म्युचुअल फंड के प्रकार

Mutual Funds के जंगल में कहां लगाएं दांव? किस प्रकार के फंड में करें निवेश, एक्सपर्ट ने बताई काम की बात
म्यूचुअल फंड निवेशक हमेशा यही सोचते रहते हैं कि किस तरह के फंड में निवेश करना चाहिए। म्यूचुअल फंड निवेश की भाषा में कहें तो किस फंड कैटेगरी या कौन-कौन सी फंड की कैटेगरी हैं जिनमें आपको निवेश करना चाहिए। आइए इस पर एक्सपर्ट की राय जानते हैं।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। ज्यादातर म्यूचुअल फंड निवेशक अपना पूरा ध्यान एक ही सवाल पर बनाए रखते हैं, वो ये कि उन्हें किस फंड में निवेश करना चाहिए। असल में, अगर सारा ध्यान इस सवाल पर है तो ये पक्का हमें उस रास्ते पर डाल देगा जहां हम गलत चुनाव ही करेंगे। सबसे अहम सवाल तो ये है कि आपको किस प्रकार के फंड में निवेश करना चाहिए। म्यूचुअल फंड निवेश की भाषा में कहें, तो किस फंड कैटेगरी या कौन-कौन सी फंड की कैटेगरी हैं जिनमें आपको निवेश करना चाहिए।
नोट करें-ऊपर दो तरह के शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, 'प्रकार के फंड' और 'फंड कैटेगरी'। ये दोनों बातें एक ही होनी चाहिए, मगर ऐसा है नहीं। कारण है कि फंड का वर्गीकरण वो है, जिसे आधिकारिक तौर पर रेग्युलेटर परिभाषित करता है। कैटेगरी फंड्स की वो आधिकारिक लिस्ट है, जो शिष्टता से कहें, तो एक जंगल है। इस घने जंगल में आप अपना रास्ता कैसे बनाएंगे? चलिए हम अपने बुनियादी सवाल की तरफ लौटते हैं।
फंड का चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए है कि जब म्युचुअल फंड के प्रकार आप उन इनपुट के बारे में सोचते हैं, जो फंड में निवेश के बारे में फैसले के लिए चाहिए तो प्राइमरी इनपुट आपकी वित्तीय जरूरत का होता है। जाहिर है, यही फंड कैटेगरी की पहचान का आधार तय कर देता है। जब आप फैसला कर लेते हैं, तो अगला चरण ये पता करने का होता है कि आपके लिए कौन सी फंड कैटेगरी सही है। जैसा कि मैंने कहा, अगर आपने सही कैटेगरी चुनी है, तो ये मुश्किल नहीं है।
मान लीजिए आपको किसी चीज के लिए पैसे बचाने हैं, जिसकी जरूरत 10-15 साल में होगी। आप उससे ज्यादा रिटर्न चाहते हैं जितना कि डिपाजिट वाले तरीके दे सकते हैं। तो जाहिर है इसके लिए आपकी पसंद इक्विटी कैटेगरी होगी। इसमें कुछ पैमानों के आधार पर आप किसी ऐसे काम्बिनेशन में इक्विटी फंड चुनेंगे जिसमें लार्ज, मिड और स्माल कैप शामिल हों। अगर आप नए निवेशक हैं तो आपकी सारी जरूरतें एक या दो हाइब्रिड फंड से पूरी हो सकती हैं। ऐसे कई सिद्धांत और नियम हैं जो किसी भी तरह की आर्थिक जरूरत का मिलान फंड के प्रकार से करने में मदद करते हैं। समझने की बात है कि सारी कैटेगरी की लंबी-चौड़ी आधिकारिक लिस्ट को पढ़ने भर से जरूरत के मुताबिक सही फंड की पहचान में मदद नहीं मिलती है। ये सभी कैटेगरी सिर्फ ये बताती हैं कि ये फंड निवेश कहां करते हैं।
फंड कंपनियों ने हमेशा कड़ी मेहनत की है कि उनके फंड का वर्गीकरण गोल-मोल ही रहे। ये बात अजीब लगेगी, मगर इसकी सीधी-सीधी व्यावसायिक वजह है। एक बार वर्गीकरण सिस्टम तैयार हो जाए, तो उसका बुनियादी काम है रेटिंग, रैंकिंग और फंड की कैटेगरी के भीतर मौजूद किसी भी फंड से तुलना करना। मार्केटिंग की सहज समझ कहती है कि फंड कंपनी अपना प्रोडक्ट दूसरों से अलग दिखाए, ताकि दावा किया जा सके कि उनके फंड का आकलन सिर्फ उनकी मनपसंद खूबियों पर हो, न कि किसी और फंड की तुलना में। फंड कैटेगरी की आधिकारिक लिस्ट के साथ मुश्किल ये है कि इसके मुख्य फंड एक जैसे लगते हैं और हर एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) को इनमें से हर एक कैटेगरी का केवल एक फंड रखने की अनुमति है। वहीं, रेग्युलेशन में एक कमी ये है कि फंड कंपनियां अनगिनत फंड रख सकती हैं।
पिछले पांच साल में, जब से समान कैटेगरी का सिस्टम शुरू हुआ है, इससे पुराना भ्रम खत्म हो गया है, मगर उसकी जगह नए ने ले ली है। अनुभवी निवेशक जो फंड की मार्केटिंग मशीनरी को संदेह से देखते हैं, वो अपने फंड का चुनाव बेहतर कर सकते हैं। फंड कैटेगरी का सरल सिस्टम नए निवेशकों की बुनियादी जरूरत है ताकि वो जान सकें कि उन्हें कैसे और क्या करना है।
नोट- यह लेखक धीरेंद्र कुमार, सीईओ, वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के निजी विचार हैं।
भारत में म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्युचुअल फंड उद्योग 1963 से भारत में है। आज, भारत में 10,000 से अधिक योजनाएं मौजूद हैं, और उद्योग का विकास बड़े पैमाने पर हुआ है। भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग का एयूएम कहां से बढ़ा है? 30 अप्रैल, 2011 को ₹7.85 ट्रिलियन से 30 अप्रैल, 2021 को ₹32.38 ट्रिलियन तक इसका मतलब है कि 10 साल की अवधि में 4 गुना वृद्धि हुई है। जोड़ने के लिए, 30 अप्रैल, 2021 को एमएफ की भाषा के अनुसार फोलियो की कुल संख्या थी 9.86 करोड़ (98.6 मिलियन)।
इस तरह की आकर्षक वृद्धि को देखते हुए, कई लोग निवेश करने के लिए आकर्षित होते हैं, जो भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक अच्छा कदम है। शुरू करने से पहले, अपना शोध अच्छी तरह से सुनिश्चित करें। एमएफ की मूल बातें जानना महत्वपूर्ण है जैसे कि के प्रकारम्यूचुअल फंड्स, जोखिम और वापसी, विविधीकरण, आदि। म्यूचुअल फंड इक्विटी के लिए शेयर बाजार में निवेश करके पैसा लगाते हैं, वे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में भी निवेश करते हैं। इसी तरह, वे भीसोने में निवेश करें, हाइब्रिड, एफओएफ, आदि।
मूल रूप से वर्गीकरण परिपक्वता अवधि के अनुसार होता है, जहां म्यूचुअल फंड की दो व्यापक श्रेणियां होती हैं - ओपन-एंडेड और क्लोज-एंडेड।
ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड
भारत में अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड प्रकृति के हैं। ये फंड निवेशकों द्वारा किसी भी समय सदस्यता (या साधारण शब्दों में खरीद) के लिए खुले हैं। वे उन निवेशकों को नई इकाइयाँ जारी करते हैं जो फंड में आना चाहते हैं। प्रारंभिक पेशकश अवधि के बाद (एनएफओ), इन निधियों की इकाइयों को खरीदा जा सकता है। एक दुर्लभ परिदृश्य में, एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) निवेशकों द्वारा आगे की खरीद को रोक सकता है अगर एएमसी को लगता है कि नए पैसे को तैनात करने के लिए पर्याप्त और अच्छे अवसर नहीं हैं। हालांकि, मोचन के लिए, एएमसी को इकाइयों को वापस खरीदना होगा।
क्लोज्ड एंडेड म्युचुअल फंड
ये ऐसे फंड हैं जो प्रारंभिक पेशकश अवधि (एनएफओ) के बाद निवेशकों द्वारा आगे की सदस्यता (या खरीद) के लिए बंद कर दिए जाते हैं। ओपन-एंडेड फंड के विपरीत, निवेशक एनएफओ अवधि के बाद इस प्रकार के म्यूचुअल फंड की नई इकाइयां नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए, क्लोज-एंडेड फंड में निवेश केवल एनएफओ अवधि के दौरान ही संभव है। साथ ही, एक बात ध्यान देने वाली है कि निवेशक क्लोज्ड-एंडेड फंड में रिडेम्पशन के जरिए बाहर नहीं निकल सकते। अवधि परिपक्व होने के बाद मोचन होता है।
इसके अतिरिक्त, बाहर निकलने का अवसर प्रदान करने के लिए,म्यूचुअल फंड हाउस स्टॉक एक्सचेंज पर क्लोज-एंडेड फंडों की सूची बनाएं। इसलिए, निवेशकों को परिपक्वता अवधि से पहले उनसे बाहर निकलने के लिए एक्सचेंज पर क्लोज-एंडेड फंड का व्यापार करना होगा।
विभिन्न प्रकार के म्युचुअल फंड
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा निर्देशित (सेबी) मानदंड, म्यूचुअल फंड में पांच मुख्य व्यापक श्रेणियां और 36 उप-श्रेणियां हैं।
1. इक्विटी म्यूचुअल फंड
इक्विटी फ़ंड इक्विटी शेयर बाजार में निवेश करके निवेशकों के लिए पैसा कमाएं। यह विकल्प उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो लंबी अवधि के रिटर्न की तलाश में हैं। कुछ प्रकार के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं-
Fund | NAV | Net Assets (Cr) | 3 MO (%) | 6 MO (%) | 1 YR (%) | 3 YR (%) | 5 YR (%) | 2021 (%) | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
ICICI Prudential Technology Fund Growth | ₹138.93 ↓ -0.05 | ₹8,693 | 0.6 | 1.3 | -15.9 | 34.4 | 26 | 75.7 | add_shopping_cart |
लार्ज-कैप फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनका बाजार पूंजीकरण बड़ा है (इसलिए नाम बड़ा-), आमतौर पर, ये बहुत बड़ी कंपनियां हैं और स्थापित खिलाड़ी हैं, जैसे यूनिलीवर, रिलायंस, आईटीसी आदि। मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड निवेश करते हैं। छोटी कंपनियों में, ये कंपनियां छोटी होकर असाधारण विकास दिखा सकती हैं और अच्छा रिटर्न दे सकती हैं। हालांकि, चूंकि वे छोटे हैं, वे नुकसान दे सकते हैं और जोखिम भरा हैं।
थीमैटिक फंड बुनियादी ढांचे, बिजली, मीडिया और मनोरंजन आदि जैसे किसी विशेष क्षेत्र में निवेश करते हैं। सभी म्यूचुअल फंड विषयगत फंड प्रदान नहीं करते हैं, उदाहरण के लिएरिलायंस म्यूचुअल फंड अपने पावर सेक्टर फंड, मीडिया और एंटरटेनमेंट फंड आदि के माध्यम से विषयगत फंडों को एक्सपोजर प्रदान करता है।आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड अपने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टेक्नोलॉजी फंड के माध्यम से प्रौद्योगिकी के माध्यम से बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र को एक्सपोजर प्रदान करता है।
2. डेट म्यूचुअल फंड
डेट फंड निश्चित आय के साधनों में निवेश करें, जिसे के रूप में भी जाना जाता हैबांड और गिल्ट। बांड फंड को उनकी परिपक्वता अवधि (इसलिए नाम, लंबी अवधि या अल्पावधि) द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। कार्यकाल के अनुसार, जोखिम भी भिन्न होता है। डेट म्यूचुअल फंड की व्यापक श्रेणियां, जैसे:
Mutual Fund: ये पांच म्यूचुअल फंड भविष्य में नहीं होने देंगे पैसों की किल्लत, शानदार रिटर्न के साथ टैक्स की भी होगी बचत
Retirement Planning: निवेश बाजार में ढेर सारे सिक्योरिटी इंस्ट्रूमेंट्स उपलब्ध हैं और हर इंस्ट्रूमेंट्स की अपनी-अपनी खासियतें हैं. बाजार में कुछ ऐसे म्यूचुअल फंड्स उपलब्ध हैं जिन्हें अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर रिटायरमेंट के बाद बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
रिटायरमेंट के बाद पैसों की किल्लत न हो, इसके लिए अभी से प्लानिंग करना बेहतर है.
Mutual Funds: रिटायरमेंट बाजार कीMutual Funds: बाजार की उतार-चढ़ाव के चलते मार्केट में सीधे निवेश से घबराने वाले निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश बेहतरीन विकल्प है. इसके जरिए निवेश से बुढ़ापे में आर्थिक सहारे का मजबूत इंतजाम किया जा सकता है. रिटायरमेंट के बाद पैसों की किल्लत न हो, इसके लिए अभी से प्लानिंग करना बेहतर है. निवेश बाजार में ढेर म्युचुअल फंड के प्रकार सारे सिक्योरिटी इंस्ट्रूमेंट्स उपलब्ध हैं और हर इंस्ट्रूमेंट्स की अपनी-अपनी खासियतें हैं. बाजार में विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) उपलब्ध हैं जिन्हें अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर रिटायरमेंट के बाद म्युचुअल फंड के प्रकार बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं. यहां नीचे ऐसे ही खास म्यूचुअल फंड्स की जानकारी दी जा रही है जो रिटायरमेंट प्लानिंग को बेहतर कर सकते हैं.
Index Funds
इंडेक्स फंड्स ऐसे म्यूचुअल फंड्स हैं जो इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. इनका लक्ष्य इंडेक्स की चाल के मुताबिक ही रिटर्न प्रदान करना है. इसमें निवेशकों के पैसों को सिक्योरिटीज में उसी अनुपात में लगाया जाता है, जिस अनुपात में ट्रैक होने वाले इंडेक्स में शामिल हैं. इस वजह से इनमें लगाया गया पैसा इंडेक्स के रिटर्न के लगभग बराबर होता है. इनमें पैसे लगाने का फायदा यह होता है कि इन फंडों को पैसिव तरीके से मैनेज किया जाता है यानी कि इसमें फंड मैनेजर को सक्रिय रूप से यह तय नहीं करना होता है कि किस स्टॉक को खरीदना-बेचना है. इसके चलते इसमें निवेश पर कम एक्सपेंस रेशियो का फायदा मिलता है.
Types of Mutual Funds in Hindi म्यूचुअल फंड के प्रकार
Types of Mutual Funds in Hindi म्यूचुअल फंड के प्रकार आज हम समझेंगे कि म्यूचुअल फंड किस किस प्रकार के होते हैं और इनकी कौन कौन सी श्रेणियां होती हैं. भिन्न भिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड कहाँ और कैसे निवेश करते हैं और किस प्रकार के Mutual Funds में कितना रिस्क होता है. यह भी समझेंगे कि कौन सा म्यूचुअल फंड का प्रकार रिस्क फ्री होता है और किस में अधिक कमाई के मौके आ सकते हैं. अलग अलग तरह के म्यूचुअल फंड इस तरह डिजाईन कियी जाते हैं कि अलग अलग श्रेणी के निवेशक अपने जोखिम लेने की क्षमता, निवेश के लक्ष्यों, निवेश की अवधि और निवेश की राशी के अनुसार उनका चयन कर सकें. यहां पढ़िये म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदें।
Types of Mutual Funds in Hindi
जब आप Types of Mutual Funds in Hindi को समझने की कोशिश कर रहे हैं तो यहाँ आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड्स को हम मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं ओपन एंडेड और क्लोज्ड एंडेड. यहां आपको विस्तार से बता रहे हैं म्यूचुअल फंड के प्रकार।
- ओपन एंडेड योजना Open Ended Mutual Funds
- डेट फंड Debt Fund
- लिक्विड फंड Liquid Fund
- इक्विटी फंड Equity Fund
- बैलेंस्ड फंड Balanced Fund
- कैपिटल प्रोटेक्शन फंड
- फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान
Details about Types of Mutual Funds in Hindi
यहां विस्तार से बता रहे हैं Types of Mutual Funds हिंदी में
Types of Mutual Funds in Hindi – Open Ended Schemes
Open Ended Schemes में योजना अवधि के दौरान किसी भी समय निवेशक इकाइयों यानि यूनिट्स को खरीद या बेच सकता है. इसकी कोई निश्चित मैच्योरिटी यानि परिपक्वता तिथि नहीं होती. आप जब आवश्यक हो अपने निवेश को भुना सकते हैं यानी ओपन एंडेड स्कीम में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता रहती है. कुछ ओपन एंडेड फंड्स में लॉक इन पीरियड रहता है जैसे कि ELSS स्कीम. लॉक इन पीरियड के दौरान आप अपने यूनिट्स को रिडीम नहीं कर सकते. Mutual Funds की ओपन एंडेड फंड्स की श्रेणी में डेट फण्ड Debt Fund, लिक्विड फण्ड Liquid Fund, इक्विटी फण्ड Equity Fund और बैलेंस्ड फण्ड Balanced Fund आते हैं.
डेट फंड Debt Fund
डेट फंड में अधिकतर निवेश डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों और अन्य ऋण उपकरणों में किया जाता है. Debt Fund, इक्विटी फण्ड के मुकाबले कम लाभ दे सकते हैं मगर कम जोखिम के साथ यह फंड एक निश्चित लाभ देने में सक्षम हो सकते हैं. एक स्थिर आय चाहने वालों के लिए यह फंड आदर्श हो सकते हैं.
लिक्विड फंड Liquid Fund
कम समय के लिए यदि आपके पास पैसे पड़े हैं तो आप उन्हें यहाँ निवेश कर सकते हैं. लिक्विड फंड Short Term Debt Instruments यानि अल्पकालिक ऋण उपकरणों में निवेश करते हैं. लिक्विड फण्ड कम चार्जेज के साथ एक सुरक्षित निवेश का विकल्प प्रदान करते हैं.
इक्विटी फंड Equity Fund
इक्विटी फंड शेयर बाजार में निवेश करते हैं. यह वो श्रेणी है जहां अधिकतर निवेशक Mutual Funds में निवेश करते हैं. हालाँकि छोटी अवधि इक्विटी फंड में निवेश जोखिम भरा हो सकता है मगर लम्बी अवधि में आप इन फंड्स में अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. इक्विटी फंड्स के कुछ मुख्य श्रेणियां हैं इंडेक्स फण्ड Index Fund, सेक्टोरल फंड Sectoral Fund, ईएलएसएस फण्ड ELSS Fund, मिड कैप स्माल कैप फंड और डाइवर्सिफाइड फंड. सभी प्रकार के इक्विटी फंड्स पर उनके निवेश के प्रकार, जोखिम और लाभ की संभावनाएं अलग रहती हैं. यहां पढ़ें ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें हमारी साइट पर।
बैलेंस्ड फंड Balanced Fund
कम जोखिम के साथ अधिक लाभ पाने की चाह रखने वाले निवेशकों के लिए इस प्रकार की योजनायें आदर्श हैं. Balanced Fund पहले से निर्धारित अनुपात में इक्विटी और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इक्विटी में निवेश फंड को तेजी से बढ़ने में मदद करता है और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश फंड को सुरक्षित विकास की तरफ ले जाता है. इन्हें हाइब्रिड फंड भी कहते हैं।
Types of Mutual Funds in Hindi – Close Ended Schemes
क्लोज्ड एंडेड योजना में केवल योजना की शुरुआत में जब NFO यानि New Fund Offer जारी किया जाता है तभी निवेश कर सकते हैं. क्लोज्ड एंडेड योजना में एक मैच्योरिटी यानि परिपक्वता तिथि पहले से निर्धारित होती है. परिपक्वता तिथि से पहले क्लोज्ड एंडेड योजना से बाहर नहीं निकला जा सकता इसलिए कह सकते हैं कि क्लोज्ड एंडेड योजना में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता नहीं होती है. क्लोज्ड एंडेड योजनाओं में मुख्य रूप से दो तरह के फंड होते हैं कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड Capital Protection Fund और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान Fixed Maturity Plan.
कैपिटल प्रोटेक्शन फंड Capital Protection Fund
कैपिटल प्रोटेक्शन फंड में मुख्य रूप से निवेश की गई राशी को सुरक्षित रखते हुए लाभ कमाने के लिए निवेश किया जाता है. इस योजना में मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है मगर एक छोटा भाग इक्विटी में भी निवेश किया जाता है. इन फंड्स में कैपिटल को सुरक्षित रखने का दबाव रहता है और क्योंकि यह एक क्लोज्ड एंडेड योजना होती है इसीलिए केवल निश्चित समय अवधि तक ही निवेश किया जाता है इसलिए फण्ड मेनेजर के पास अधिक रिस्क लेने की संभावना ही नहीं रहती है.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान Fixed Maturity Plan
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में पहले से मैच्योरिटी का समय निर्धारित रहता है और ऐसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है जो फंड की अवधि के साथ मैच्योर हो रहे हों. इस प्रकार के फंड्स में भी चार्जेज कम रहते हैं क्योंकि फण्ड मेनेजर को पहले से निर्धारित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना होता है और फण्ड प्रबंधन के लिए अधिक कुछ करने की संभावना ही नहीं बचती.
तो यह थी Types of Mutual Funds in Hindi म्यूचुअल फंड के प्रकार के बारे में हिंदी में समझने की कोशिश. आशा है कि अलग अलग तरह के म्यूचुअल फण्डों में कैसे निवेश किया जाता है और उनमें कितना जोखिम संभव है और कितनी लाभ की संभावनाएं यह सब समझ आ गया होगा.
म्यूचुअल फंड की विशेषताएं और लाभ
अकाउंट खोलने की आसान प्रक्रिया के माध्यम से मात्र 5 मिनट में इन्वेस्टमेंट करने के लिए तैयार हो जाएं.
1,600+ फंड में से चुनें
कई एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसीएस) के सर्वश्रेष्ठ म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करें.
इन्वेस्टमेंट और मोड चुनने की आज़ादी
दो तरीकों से इन्वेस्ट करने की सुविधा - लंपसम इन्वेस्टमेंट या सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी).
किफायती इन्वेस्टमेंट
लंपसम और एसआईपी के लिए मात्र रु. 100 से अपना म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट शुरू करें.
कोई कमीशन नहीं
आप हमारे प्लेटफॉर्म के माध्यम से 0% कमीशन के साथ डायरेक्ट प्लान में इन्वेस्ट कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड (एमएफ) इन्वेस्टमेंट अतियोग्य प्रोफेशनल्स द्वारा मैनेज किए जाते हैं. ये फंड कई इन्वेस्टर्स से पैसे जोड़कर बनाए जाते हैं और स्टॉक्स, बॉन्ड और शॉर्ट-टर्म डेट जैसी सिक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट किए जाते हैं. फंड के दिशानिर्देशों के अनुसार इन्वेस्टमेंट किए जाते हैं.
एसेट क्लास के अनुसार, म्यूचुअल फंड को इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड में वर्गीकृत किया जाता है. आप बजाज फाइनेंस के साथ म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं और अधिक लाभ और वृद्धि के अवसर प्राप्त कर सकते हैं.
एमएफ के लिए कैसे अप्लाई करें
एमएफ संबंधी सामान्य प्रश्न
डिस्क्लेमर
म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन हैं; स्कीम से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट ध्यान से पढ़ें.
बजाज फाइनेंस लिमिटेड ('बीएफएल') आरबीआई के साथ डिपॉजिट स्वीकार करने वाले नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल संस्थान के रूप में रजिस्टर्ड है, और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया ("एएमएफआई") के साथ थर्ड पार्टी म्यूचुअल फंड (जिसे संक्षेप में 'म्यूचुअल फंड' कहा जाता है) के डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में रजिस्टर्ड है.
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने में रुचि रखने वाले कस्टमर बजाज फिनसर्व डायरेक्ट लिमिटेड ("बीएफडीएल") के माध्यम से अपना इन्वेस्टमेंट करने पर विचार कर सकते हैं, जो बजाज फिनसर्व लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और यह रजिस्ट्रेशन नंबर आईएनए000016083 के साथ इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र के रूप में सेबी के साथ रजिस्टर्ड है. बीएफडीएल प्लेटफॉर्म पर म्यूचुअल फंड केवल निवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध हैं और ये भारत के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बाहर रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध नहीं हैं. यहां पर यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बीएफएल केवल संभावित कस्टमर को रेफर कर म्युचुअल फंड के प्रकार रहा है जो बीएफडीएल की डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करने में रुचि ले सकते हैं, इस मामले में बीएफएल स्वयं को सभी जोखिम और जिम्मेदारियों से मुक्त रखता है.
बीएफएल किसी भी तरीके से या किसी भी रूप में इन्वेस्टमेंट सलाहकार सर्विसेज़ प्रदान नहीं करता है. बीएफएल इन्वेस्टर की जोखिम प्रोफाइलिंग नहीं करता है और किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम या अन्य इन्वेस्टमेंट के लिए स्वतंत्र रिसर्च या विश्लेषण नहीं करता है. बीएफएल द्वारा कोई कस्टमाइज़्ड/पर्सनलाइज्ड उपयुक्तता मूल्यांकन नहीं किया जाता है. इसके अलावा, बीएफएल इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न की कोई गारंटी नहीं देता है. इसलिए, इन्वेस्टमेंट पर अंतिम निर्णय पूरी तरह से और हर समय केवल इन्वेस्टर का ही होगा और बीएफएल इसके किसी भी परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं होगा न ही उत्तरदायी ठहराया जा सकेगा.