दलाल कैसे बने

रिपोर्ट के अनुसार ईरान में मौजूद अफ़ग़ान सेना के पूर्व सैनिक रूस की तरफ से युद्ध में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं और उनमें से कुछ यूक्रेन पहुंच चुके हैं.
राजस्थान: राजनीतिक सरगर्मी के बीच नेताओं में दलाल कैसे बने ‘वफादारी’ दिखाने के लिए जुबानी जंग
जयपुर, 29 सितंबर (भाषा) क्षेत्रफल के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच स्थानीय नेताओं में पार्टी के भीतर बने धड़ों के प्रति वफादारी दिखाने की होड़ मची है। इन नेताओं में ‘खुद को आलाकमान का वफादार’ बताने की होड़ सी मची है।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष और गहलोत के वफादार धर्मेंद्र राठौड़ ने बृहस्पतिवार को सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले विधायक वेद प्रकाश सोलंकी पर निशाना साधा।
राठौड़ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं यह साबित करने के लिए साक्ष्य दूंगा कि कौन गद्दार है और कौन वफादार । यह सबके सामने आएगा। सोलंकी ने जिला परिषद चुनाव के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां से एक होटल में मुलाकात की थी।’
राकेश झुनझुनवाला : 5000 रुपए से कैसे बने भारत के 'वारेन बफे'; जानें- कैसे नेटवर्थ हुआ 46 हजार करोड़ के पार
नई दिल्ली: शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का रविवार सुबह निधन हो गया. भारत के वारेन बफे कहे जाने झुनझुनवाला का ‘नेटवर्थ’ 5.8 अरब डॉलर (46,000 करोड़ रुपये) था. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें सुबह दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. वह अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़कर गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुनझुनवाला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने आर्थिक जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. जानें- कैसे उन्होंने 5000 रुपए के निवेश से शुरुआत करके अपनी नेटवर्थ को 46 हजार करोड़ के पार पहुंचाया.
दलाल स्ट्रीट के बिग बुल की बिजनेस सक्सेस स्टोरी.
राकेश झुनझुनवाला Rare Enterprises नाम से अपनी एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी चलाते थे. इनकी कंपनी का नाम 'Rare' है, जो उनके और उनकी पत्नी के नामों के शुरुआती दो अक्षरों को मिलाकर रखा गया है. यानी राकेश का 'RA' और पत्नी रेखा झुनझुनवाला के नाम के शुरुआती दो अक्षर 'RE' को मिलाकर बनाया गया था. फोर्ब्स के मुताबिक, 30 से अधिक भारतीय शेयरों में अहम हिस्सेदारी रखने वाले झुनझुनवाला 5.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹ 46,000 करोड़) की कुल संपत्ति के साथ भारत के 52वें सबसे अमीर व्यक्ति थे.
साल 1985 में सिडेनहैम कॉलेज से चार्टर्ड एकाउंटेंसी को कोर्स पास करने के बाद उन्होंने शेयर बाजार में 5,000 रुपये का निवेश किया था. वे शेयर मार्केट में उस वक्त उतरे थे, जब BSE 150 प्वाइंट्स पर चलता था, जो कि बीते शुक्रवार को दलाल कैसे बने 59,462.78 प्वाइंट पर बंद हुआ है.
शेयर बाजार में अपनी शुरुआत करने के एक साल बाद उन्होंने साल 1986 में 5 लाख रुपए का मुनाफा कमाया था. तब उन्होंने टाटा टी के 43 रुपए के हिसाब से 5 हजार शेयर खरीदे थे, जो तीन महीने बाद 143 रुपए में बिके. टाटा के शेयर बेचने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने जो पूंजी निवेश की थी, उससे तीन गुना ज्यादा मुनाफा उन्होंने कमाया है.
नीचे दी गई वीडियो को ध्यान से देखें क्योंकि ये महत्त्वपूर्ण टिप्स है |
आपको बता दे कि जब भी आप कोई वस्तु या सामान बेचना चाहते है तो सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आप उस वस्तु को किस तरह से ग्राहक के सामने प्रस्तुत कर रहे है। किसी भी वस्तु को सिर्फ दिखा भर देने से लाभ नही कमाया जा सकता। उस वस्तु की गुणवत्ता को दिखाने के साथ-साथ उसके गुणों को बताना भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई ग्राहक आपका मकान देखने आता है तो आप सिर्फ चाबी दे देते है कि ये मकान है आप देख लीजिये। इससे ग्राहक पर कोई खास इम्प्रैशन नही बनता।आपको अपने मकान को अच्छे से प्रस्तुत करेंगे तभी तो ग्राहक की सोच आपके मकान के लिए सकारात्मक हो पायेगी। आइये आपको सही तरीका बताते है---
यदि OLX OR ANY COMMERCIAL WEBSITE पर मकान या जमीन बेचनी है तो-----
यदि आप अपना मकान या खाली प्लॉट OLX OR ANY COMMERCIAL WEBSITE पर बेचना चाहते है तो अच्छे कैमरे वाले फ़ोन से HD फोटो ही वेबसाइट पर डाले। इसके अलावा घर के हर भाग की फोटो आपके मकान की गुणवत्ता को दलाल कैसे बने दर्शाते हुए डाले जैसे कि कमरो की फोटो में अलमारी की फोटो भी ले ताकि ग्राहक को पता चले कि कमरे में आवश्यक सामान रखने के लिए अलमारी भी विद्यमान है। इसके बाद टॉयलेट,बाथरूम,लॉबी आदि की फोटो भी पूरा स्पेस दिखाते हुए डाले ताकि ग्राहक को फोटो देखते ही जगह और गुणवत्ता का अंदाजा आ सके। रसोई की फोटो इस तरह से ले कि सभी सेल्फ,कप्बोर्डस ,सिंक और फ्रिज रखने की जगह भी हाईलाइट हो सके। इसी तरह से छत,बालकोनी और घर के सामने वाले हिस्से की फोटो भी डाले और साथ साथ वर्णन करना न भूले कि आपके मकान के हर कमरे या रसोई या लॉबी आदि में क्या खास है। आइये आपको बताये ग्राहक को कैसे दर्शाना है कि आपका मकान या जमीन कैसे खास है।
- ग्राहक से अभिवादन के बाद उनको मकान दिखाना प्रारम्भ कीजिये। सबसे पहले कमरे दिखाए और साथ साथ बताते भी रहे कि जैसे कमरे में अलमारियां भी बनी हुई है तो सारा सामान यहां आ जाएगा। ये कमरा इतना बड़ा है कि यहाँ आप ये-ये सामान आसानी से रख सकते है। अलमारी के ऊपर शीशा भी लगा है तो आपको ड्रेसिंग टेबल लाने की जरूरत नही पड़ेगी। इस कमरे का कलर कंट्रास्ट इतना आकर्षक है कि बच्चो को बहुत पसंद आएगा इत्यादि इत्यादि। कहने का तात्पर्य यह है कि सिर्फ दिखाना नही है अपितु मकान की विशेषताएं गिनाकर ग्राहक के मन में मकान की छवि को सकारात्मक रूप देना है ताकि उसको लगे की इस मकान में सब विशेषताएं है जो हमे चाहिए थी।
दरभंगा के दो व्यापारी फंसे दिल्ली पुलिस के मकड़जाल में… Delhi Police दलाल औरत से फंसवाती है निर्दोष लोगों को… कैसे…पढ़िए और सुनिए Audio
दरभंगा के दो व्यापारी फंसे दिल्ली पुलिस के मकड़जाल में. Delhi Police दलाल औरत से फंसवाती है निर्दोष लोगों को. कैसे. पढ़िए और सुनिए Audio
दिल्ली पुलिस के कारनामों ने आम लोगों को सकते में डाल दिया है। अवैध उगाही की मंशा लेकर बैठी दिल्ली पुलिस के कारनामों को देखेंगे तो आप भी हैरान हो जाएंगें। यही नहीं, पुलिसिया सिस्टम से विश्वास तो बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा। मामला करौल बाग थाने से जुड़ा है।
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दरअसल, बिहार स्थित दरभंगा जिला अंतर्गत लहेरियासराय से दो युवक दिल्ली गए हुए थे। कारण यह था कि लहेरियासराय के बाकरगंज मुहल्ला निवासी बैद्यनाथ महथा के पुत्र मिथिलेश ने करौलबाग स्थित देशबंधु गुप्ता रोड में अशोका इंटरनेशनल के बेसमेंट के ऑफिस नंबर 32 में ग्लोबल विजनेस नामक कंपनी के मालिक अमित शर्मा को एक लाख रुपए पान मसाला के लिए अग्रिम दो अप्रैल को दिए थे।
लेकिन, कई माह बीत जाने के बाद बार-बार फोन करने के बाद भी अमित शर्मा ने गुटका नहीं भेजा। करीब चार महीने बीतने के बाद मिथिलेश अपने एक साथी मनोज भास्कर के साथ दिल्ली पहुंचा। वहीं, एक होटल में कमरा लिया। फिर दोनों अमित शर्मा के पास अपने दिए पैसों को मांगने गया।
अमित शर्मा ने दोनों से कहा कि मैं एक दो दिनों में पैसे दे दूंगा। एक दो दिन बीत गए। और,अमित ने पैसे नहीं दिए।मनोज पैसों को लेकर जिद करने लगा। फिर क्या था… !
नज़रिया
बीबीसी दक्षिण एशिया मामलों के संवाददाता अनबरासन एथिराजन कहते हैं कि पूर्व सैनिकों को जो पेशकश की जा रही हैं उसमें उनके परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना शामिल है. इस मामले पर अब तक रूस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
अफ़ग़ान सरकार के गिरने से पहले एक पूर्व जनरल फरीद अहमदी एक बम धमाके में घायल हो गए थे. उस वक्त से वो देश से बाहर ही रहते हैं.
उनका दावा है कि सेना के कुछ पूर्व अफ़सरों ने उन्हें फ़ोन कर उनसे राय मांगी थी दलाल कैसे बने कि पैसों के लिए उन्हें दूसरे मुल्क की सेना में जाना चाहिए या नहीं.
अब तक मिली जानकारी के अनुसार सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रहे गुटों के लिए लड़ते हुए सीरिया में दो हज़ार से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों की मौत हुई थी.
रूस से भागे एक पूर्व सैनिक की कहानी
दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.