प्रतिभूति और सामूहिक निवेश

निवेश करना सीखें
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड (एआईएफ) निवेश का अपेक्षाकृत नया साधन है और कुछ वर्षों में इसका प्रचलन काफी बढ़ा है. विगत तीन वर्षों में सरकार के विभिन्न नियामक सुधारों, जैसे कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स में निवेश करने की इजाजत, केटेगरी 1 और 2 फंड्स के लिए टैक्स पास-थ्रू ढांचा का क्रियान्वयन और आटोमेटिक रूट के तहत फण्ड में विदेशी निवेशों का समावेश के कारण वैकल्पिक निवेशों की तेज वृद्धि हुयी है.
इस आलेख में हम आपको अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स और इससे सम्बंधित हर चीज के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. तो चलिए हम सबसे पहले अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स यानी वैकल्पिक निवेश फंड्स को समझने के साथ शुरुआत करते हैं.
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अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स क्या हैं ?
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारत में स्थापित या निगमित निजी तौर पर समुच्चित निवेश साधन है. यह जानकार निवेशकों से फण्ड एकत्र करके उनका समुच्चय खडा करता है जिनमें भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं. इस तरह जमा फण्ड को अपारंपरिक विकल्पों, जैसे कि रियल एस्टेट फंड्स, हेज फंड्स, प्राइवेट इक्विटी आदि में निवेश कर दिया जाता है. निवेश के उत्पाद की व्यापक रेंज से निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो को व्यापक बनाने और विविधीकृत करने में मदद मिलती है.
ये फंड्स प्रचलित विधि वाले निवेश मद, जैसे कि इक्विटी, नियत आमदनी, और नकदी में निवेश नहीं करते और इसी कारण से वे निवेश के परम्परागत विकल्पों से भिन्न होते हैं. दूसरे शब्दों में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट किसी संपदा श्रेणी में किया गया निवेश है जो शेयर, बांड्स और नकदी का समावेश नहीं होता है. साधारण रूप से कहें तो निवेश के परम्परागत स्वरूप का कोई भी वैकल्पिक रूप अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट के श्रेणी में आता है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारी-भरकम राशि निवेश करने वाले धनी लोगों, कॉर्पोरेट और संस्थागत ग्राहकों के लिए एक आदर्श निवेश साधन है. ये प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फंड्स है प्रतिभूति और सामूहिक निवेश और प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) या किसी दूसरे तरह के सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से नहीं मिलते हैं. इसलिए उनके विनियम दूसरे फण्ड प्रबंधन के विनियमों से भिन्न होते हैं.
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भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स का वर्गीकरण
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट में निम्नलिखित सम्मिलित हैं :
टैन्जबल रियल एस्टेट (भौतिक अचल संपत्ति)
इनमें भौतिक सम्पदाएँ शामिल हैं जिनका उनके स्वरुप या गुणों के कारण स्वाभाविक मूल्य होता है, जैसे कि बेशकीमती धातु की वस्तुओं, तेल, दुर्लभ सिक्के, कलाकृति, आभूषण आदि. निवेशक सीधे इन संपदाओं को खरीद सकते हैं या इस तरह की संपत्तियों में विशेषज्ञ फण्ड में निवेश कर सकते हैं.
हेज फंड्स (बचाव निधि)
इन फंड्स द्वारा जोखिमों में विविधता के उद्देश्य से विविध संपदा श्रेणियों में निवेश किया जाता है. फण्ड मैनेजर निधि संग्रह करते हैं, उन्हें सामूहिक लाभ कोष में डालते हैं और विविध वित्तीय विपत्रों में निवेश कर देते हैं. वे घरेलू और विदेशी दोनों बाज़ारों में एक से अधिक रणनीतियों, जैसे कि दीर्घ, अल्प, लाभ उठाया हुआ, व्युत्पन्न स्थितियों, आदि का प्रयोग करते हैं.
प्राइवेट इक्विटी और स्टॉक्स (निजी इक्विटी और शेयर)
प्राइवेट इक्विटी कम्पनियां अधिकांशतः संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों से निधियाँ एकत्र करती हैं. इसमें फण्ड द्वारा निवेश को संभावनाशील प्राइवेट कंपनियों में कंपनी के स्टॉक्स और शेयरों के बदले में लगा दिया जाता है. इससे आम तौर पर निवेशकों का जोखिम प्रोफाइल कम हो जाता है.
यह निवेश का मिश्रित रास्ता है. इसमें म्यूच्यूअल फण्ड और एक्सचेंज पर क्रय-विक्रय किये गए फंड्स होते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स (आधारभूत संरचना फंड्स)
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स द्वारा सड़क, बंदरगाह, पुल, जल मार्ग और बिजली उत्पादन जैसी आधारभूत संरंच्नाओं के निर्माण में संलग्न कंपनियों में निवेश किया जाता है.
स्टार्ट-अप या अर्ली स्टेज फंड्स (स्टार्ट-अप फंड्स या शुरुआती चरण के फंड्स)
इन फंड्स द्वारा सुदृढ़ वृद्धि की संभावना प्रदर्शित करने वाले स्टार्ट-अप तथा लघु एवं मंझोले आकार के उद्यमों में निवेश किया जाता है. ये फंड्स ज्यादा जोखिम, ज्यादा रिटर्न के सिद्धांत पर प्रदर्शन करते हैं.
डेब्ट फंड्स (ऋण फंड्स)
ये फंड्स मुख्यतः अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के घोषित उद्देश्यों के आधार पर सूचीबद्ध और असूचीबद्ध कंपनियों के ऋण विपत्रों में निवेश करते हैं.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के विनियमों के अनुसार अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स को तीन वर्गों में बांटा गया है – श्रेणी 1, श्रेणी 2 और श्रेणी 3. श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) में स्टार्ट-अप, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, और अर्ली स्टेट वेंचर फंड्स सम्मिलित प्रतिभूति और सामूहिक निवेश हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी, डेब्ट फंड्स, रियल एस्टेट फंड्स और संकत्ग्रत संपत्तियां शामिल हैं. श्रेणी 3 के एआईएफ में हेज फंड्स, विविध व्यापार रणनीतियों वाले फंड्स, और अल्पकालिक रिटर्न वाले फंड्स आते हैं.
अब इनमें से एक-एक को विस्तार से समजिये.
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अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के प्रकार
श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स
प्रथम श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स का मुख्य लक्ष्य स्टार्ट-अप में, प्रारम्भिक चरण के उपक्रमों में, लघु एवं मंझोले उद्योगों में या सरकार की नज़र में आर्थिक और सामाजिक रूप से व्यावहारिक माने जाने वाले अन्य क्षेत्रों में निवेश करना होता है. ये फंड्स भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक और फायदेमंद है और विकास को रफ़्तार देते हैं, इसलिए इन्हें सरकार, सेबी और अन्य नियामकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है. चूंकि इन फंड्स द्वारा सामाजिक रूप से वांछित व्यावसायिक क्षेत्रों में निवेश किये जाते हैं, इसलिए इसके पीछे मुनाफ़ा कमाने का इरादा हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है. श्रेणी 1 के एआईएफ में सोशल वेंचर फंड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, एंजेल फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स और एसएमई फंड्स सम्मिलित हैं.
श्रेणी 2 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स
द्वितीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स अपनी प्रकृति में अपेक्षाकृत क्लोज-एंडेड (सीमित अवधि के लिए) होते हैं. इन फंड्स में निवेश करने के लिए पूंजी पैदा करने के लिए ऋण लेने की मनाही है. किन्तु, इस नियम का एक अपवाद है कि ये एआइएफ अपने परिचालन की दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उधार जे सकते हैं या लाभ उठाने की रणनीति का इस्तेमाल कर सकते हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी फंड्स या डेब्ट फंड्स शामिल हैं. इसके अलावा इन एआईएफ फंड्स को सरकार, सेबी या किसी और विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. यह एक विविध श्रेणी का फण्ड है और इसमें वैसे एआईएफ सम्मिलित है जो श्रेणी 1 और श्रेणी 3 के दायरे में नहीं आते हैं.
श्रेणी 3 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स
तृतीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स वैसे फंड्स होते हैं जिनकी खरीद-बिक्री अल्पकालिक रिटर्न अर्जित करने के इरादे से की जाती है. इनमें हेज फंड्स और पब्लिक इक्विटी में प्राइवेट निवेश (पीआइपीई) फंड्स शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड (असीमित अवधि) फंड्स हैं और इन्हें सरकार, सेबी या किसी दूसरे विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. इन फंड्स द्वारा मार्जिन ट्रेडिंग, आर्बिट्राज, फ्यूचर्स ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग आदि जैसी जटिल व्यापार रणनीतियों का प्रयोग किया जाता है. श्रेणी 3 के एआइएफ को सूचीबद्ध और असूचीबद्ध डेरिवेटिव्स पर निवेश करने के लिए लीवरिज के इस्तेमाल की इजाजत होती है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के लिए फण्ड संग्रह और निवेश के प्रतिबन्ध
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स मुख्यतः निजी स्थापन के माध्यम से फंड्स एकत्र करते हैं. इसके अलावा उन्हें किसी निवेशक से 1 करोड़ रुपये के कम का निवेश स्वीकार करने की अनुमति नहीं होती है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड या इसके अंतर्गत कोई योजना 1000 से अधिक निवेशकों को स्वीकार नहीं कर सकती. इन योजनाओं में न्यूनतम योग्य राशि 20 करोड़ रुपये है. दूसरे शब्दों में हरेक योजना में कम से कम 20 करोड़ रुपये का कोष रहना ही चाहिए. किन्तु एंजेल फंड्स को अपेक्षाकृत कम योग्य राशि की अनुमति है.
हाल के समय में भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है. सीमित परम्परागत जोखिमों के साथ निवेश का यह शानदार माध्यम है. इसके अलावा, बाज़ार की परिस्थितियों का इस पर सीमित असर होता है.
आप भी अल्टरनेटिव फंड्स में निवेश करने का विचार कर सकते हैं. लेकिन, निवेश करने के पहले इसका पिछला रिकॉर्ड और इसका प्रबंधन करने वाले लोगों की विश्वसनीयता को लेकर पूरा संतुष्ट हो लेना ज़रूरी है. बेहतर होगा कि निवेश करने के पहले फण्ड प्रबंधक द्वारा अपनाई गयी रणनीतियों को एयर ओम फिम्ड्स से जुड़े जोखिमों को समझ लें.
सेबी ने जारी की 91 प्रतिबंधित कंपनियों की सूची
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को 91 कंपनियों की सूची जारी करते हुए लोगों को इन कंपनियों में निवेश नहीं करने की हिदायत दी है।
Published: July 30, 2015 01:54:57 am
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय प्रतिभूति और सामूहिक निवेश प्रतिभूति और सामूहिक निवेश बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को 91 कंपनियों की सूची जारी करते हुए लोगों को इन कंपनियों में निवेश नहीं करने की हिदायत दी है।
सेबी ने जारी बयान में बताया कि उसे कुछ ऐसी सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) का पता चला है जिसे पेश करने वाली कंपनियां सेबी में पंजीकृत नहीं हैं या उन कंपनियों ने नियामक को इस ऑफर की जानकारी नहीं दी है।
नियामक ने कहा कि ऐसे मामलों को देखते हुए जनवरी 2011 से अब तक कुल 91 कंपनियों और उनके निदेशकों को पूंजी बाजार से प्रतिबंधित करने के प्रतिभूति और सामूहिक निवेश आदेश जारी कर चुकी है और इनकी सूची उसकी वेबसाइट सेबी डॉट जीओवी डॉट इन पर उपलब्ध है।
सेबी ने पैनकार्ड क्लब, चार निदेशकों पर लगाया 20 करोड़ रुपये जुर्माना- भुगतान के लिए 45 दिनों का समय
नई दिल्ली: पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पैनकार्ड क्लब्स और उसके चार निदेशकों पर गैरकानूनी तरीके से बिना पंजीकरण वाली सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के जरिये निवेशकों से धन जुटाने पर शुक्रवार को कुल 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। सेबी ने एक आदेश में कहा कि यह प्रतिभूति और सामूहिक निवेश कंपनी पैनेरोमिक ग्रुप ऑफ कंपनीज का हिस्सा है, जो आतिथ्य सत्कार, टाइमशेयर, यात्रा व पर्यटन और सूचना प्रौद्योगिकी में रुचि रखती है। सेबी ने कहा कि ये निकाय संयुक्त रूप से और गंभीर रूप से जुर्माना राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। कंपनी के निदेशकों में मनीष कालिदास गांधी, चंद्रसेन गणपतराव भिसे, रामचंद्रन रामकृष्णन और शोभा रत्नाकर बर्डे शामिल हैं।
सेबी ने एक जांच के दौरान पाया कि सामूहिक निवेश योजना विनियमों के तहत अनिवार्य रूप से नियामक से अपेक्षित अनुमोदन प्राप्त किये बिना कंपनी निवेशकों से धन जुटाने में संलिप्त थी। सेबी ने बाजार के इन्हीं प्रावधानों का उल्लंघन करने को लेकर कंपनी और उसके निदेशकों पर जुर्माना लगाया है। सेबी ने जुर्माना राशि का भुगतान करने के लिये 45 दिनों का समय दिया है। यदि कंपनी व उसके निदेशक समयसीमा के भीतर भुगतान नहीं कर पाते हैं तो उनसे वसूली की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
सेबी ने शुक्रवार को एक अलग आदेश में बताया कि परिचय इंवेस्टमेंट लिमिटेड (पीआईएल) के शेयरों को लेकर गलत तरीके से मात्रा दिखाने और धोखाधड़ी युक्त व्यापार करने को लेकर 16 व्यक्तियों पर कुल 1.20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सेबी ने कहा कि इस मामले में पीआईएल के शेयरों के 21 जुलाई 2010 से लेकर 30 अगस्त 2011 के दौरान हुए कारोबार की जांच की गयी। जांच में पाया गया कि संलिप्त व्यक्ति प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष तौर से आपस में जुड़े हुए थे। उन्होंने मिलकर धोखाधड़ी वाले कारोबार को अंजाम दिया। इसी आधार पर सेबी ने इनमें से आठ व्यक्तियों पर 10-10 लाख रुपये का तथा शेष आठ व्यक्तियों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला किया।
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय पूंजी बाजार को कैसे नियंत्रित करता है ? | How does the Securities and Exchange Board of India (SEBI) regulate the Indian capital market in hindi ?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का गठन शुरू में 12 अप्रैल 1988 को सरकार के एक संकल्प के माध्यम से प्रतिभूति बाजार के विकास और विनिमय और निवेशकों की सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों को देखने और इन मामलों पर सरकार को सलाह देने के लिए किया गया था। . एक गैर-अंशदायी निकाय के रूप में। सेबी को 30 जनवरी 1992 को एक अध्यादेश के माध्यम से वैधानिक दर्जा और शक्तियां दी गई थीं।
सेबी का प्रबंधन छह सदस्यों द्वारा किया जाता है - एक अध्यक्ष (केंद्र सरकार द्वारा नामित), दो सदस्य (केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी), एक सदस्य (RBI से) और शेष दो सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं। सेबी का ऑफिस मुंबई में है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई में स्थित हैं। वर्ष 1988 में सेबी की प्रारंभिक पूंजी लगभग 7•5 करोड़ रुपये थी
जो इसके प्रमोटरों (आईडीबीआई, आईसीआईसीआई, आईएफसीआई) द्वारा दी गई थी। यह पैसा निवेश किया गया था और इससे अर्जित ब्याज सेबी के दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है। भारतीय पूंजी बाजार के लिए सभी वैधानिक शक्तियां सेबी को दी गई हैं।
शेयर दलालों, उप-दलालों, शेयर हस्तांतरण एजेंटों, ट्रस्टियों, मर्चेंट बैंकरों, बीमा कंपनियों, पोर्टफोलियो प्रबंधकों आदि के कामकाज को विनियमित और पंजीकृत करना।
प्रतिभूति बाजार में कारोबार करने वाले विभिन्न संगठनों के कामकाज की निगरानी करना और व्यवस्थित लेनदेन सुनिश्चित करना।
सेबी ने पूंजी बाजार की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं -
सार्वजनिक निर्गम जारी करने वाली कंपनियों द्वारा अरुचिकर 'आवेदन राशि' के उपयोग पर नियंत्रण - सेबी के अनुरोध पर, वाणिज्यिक बैंकों ने स्टॉक निवेश योजना (शेयर निवेश योजना) की शुरुआत की, जिसके तहत निवेशक, बैंकों से खरीदे गए, निवेशित शेयर, उनके शेयर आवेदन के साथ प्रस्तुत किया। यदि निवेशक को शेयर/डिबेंचर आवंटित किए जाते हैं, तो 'स्टॉक निवेश' जारी करने वाला बैंक आवश्यक राशि संबंधित कंपनी के खाते में स्थानांतरित कर देगा। दूसरे मामले में (यदि शेयर/डिबेंचर आवंटित नहीं किए जाते हैं), तो निवेशक को निवेश की गई पूंजी पर ब्याज की एक पूर्व निर्धारित दर मिलेगी। सेबी के इस कदम ने निवेशक को शेयर/डिबेंचर आवंटित किए जाने तक ब्याज अर्जित करना सुनिश्चित किया।
शेयर की कीमत और प्रीमियम का निर्धारण - सेबी के नवीनतम प्रतिभूति और सामूहिक निवेश निर्देशों के अनुसार, भारतीय कंपनियां अपने शेयर की कीमतों और उन शेयरों पर प्रीमियम निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन तय कीमत और प्रीमियम कीमत बिना किसी भेदभाव के सभी पर समान रूप से लागू होगी।
बीमा कंपनियां - बीमा कंपनी के रूप में काम करने के लिए न्यूनतम संपत्ति सीमा लगभग 20 लाख तय की गई है। इसके अलावा, सेबी ने बीमा कंपनियों को चेतावनी दी है कि शेयरों के मामले में अस्वीकृत शेयर की खरीद में किसी भी तरह की अनियमितता की स्थिति में उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
स्टॉक ब्रोकरों का नियंत्रण - नए नियमों के तहत, प्रत्येक ब्रोकर और सब-ब्रोकर को सेबी या भारत में किसी भी स्टॉक एक्सचेंज (स्टॉक मार्केट) के साथ पंजीकरण करना होगा।
इनसाइडर ट्रेडिंग - भारतीय पूंजी बाजार में शेयर की कीमतों में हेराफेरी के लिए कंपनियां और उनके कर्मचारी आमतौर पर कदाचार का रास्ता अपनाते हैं। इस प्रकार के इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए, SEBI ने SEBI (इनसाइडर ट्रेडिंग) रेगुलेशन 1992 पेश किया, जो पूंजी बाजार में अखंडता सुनिश्चित करेगा और निवेशकों को लंबी अवधि के लिए पूंजी बाजार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
म्यूचुअल फंड पर सेबी का नियंत्रण - सेबी ने सरकार और निजी क्षेत्र (यूटीआई को छोड़कर) द्वारा सभी म्यूचुअल फंड पर सीधा नियंत्रण देने के लिए सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम 1993 पेश किया। इस नियम के तहत, म्युचुअल फंड लाने वाली कंपनी का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य 5 करोड़ रुपये होना चाहिए, जिसमें प्रमोटरों का कम से कम 40% योगदान हो।
विदेशी संस्थागत निवेशकों पर नियंत्रण - सेबी ने सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए भारतीय पूंजी बाजार में भाग लेने के लिए सेबी के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया है। इस संबंध में सेबी ने निर्देश जारी किया है।
निष्कर्ष: तो उपरोक्त चर्चा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सेबी - भारत के पूंजी बाजार के सुचारू संचालन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि निवेशकों के मूल्यवान धन को कम अनिश्चितता के साथ अच्छा रिटर्न मिल सके।
सेबी ने पंजाब में पीएसीएल की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया
सेबी ने पंजाब में पीएसीएल की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया
नयी दिल्ली 27 मार्च बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों की फंसी पड़ी हजारों करोड़ रुपये की राशि वसूलने के प्रयास के तहत अवैध तरीके से धन जुटाने के मामले में पीएसीएल से संबंधित संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) से जुड़ी जिन संपत्तियों को कुर्क किया जा रहा है, वे पंजाब के बनूर में हैं।
नियामक ने दरअसल अपनी जांच में पाया था कि पीएसीएल ने कृषि और रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर 18 वर्षों तक अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के माध्यम से जनता से 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाई थी।
इस संबंध में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पीएसीएल में निवेश करने प्रतिभूति और सामूहिक निवेश वाले निवेशकों के लिए चरणबद्ध तरीके से धन वापसी की प्रक्रिया शुरू की है। समिति ने मार्च 2021 तक दस हजार के निवेश वाले 12.7 लाख से अधिक निवेशकों को सफलतापूर्वक 438.34 करोड़ रुपये वापस किये है।
संपत्ति जब्त करने का यह आदेश पंजाब सरकार के उद्योग और वाणिज्य विभाग द्वारा पीएसीएल से संबंधित संपत्तियों के बारे में समिति को सूचित करने के बाद आया है। इस जानकारी के बाद ही समिति ने सेबी के वसूली अधिकारी को इन संपत्तियों को कुर्क करने के निर्देश दिए।
सेबी की तरफ से जारी जानकारी के अनुसार उसने कुर्क संपत्तियों को किसी व्यक्ति को स्थानांतरित पर भी रोक लगा दी है।
इसके अलावा सेबी ने पीएसीएल के पास मौजूद सभी चल-अचल संपत्तियों का पूरा ब्योरा देने का निर्देश दिया है और दो सप्ताह के भीतर चार संपत्तियों से संबंधित असली दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है।
सेबी ने इससे पहले दिसंबर 2015 में बकाया भुगतान नहीं करने के बाद पीएसीएल और उसके प्रवर्तक समेत निवेशकों के कई बैंक खाते, डीमैट खाते और म्यूचुअल फंड खातों को जब्त कर लिया था।
नियामक ने अगस्त 2014 में एक आदेश में पीएसीएल और उसके प्रवतर्कों तथा निदेशकों से निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए कहा था। चूककर्ताओं को आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर योजनाओं को बंद करने और निवेशकों को पैसा वापस करने का निर्देश दिया गया था।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।