क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है

Bitcoin के भविष्य को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया बड़ा बयान
केंद्र की तरफ से मंगलवार को कहा गया कि बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टो करेंसी (गुप्त लेन-देन में इस्तेमाल होने वाली मुद्राएं) भारत में वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) नहीं हैं. साथ ही कहा गया कि इनके विनिमयन की मांग पर सरकार की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति जांच कर रही है.
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है दिया बयान
- देश में 11 % व्यापार वैश्विक क्रिप्टो करेंसी में होता है
- फिलहाल करीब 785 आभासी मुद्राएं चल रही हैं
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नई दिल्ली : केंद्र की तरफ से मंगलवार को कहा गया कि बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टो करेंसी (गुप्त लेन-देन में इस्तेमाल होने वाली मुद्राएं) भारत में वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) नहीं हैं. साथ ही कहा गया कि इनके विनिमयन की मांग पर सरकार की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति जांच कर रही है. राज्यसभा में प्रश्न काल के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने द्रमुक सदस्य कनिमोझी के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञ समिति विशिष्ट कार्रवाइयों को सुझाने के लिए क्रिप्टो करेंसी से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रही है.
वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि 2013 से 2017 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार का रुख बहुत साफ रहा है कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं. कनिमोझी ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार बिटकॉइन और एथिरियम जैसी क्रिप्टो करेंसियों को विनियमित करने के संबंध में विचार कर रही है, क्योंकि भारत में 11 प्रतिशत से अधिक व्यापार वैश्विक क्रिप्टो करेंसी में होता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी का एक पहलू यह है कि उनमें सरकार पर निर्भरता का अभाव है. यह गोपनीय तरीके से काम करती है. यह आभासी समुदाय की ओर से सृजित की जाती है और उन्हीं के बीच आपसी विश्वास के आधार पर इस्तेमाल होती है. यह ब्लॉग, व्हाट्सऐप ग्रुप जैसी चीजों के जरिए ऑनलाइन संचालित हो रहा है. उन्होंने बताया कि दुनिया में कई क्रिप्टो करेंसियां हैं. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में करीब 785 आभासी मुद्राएं चल रही हैं. भारत में ऐसे क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है 11 लेन-देन की पहचान की गई है.
वित्त मंत्री ने कहा कि 2016 में गठित एक अंतर-विभागीय समिति ने मामले पर गौर किया और उसने तय किया कि कुछ सावधानियां बरतनी होंगी. ऐसी गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों को चेतावनी देनी होगी कि यह कानूनी नहीं है. इन पर काम किया जा रहा है. निर्दलीय राजीव चंद्रशेखर ने क्रिप्टो करेंसियों से ही जुड़ा सवाल किया कि क्या सरकार विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है आने तक बैंकों एवं क्रेडिट कार्ड एजेंसियों को निर्देश देगी कि वे क्रिप्टो करेंसियों में होने वाली लेन-देन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाएं.
इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि बाद में यह तय किया जा सके कि इस बाबत कौन-कौन से कदम उठाने हैं. दुनिया में क्रिप्टो करेंसियों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण तत्काल कोई कार्रवाई करने क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है की बजाय हमें रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए.
बिटकॉइन पर सल्वाडोर की अपील विश्व बैंक ने की खारिज, मंजूरी देने वाला इकलौता देश
नई दिल्ली, 17 जून। विश्व बैंक ने बुधवार को कहा कि पर्यावरण और पारदर्शिता की कमियों को देखते हुए वह अल सल्वाडोर के बिटकॉइन कार्यान्वयन में मदद नहीं कर सकता। विश्व बैंक के प्रवक्ता ने ईमेल के माध्यम से कहा, "हम मुद्रा पारदर्शिता और नियामक प्रक्रियाओं सहित कई तरीकों से अल सल्वाडोर की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
हाल ही में मध्य अमेरिकी देश एल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) के रूप में मान्यता की थी। ऐसा करने वाला एल सल्वाडोर पहला और इकलौता देश है।
विश्व बैंक का मदद से इनकार
विश्व बैंक ने कहा "सल्वाडोर सरकार ने बिटकॉइन पर सहायता के लिए हमसे संपर्क किया था लेकिन विश्व बैंक पर्यावरण और पारदर्शिता की कमियों को देखते हुए विश्वबैंक इसका समर्थन नहीं कर सकता है।"
बुधवार को सल्वाडोर के वित्त मंत्री एलेजांद्रो जेलया ने कहा कि सल्वाडोर ने बैंक से तकनीकी सहायता मांगी है क्योंकि वह बिटकॉइन को अमेरिकी डॉलर के साथ समानांतर वैध करेंसी के रूप में इस्तेमाल करना चाहता है।
मंत्री जेलया ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ चल रही बातचीत सफल रही है, हालांकि आईएमएफ ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसने देश में बिटकॉइन को अपनाने के साथ "व्यापक आर्थिक, वित्तीय और कानूनी मुद्दों" को देखा है।
ज़ेलया ने बुधवार को कहा कि आईएमएफ बिटकॉइन के कार्यान्वयन के "खिलाफ नहीं" था। रायटर्स की खबर के मुताबिक आईएमएफ ने इस टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं दिया है।
एल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को दी मान्यता
एल सल्वाडोर की कांग्रेस ने 9 जून को एक बिल को मंजूरी दी थी जिसके बाद बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता मिल गई थी। साथ ही राष्ट्रपति नायब बुकेले ने घोषणा की कि अल सल्वाडोर में बिटकॉइन का निवेश करने वाले लोगों को देश की नागरिकता मिलेगी।
एल सल्वाडोर के बिटकॉइन को वैध मुद्रा का दर्जा देने के बाद ये माना जा रहा था कि इस लागू कर पाना आसान नहीं होगा। दरअसल एल सल्वाडोर की अपनी कोई करेंसी नहीं है। इस मध्य अमेरिकी देश में अमेरिकी डॉलर को आधिकारिक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
Bitcoin के भविष्य को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया बड़ा बयान
केंद्र की तरफ से मंगलवार को कहा गया कि बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टो करेंसी (गुप्त लेन-देन में इस्तेमाल होने वाली मुद्राएं) भारत में वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) नहीं हैं. साथ ही कहा गया कि इनके विनिमयन की मांग पर सरकार की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति जांच कर रही है.
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में दिया बयान
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- फिलहाल करीब 785 आभासी मुद्राएं चल रही हैं
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नई दिल्ली : केंद्र की तरफ से मंगलवार को कहा गया कि बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टो करेंसी (गुप्त लेन-देन में इस्तेमाल होने वाली मुद्राएं) भारत में वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) नहीं हैं. साथ ही कहा गया कि इनके विनिमयन की मांग पर सरकार की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति जांच कर रही है. राज्यसभा में प्रश्न काल के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने द्रमुक सदस्य कनिमोझी के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञ समिति विशिष्ट कार्रवाइयों को सुझाने के लिए क्रिप्टो करेंसी से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रही है.
वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि 2013 से 2017 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार का रुख बहुत साफ रहा है कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं. कनिमोझी ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार बिटकॉइन और एथिरियम जैसी क्रिप्टो करेंसियों को विनियमित करने के संबंध में विचार कर रही है, क्योंकि भारत में 11 प्रतिशत से अधिक व्यापार वैश्विक क्रिप्टो करेंसी में होता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी का एक पहलू यह है कि उनमें सरकार पर निर्भरता का अभाव है. यह गोपनीय तरीके से काम करती है. यह आभासी समुदाय की ओर से सृजित की जाती है और उन्हीं के बीच आपसी विश्वास के आधार पर इस्तेमाल होती है. यह ब्लॉग, व्हाट्सऐप ग्रुप जैसी चीजों के जरिए ऑनलाइन संचालित हो रहा है. उन्होंने बताया कि दुनिया में कई क्रिप्टो करेंसियां हैं. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में करीब 785 आभासी मुद्राएं चल रही हैं. भारत में ऐसे 11 लेन-देन की पहचान की गई है.
वित्त मंत्री ने कहा कि 2016 में गठित एक अंतर-विभागीय समिति ने मामले पर गौर किया और उसने तय किया कि कुछ सावधानियां बरतनी होंगी. ऐसी गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों को चेतावनी देनी होगी कि यह कानूनी नहीं है. इन पर काम किया जा रहा है. निर्दलीय राजीव चंद्रशेखर ने क्रिप्टो करेंसियों से ही जुड़ा सवाल किया कि क्या सरकार विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने तक बैंकों एवं क्रेडिट कार्ड एजेंसियों को निर्देश देगी कि वे क्रिप्टो करेंसियों में होने वाली लेन-देन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाएं.
इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि बाद में यह तय किया जा सके कि इस बाबत कौन-कौन से कदम उठाने हैं. दुनिया में क्रिप्टो करेंसियों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण तत्काल कोई कार्रवाई करने की बजाय हमें रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए.
जानिये क्या है रियल स्टेट डेवलपमेंट एक्ट
1 मई, 2016 को रियल एस्टेट डेवलपमेंट एक्ट, 2016 (“अधिनियम”) लगभग आठ वर्षों के बाद लागू हुआ था क्योंकि रियल एस्टेट कानून के प्रस्ताव को पहले रखा गया था. इस कानून का उद्देश्य अचल संपत्ति क्षेत्र में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए दक्षता और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना है. अधिनियम एक व्यापक कानून है जो अचल संपत्ति के खरीदारों और डेवलपर्स / बिल्डरों दोनों को लाभान्वित करता है.
परंपरागत रूप से अचल संपत्ति भारत में एक बेहतर निवेश एवेन्यू रहा है. एक लोकप्रिय निवेश विकल्प होने के बावजूद, अचल संपत्ति क्षेत्र भ्रष्टाचार के साथ असंगठित और प्रचलित है. हाल ही में नोटबंदी योजना के चलते, यह उम्मीद की जाती है कि अचल संपत्ति लेनदेन में काले धन का उपयोग भारी गिरावट आएगी.होम लोनपर उच्च ब्याज दरें भी आवास को सस्ती बनाने में पड़ी.
तो, इस अधिनियम से रियल्टी सेक्टर के तरीके पर असर डालने की उम्मीद कैसे की जाती है? यह अधिनियम रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (आरईआरए) के साथ 500 वर्ग मीटर और / या 8 इकाइयों से अधिक आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के पूर्व पंजीकरण अनिवार्य बनाता है. प्रमोटर को भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें पिछले पांच वर्षों में प्रमोटर की परियोजनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी, अनुमोदन की एक प्रमाणित प्रति और प्रारंभिक प्रमाणपत्र, संपत्ति के लिए कानूनी शीर्षक और परियोजना के पूरा होने की समय सारिणी शामिल है.
यह जानकारी तब तक जानी जा सकती है जब पंजीकरण वैध है और आरईआरए द्वारा बनाए गए वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया जाएगा. ना सिर्फ रियल एस्टेट परियोजनाओं बल्कि रियल एस्टेट एजेंटों को भी अधिनियम के तहत पंजीकृत होना चाहिए. रियल एस्टेट एजेंटों को अनियंत्रित परियोजनाओं की इकाइयों में काम करने से रोक दिया गया है.
घर खरीदारों के बीच एक और बड़ी चिंता यह है कि खरीदार से लिया गया अग्रिम धन बिल्डर द्वारा अपनी अन्य रियल एस्टेट परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस चिंता को हल करने के लिए, अधिनियम निर्धारित करता है कि सत्तर प्रतिशत राशि एक अलग खाते में जमा की जाएगी ताकि नियत बैंक की लागत और भूमि लागत को कवर किया जा सके और सिर्फ उस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाएगा. इसके अलावा, प्रमोटर बिक्री के लिए एक पंजीकृत समझौते को निष्पादित किए बिना बिक्री आय के 10% से अधिक राशि स्वीकार करने से प्रतिबंधित है.
अचल संपत्ति परियोजनाओं के खरीदार भी प्रमोटरों द्वारा स्वीकृत योजनाओं के निरंतर संशोधन / संशोधन / अतिरिक्तता से परेशान हैं जो संभवतः परियोजनाओं के पूरा होने में देरी का कारण बनेंगे. इस अधिनियम ने प्रमोटर को मंजूरी दे दी गई योजनाओं, लेआउट योजनाओं और इमारतों के विनिर्देशों या प्रोजेक्ट के विशिष्ट क्षेत्रों में आवंटन के कम से कम दो-तिहाई की पिछली लिखित सहमति के बिना परियोजना में किसी भी बदलाव या जोड़ करने से प्रतिबंधित करके इस मुद्दे को संबोधित किया है, प्रमोटर के अलावा, जो इस तरह के भवन में अपार्टमेंट लेने के लिए सहमत हो गए हैं. इसके अलावा, प्रमोटर भी खरीदार को यूनिट के कब्जे को सौंपने की तारीख से 5 (पांच) साल की अवधि के लिए किसी भी संरचनात्मक दोष को सुधारने के लिए उत्तरदायी है.
प्रमोटर को छोड़कर, और प्राधिकरण की पूर्व लिखित स्वीकृति के बिना दो तिहाई आवंटियों से पूर्व लिखित सहमति प्राप्त किए बिना किसी तीसरे पक्ष को रियल एस्टेट परियोजना के संबंध में अपने बहुमत अधिकारों और देनदारियों को स्थानांतरित करने या असाइन करने से भी प्रतिबंधित किया जाता है. अचल संपत्ति परियोजना के संबंध में सभी बीमा प्राप्त करने के लिए प्रमोटर की ज़िम्मेदारी भी है.
घर खरीदारों की प्रमुख चिंताओं में से एक उनके फ्लैट के कब्जे में देरी है. अधिनियम प्रमोटर के लिए कड़े दंड लगाता है अगर वह अपार्टमेंट, साजिश या इमारत के समय पर कब्जा करने में नाकाम रहता है. अगर क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है खरीदार देरी के मामले में परियोजना से हटना चाहता है, तो प्रमोटर उस अपार्टमेंट, साजिश, भवन के संबंध में उसके द्वारा प्राप्त राशि को वापस करने के लिए उत्तरदायी है, जैसा मामला हो, इस तरह की दर पर ब्याज के साथ इस अधिनियम के तहत प्रदान की गई तरीके से मुआवजे सहित इस ओर निर्धारित किया जा सकता है. यदि खरीदार इस परियोजना से वापस नहीं हटना चाहता है, तो उसे प्रमोटर द्वारा, देरी के हर महीने के लिए ब्याज का भुगतान किया जाएगा, इस तरह की दर पर निर्धारित किया जा सकता है. प्रमोटर जमीन के दोषपूर्ण शीर्षक के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के मामले में खरीदारों को क्षतिपूर्ति करेगा, जिस पर परियोजना विकसित की जा रही है या विकसित किया गया है.
कानून अच्छी तरह से संतुलित लगता है क्योंकि यह समय पर बकाया भुगतान नहीं करने के लिए एक खरीदार पर जुरमाना लगाने का भी प्रस्ताव करता है. साथ ही, खरीदार के पास कोई समस्या होने पर निर्माता को नियामक से संपर्क करने का अवसर मिलेगा. अधिक पारदर्शिता इस क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देगी और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करेगी.
अगर किसी प्रमोटर को अधिनियम के उल्लंघन में काम करने का दोषी पाया जाता है, तो आरईआरए को पहले दिए गए पंजीकरण को रद्द करने का क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है अधिकार है जो प्रमोटर को अपनी वेबसाइट तक पहुंचने से वंचित कर देगा.
अधिनियम विवादों के त्वरित निवारण के लिए हर राज्य में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना और निगमन के लिए भी प्रदान करता है. यह अधिनियम आरईआरए के फैसलों, दिशानिर्देशों या आदेशों से अपील सुनने के लिए एक रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (आरईएटी) भी स्थापित करता है.
यह अधिनियम घरेलू खरीदारों द्वारा सामना की जाने वाली आम समस्याओं का समाधान करने का वादा करता है. यह आवास की कीमतों को स्थिर करने और संपत्ति के समय पर कब्जा सुनिश्चित करने की संभावना है. हाल ही में उच्च प्रोफ़ाइल बिल्डरों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने परियोजनाओं के वितरण में देरी के मामले में खरीदार को क्षतिपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं, जिससे खरीदारों के आत्मविश्वास में और वृद्धि होती है.
(Lawzgrid – इस लिंक पर जाकर आप ऑनलाइन अधिवक्ता मुहैया कराने वाले एप्लीकेशन मोबाइल में इनस्टॉल कर सकते हैं, कोहराम न्यूज़ के पाठकों के लिए यह सुविधा है की बेहद कम दामों पर आप वकील हायर कर सकते हैं, ना आपको कचहरी जाने की ज़रूरत है ना किसी एजेंट से संपर्क करने की, घर घर बैठे ही अधिवक्ता मुहैया हो जायेगा.)