आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है

श्रीलंका, 22 मिलियन लोगों का देश, इस साल की शुरुआत में वित्तीय और राजनीतिक आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है उथल-पुथल में डूब गया क्योंकि उसे विदेशी मुद्राओं की कमी का सामना करना पड़ा। इसके कारण, देश ईंधन, उर्वरक और दवा सहित आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है प्रमुख आयातों को वहन करने में असमर्थ रहा है, जिसके कारण कतारें टेढ़ी हैं।
क्या सीओपी 27 ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वाकई जीत हासिल कर ली है?
मिस्र के शर्म-अल-शेख में सीओपी27 जलवायु शिखर वार्ता (COP27 Climate Summit in Sharm-El-Sheikh, Egypt) संपन्न होने के फौरन बाद कतर में फुटबॉल विश्व कप टूर्नामेंट (football world cup tournament in qatar) की शुरुआत हुई है। यह दिलचस्प है कि इन दोनों अलग-अलग कार्यक्रमों में कई तरह की समानताएं भी हैं। जिन्हें कमजोर समझा जा रहा था वे नामचीन टीमों को आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है टक्कर देने की कोशिश कर रही हैं। दरअसल वास्तविक खेल को एक बड़ा कारोबार घेरे हुए हैं और इसका नतीजा खेल का रुख पलटने वाले पल लेकर आ सकता है।
सीओपी27 का स्पष्ट विजेता जलवायु परिवर्तन के लिहाज से जोखिम से घिरे देशों का वह समूह है जो जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न दुष्प्रभावों की प्रतिपूर्ति के लिए विशेष कोष तैयार करने में कामयाब रहा। दशकों तक ये देश उन समस्याओं को लेकर लाचारी की स्थिति का सामना करते रहे, जिनके लिए वे कभी जिम्मेदार नहीं थे। इन देशों ने दुनिया के उन सबसे अमीर मुल्कों के खिलाफ एक आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है बड़ा अंतर पैदा किया जो इस मुद्दे को शिखर वार्ता की एजेंडा तक में भी शामिल करने से इंकार कर चुके थे।
भारत के लिए आखिर इसके क्या मायने हैं?
भारत ने पूर्व चेतावनी प्रणालियों की दिशा में कई बड़ी कामयाबियां हासिल की हैं और उसने प्राकृतिक आपदाओं में विरले ही अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है। शायद हमारे लिए यह और ज्यादा महत्वपूर्ण आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है होना चाहिए कि हम स्वार्थ पूर्ति के रास्ते तलाशने के बजाय जोखिम से घिरे अन्य देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहें।
सीओपी27 में तमाम बाधाओं के बीच ‘लॉस एंड डैमेज फंड’ नाम से नया कोष बनाना वाकई एक बड़ी जीत है।
इस साल की यह जलवायु शिखर वार्ता युद्ध और ऊर्जा असुरक्षा आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है के बीच आयोजित हुई। अक्षय ऊर्जा एक बड़ा कारोबार बन गई है और इसमें रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि हो रही है।
cop27
वर्ष 2019 से 2021 के बीच दुनिया में सौर ऊर्जा उत्पादन 47% बढ़ा है जबकि पवन बिजली के उत्पादन में 31% का इजाफा हुआ है, मगर वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी पिछले 20 वर्षों से करीब 35% पर ही अटकी हुई है।
नेट जीरो उत्सर्जन के लिए भारत को कितने धन की आवश्यकता है?
जहां तक भारत का सवाल है तो नेट जीरो उत्सर्जन वाले भविष्य में रूपांतरण के लिए उसे अगले 3 दशकों के दौरान करीब 3 ट्रिलियन डॉलर के अतिरिक्त निवेश की जरूरत पड़ेगी। हमें अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने, उसे स्टोर करने, उसे पारेषित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने में इस्तेमाल करने तथा उद्योगों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए एक मूलभूत ढांचा बनाने की जरूरत है। तुलना करने के लिए भारत का आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करीब 100 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्यवाही के लिए रियायती दर पर वित्त पोषण उपलब्ध कराने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार का आह्वान सीओपी में खेल बदलने वाला कदम हो सकता है।
कोविड-19 महामारी के दौरान अनेक विकासशील देशों को जलवायु सततता के निर्माण के लिए अपने घरेलू निवेशों में मजबूरन कटौती करनी पड़ी थी। उदाहरण के लिए फिजी को 40%, इंडोनेशिया को 20% और बांग्लादेश को 7% कटौती के लिए मजबूर होना पड़ा था। अन्य विकासशील देश कर्ज के और भी बड़े बोझ से दब गए क्योंकि अमीर देशों से कर्ज के रूप में उन्होंने जो जलवायु वित्त हासिल किया था वह उन्हें विदेशी मुद्रा के रुप में लौटाना पड़ा।
क्यों भारतीय अर्थव्यवस्था कम दूरी की रेस तो जीत सकती है, लेकिन माराथन नहीं
प्रज्ञा घोष का चित्रण | ThePrint
एक समय था जब संघर्षरत भारतीय अर्थव्यवस्था के शुभचिंतक प्रेक्षक कहा करते थे कि वे देश के भविष्य को लेकर अल्पकालिक निराशावादी मगर दीर्घकालिक आशावादी हैं. लेकिन आज यह स्थिति अप्रत्याशित रूप से उलट गई है. कई लोग अल्पकालिक आशावादी लेकिन दीर्घकालिक निराशावादी बन गए हैं. आप कह सकते हैं कि अगर हम कई अल्पकालिक बातों पर ध्यान दें तो दीर्घकालिक बातें खुद सुधर जाएंगी. लेकिन इस बात पर गौर करना पड़ेगा.
फिलहाल तो भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है. एक मुश्किल समय में वह सबसे तेजी से वृद्धि कर रही बड़ी अर्थव्यवस्था है (जैसी कि वह एक बार पहले भी थी), जबकि जापानी और ब्रिटिश अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ रही हैं, जैसी अमेरिकी अर्थव्यवस्था ताजा तिमाही तक थी और यूरो क्षेत्र चपाती की तरह सपाट है.