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विदेशी मुद्रा बाजार में प्रवेश

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नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

शेयर समीक्षा: वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा, इस वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

नई दिल्ली। स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे। रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी।

इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया। डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा। इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।

वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा, डेरिवेटिव निपटान की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया। डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा। इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।

Economy शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 66 पैसे टूटा

मुंबई: विदेशी बाजारों में अमेरिकी मु्द्रा की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती के बीच रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 66 पैसे टूटकर 81.57 पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.41 पर खुला, और फिर गिरावट के साथ 81.57 पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 66 पैसे की कमजोरी दर्शाता है।

रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 37 पैसे की तेजी के साथ 80.91 पर बंद हुआ था। इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.17 प्रतिशत बढ़कर 106.58 पर पहुंच गया। (एजेंसी)

US Dollar के मुकाबले फिर 39 पैसे गिरा रुपया, 1 डॉलर की कीमत 81.30 रुपये

निराशाजनक व्यापार आंकड़ों और विदेशी निधि के विदेशी मुद्रा बाजार में प्रवेश बहिर्वाह पर बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 34 पैसे की गिरावट के साथ 81.25 (अनंतिम) पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने का नकारात्मक पूर्वाग्रह स्थानीय इकाई पर तौला गया। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में, स्थानीय इकाई 81.41 पर खुली और बाद में सत्र के दौरान 81.23 के उच्च स्तर और 81.58 के निचले स्तर पर रही।

घरेलू इकाई अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 81.25 पर बंद हुई, जो पिछले बंद के मुकाबले 34 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे की मजबूती के साथ 80.91 पर बंद हुआ था। वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने और कमजोर एशियाई मुद्राओं के कारण भारतीय रुपये में गिरावट आई। बीएनपी पारिबा द्वारा शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, एफआईआई बहिर्वाह से निराशाजनक मैक्रोइकॉनॉमिक विदेशी मुद्रा बाजार में प्रवेश डेटा भी रुपये पर तौला गया।

घरेलू व्यापक आर्थिक मोर्चे पर, भारत का निर्यात लगभग दो वर्षों के अंतराल के बाद नकारात्मक क्षेत्र में प्रवेश कर गया, जो अक्टूबर में 16.65 प्रतिशत की तेजी से घटकर 29.78 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक व्यापार घाटा बढ़कर 26.91 अरब डॉलर हो गया। हम उम्मीद करते हैं कि रुपया वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने और आयातकों से डॉलर की मांग पर नकारात्मक पूर्वाग्रह के साथ व्यापार करेगा। हालांकि डॉलर के कमजोर होने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये में तेज गिरावट को रोका जा सकता है।’

जांच के बाद पता चला कि पोलैंड विदेशी मुद्रा बाजार में प्रवेश पर मार करने वाली मिसाइल रूस से नहीं बल्कि यूक्रेन से दागी गई थी, जिसके बाद भू-राजनीतिक तनाव कुछ हद तक कम हो गया। अमेरिका से खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों के आगे निवेशक भी सतर्क रह सकते हैं। चौधरी ने कहा कि USDINR स्पॉट प्राइस 80.50 रुपये से 82.50 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है।

पढ़ें :- Breaking-अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पांच पैसे टूटकर 82.29 पर आया रुपया

इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.28 फीसदी गिरकर 106.10 पर आ गया। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.47 प्रतिशत बढ़कर 94.30 डॉलर प्रति बैरल हो गया। घरेलू इक्विटी बाजार के मोर्चे पर, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 107.73 अंक या 0.28 प्रतिशत बढ़कर 61,980.72 पर बंद हुआ, जबकि व्यापक एनएसई निफ्टी 6.25 अंक या 0.03 प्रतिशत बढ़कर 18,409.65 पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध विक्रेता थे एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, पूंजी बाजार ने मंगलवार को 221.32 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।

वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा, डेरिवेटिव निपटान की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया। डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा। इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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