शुरुआती लोगों की मुख्य गलतियाँ

निवेश विश्लेषण के तरीके

निवेश विश्लेषण के तरीके

निवेश विश्लेषण के तरीके

वित्तीय योजना का एक सिध्दांत यह है कि निवेश का एक ही आकार सबके अनुकूल नहीं होता है। लोगों के जोखिम-प्रतिफल प्रोफाइल अलग-अलग होते हैं।

सबसे बड़ी बात है कि जीवन के विभिन्न चरणों में एक ही व्यक्ति के जोखिम-प्रतिफल प्रोफाइल अलग अलग होते हैं। निवेश गुरुओं के साथ भी यही बात लागू होती है। लेकिन, निवेश गुरु यादा सतर्क और केंद्रित होने के साथ-साथ अपनी निरंतरता बनाए रखते हैं।

समय के साथ ही सभी सफल निवेशक अपनी तरजीह खुद ही विकसित करते हैं। कई लोगों ने अपने तर्क और दर्शन भी लोगों तक पहुंचाए हैं। विश्लेषकों ने भी सफल पोर्टफोलियो पर शोध किया ताकि सफलता का सूत्र हासिल किया जा सके। कभी कभार कोई व्यक्ति निवेश गुरुओं के चयन के तरीके का गणित ढूंढ निकालता है।

उदाहरण के लिए ग्राहम बुक-वैल्यू और लो प्राइस-बुक वैल्यू अनुपातों पर यादा जोर देते रहे। बफे कमाई में स्थिर बढ़ोतरी पर यादा जोर देते हैं। दूसरे निवेशक वैसी कंपनियों पर दांव लगाते हैं जिनके भविष्य में चमकने का संभावना होती है। चौथी तरह के निवेशक लाभांश से होने वाली अच्छी कमाई का चयन करते हैं।

आंकड़ों की उपलब्धता और गणना करने की क्षमता की प्रचुरता से ऐसे प्रोग्राम बनाना आसान है जो एक निश्चित मानदंड के आधार पर शेयरों का चयन कर सकें। निवेश विश्लेषण के तरीके ऐसे प्रोग्राम को प्रणाली में लागू कर सभी सूचीबध्द शेयरों में से उन शेयरों को अलग छांटा जा सकता है जो मानदंडों पर खरे उतरते हैं।

इस तरह के शेयरों की छंटनी करना आम है। लगभग 700 से अधिक ऐसे शेयर भारतीय एक्सचेंजों पर सूचीबध्द हैं जो तरल हैं यानी जिनमें कारोबार होता है और विशेष गुणधर्मों के आधार पर एक-एक को छांटना काफी कठिन और उकताने वाला काम है। इस काम के लिए कई सॉफ्टवेयर पैकेज उपलब्ध हैं। कुछ ऑनलाइन वेबसाइट भी ऐसे तरीके उपलब्ध कराती हैं।

कुछ मुफ्त हैं तो कुछ के इस्तेमाल के लिए पैसे चुकाने होते हैं। वैश्विक स्तर पर इस तरह के उपकरण तैयार करने वाली वेबसाइटों में मॉर्निंगस्टार, याहू! फाइनैंस और सीएनबीसी शामिल हैं। इस तरह की छंटनी करने वाले अधिकांश सॉफ्टवेयर सामान्य बूलियन अलजेबरा के तहत काम करते हैं और इन्हें जल्द ही सीखा जा सकता है। कोई व्यक्ति ऐसे सैकड़ों स्क्रीन तैयार कर सकता है।

यह बैलेंस शीट तथा लाभ-हानि के विश्लेषण, तकनीकी मानदंडों या संयुक्त रूप से इन तीनों पर आधारित हो सकता है। क्या इस तरह के स्क्रीन पर नजर आने वाले सुझाव पोर्टफोलियो को वास्तव में ऐसा बना सकते हैं जिसे निवेश गुरुओं की अनुमति मिल जाए? यह एक साधारण सा यांत्रिक तरीका है जिसकी पुनरावृति भी आसानी से की जा सकती है।

हालांकि, निवेश के अधिकांश सफल तरीके रॉकेट-विज्ञान जैसे जटिल नहीं हैं और यह स्पष्ट है कि कुछ निवेशक लगातार अपेक्षाकृत अधिक प्रतिफल अर्जित करते रहते हैं और उनके निवेश का तरीका भी काफी आसान होता है। इसलिए, सामान्य और आसानी से दोहराया जाने वाना तरीका अपनाने का यह मतलब नहीं कि वह असरदार नहीं होता है।

हालांकि, एक स्क्रीन उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि उसकों तैयार करने वाले व्यक्ति की समझदारी। अगर, सॉफ्टवेयर तैयार करने वाले व्यक्ति की समझ शेयरों के चयन के मामले में स्पष्ट नहीं है तो स्क्रीन बेकार की ही सलाह देगा। यह मानते हुए कि सॉफ्टवेयर का मूल प्रोग्राम ठोस होगा, स्क्रीन निवेश विश्लेषण के तरीके के सुझावों को पहली बार परिष्कृत किया हुआ सुझाव समझना चाहिए। काफी कम निवेश गुरु ऐसे सुझावों के आधार पर निवेश करते हैं।

वे प्रबंधन की गुणवत्ता और कारोबार को समझने का प्रयत्न करते हैं। इन विस्तृत जानकारियों के बिना कारोबार की वृध्दि दर, मंदी के दौरान उसका प्रदर्शन आदि जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों की निवेश विश्लेषण के तरीके निवेश विश्लेषण के तरीके जानकारी नहीं मिल सकती। ये सब तत्व ऐसे हैं जिन्हें कंप्यूटर प्रोग्राम में आसानी से शामिल नहीं किया जा सकता।

लेकिन, भले ऐसे सॉफ्टवेयर मोटे तौर पर निवेश विश्लेषण के तरीके एक संकेत देते हों, लेकिन सुझाए गए शेयर कई तरह से उपयोगी हो सकते हैं। सर्वप्रथम, इस्तेमालकर्ता को वह एक आइडिया देते हैं कि विभिन्न निवेश गुरु किस प्रकार सोचते हैं। बाजार चक्रों के अनुसार सुझावों को आजमाते हुए किसी व्यक्ति को इस बात का आइडिया मिल सकता है कि बाजार के विभिन्न चरणों में कौन सा तरीका ज्यादा प्रभावी हसाबित होता है।

ऐतिहासिक प्रदर्शन के बारे में जान कर कोई निवेशक अपनी निवेश प्रक्रिया को बेहतर बना सकता है। वह समझ सकता है कि किसा निवेश गुरु की शैली उसके लिए सबसे अधिक प्रभावी है। फिर, वह अपनी जरूरतों के मुताबिक उन गुणधर्मों को अपना सकता है।

स्टॉक चुनने का सही तरीका क्या है?

इसके संदर्भ में, हम महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में समझतें हैं:

१. टॉप डाउन दृष्टिकोण

२. बॉटम-अप दृष्टिकोण

स्टॉक का चयन

टॉप डाउन दृष्टिकोण

  • निवेश की इस पद्धति में, निवेशक देखकर विश्लेषण शुरू करता है
  • व्यक्तिगत स्टॉक पर काम करने से पहले आर्थिक नीति जैसे इन्फ्लेशन, अर्थशास्रीय विकास, आर्थिक विकास, जैसी व्यापक घटनाएं।

निवेशक बाजार में प्रचलित कारणों, घटनाओं की तलाश करता है और उस अवसर को समझने की कोशिश करता है जो उससे प्राप्त किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, द इलेक्शन इन इंडिया सबसे ज्यादा चर्चित घटना है। इसलिए, चुनाव वह घटना / विषय है जिसे निवेशक इस दृष्टिकोण से प्रभावित निवेश के अवसर को पकड़ने के लिए देखेंगे ।

अधिकांश टॉप-डाउन निवेशक मैक्रोइकॉनॉमिक निवेशक हैं, जो व्यक्तिगत इक्विटी मार्किट के बजाय बड़े चक्रीय रुझानों को भुनाने पर केंद्रित होते हैं।

इसका मतलब यह है कि उनकी रणनीति किसी भी प्रकार के मूल्य-आधारित निवेश की दृष्टिकोण की तुलना में अल्पकालिक लाभ को कमाने के लिए है, ना कि मुल्यवान कंपनियों को खोजने के लिए है।

बॉटम-अप दृष्टिकोण

निवेश की इस पद्धति में, निवेशक:

  • व्यक्तिगत कंपनियों को देखकर और फिर उनकी खूबी और विशेषताओं के आधार पर एक पोर्टफोलियो का निर्माण करके उनका विश्लेषण शुरू करते है ।
  • निवेशक इस तरीके के निवेश में सूक्ष्म आर्थिक कारणों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • वे अपने स्टॉक चयन मापदंडो के आधार पर अपने शेयरों का चयन करते हैं जैसे कीमत से आय कई गुना, इक्विटी अनुपात में ऋण कम, नकद प्रवाह, प्रबंधन की गुणवत्ता आदि।
  • निवेश निर्णय लेने से पहले उन स्टॉक पर उपलब्ध विश्लेषण रिपोर्टों और अन्य शोध पत्रों का मूल्यांकन करता है ।
  • क्यूंकि व्यक्तिगत निवेशक अपना काफी समय निवेश के ऊपर शोध करने में व्यतीत करते है इसलिए वे अपने निवेश को लम्बे समय तक खरीद कर रखने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसका मतलब यह है कि उनके निवेश को लाभ देने में अधिक समय लग सकता है, लेकिन संकट प्रबंधन में अधिक प्रभावी हो सकता है और अंततः निवेश से होने वाले संकट की तुलना में ये बुनियादी शोधपूर्ण होने के कारण इसमें इतना खतरा नहीं होता ।

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निष्कर्ष

  • सभी निवेशकों के लिए कोई एक दृष्टिकोण नहीं होता है
  • टॉप-डाउन या बॉटम-अप निवेश के बीच का निर्णय काफी हद तक व्यक्तिगत पसंद का मामला है।
  • इन तकनीकों का सफलतापूर्वक उपयोग करने की कुंजी सही मापदंडो की पहचान करना और व्यापक संदर्भ में निवेश विश्लेषण के तरीके स्टॉक का विश्लेषण करना है। यह आप StockEdge App की मदद से भी कर सकते है
  • टॉप-डाउन निवेश मापदंड, मैक्रोज़ के चारों ओर घूमता है इसलिए इस बात को ध्यान में रखता है कि कौन सा क्षेत्र कौन से समय की अवधि में रिटर्न देगा। उदाहरण के लिए, फार्म सेक्टर के स्टॉक चक्रीय प्रकृति के होने के कारण मॉनसून के दौरान ही रिटर्न देते हैं।
  • बॉटम-अप निवेश, किसी भी स्टॉक के सूक्ष्म अनुपात या वित्तीय विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए निवेश करते हैं और इसलिए किसी भी मैक्रोज़ से प्रभावित नहीं होते हैं।

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क्या है SIP के जरिए Mutual Fund में निवेश का सही तरीका? कैसे बनें स्मार्ट इन्वेस्टर

Mutual Fund में SIP या दूसरे तरीकों से निवेश का मतलब यही है कि बुरे वक्त में निवेश जारी रखा जा सके। स्मार्ट इन्वेस्टर इस बात का अनुमान नहीं लगाते कि मार्केट किस दिशा में जा रहे हैं। वो निवेश का सही जरिया तलाश लेते हैं।

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। कंपनी की बुनियादी बातों पर ध्यान देने वाले उनके लाभ, वृद्धि, मूल्यांकन जैसी बातों को अच्छी तरह से जानते हैं। यह सब जानना-समझना ही कई साल के निवेश में सही नतीजे देता है। यह बातें किसी एक दिन का नंबर तय नहीं करतीं। स्क्रीन पर नजर आने वाले नंबर मौजूदा दामों पर होने वाली सप्लाई और डिमांड के आधार पर तय होते हैं।

डिमांड ज्यादा होने पर दाम निवेश विश्लेषण के तरीके तब तक ऊपर जाते हैं जब तक दोनों एक ही स्तर पर नहीं आ जाते। यही माइक्रो-इकोनमिक्स की सबसे बुनियादी बात है। शेयर मार्केट एक शानदार प्रयोगशाला है जिसमें इसी का अध्ययन होता है।

FTX Crypto Exchange bankruptcy investors Need to be careful of such fraud schemes (Jagran File Photo)

शेयर मार्केट में बदलाव अचानक क्यों होते हैं

असल अर्थव्यवस्था में सप्लाई-डिमांड और धन की सप्लाई में मायने रखने वाला बदलाव कई महीनों या वर्षों में आता है। शेयर मार्केट में यह कुछ ही दिनों, घंटों या मिनटों और सेकेंडों में हो जाता है। बुनियादी कारकों के आधार पर चलने वाले निवेशक जिन बातों पर भरोसा करते हैं वो केंद्र में बनी रहती हैं, मगर शार्ट-टर्म के बदलावों का चक्र अलग होता है।

आखिर इन शार्ट-टर्म बदलावों को क्या ड्राइव करता है? कभी आप टीवी पर कोई बिजनेस चैनल खोलें या किसी न्यूज वेबसाइट को देखें तो पाएंगे कि हाल निवेश विश्लेषण के तरीके ही के किसी आकंड़े या घटना का कारण बताया जाएगा। इसमें, तेल के दाम, ब्याज दर, राजनीतिक घटनाएं या कुछ भी हो सकता है।

बाजार कैसे अपनी दिशा निवेश विश्लेषण के तरीके बदलता है

असल में ज्यादातर को इन बदलावों के कारण और तर्क पता नहीं होते। सच तो ये है कि इनका पता नहीं लगाया जा सकता। जो कारण आपको मीडिया और सोशल मीडिया से पता चलते हैं, वो घटना के बाद की ईजाद होते हैं। जो स्टाक में निवेश करते हैं उनके पास दूसरी कई तरह की जानकारियों पर आधारित विश्लेषण होते हैं, जो इससे भी विस्तृत होते हैं। आप कैसे अनुमान लगाएंगे कि मार्केट ऊंचाई पर हैं या नीचे।

अनुमान पर आधारित आंकड़े या मान्यताओं पर बने नियमों को यह कह कर प्रमोट किया जाता है कि मार्केट इतना ऊंचा है कि वो अब जल्द ही गिरने वाला है या फिर इतने नीचे है कि अब बढ़ना शुरू हो जाएगा। मिसाल के तौर पर- रिकार्ड हाई वैल्युएशन, इक्विटी में बड़ी संख्या में नए निवेशकों का आना, इक्विटी मार्केट में वाल्यूम का ज्यादा होना और इसी तरह की दूसरी स्थितियां मार्केट के शीर्ष पर होने के संकेत माने जाते हैं। मार्केट का नीचे होना इन सब बातों का उलटा होना होता है। आपको क्या लगता है कि ये संकेत काम आते हैं। काम आने से मतलब है कि इन संकेतों से आप जान सकें कि मार्केट अपनी दिशा बदलेगा।

एसआईपी से मार्केट क्रैश की चिंता नहीं

सच तो ये है कि आप ऐसा नहीं कर सकते। जैसे टीवी एंकर हर रोज के बदलावों के कारण बताते हैं, वैसे ही ये भी बाद में दिए गए स्पष्टीकरण हैं। हालांकि अपवाद हमेशा ही होते हैं। सही होगा, अगर आप मार्केट की चाल को लेकर अपने (या दूसरों के) विश्वास के आधार पर कभी निवेश न करें।

निवेशकों को अपना निवेश, भविष्य के अनुमान पर न करके इन्वेस्टमेंट की क्वालिटी पर, और उस दाम पर करना चाहिए, जो सही आंतरिक कारकों पर आधारित हो। म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स निवेश विश्लेषण के तरीके के लिए समस्या से निबटना और भी आसान है। उन्हें दो या तीन इक्विटी फंड चुनने चाहिए, जिनका लंबे अर्से का अच्छा रिकार्ड हो। उन्हें अपना निवेश एसआइपी के जरिये किस्तों में करना चाहिए और मार्केट क्रैश की चिंता नहीं करनी चाहिए।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

शेयरों में निवेश करने में आपकी मदद करता है टेक्निकल एनालिसिस

आज शेयर बाजार केवल शेयरों की खरीद-फरोख्त के मंच नहीं रह गए हैं. ये कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुके है.

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बगैर बुनियादी जानकारी शेयर बाजार में उतरना बुरा अनुभव साबित हो सकता है. हालांकि, ऐसे उपाय हैं, जो नए निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद कर सकते हैं.

आज शेयर बाजार केवल शेयरों की खरीद-फरोख्त के मंच नहीं रह गए हैं. ये कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुके हैं, जिनकी अपनी खुद की कार्यशैली और ढांचा है.

बगैर बुनियादी जानकारी शेयर बाजार में उतरना बुरा अनुभव साबित हो सकता है. हालांकि, ऐसे उपाय हैं, जो नए निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद कर सकते हैं. इनके जरिए वे प्राइस मूवमेंट को समझ सकते हैं और बेहतर ढंग से फैसले ले सकते हैं.

टेक्निकल एनालिसिस यानी तकनीकी विश्लेषण ऐसा ही एक उपाय है. इसकी मदद से निवेशक रुझानों का विश्लेषण, मूल्य औसत का अनुमान, मार्केट की अस्थिरता का आंकलन कर सकते हैं.

कई ट्रेडर्स सिक्योरिटीज की सप्लाई-डिमांड और बाजार के मनोविज्ञान को गहराई से समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं. आइए नजर डालते हैं कुछ सरल तकनीकी संकेतकों पर जो बेहतर सूझ-बूझ के साथ निर्णय लेने में ट्रेडर्स की मदद करते हैं.

एक्सपोनेंशियल मूविंग ऐवरेज (ईएमए)
एक्सपोनेंशियल मूविंग ऐवरेज को सामान्य तौर पर एक्सपोनेंशियली वेटेड मूविंग एवरेज समझा जाता है, जो सबसे हालिया डाटा बिंदुओं पर महत्वपूर्ण ढंग से काम करता है.

वह चीज जो ईएमए को सिंपल मूविंग एवरेज यानी एसएमए से अलग करती है, वह यह है कि यह हालिया प्राइस मूवमेंट पर बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया देता है, जबकि एसएमए पूरी अवधि के सभी परीक्षणों पर बराबर जोर देता है.

पैराबोलिक एसएआर
जे. वेल्स वाइल्डर जूनियर (सापेक्षिक शक्ति सूचकांक, आरएसआई के जनक) द्वारा विकसित किया गया पैराबोलिक एसएआर एक तकनीकी संकेतक है जो किसी परिसंपत्ति की बढ़ रही कीमत की दिशा निर्धारित करने के लिए लागू किया जाता है. जब कीमत की दिशा बदल रही है तो यह उसे उजागर करने में भी मदद करता है.

इसे वैकल्पिक रूप से "स्टॉप ऐंड रिवर्सल सिस्टम" के रूप में जाना जाता है. स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करने के लिए पैराबोलिक एसएआर का उपयोग करने जैसे अन्य मापदंड भी हैं.

उदाहरण के लिए, निवेश विश्लेषण के तरीके स्टॉक मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने पर पैराबोलिक एसएआर संकेतक से मेल बैठाने के लिए स्टॉपलॉस को स्थानांतरित किया जा सकता है. यह एक छोटे ट्रेड के लिए भी लागू किया जा सकता है. आप देख सकते हैं कि जब कीमत गिरती है, तो संकेतक भी यही इशारा करता है.

टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करने के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं

रुझानों के विश्लेषण में मिलती है मदद
टेक्निकल एनालिसिस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह निवेशकों और ट्रेडर्स को एक निश्चित मात्रा में सटीकता के साथ बाजार के रुझान का अनुमान लगाने में मदद करता है. चार्ट एनालिसिस ऊपर, नीचे और साइड के रुझानों के अनुमान में मदद कर सकता है.

शुरुआती संकेत उपलब्ध कराता है

टेक्निकल एनालिसिस शुरुआती चिन्ह और संकेत प्रदान करने में मदद करता है. साथ ही, यह निवेशकों निवेश विश्लेषण के तरीके और व्यापारियों के निर्णयों के पीछे के मनोविज्ञान को समझने में भी मदद करता है.

मूल्य-मात्रा का विश्लेषण भी बाजार निर्माताओं की गतिविधियों को इंगित करता है. टेक्निकल एनालिसिस का एक और प्रमुख लाभ यह है कि यह रुझान के पलटने पर शुरुआती चेतावनी के संकेत देता है.

गहराई से जानकारियां उपलब्ध कराता है
टेक्निकल चार्ट उन तमाम सूचनाओं को प्रदान करते हैं जो ट्रेडर्स और निवेशकों को अपनी जगह बनाने और ट्रेड्स को मजबूत बनने में मदद कर सकती हैं. मार्केट अस्थिरता के बारे में जानकारी, ट्रेडर के मनोविज्ञान की जानकारी और बाजार की गति इत्यादि. टेक्निकल एनालिसिस द्वारा प्रदान की जाने वाली इस तरह की जानकारियों के कुछ उदाहरण हैं.

टेक्निकल एनालिसिस स्विंग ट्रेडिंग, लघु अवधि के ट्रेड और दीर्घकालिक निवेश के लिए सहायक है और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में ट्रेडर्स द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

टेक्निकल एनालिसिस एक कला और विज्ञान है और यह सभी ट्रेडर्स के लिए एक प्रभावी इक्पिमेंट है. इसे व्यवस्थित करने से ट्रेडर्स को शेयर बाजार में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.


(इस लेख में दी गई सलाह विश्लेषकों की अपनी निजी राय है. ईटी मार्केट्स का इससे सहमत होना अनिवार्य नहीं है. शेयरों में किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से राय अवश्य लें.)

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