मूल्य सीमाएं

आज रात बंद हो जाएगी भारत-नेपाल सीमा, दिन में ही निपटा लें काम; जानें क्यों लिया गया फैसला
भारत और नेपाल दोनों पड़ोसी देश एक बहुत ही समृद्ध और पुरातन संस्कृति से जुड़े हुए हैं. दोनों देशों के सांस्कृति मूल्य एक से हैं और पूजा पद्वतियां भी मिलती जुलती हैं. अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासक रिश्तों के मद्देनजर दोनों देशों ने अपनी सीमाओं को खुला रखा है. यानी भारत से नेपाल और नेपाल से भारत आना एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने जैसा आसान है. दोनों देशों के निवासियों को पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता नहीं होती.
सीमा के दोनों तरफ से लोग काम और व्यापार के लिए रोज सीमा पार करते हैं. सीमाएं खुली होने की कई चुनौतियां भी हैं, लेकिन दोनों देश आज भी सीमाओं को खुला रखने के फैसले पर अडिग हैं. लेकिन कई बार ऐसे मौके जरूर आते हैं, जब इस सीमा को बंद कर दिया जाता है और सीमा पार लोगों की आवाजाही रोक दी जाती है. ऐसा ही एक अवसर अब आन पड़ा है.
नेपाल में आम चुनाव से पहले आज यानी गुरुवार 17 नवंबर को आधी रात से भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा को अगले 72 घंटों के लिए सील कर दिया जाएगा. इसका निर्णय भारत और नेपाल के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया.
बिहार और उत्तर प्रदेश की नेपाल के साथ लंबी सीमाएं हैं और दोनों देशों के लोगों को सीमा पार करने के लिए वीजा या पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती है. चुनाव आयोग के उप-सचिव सह प्रवक्ता कमल भट्टराई ने भारत के गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है.
इस फैसले मूल्य सीमाएं मूल्य सीमाएं के बाद 17 नवंबर की आधी रात से इन दोनों देशों के बीच लोगों को आने-जाने की इजाजत नहीं होगी. नेपाल में 20 नवंबर को मतदान होना तय है. यदि कोई व्यक्ति हवाई मार्ग से नेपाल की यात्रा पर जाता है, तो उसे तो उसे पासपोर्ट और टिकट दिखाना होगा.
अधिकारी ने कहा कि मूल्य सीमाएं एंबुलेंस, पानी के टैंकर, दूध के टैंकर, दमकल आदि सहित आपातकालीन सेवाओं को इस दौरान सीमा पार करने की छूट दी गई है.
ग्रे ग्रेनाइट बाहरी सजावटी सीमाएं दीवार मोल्डिंग
सामग्री:ग्रे ग्रेनाइट
रंग:हल्का ग्रे
सतह खत्म:होनड
आकार और डिजाइन:अनुकूलित आकार।
उपयोग:आंतरिक सजावट, बाहरी सजावट
पैकेज:इनर पैकिंग: प्लास्टिक की फिल्म और फोम
बाहरी पैकिंग: लकड़ी के टोकरे
ग्रे ग्रेनाइट बाहरी सजावटी सीमाएं दीवार मोल्डिंग
सतह समाप्त
आपकी आवश्यकताओं के अनुसार पोलिश, होन या अन्य प्रक्रिया
पत्थर सामग्री
प्राकृतिक संगमरमर और ग्रेनाइट, स्लेट, चूना पत्थर, बलुआ पत्थर
प्रयोग
आंतरिक सजावट के लिए सूट, प्रत्येक कंपनी की संस्कृति के साथ गठबंधन
MOQ
डिलीवरी का समय
आमतौर पर 15-20 दिनों के कार्य दिवसों के बाद आपकी जमा राशि प्राप्त हुई
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धान के अवैध परिवहन को लेकर प्रशासन सख्त, छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों से लगी सीमाएं होंगी सील… 1 दिसम्बर से शुरू होगी समर्थन मूल्य सीमाएं मूल्य पर खरीदी
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों से छत्तीसगढ़ में धान के अवैध परिवहन की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को पड़ोसी राज्यों से धान के अवैध परिवहन पर कड़ाई से अंकुश लगाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि पड़ोसी राज्यों से लगने वाली राज्य की सीमाओं को सील किया जाए और सीमावर्ती इलाकों में धान का अवैध परिवहन रोकने के लिए लगातार कड़ी निगरानी सुनिश्चित की जाए और धान का अवैध परिवहन करने वालों पर कठोरता से कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के किसी भी किसानों को धान के परिवहन के दौरान किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में किसानों के समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी में 1 दिसम्बर से प्रारंभ हो रही है। छत्तीसगढ़ में किसानों को सीमावर्ती राज्यों मूल्य सीमाएं की तुलना में धान की अच्छी कीमत मिल रही है।
किसानों को धान का समर्थन मूल्य मिलने के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है। इस वजह से धान खरीदी के सीजन में हर वर्ष सीमावर्ती राज्यों से धान के अवैध परिवहन की शिकायतें मिलती हैं, जिस पर कड़ाई से अंकुश लगाने की जरूरत है, जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों को इस योजना का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष किसानों से समर्थन मूल्य पर लगभग 105 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी का अनुमान है। प्रदेश में लगभग 2311 से अधिक सहकारी समिति केन्द्रों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जाएगी। इस वर्ष 1.13 लाख नए किसानों ने पंजीयन कराया है। अभी तक धान विक्रय के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या 22 लाख 66 हजार से अधिक हो गई है।
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मूल्य सीमाएं
- अनिवार्य वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 5 जून, 2020 को जारी किया गया। यह अध्यादेश अनिवार्य वस्तुएं एक्ट, 1955 में संशोधन करता है। एक्ट केंद्र सरकार को कुछ वस्तुओं के उत्पादन, सप्लाई, वितरण, व्यापार और वाणिज्य को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। अध्यादेश कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि करने का प्रयास करता है। इसका लक्ष्य रेगुलेटरी प्रणाली को उदार बनाना और उपभोक्ताओं के हितों का रक्षा करना है।
- खाद्य पदार्थों का रेगुलेशन: एक्ट केंद्र सरकार को कुछ वस्तुओं (जैसे खाद्य पदार्थ, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पाद) को अनिवार्य वस्तुओं के रूप में निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है। केंद्र सरकार ऐसी अनिवार्य वस्तुओं के उत्पादन, सप्लाई, वितरण, व्यापार और वाणिज्य को रेगुलेट या प्रतिबंधित कर सकती है। अध्यादेश में यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार केवल असामान्य परिस्थितियों में कुछ खाद्य पदार्थों, जैसे अनाज, दालों, आलू, प्याज, खाद्य तिलहन और तेलों की सप्लाई को रेगुलेट कर सकती है। इन परिस्थितियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) युद्ध, (ii) अकाल, (iii) असामान्य मूल्य वृद्धि, और (iv) गंभीर प्रकृति की प्राकृतिक आपदा।
- स्टॉक लिमिट लागू करना: एक्ट के अंतर्गत केंद्र सरकार यह रेगुलेट कर सकती है कि कोई व्यक्ति किसी अनिवार्य वस्तु का कितना स्टॉक रख सकता है। अध्यादेश में यह अपेक्षा की गई है कि विशिष्ट वस्तुओं की स्टॉक की सीमा मूल्य वृद्धि पर आधारित होनी चाहिए। स्टॉक की सीमा निम्नलिखित स्थितियों में लागू की जा सकती है: (i) अगर बागवानी उत्पाद के रीटेल मूल्य में 100% की वृद्धि होती है, और (ii) नष्ट न होने वाले कृषि खाद्य पदार्थों के रीटेल मूल्य में 50% की वृद्धि होती है। वृद्धि की गणना, पिछले 12 महीने के मूल्य, या पिछले पांच महीने के औसत रीटेल मूल्य (इनमें से जो भी कम होगा) के आधार पर की जाएगी।
- अध्यादेश में प्रावधान है कि कृषि उत्पाद के प्रोसेसर या वैल्यू चेन के हिस्सेदार व्यक्ति पर स्टॉक की सीमा लागू मूल्य सीमाएं नहीं होगी, अगर उस व्यक्ति का स्टॉक निम्नलिखित से कम है: (i) प्रोसेसिंग की इंस्टॉल्ड क्षमता की सीमा, या (ii) निर्यातक की स्थिति में निर्यात की मांग। वैल्यू चेन के हिस्सेदार का अर्थ है, ऐसा व्यक्ति जो उत्पादन में संलग्न है या कृषि उत्पाद की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज, परिवहन या वितरण के किसी चरण में उसका मूल्य संवर्धन करता है।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली की एप्लिकेबिलिटी: अध्यादेश के खाद्य पदार्थों के रेगुलेशन मूल्य सीमाएं और स्टॉक लिमिट को लागू करने से संबंधित प्रावधान सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित सरकारी आदेश पर लागू नहीं होंगे। इन प्रणालियों के अंतर्गत सरकार पात्र व्यक्तियों को रियायती कीमतों पर खाद्यान्न वितरित करती है।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस मूल्य सीमाएं एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
प्याज की न्यूनतम निर्यात मूल्य सीमा खत्म
सरकार के इस कदम से घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी. इससे देश में किसानों को फायदा होगा.
सरकार का कहना है कि इससे न केवल निर्यात कारोबारियों को फायदा मिलेगा, बल्कि किसानों को भी लाभ होगा. भारतीय प्याज निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्याज की बिक्री करने में आसानी होगी.
उसका कहना है कि प्याज के निर्यात पर से न्यूनतम समर्थन मूल्य की सीमा हटाने से किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे और अगले साल इसका रकबा बढ़ने की उम्मीद बनेगी.
कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हाल ही में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि अगर प्याज का औसत थोक मूल्य 2000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे आ जाता है तो प्याज पर एमईपी को खत्म कर दिया जाएगा. अब थोक प्याज की औसत कीमत घटकर 1500 रुपए प्रति क्विंटल रह गई है इसलिए तत्काल प्याज पर एमईपी को खत्म करने का फैसला लिया गया है.
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