निवेश रणनीति

निवेश रणनीति
में वित्त , एक निवेश रणनीति के नियम, व्यवहार या प्रक्रियाओं, एक की एक निवेशक के चयन के लिए गाइड करने के लिए बनाया का एक सेट है निवेश पोर्टफोलियो । व्यक्तियों के अलग-अलग लाभ उद्देश्य होते हैं, और उनके व्यक्तिगत कौशल अलग-अलग रणनीति और रणनीतियों को उपयुक्त बनाते हैं। [१] कुछ विकल्पों में जोखिम और प्रतिफल के बीच समझौता शामिल है। अधिकतर निवेशक बीच में कहीं गिर जाते हैं, उच्च रिटर्न की उम्मीद के लिए कुछ जोखिम स्वीकार करते हैं।
क्या है आपकी निवेश रणनीति
बाजार में निवेश करने के लिए जरूरी है कि अपनी जरूरतों के मुताबिक रणनीति अपनाई जाए।
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शेयर बाजार में फायदेमंद निवेश करने के लिए जरूरी है कि अपनी जरूरतों के मुताबिक रणनीति अपनाई जाए। अवधि, जोखिम, लक्ष्य को ध्यान में रखकर निवेश की रणनीति तय करें।
वैल्यू इंवेस्टिंग
वैल्यू इंवेस्टिंग को सबसे सफल निवेश रणनीति माना जाता है। इसमें मूल्यांकन से कम भाव पर मिल रहे शेयरों को ढूंढकर निवेश किया जाता है। किसी शेयर का सही मूल्य पता करने के लिए कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें, जैसे
- कंपनी की न्यूनतम बिक्री का लक्ष्य क्या है
- कंपनी के एसेट उसकी कर्जों के दोगुने होने चाहिए
- पिछले 5 सालों का रिटर्न
- शेयर का भाव पीई रेश्यो से ज्यादा न हो
- कंपनी के पास नकद होना जरूरी है
वॉरेन बुफे और बेंजामिन ग्राहम वैल्यू इंवेस्टिंग में विश्वास रखते थे।
ग्रोथ इंवेस्टिंग
ग्रोथ इंवेस्टिंग में ऐसी कंपनी को ढूंढा जाता है, जिसकी ग्रोथ सेक्टर के मुकाबले ज्यादा रहने के संकेत मिल रहे हों। कंपनी का चुनाव करते वक्त कारोबार, मैनेजमेंट, मार्जिन, उत्पाद पर ध्यान दिया जाता है।
फिलिप फिशर की पसंदीदा निवेश रणनीति ग्रोथ इंवेस्टिंग थी।
बार्गेन हंटिंग
भारी गिरावट वाले शेयर में खरीदारी करने को बार्गेन हंटिंग कहते हैं। इसमें अच्छे शेयरों को सस्ते में खरीदा जाता है। शेयर में तेजी आते ही मुनाफावसूली की जाती है।
जॉन टेम्पल्टन ने बार्गेन हंटिंग की शुरुआत की थी।
चेज यूअर इंवेस्टमेंट्स
चेज यूअर इंवेस्टमेंट्स मतलब है ऐसी कंपनी या कारोबार ढूंढना जिसके बारे में बाजार को पता नहीं है। इस तरह से निवेश करके ज्यादा रिटर्न कमाए जा सकते हैं।
चेज यूअर इंवेस्टमेंट्स पीटर लिंच की पसंदीदा रणनीति थी।
कंट्रेरियन अप्रोच
कंट्रेरियन अप्रोच में ऐसे शेयरों में निवेश किया जाता है जो बाजार को ज्यादा पसंद ना हों। इस निवेश रणनीति में किसी भी सेक्टर के सबसे सस्ते शेयर में निवेश किया जाता है। इस रणनीति का आधार है कि किसी अच्छी खबर से दिग्गज शेयरों के मुकाबले कम पसंद शेयरों को ज्यादा फायदा मिलता है। वैसे ही, बुरी खबर का असर दिग्गज शेयरों के मुकाबले कम पसंद शेयरों पर कम पड़ता है।
इस लेख के लेखक अनिल रेगो हैं, जो निवेश सलाहकार हैं।
मौजूदा निवेश रणनीति से अगले दो दशक तक जारी रह सकती है 8% की तेज ग्रोथ: रेल मंत्री
केंद्रीय मंत्री के अनुसार इस तेज ग्रोथ से हर साल 1 से 1.5 करोड़ नये रोजगार दिये जा सकेंगे औरहर साल 3 से साढ़े 3 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला जा सकेगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Mar 26, 2022 | 7:13 PM
सरकार की मौजूदा पूंजी निवेश रणनीति से भारत की अर्थव्यवस्था (Economy) अगले दो दशक में लगातार 8 प्रतिशत की ग्रोथ (GDP Growth) बनाए रख सकती है. ये भरोसा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जताया है. केन्द्रीय मंत्री के मुताबिक सरकार की पूंजी निवेश (capital investment) रणनीति से विकास दर को न केवल निरंतरता के साथ रफ्तार दी जा सकेगी साथ ही इसकी मदद से हर साल 1.5 करोड़ नौकरियां मिलेंगी और 3.5 करोड़ लोगों को गरीबी की रेखा से बाहर निकाला जा सकेगा. रेल मंत्री ने ये बात एसोचैम की सालाना बैठक में कही. उन्होने कहा कि सरकार ने बजट में अगले 5 साल के लिये कैपिटल इनवेस्टमेंट का स्तर जीडीपी के 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है.
निवेश बढ़ने से तेज होगी ग्रोथ
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अगर हम कैपिटल इनवेस्टमेंट की रणनीति को अगले 5 से 6 साल और जारी रखते हैं तो हम अगले 20 सालों में 8 प्रतिशत की निरंतर ग्रोथ हासिल कर सकते हैं. इस ग्रोथ का मतलब होगा कि हम हर साल 1 से 1.5 करोड़ नये रोजगार दे सकेंगे और साथ ही हर साल 3 से साढ़े 3 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला जा सकेगा. इस रणनीति की मदद से हम अपने समाज में काफी बड़ा बदलाव ला सकेंगे. मंत्री ने कहा कि काफी समय से हम खपत आधारित अर्थव्यवस्था रहे हैं और अब प्रधानमंत्री ने कई बड़े अर्थशास्त्रियों की अनिच्छा के बावजूद पूंजी निवेश बढ़ाने का रास्ता अपनाया है. केन्द्रीय मंत्री के मुताबिक कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं बड़े अर्थशास्त्रियों की सलाहों पर चल रही थीं और अब वो बुरी स्थिति में हैं. हालांकि देश की सरकार ने अब निवेश, सीमित खर्च, सुधार और निजी कंपनियों को प्रोत्साहन का रास्ता अपनाया निवेश रणनीति है. अमेरिका जापान, चीन और साउथ कोरिया पूंजी निवेश की इसी राह पर लगातार चल रहे हैं.
सरकार का पूंजी निवेश बढ़ाने पर फोकस
केन्द्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि वित्त वर्ष 2021 के अंत तक देश की नॉमिनल जीडीपी 198 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर थी. जिसे बढ़ाकर 225 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य था. 198 लाख करोड़ रुपये में से करीब 116 लाख करोड़ रुपये खपत के जरिये आया था जो कि जीडीपी का 59 प्रतिशत है और 53 लाख करोड़ रुपये निवेश से आया था जो कि जीडीपी का 27 प्रतिशत है.सरकार ने यह विश्लेषण करने के बाद कि उसकी देनदारी सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 60 प्रतिशत है, पूंजी निवेश बढ़ाने का फैसला किया. पिछले साल के बजट में 5.5 लाख करोड़ रुपये पूंजी निवेश का फैसला लिया गया था उनके मुताबिक पिछले साल नॉमिनल जीडीपी 225 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर 232 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूंजी निवेश का असर अब दिख रहा है इसी वजह से सरकार ने अब पूंजी निवेश का स्तर बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में 22.5 लाख करोड़ रुपये जुड़ने का अनुमान है.
Money Making Idea: इस तरह बनाएं निवेश की रणनीति, मिलेगा शानदार रिटर्न और होंगे सभी सपने पूरे
Money Making Idea:अगर, लॉन्ग टर्म इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो अपने पोर्टफोलियो में 50 से 55 फीसदी इक्विटी शामिल करें।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: August 25, 2022 14:35 IST
Photo:INDIA TV Money Making Idea
Highlights
- इक्विटी में ब्लूचिप कंपनियों के शेयर खरीदें
- पहले किए हुए इन्वेस्टमेंट को रिव्यू करें
- फोर्टफोलियो बनाने के लिए सही प्लानिंग करें
Money Making Idea: किसी भी इंसान के लिए पैसे कमाना ही काफी नहीं है। उसे पैसे को सही जगह निवेश करना भी जरूरी है। अगर आपको निवेश की सही रणनीति नहीं पता निवेश रणनीति है तो आप अपने सपने को पूरा करने से चूक जाते हैं। आज हम आपको सही निवेश के तरीके बता रहे हैं। इनको फाॅलो कर आप आसानी से अपने निवेश पर बंपर रिटर्न ले पाएंगे। साथ ही समय से पहले अपने सभी निवेश रणनीति सपने को पूरा कर लेंगे।
इस तरह बनाएं पोर्टफोलियो
अगर, लॉन्ग टर्म इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो अपने पोर्टफोलियो में 50 से 55 फीसदी इक्विटी शामिल करें। इक्विटी में ब्लूचिप कंपनियों के शेयर खरीदें। इक्विटी को पोर्टफोलियो में शामिल करने का फायदा शेयर मार्केट की रैली में मिलेगा। इन्वेस्टर इक्विटी के अलावा 40 से 45 फीसदी इन्वेस्ट डेट म्युचुअल फंड, 5 साल के लिए फि़क्स्ड डिपॉजिट, स्मॉल सेविंग की कुछ स्कीम्स में निवेश कर अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस कर सकते हैं। इस तरह का पोर्टपोलियो रिस्क फ्री के साथ ही बेहतर रिटर्न दिलाने में मददगार होगा।
इन्वेस्टमेंट को रिव्यू करें
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि आप पहले किए हुए इन्वेस्टमेंट को रिव्यू करें। पिछले इन्वेस्टमेंट का प्रर्दशन कैसा रहा है? क्या आपके फाइनेंशियल गोल्स हुए? कौन से इन्वेस्टमेंट ने बेहतर रिटर्न दिया और किसने नहीं दिया? ऐसा कर आप इन्वेस्टमेंट फोर्टफोलियो बनाने के लिए सही प्लानिंग कर सकते हैं।
स्मॉल सेविंग स्कीम्स अभी भी आकर्षक
सरकार द्वारा स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती के बावजूद अभी भी यह निवेश के लिए आकर्षक है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि अगर निवेशक लॉन्ग टर्म के लिए प्लानिंग कर रहे हैं तो उसको लार्ज कैप शेयरों की हिस्सेदारी अपने पोर्टफोलियो में अधिक शामिल करनी चाहिए। इक्विटी में लार्ज कैप शेयरों की हिस्सेदारी 40 से 50 फीसदी तक होनी चाहिए। इसके साथ स्मॉल सेविंग स्कीम्स के टूल्स पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), सीनियर सिटीजन स्कीम, फि़क्स्ड डिपॉजिट, डेट म्युचुअल फंड आदि को भी शामिल करना चाहिए। इक्विटी का रेश्यो पोर्टफोलियो में 50 फीसदी के आसपास हो सकता है। हालांकि, इसके लिए लार्ज कैप कंपनियों के शेयर लेना सही होगा। अगर, इन्वेस्टर रिस्क लेना चाहता है तो मिड कैप कंपनियों के शेयर का चुनाव कर सकता है।
शेयर बाजार में नुकसानदायक है 'महंगा खरीदो और सस्ता बेचो' की रणनीति, मुनाफा चाहिए तो हरगिज न करें ये गलतियां
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कुछ साल पहले एक्सिस म्यूचुअल फंड की एक स्टडी के हवाले से खबर थी कि निवेशक जिस फंड में निवेश करते हैं, उसके मुकाबले उनका अपना रिटर्न कम रहता है। सरसरी तौर पर देखने पर ये बात निवेश का गणित समझने वाले किसी भी शख्स को बेतुकी लगेगी। मगर करीब से देखेंगे तो समझ जाएंगे कि यहां क्या हो रहा है। इसे समझने का राज गणित में नहीं, बल्कि लोगों के व्यवहार में छुपा है।
स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, एएमसी ने पिछले 20 साल में, मार्च 2022 तक मिलने वाले म्यूचुअल फंड रिटर्न जांचा। इस अंतराल में, सक्रिय रूप से मैनेज किए गए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 19.1 प्रतिशत सालाना रिटर्न मिला था। मगर इन फंड्स के निवेशकों ने केवल 13.8 प्रतिशत ही कमाया था। ये एक बड़ा फर्क है। पिछले 20 साल में, 19.1 प्रतिशत का मतलब है, एक लाख रुपये का निवेश बढ़कर 33 लाख रुपये हो गया। वहीं, 13.8 प्रतिशत का मतलब है ये केवल 13.3 लाख ही हो पाया। ये जिंदगी बदल देने वाला फर्क है। इसी तरह, हाइब्रिड फंड्स ने 12.5 प्रतिशत रिटर्न दिया, मगर निवेशकों ने करीब 7.4 प्रतिशत कमाए। फिर से ये फर्क बहुत बड़ा है। एक लाख निवेश करने पर, असल में ये फर्क 10.5 लाख और 4.2 लाख का हुआ।
उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो
मेरे अनुभव में ये आम बात है। मुझे हमेशा ही लगता रहा है कि फंड को मिलने वाले असल मुनाफे के मुकाबले निवेशक कहीं कम मुनाफा कमाते हैं। पर ऐसा होता क्यों है? दरअसल, हम निवेशक अपने ही सबसे बड़े दुश्मन हैं। एक तरफ, हम निवेश के लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड चुनने पर अमादा रहते हैं। दूसरी तरफ हम फंड्स को गलत समय पर खरीदते और बेचते हैं। और ये काम कुछ इस तरह करते हैं कि मुनाफे के कम होने की गारंटी हो जाए। नतीजा ये होता है कि हम फंड तो अच्छे चुनते हैं, पर बैंक के फिक्स्ड डिपाडिट से बेहतर रिटर्न नहीं कमा पाते। बुनियादी तौर पर, इसे 'उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो' कहा जा सकता है।
इस जुमले का मतलब साफ है। लोग तभी निवेश करते हैं, जब इक्विटी मार्केट में उत्साह छाया हो। यानी जब दाम पहले ही आसमान छू रहे होते हैं। फिर बेचते तब हैं जब इक्विटी के दाम क्रैश कर रहे होते हैं। कुल मिला कर इसका मतलब हुआ, 'महंगा खरीदो, सस्ता बेचो'। ये उसके ठीक उलट है जो किया जाना चाहिए। बजाए निवेश की 'श्रेष्ठ' रणनीति पता करने के, ऐसा व्यवहार निवेश की 'निकृष्ट' रणनीति की तरफ ले जाता है।
न करें ये गलतियां
नोट करें कि यहां म्यूचुअल फंड्स की बात सिर्फ इसलिए हो रही है, क्योंकि बात शुरू ही हुई थी एक म्यूचुअल फंड कंपनी की स्टडी से। यही बात इक्विटी निवेशकों पर भी लागू होती ही। हालांकि इक्विटी में इस तरह की साफ सुथरी तुलना मुश्किल है। असल में, स्टाक में दो तरह की गलतियां होती निवेश रणनीति हैं, पहली है जल्दी बेच देना और दूसरी है बेचने में बहुत देर कर देना। और हां, स्टाक निवेश एक अलग तरह का निवेश भी है।
लोग स्टाक खरीदते हैं, और जब उन्हें लगता है कि ये उतना बढ़ गया है जितना बढ़ सकता था, तब वो उसे बेच देते हैं और इस तरह से अपना मुनाफा भुना लेते हैं। असल में, उन्हें लगता है कि ऐसा न करने से उनका मुनाफा हाथ से निकल जाएगा, या कम हो जाएगा। और बाद में पछताना पड़ सकता है या नुकसान की शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है जो बुरी बात होगी।
निवेशकों का मनोविज्ञान
मुनाफे को कुछ जल्दी भुना लेने में, निवेशक जीत पक्की करने के लिए प्रेरित होते हैं। और किसी खराब निवेश को बनाए रखने में उनकी प्रेरणा हार से बचने की होती है। काश, कह पाता कि एक बार निवेशक इस मुश्किल को समझ लेते, तो वो इन गलतियों से बचने के लिए कदम उठा सकते हैं। मगर जिन गलतियों की जड़ें निवेशकों के मनोविज्ञान से जुड़ी हों, उसे समझ जाने के बावजूद ठीक कर पाना आसान नहीं होता।
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)