength Index] टेक्निकल इंडीकेटर्स / टूल्स से उसकी कमजोरी या मजबूती टेक्निकल इंडीकेटर्स को समझा जाता है।

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RSI - MACD Technical Chart

जैसे T-20 मैच में बल्लेबाज को बॉल खेलने का निर्णय जल्दी करना पड़ता है , बॉलर को गेंदबाजी में चतुराई से परिवर्तन करना पड़ता है , फील्डर को चुस्त -दुरुस्त रहना पड़ता है। ठीक वैसे ही इंट्राडे-ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को मार्किट की प्रत्येक चाल पर नज़र रखनी पड़ती है। किसी विशेष शेयर में बनाई पोजीशन को टारगेट पूरा होते ही काटना पड़ता है। क्यूंकि कब उस शेयर की चाल उलटी दिशा में चलने लग जाए , पता नहीं चलता। जैसे दिनांक 29-11-19 को "Indiabulls-housing-finance" का शेयर सुबह 09 :15 बजे Rs.352 पर खुला और 10:30 a.m. के आस-पास उसने Rs. 376 का उच्चतम स्तर बनाया। लेकिन दोपहर में 01:15 बजे से 01:45 बजे तक अर्थार्थ आधा -घंटे में ही उसने Rs.268 तक टेक्निकल इंडीकेटर्स का निचला स्तर बना दिया। अर्थार्थ जो शेयर 12 % के लाभ पर ट्रेड हो रहा था , एक घंटे में ही वो 14 % के घाटे में आ गया। यहाँ जिन ट्रेडर्स ने BUY की पोजीशन बना रखी थी , उन्हें नुक्सान हो गया। इसलिए इंट्राडे टेक्निकल इंडीकेटर्स -ट्रेडिंग में हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है। Stop -Loss के साथ काम करना पड़ता हैं , अन्यथा किसी भी समय आउट [Loss ] होने का खतरा होता है।

स्टॉप -लोस आपके अधिक नुक्सान को रोकता है। जैसे आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा और 98 रुपए पर स्टॉप लॉस लगा दिया, यदि शेयर की चाल नीचे की ओर हुई तो 2 के नुकसान पर ही आपका सौदा कट जायेगा । उसी तरह से यदि शेयर 100 रुपए में बेचा और स्टॉप लॉस 102 लगा दिया तो शेयर की चाल ऊपर होने पर केवल 2 रुपए के नुक्सान पर आपका सौदा कट जाएगा।

तेजी से टप्पा डालकर जो बॉल सीधे बल्लेबाज के मुँह पर आती है , उसे या तो डक करके छोड़ा जाता है या हुक करके चौका या छक्का बटोरा जाता है। ठीक उसी तरह से टेक्निकल इंडीकेटर्स तेजी से गिरने / बढ़ने वाले शेयर को स्टॉप-लोस्स के साथ छोड़ दिया जाता है या रिवर्स -स्टॉप -लोस के साथ खेल लिया जाता है। लेकिन उसके लिए धोनी , रोहित , कोहली जैसा अनुभव चाहिए !! अर्थार्थ ट्रेडिंग का लम्बा अनुभव चाहिए।

दूसरे , जैसे टी-20 मैच में जब एक टेक्निकल इंडीकेटर्स बल्लेबाज 50 से ऊपर रन बना लेता है , तब लगभग उसका टारगेट पूरा हो गया होता है। अतः अब उसे आउट होने की चिंता नहीं होती और वो रन -गति को बढ़ाने में हर तरह के शॉट खेल सकता है। ठीक उसी तरह इंट्राडे-ट्रेडिंग में भी टारगेट पूरा होने के बाद , ट्रेडर "बोनस गेन" के लिए ट्रेडिंग करता रहता है। बढ़ता हुआ शेयर जब नीचे आता है तो शेयर खरीद लेता है , और ऊपर आने पर बेच देता है। परन्तु शेयर नीचे आने पर कब एंट्री लेनी है और कब टेक्निकल इंडीकेटर्स एग्जिट करना है उसके लिए वो टेक्निकल -चार्ट देखता रहता है। शेयर का मासिक , साप्ताहिक , प्रतिदिन का ट्रैंड यदि ऊपर की ओर है तो भाव नीचे आने पर खरीदना और शेयर का मासिक , साप्ताहिक , प्रतिदिन का ट्रैंड नीचे की ओर है तो भाव बढ़ जाने पर बेचना। ठीक वैसे ही जैसे टी -20 मैच में रनो का पीछा करने वाली टीम के बल्लेबाज [तेजड़िये ] हमेशा स्कोर बोर्ड पर नज़र बनाये रखते है और रन -रेट बढ़ जाने पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने लगते हैं। अन्यथा , टारगेट पूरा करने में दिक्कत होगी। तो दूसरी तरफ गेंदबाज [मंदड़िये ] अपना पूरा प्रयास करते हैं की टारगेट पूरा न हो !

जैसे टी-20 मैच में शुरू के 6 ओवर में फील्डिंग की पोजीशन में पाबंदियाँ होती हैं , अतः इन पाबंदियों का पूरा लाभ उठाने का प्रयास बल्लेबाज करता है। और तेजी से रन बनाये जाते हैं। इंट्राडे -ट्रेडिंग में भी अक्सर देखा गया है सुबह 09 :15 से 10:15 बजे तक शेयर के भाव तेजी से ऊपर / नीचे होते हैं। कारण, इस दौरान ट्रेडर्स अधिक होते हैं जिन्होंने पहले से ही पोजीशन बनाई होती है , अतः एक अनुभवी ट्रेडर्स इस समय में भी लाभ अर्जित कर लेता है। फिर, जैसे मैच में 8 से 15 ओवर के दौरान रन-गति थोड़ी धीरे हो जाती है । लेकिन 15 से 20 ओवर के बीच फिर रनो की गति बढ़ जाती है। ठीक उसी तरह से सुबह 11 :30 बजे से 13 :30 बजे तक शेयर मार्किट में ट्रेडिंग की गति धीमी रहती है, लेकिन 14 :15 से 15 :30 बजे तक फिर उसमे गति तेज होती है। कारण यहाँ फिर से ज्यादा ट्रेडर्स सक्रीय हो जाते हैं और अपनी-अपनी पोजीशन को काटने में लग जाते हैं।

कहने का मतलब यह है की इंट्राडे -ट्रेडिंग एक फ़ास्ट -गेम है। जहाँ हर क्षण चौकन्ना रहना जरूरी है। नज़र बची और माल यारों का हो जाता है । तो क्या -क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए, यदि इंट्राडे -ट्रेडिंग करनी हो तो।

  • लक्ष्य [Target ] पूरा होने पर exit करें।
  • घाटा होने पर quit करें। लूज़िंग साइड एवरेज न करें।
  • जब ट्रेड करें तो TV , शोरशराबा , अख़बार आदि से दूर रहें। अर्थार्थ ट्रेड पर ही ध्यान केंद्रित करें।
  • भावनाओं पर नियंत्रण रखें। लाभ होने की स्थिति में कूदें नहीं। हानि होने की स्थिति में उदास न हों।
  • मार्किट खुलने के बाद 60 मिनिट तक इंतजार करें और देखें जिस स्टॉक में ट्रेड करने जा रहें हैं उसका मूवमेंट अपनी इक्छा के अनुरूप है की नहीं।
  • मार्केट शुरू होने के एक घंटे बाद ट्रेड के Gainer & Looser को BSE /NSE की websiteshttps://www.nseindia.com/index_nse.htm पर देखें। जैसा ऊपर चार्ट दिखाया गया है।
  • स्टॉक विशेष के Upper circuit व् Lower circuit का ध्यान रखें। क्यों की circuit लगने पर ट्रेडिंग अनेकों बार बंद हो जाती है।
  • ट्रेड लेने से पहले स्टॉक का टेक्निकल -चार्ट जरूर देखें। चार्ट देखने के लिए निम्न websites पर जाएँ :- , , , , ,
  • स्टॉक की चाल [Trend ] का अनुसरण करें। अर्थात चाल "नीचे " है तो बढ़ने पर बेचें और चाल "ऊपर" है तो गिरने पर खरीदें।
  • Volatile market [उथल-पुथल ] में ट्रेड ना करें। सुबह 09:15 am to 10:30 am तक और दोपहर बाद 02:30 pm to 03:30 pm तक बाजार में बहुत हलचल रहती है। बिना अनुभव के यहाँ ट्रेड लेना बहुदा हानिकारक रहता है।
  • अपने Allotted funds का 1/4 हिस्सा ही शुरुआत में लगाएं। कभी उधार लेकर ट्रेड न करें।
  • किस रेट के शेयर पर क्या टारगेट प्राइस रखें ? मान लीजिये 100 रुपए मूल्य के 100 शेयर ख़रीदे या बेचे तो 2 रुपए टेक्निकल इंडीकेटर्स प्रति शेयर का प्रॉफिट बुक कर बाहर आ जाना चाहिए। इस तरह आपको 200 रुपए का लाभ हुआ। कुल टर्नओवर 20000 हुआ , इस टर्नओवर पर ब्रोकरेज , टैक्स ,सेस मिला कर 10 या 20 रुपए हुआ। तब भी 180 /- रुपए की कमाई हुई। इसी तरह यदि शेयर का मूल्य 200 /- रुपए है तो 3 या 4 रुपए प्रति शेयर का प्रॉफिट बुक करें। 300 /- रुपए का शेयर है तो 5 से 6 रुपए का प्रॉफिट बुक करें और इसी अनुपात में बढ़ते रेट पर सौदे काटते रहें।
  • बिना अनुभव के , बिना समझ के, किसी के कहने -सुनने से कभी इंट्राडे-ट्रेडिंग न करें। आप हमेशा अपनी रकम डुबो देंगे।
  • बढ़ता हुआ शेयर Intraday -trading में अप्रत्याशित रूप से नीचे गिर जाए तो उस शेयर की delivery उठाकर 1 -2 दिन बाद बेच सकते हैं !!

कोशिश करें की हार -जीत न हो तो, मैच टाई हो जाए ! अर्थात, "नो गेन -नो लॉस" की स्थिति यदि रहे तो बेहतर है।

दिल्ली: ट्रक चालकों को दिया गया टायर सुरक्षा प्रशिक्षण

प्रशिक्षण लेते चालक

हरियाणा के गुरुग्राम और करनाल स्थित इंडियन ऑयल के बोटलिंग प्लांट से घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर की आपूर्ति करने वाले वाणिज्यिक वाहनों के चालकों को टायर की देखभाल एवं सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को प्रशिक्षित किया गया। चालकों एवं लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं को टायर सुरक्षा के संबंध में प्रशिक्षित करने के लिए ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) और उसकी तकनीकी इकाई इंडियन टायर टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (आईटीटीएसी) ने इंडियन ऑयल से हाथ मिलाया है।

ये चालक इंडियन ऑयल के इंडेन कुकिंग गैस की आपूर्ति करते हैं। इंडियन ऑयल के दोनों बोटलिंग प्लांट पर दो दिन चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में 150 से ज्यादा वाणिज्यिक चालकों, क्लीनर्स एवं फ्लीट मैनेजरों को टायर सुरक्षा का विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
इंडियन ऑयल के गुरुग्राम बोटलिंग प्लांट के सुजीत कुमार और करनाल प्लांट के नवीन मुखीजा ने प्रशिक्षण कायक्रमों की अगुआई की। आईटीटीएसी के चेयरमैन टॉम थॉमस ने कहा, 'एलपीजी सिलेंडर को लाना-ले जाना बहुत जिम्मेदारी का काम है। परिवहन सेक्टर में अहम भूमिका निभाने वाले वाणिज्यिक वाहनों के चालकों को सुरक्षा के सभी मानकों के प्रति सतर्क एवं जागरूक होना चाहिए।

इसमें भी कुकिंग गैस की आपूर्ति करने वाले चालकों के मामले में सुरक्षा को लेकर सतर्कता और भी जरूरी हो जाती है। एटीएमए और आईटीटीएसी ने इन चालकों के लिए विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया है। सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता की दिशा में हमारा साथ देने के लिए हम इंडियन ऑयल की सराहना करते हैं।

वाणिज्यिक चालकों को टायर पर बने ट्रेड वियर इंडीकेटर्स (टीडब्ल्यूआई) को लेकर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया। टीडब्ल्यूआई की मदद से चालक आसानी से समझ सकते हैं कि टायर कितना घिस चुका है। इस बारे में जानकारी होने पर चालक केंद्रीय मोटर वाहन नियम के तहत ट्रेड को लेकर तय मानक के भीतर ही टायर बदल सकते हैं।

एटीएमए के डायरेक्टर जनरल राजीव बुधराजा ने कहा, 'बड़े पैमाने पर चालकों को टायर ट्रेड के बारे में जानकारी नहीं होती है। घिसे हुए टायर ब्रेक लगाने के बाद भी ज्यादा दूर जाकर रुकते हैं, जिससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है। प्रशिक्षण के दौरान चालकों को टीडब्ल्यूआई के बारे में, टायर पर विभिन्न निशान के बारे में और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें इस बारे में जागरूक किया गया कि टायर की बेहतर देखभाल के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

वाणिज्यिक वाहनों के नए टायर में 16 से 18 मिलीमीटर तक ट्रेड की गहराई होती है। ट्रेड वियर इंडीकेटर (टीडब्ल्यूआई) को ट्रेड के इन्हीं खांचों के बीच 1.6 मिलीमीटर की गहराई पर बनाया गया होता है, जो वैधानिक रूप से ट्रेड के लिए तय न्यूनतम गहराई है। जैसे ही टायर घिसकर टीडब्ल्यूआई के स्तर तक पहुंच जाए, उसे बदल देना चाहिए। टायर के किनारों पर निशान बने होते हैं, जो टीडब्ल्यूआई की ओर संकेत करते हैं।

हरियाणा के गुरुग्राम और करनाल स्थित इंडियन ऑयल के बोटलिंग प्लांट से घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर की आपूर्ति करने वाले वाणिज्यिक वाहनों के चालकों को टायर की देखभाल एवं सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को प्रशिक्षित किया गया। चालकों एवं लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं को टायर सुरक्षा के संबंध में प्रशिक्षित करने के लिए ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) और उसकी तकनीकी इकाई इंडियन टायर टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (आईटीटीएसी) ने इंडियन ऑयल से हाथ मिलाया है।

ये चालक इंडियन ऑयल के इंडेन कुकिंग गैस की आपूर्ति करते हैं। इंडियन ऑयल के दोनों बोटलिंग प्लांट पर दो दिन चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में 150 से ज्यादा वाणिज्यिक चालकों, क्लीनर्स एवं फ्लीट मैनेजरों को टायर सुरक्षा का विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।

इंडियन ऑयल के गुरुग्राम बोटलिंग प्लांट के सुजीत कुमार और करनाल प्लांट के नवीन मुखीजा ने प्रशिक्षण कायक्रमों की अगुआई की। आईटीटीएसी के चेयरमैन टॉम थॉमस ने कहा, 'एलपीजी सिलेंडर को लाना-ले जाना बहुत जिम्मेदारी का काम है। परिवहन सेक्टर में अहम भूमिका निभाने वाले वाणिज्यिक वाहनों के चालकों को सुरक्षा के सभी मानकों के प्रति सतर्क एवं जागरूक होना चाहिए।

इसमें भी कुकिंग गैस की आपूर्ति करने वाले चालकों के मामले में सुरक्षा को लेकर सतर्कता और भी जरूरी हो जाती है। एटीएमए और आईटीटीएसी ने इन चालकों के लिए विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया है। सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता की दिशा में हमारा साथ देने के लिए हम इंडियन ऑयल की सराहना करते हैं।

वाणिज्यिक चालकों को टायर पर बने ट्रेड वियर इंडीकेटर्स (टीडब्ल्यूआई) को लेकर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया। टीडब्ल्यूआई की मदद से चालक आसानी से समझ सकते हैं कि टायर कितना घिस चुका है। इस बारे में जानकारी होने पर चालक केंद्रीय मोटर वाहन नियम के तहत ट्रेड को लेकर तय मानक के भीतर ही टायर बदल सकते हैं।

एटीएमए के डायरेक्टर जनरल राजीव बुधराजा ने कहा, 'बड़े पैमाने पर चालकों को टायर ट्रेड के बारे में जानकारी नहीं होती है। घिसे हुए टायर ब्रेक लगाने के बाद भी ज्यादा दूर जाकर रुकते हैं, जिससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है। प्रशिक्षण के दौरान चालकों को टीडब्ल्यूआई के बारे में, टायर पर विभिन्न निशान के बारे में और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें इस बारे में जागरूक किया गया कि टायर की बेहतर देखभाल के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।


वाणिज्यिक वाहनों के नए टायर में 16 से 18 मिलीमीटर तक ट्रेड की गहराई होती है। ट्रेड वियर इंडीकेटर (टीडब्ल्यूआई) को ट्रेड के इन्हीं खांचों के बीच 1.6 मिलीमीटर की गहराई पर बनाया गया होता है, जो वैधानिक रूप से ट्रेड के लिए तय न्यूनतम गहराई है। जैसे ही टायर घिसकर टीडब्ल्यूआई के स्तर तक पहुंच जाए, उसे बदल देना चाहिए। टायर के किनारों पर निशान बने होते हैं, जो टीडब्ल्यूआई की ओर संकेत करते हैं।

पिविट प्वाइंट्स स्टैंडर्ड क्या है? How to use pivot points standard?

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पिविट प्वाइंट्स स्टैंडर्ड (pivot points standard) टेक्निकल एनालिसिस करने का एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर्स ( indicators )
हैं। इसका उपयोग हम मुख्य रूप से प्राइस के सपोर्ट और रेजिस्टेंस जोन को पता लगाने के लिए करते है।

पिविट प्वाइंट्स स्टैंडर्ड (pivot points standard) विस्तार से :-

जैसा कि हम आप को बता चुके है पिविट प्वाइंट्स स्टैंडर्ड (pivot points standard) एक इंडिकेटर्स है इसका उपयोग किसी भी स्टॉक के टेक्निकल एनालिसिस करने में उपयोगी लेवल्स निकालने के लिए करते है।

हम आप को ये अवगत करा दे कि इस पोस्ट में हम आप को ये नहीं बताएंगे की इसका सूत्र क्या होता है पिविट प्वाइंट्स स्टैंडर्ड (pivot points standard) कैसा बनता है या इसे कैसे निकाला जाता है। ये सब जानना है तो ये पोस्ट फिर आप के लिए नही है हम आप को बताएंगे पिविट प्वाइंट्स स्टैंडर्ड (pivot points standard) का उपयोग कैसे करते है और हम लोग इसकी मदद से क्या क्या फायदा हो सकता है सीधे सीधे कहे तो इसका उपयोग करना हम आप को बहुत अच्छे तरीके से सिखायेगे तो चलो सीखते है कुछ नया

मैं आप को बता दु इस इंडिकेटर्स के बिना कभी नहीं ट्रेड करता मुझे कोई दूसरे इंडिकेटर्स जैसे Vwap, Rsi,Ema का यूज करु या ना करु लेकिन pivot का उपयोग जरूर करता हु मतलब ट्रेड करना है तो ये इंडीकेटर्स चाहिए ही चाहिए।

Screenshot 20220518 210754 TradingView

अब आप जहा टेक्निकल एनालिसिस करते है वो वेबसाइट खोल ले मैं तो tradingview यूज करता हु ट्रेडिंग्वियू खोल के आप चार्ट पे जाए और फिर indicators पे क्लिक कर के pivot points standard सर्च करे

Screenshot 20220518 210249 TradingView

और उसे क्लिक करे इसके सेटिंग पर जाए और यह पर आप को टाइप सिलेक्ट करने को आ रहा होगा जादा तर लोग traditional यूज करते है लेकिन आप को fibonacci सेट करना है। इसके बाद आप को दुसरा ऑप्शन pivot timeframe me क्लिक करना है और यहां ऑटो सेट होगा इसको चेंज कर के आप को daily सेट करना है और किसी भी सेटिंग में कोई भी चेंज नहीं करना है इसे डिफॉल्ट कर के save कर लेना है।

Screenshot 20220518 210621 TradingView

अब जब आप चार्ट देखोगे तो इसमें आप को P लिखा होगा और एक लाइन खींची होंगी, और इसी प्रकार R1, R2, R3 लिखें दिखाई देंगे और इनके सामने भी एक लाइन खींची होंगी तथा S1, S2, S3 लिखे दिखाई देंगे इनका मतलब क्या है ये है क्या चलो आप को बताते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग v/s T-20 मैच

इंट्राडे ट्रेडिंग v/s T-20 मैच : Intraday trading v/s T-20 Match

Intraday Trading v/s T-20 Match

इंट्राडे-ट्रेडिंग यानी आज ही शेयर ख़रीदे और मार्केट बंद होने से पहले आज ही बेच दिए, या उसका उल्टा आज ही बेचे और आज ही खरीद लिए। इंट्राडे-ट्रेडिंग यानी T-20 मैच ! जैसे टी -ट्वेंटी मैच में दोनों टीमें मैच शुरू होने से पहले रणनीति बनाती हैं , पिच का निरीक्षण करती हैं , Toss जीतने पर बैटिंग या बॉलिंग का निर्णय निश्चित करते हैं। ठीक वैसे ही इंट्राडे -ट्रेडिंग में ट्रेड करने के लिए एक दिन पहले ही शेयर का चुनाव किया जाता है , उसका टेक्निकल एनालिसिस किया जाता है , उससे जुडी खबरों को पढ़ा / देखा जाता है। कैंडल -स्टिक पैटर्न , MACD [Moving Average Convergence Divergence] , RSI [Relative Strength Index] टेक्निकल इंडीकेटर्स / टूल्स से उसकी कमजोरी या मजबूती को समझा जाता है।

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RSI - MACD Technical Chart

जैसे T-20 मैच में बल्लेबाज को बॉल खेलने का निर्णय जल्दी करना पड़ता है , बॉलर को गेंदबाजी में चतुराई से परिवर्तन करना पड़ता है , फील्डर को चुस्त -दुरुस्त रहना पड़ता है। ठीक वैसे ही इंट्राडे-ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को मार्किट की प्रत्येक चाल पर नज़र रखनी पड़ती है। किसी विशेष शेयर में बनाई पोजीशन को टारगेट पूरा होते ही काटना पड़ता है। क्यूंकि कब उस शेयर की चाल उलटी दिशा में चलने लग जाए , पता नहीं चलता। जैसे दिनांक 29-11-19 को "Indiabulls-housing-finance" का शेयर सुबह 09 :15 बजे Rs.352 पर खुला और 10:30 a.m. के आस-पास उसने Rs. 376 का उच्चतम स्तर बनाया। लेकिन दोपहर में 01:15 बजे से 01:45 बजे तक अर्थार्थ आधा -घंटे में ही उसने Rs.268 तक का निचला स्तर बना दिया। अर्थार्थ जो शेयर 12 % के लाभ पर ट्रेड हो रहा था , एक घंटे में ही वो 14 % के घाटे में आ गया। यहाँ जिन ट्रेडर्स ने BUY की पोजीशन बना रखी थी , उन्हें नुक्सान हो गया। इसलिए इंट्राडे -ट्रेडिंग में हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है। Stop -Loss के साथ काम करना पड़ता हैं , अन्यथा किसी भी समय आउट [Loss ] होने का खतरा होता है।

स्टॉप -लोस आपके अधिक नुक्सान को रोकता है। जैसे आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा और 98 रुपए पर स्टॉप लॉस लगा दिया, यदि शेयर की चाल नीचे की ओर हुई तो 2 के नुकसान पर ही आपका सौदा कट जायेगा । उसी तरह से यदि शेयर 100 रुपए में बेचा और स्टॉप लॉस 102 लगा दिया तो शेयर की चाल ऊपर होने पर केवल 2 रुपए के नुक्सान पर आपका सौदा कट जाएगा।

तेजी से टप्पा डालकर जो बॉल सीधे बल्लेबाज के मुँह पर आती है , उसे या तो डक करके छोड़ा जाता है या हुक करके चौका या छक्का बटोरा जाता है। ठीक उसी तरह से तेजी से गिरने / बढ़ने वाले शेयर को स्टॉप-लोस्स के साथ छोड़ दिया जाता है या रिवर्स -स्टॉप -लोस के साथ खेल लिया जाता है। लेकिन उसके लिए धोनी , रोहित , कोहली जैसा अनुभव चाहिए !! अर्थार्थ ट्रेडिंग का लम्बा अनुभव चाहिए।

दूसरे , जैसे टी-20 मैच में जब एक बल्लेबाज 50 से ऊपर रन बना लेता है , तब लगभग उसका टारगेट पूरा हो गया होता है। अतः अब उसे आउट होने की चिंता नहीं होती और वो रन -गति को बढ़ाने में हर तरह के शॉट खेल सकता है। ठीक उसी तरह इंट्राडे-ट्रेडिंग में भी टारगेट पूरा होने के बाद , ट्रेडर "बोनस गेन" के लिए ट्रेडिंग करता रहता है। बढ़ता हुआ शेयर जब नीचे आता है टेक्निकल इंडीकेटर्स तो शेयर खरीद लेता है , और ऊपर आने पर बेच देता है। परन्तु शेयर नीचे आने पर कब एंट्री लेनी है और कब एग्जिट करना है उसके लिए वो टेक्निकल -चार्ट देखता रहता है। शेयर का मासिक , साप्ताहिक , प्रतिदिन का ट्रैंड यदि ऊपर की ओर है तो भाव नीचे आने पर खरीदना और शेयर का मासिक , साप्ताहिक , प्रतिदिन का ट्रैंड नीचे की ओर है तो भाव बढ़ जाने पर बेचना। ठीक वैसे ही जैसे टी -20 मैच में रनो का पीछा करने वाली टीम के बल्लेबाज [तेजड़िये ] हमेशा स्कोर बोर्ड पर नज़र बनाये रखते है और रन -रेट बढ़ जाने पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने लगते हैं। अन्यथा , टारगेट पूरा करने में दिक्कत होगी। तो दूसरी तरफ गेंदबाज [मंदड़िये ] अपना पूरा प्रयास करते हैं की टारगेट पूरा न हो !

जैसे टी-20 मैच में शुरू के 6 ओवर में फील्डिंग की पोजीशन में पाबंदियाँ होती हैं , अतः इन पाबंदियों का पूरा लाभ उठाने का प्रयास बल्लेबाज करता है। और तेजी से रन बनाये जाते हैं। इंट्राडे -ट्रेडिंग में भी अक्सर देखा गया है सुबह 09 :15 से 10:15 बजे तक शेयर के भाव तेजी से ऊपर / नीचे होते हैं। कारण, इस दौरान ट्रेडर्स अधिक होते हैं जिन्होंने पहले से ही पोजीशन बनाई होती है , अतः एक अनुभवी ट्रेडर्स इस समय में भी लाभ अर्जित कर लेता है। फिर, जैसे मैच में 8 से 15 ओवर के दौरान रन-गति थोड़ी धीरे हो जाती है । लेकिन 15 से 20 ओवर के बीच फिर रनो की गति बढ़ जाती है। ठीक उसी तरह से सुबह 11 :30 बजे से 13 :30 बजे तक शेयर मार्किट में ट्रेडिंग की गति धीमी रहती है, लेकिन 14 :15 से 15 :30 बजे तक फिर उसमे गति तेज होती है। कारण यहाँ फिर से ज्यादा ट्रेडर्स सक्रीय हो जाते हैं और अपनी-अपनी पोजीशन को काटने में लग जाते हैं।

कहने का मतलब यह है की इंट्राडे -ट्रेडिंग एक फ़ास्ट -गेम है। जहाँ हर क्षण चौकन्ना रहना जरूरी है। नज़र बची और माल यारों का हो जाता है । तो क्या -क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए, यदि इंट्राडे -ट्रेडिंग करनी हो तो।

  • लक्ष्य [Target ] पूरा होने पर exit करें।
  • घाटा होने पर quit करें। लूज़िंग साइड एवरेज न करें।
  • जब ट्रेड करें तो TV , शोरशराबा , अख़बार आदि से दूर रहें। अर्थार्थ ट्रेड पर ही ध्यान केंद्रित करें।
  • भावनाओं पर नियंत्रण रखें। लाभ होने की स्थिति में कूदें नहीं। हानि होने की स्थिति में उदास न हों।
  • मार्किट खुलने के बाद 60 मिनिट तक इंतजार करें और देखें जिस स्टॉक में ट्रेड करने जा रहें हैं उसका मूवमेंट अपनी इक्छा के अनुरूप है की नहीं।
  • मार्केट शुरू होने के एक घंटे बाद ट्रेड के Gainer & Looser को BSE /NSE की websiteshttps://www.nseindia.com/index_nse.htm पर देखें। जैसा ऊपर चार्ट दिखाया गया है।
  • स्टॉक विशेष के Upper circuit व् Lower circuit का ध्यान रखें। क्यों की circuit लगने पर ट्रेडिंग अनेकों बार बंद हो जाती है।
  • ट्रेड लेने से पहले स्टॉक का टेक्निकल -चार्ट जरूर देखें। चार्ट देखने के लिए निम्न websites पर जाएँ :- , , , , ,
  • स्टॉक की चाल [Trend ] का अनुसरण करें। अर्थात चाल "नीचे " है तो बढ़ने पर बेचें और चाल "ऊपर" है तो गिरने पर खरीदें।
  • Volatile market [उथल-पुथल ] में ट्रेड ना करें। सुबह 09:15 am to 10:30 am तक और दोपहर बाद 02:30 pm to 03:30 pm तक बाजार में बहुत हलचल रहती है। बिना अनुभव के यहाँ ट्रेड लेना बहुदा हानिकारक रहता है।
  • अपने Allotted funds का 1/4 हिस्सा ही शुरुआत में लगाएं। कभी उधार लेकर ट्रेड न करें।
  • किस रेट के शेयर पर क्या टारगेट प्राइस रखें ? मान लीजिये 100 रुपए मूल्य के 100 शेयर ख़रीदे या बेचे तो 2 रुपए प्रति शेयर का प्रॉफिट बुक कर बाहर आ जाना चाहिए। इस तरह आपको 200 रुपए का लाभ हुआ। कुल टर्नओवर 20000 हुआ , इस टर्नओवर पर ब्रोकरेज , टैक्स ,सेस मिला कर 10 या 20 रुपए हुआ। तब भी 180 /- रुपए की कमाई हुई। इसी तरह यदि शेयर का मूल्य 200 /- रुपए है तो 3 या 4 रुपए प्रति शेयर का प्रॉफिट बुक करें। 300 /- रुपए का शेयर है तो 5 से 6 रुपए का प्रॉफिट बुक करें और इसी अनुपात में बढ़ते रेट पर सौदे काटते रहें।
  • बिना अनुभव के , बिना समझ के, किसी के कहने -सुनने से कभी इंट्राडे-ट्रेडिंग न करें। आप हमेशा अपनी रकम डुबो देंगे।
  • बढ़ता हुआ शेयर Intraday -trading में अप्रत्याशित रूप से नीचे गिर जाए तो उस शेयर की delivery उठाकर 1 -2 दिन बाद बेच सकते हैं !!

कोशिश करें की हार -जीत न हो तो, मैच टाई हो जाए ! अर्थात, "नो गेन -नो लॉस" की स्थिति यदि रहे तो बेहतर है।

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