विशेषज्ञ बोले

विदेशी मुद्रा रोष

विदेशी मुद्रा रोष
Dangerous, sharp slide of India on global hunger index since 2014. Modi govt is disastrous for India. Low food stocks barely over minimum buffer + prices. Govt must take विदेशी मुद्रा रोष responsibility for this era of darkness India has been brought to in 8.5 years. Enough of PR, spin & lies. pic.twitter.com/xAl3BvMhik — Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 15, 2022

विदेशी मुद्रा रोष

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी लगा दी है। इससे उद्योग जगत खुश है कि माँग बढ़ेगी तो केंद्रीय कनिष्ठ कर्मचारियों में रोष है कि वेतन कम बढ़ा।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी लगा दी है। इससे उद्योग जगत खुश है कि माँग बढ़ेगी तो केंद्रीय कनिष्ठ कर्मचारियों में रोष है कि वेतन कम बढ़ा। केंद्रीय कैबिनेट ने 29 जून को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के फैसले पर अपनी मुहर लगा विदेशी मुद्रा रोष दी। इसके जरिये मूल वेतन में 14.27%, और भत्तों आदि को मिला कर कुल 23.6% बढ़ोतरी को मंजूरी दी गयी है।

इस निर्णय का फायदा केंद्र सरकार के 50 लाख मौजूदा कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारियों को होगा। वेतन आयोग की इन सिफारिशों को एक जनवरी 2016 से लागू माना जायेगा। केंद्रीय कर्मचारियों को साल 2016 की शुरुआत से ही इस निर्णय का इंतजार था। जस्टिस अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग ने बीते साल नवंबर में ही अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप दी थी। इसके बाद जून के आखिरी सप्ताह में अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति ने इस आयोग की रिपोर्ट पर अपनी संस्तुति वित्त मंत्रालय को दे दी। वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद जनवरी 2016 में इस समिति का गठन किया गया था और सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि वह इस समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह लागू करेगी।

निचले स्तर पर किसी नये कर्मचारी का शुरुआती वेतन अब 18,000 रुपये प्रति माह होगा, जो अभी तक 7,000 रुपये था। अधिकतम वेतन मौजूदा 90,000 रुपये से बढ़ा कर 2.5 लाख रुपये प्रति माह कर दिया गया है, जो आयोग की सिफारिशों के ही अनुरूप है। सरकार ने पे बैंड और ग्रेड पे की मौजूदा व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है और एक नयी व्यवस्था शुरू की है। कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की सीमा को दोगुना कर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। सरकार ने कर्मचारियों के लिए चार को विदेशी मुद्रा रोष छोड़ कर बाकी सभी ब्याज मुक्त कर्जों को खत्म कर दिया है। कुल 196 भत्तों के परीक्षण के बाद 51 को खत्म कर दिया गया है और 37 को दूसरों में मिला दिया गया है।

सरकार ने यह भी फैसला किया है कि वेतन और पेंशन का पिछला बकाया (एरियर) मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही दे दिया जायेगा, जबकि पहले ऐसे एरियर अगले वित्तीय वर्ष में दिये जाते थे। एक अनुमान के मुताबिक, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से केंद्र सरकार पर हर साल 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

लेकिन केंद्रीय कर्मचारी इससे खुश नहीं हैं। सरकार के फैसले के कुछ ही घंटों के भीतर कनिष्ठ कर्मचारियों ने इसके खिलाफ हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ ऐक्शन के संयोजक शिव गोपाल मिश्र ने कहा, 'हमने सरकार से आयोग की सिफारिशों को और बेहतर करने के लिए कहा था। लेकिन सरकार ने आयोग की सिफारिशों से अधिक बढ़ोतरी नहीं की। यह काफी निराशाजनक है।' काउंसिल ने 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस पर राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। पार्टी ने विभिन्न कर्मचारी संगठनों के हड़ताल के आह्वान को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इसने एनडीए सरकार पर पिछली परंपराओं से भटकने का आरोप लगाया है। पार्टी के मुताबिक अब तक यह परंपरा रही है कि कर्मचारियों के फायदे के लिए वेतन आयोग की सिफारिशों को और बेहतर कर दिया जाता है।

कांग्रेस के प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि 70 साल के वेतन आयोग के इतिहास में यह सबसे घटिया सिफारिश है। कांग्रेस ने याद दिलाया है कि पाँचवें और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में कर्मचारियों के वेतन 20% बढ़ाने की बात कही गयी थी, लेकिन इसमें 20 से 40% की बढ़ोतरी की गयी थी। माकन का कहना है कि एनडीए सरकार ने रिपोर्ट को जस का तस स्वीकार कर लिया है।

दूसरी ओर सरकार ने यह कहते हुए अपनी पीठ थपथपाई है कि कर्मचारियों को पाँचवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के लिए 19 महीने और छठे वेतन आयोग के लिए 32 महीने तक इंतजार करना पड़ा था, जबकि सातवें की सिफारिशों को देय तिथि से छह महीने के भीतर ही लागू कर दिया विदेशी मुद्रा रोष गया है। एक ओर इन सिफारिशों को लागू करने से जुड़े विरोध हैं, तो दूसरी ओर इस बढ़ोतरी से महँगाई बढऩे की आशंका भी प्रबल हो गयी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि इससे महँगाई बढ़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि इसके प्रत्यक्ष प्रभाव के तौर पर महँगाई में 1.50% अंक और अप्रत्यक्ष प्रभाव के तौर पर 0.40% अंक की वृद्धि हो सकती है।

हालाँकि उद्योग जगत और शेयर बाजार ने वेतन आयोग की सिफारिशों का स्वागत किया है। माना जा रहा है कि लोगों के हाथों में अधिक पैसे आने से दोपहिया वाहनों, कारों, इलेक्ट्रॉनिक सामानों सहित विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं की माँग बढ़ेगी, जिसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा। (निवेश मंथन, जुलाई 2016)

ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर; पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से भी पीछे

साल 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 101वें स्थान से फिसलकर 107वें पायदान पर पहुंच गया है. इस रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को ‘चिंताजनक’ बताया गया है. The post ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर; पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से भी पीछे appeared first on The Wire - Hindi.

साल 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 101वें स्थान से फिसलकर 107वें पायदान पर पहुंच गया है. इस रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को ‘चिंताजनक’ बताया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) में 2021 के मुकाबले छह स्थान नीचे गिरकर 107वें पायदान पर पहुंच गया है. भारत की स्थिति अपने पड़ोसी देशों नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी बदतर है.

रिपोर्ट आयरलैंड की एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड (Concern Worldwide) और जर्मनी के संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ (Welthungerhilfe) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है. रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को ‘चिंताजनक’ बताया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भुखमरी सूचकांक में 121 देशों में भारत की रैंक 107 है, जबकि बीते वर्ष यह 101 थी. भारत अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका (64), नेपाल (81), बांग्लादेश (84) और पाकिस्तान (99) से भी काफी नीचे है.

इस सूचकांक को भूख के खिलाफ संघर्ष की जागरूकता और समझ को बढ़ाने, देशों के बीच भूख के स्तर की तुलना करने के लिए एक तरीका प्रदान करने और उस जगह पर लोगों का ध्यान खींचना जहां पर भारी भुखमरी है, के लिए डिजाइन किया गया है.

इंडेक्स में यह भी देखा जाता है कि देश की कितनी जनसंख्या को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा है. यानी देश के कितने लोग कुपोषण के शिकार हैं.

इसमें इस बात का भी ब्योरा होता है कि देश में पांच साल के नीचे के कितने बच्चों की लंबाई और वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम है. साथ ही इसमें बाल मृत्यु दर की गणना को भी शामिल किया जाता है.

इस सूचकांक में बीते वर्ष (साल 2021) भारत 116 देशों में 101वें पायदान पर रहा था, जबकि वर्ष 2020 में 107 देशों में 94वें स्थान पर था. 2017 में इस सूचकांक में भारत का स्थान 100वां था. साल 2018 के इंडेक्स में भारत 119 देशों की सूची में 103वें स्थान पर रहा, वहीं 2019 में देश 117 देशों में 102वें स्थान पर रहा था.

सूचकांक में भारत का स्कोर 29.1 मापा गया, जो कि भारत में भूख का स्तर ‘चिंताजनक’ श्रेणी में होने की पुष्टि करता है. सूचकांक स्कोर की गणना चार संकेतकों पर की जाती है, जिनमें अल्पपोषण, कुपोषण, बच्चों की वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर शामिल हैं.

सूची में यमन सबसे निचले पायदान 121 पर है. चीन और कुवैत वे एशियाई देश हैं, जो कि सूची में शीर्ष रैंक में शामिल हैं. शीर्ष देशों की सूची में यूरोपीय देशों का वर्चस्व रहा, जिनमें क्रोएशिया, इस्टोनिया और मोंटेनीग्रो शामिल हैं.

बीबीसी के मुताबिक, वैश्विक भुखमरी सूचकांक का कुल स्कोर 100 पॉइंट होता है, जिसके आधार पर किसी देश की भूख की गंभीरता की स्थिति दिखती है. यानी कि अगर किसी देश का स्कोर जीरो (0) है तो उसकी अच्छी स्थिति है और अगर किसी का स्कोर 100 है तो उसकी बेहद खराब स्थिति है.

कार्यप्रणाली के अनुसार, 9.9 से कम स्कोर को ‘निम्न’, 10-19.9 के स्कोर को ‘मध्यम’, 20-34.9 को ‘गंभीर’, 35-49.9 को ‘खतरनाक’ और 50 से ऊपर के स्कोर को ‘बेहद खतरनाक’ माना जाता है.

कुल ऐसे 17 शीर्ष देश हैं, जिनका स्कोर 5 से भी कम हैं. इनमें चीन, तुर्की, कुवैत, बेलारूस, उरुग्वे और चिली जैसे देश शामिल हैं.

वहीं मुस्लिम बहुल देशों की स्थिति की बात करें तो यूएई 18वें, उज़्बेकिस्तान 21वें, कज़ाख़स्तान 24वें, ट्यूनीशिया 26वें, ईरान 29वें, सऊदी अरब 30वें स्थान पर है.

बीते वर्षों से भारत के वैश्विक भुखमरी सूचकांक स्कोर में कमी दर्ज की जा रही है. वर्ष 2000 में भारत 38.8 के स्कोर के साथ ‘खतरनाक’ की श्रेणी में शुमार था, जो 2014 तक गिरकर 28.2 रह गया था. तब से ही देश के स्कोर में बढ़ोतरी देखी गई है और वर्तमान में वह 29.1 है.

सूचकांक के चार पैमानों में से एक ‘बच्चों (5 साल से कम) में गंभीर कुपोषण’ को देखें तो यह भारत में इस बार 19.3 फीसदी पाया गया है, जो कि 2014 में 15.1 फीसदी था. इसका अर्थ है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के मामले में भारत की स्थिति में गिरावट देखी गई है.

इसी के साथ जनसंख्या में अल्पपोषण का शिकार लोगों का अनुपात 16.3 आंका गया है. यह 2014 में 14.8 था, जो कि 2022 में 16.3 हो गया.

बीबीसी के मुताबिक, दुनिया में कुल 82.8 करोड़ लोग कुपोषण का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 22.4 करोड़ लोग सिर्फ भारत से ही हैं.

बहरहाल, इस इंडेक्स के दो पैमानों में भारत ने बेहतरी दिखाई है.

बच्चों के विकास में रुकावट या बौनापन संबंधी पैमाना 2014 में 38.7 फीसदी था, जो अब 35.5 फीसदी आंका गया. वहीं, बाल मृत्यु दर भी 4.6 फीसदी से गिरकर 3.3 फीसदी पर आ गई है.

बहरहाल, यह रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है.

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट में लिखा, ‘प्रधानमंत्री कुपोषण, भुखमरी और अल्पविकास जैसे वास्तविक मुद्दों पर कब बात करेंगें? भारत में 22.4 करोड़ लोग कुपोषित हैं.’

When will the Hon’ble PM address real issues like malnutrition, hunger, and stunting and wasting among children?

22.4 crore people in India are considered undernourished

India’s rank in the Global Hunger Index is near the bottom — 107 out of 121 countries

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 15, 2022

सीपीएम नेता और केरल के पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी आदि ने भी सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किया है.

Dangerous, sharp slide of India on global hunger index since 2014. Modi govt is disastrous for India. Low food stocks barely over minimum buffer + prices. Govt must take responsibility for this era of darkness India has been brought to in 8.5 years. Enough of PR, spin & lies. pic.twitter.com/xAl3BvMhik

— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 15, 2022

येचुरी ने लिखा कि मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है.

राष्ट्रीय जनता दल राजद के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कहा है, ‘अमृतकाल का भौकाल. वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में सूडान, रवांडा, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान ने भारत को पछाड़ बेहतर स्थान प्राप्त किया. 121 देशों की सूची में भारत 107वें नंबर पर है. शर्मनाक! ये भाजपाई बचा.खुचा देश और संपत्ति भी अपने पूंजीपति मित्रों को बेच देंगे.’

कलडवास चेंबर ऑफ़ कोमर्स एवं इंडस्ट्री की साधारण सभा

Chamber of Commerce Udaipur

कलडवास चेंबर ऑफ़ कोमर्स एवं इंडस्ट्री की साधारण सभा की बैठक दिनांक २१ जनवरी २०१२ को दोपहर २.३० बजे से रिको ओद्योगिक क्षेत्र स्थित सी ऍफ़ सी भवन में आयोजित करी गयी. बैठक का संचालन चेंबर के महासचिव श्री मनोज जोशी ने किया, बैठक की अध्यक्षता चेंबर के अध्यक्ष श्री के के शर्मा द्वारा की
गयी, आय व्यय का ब्यौरा कोषाध्यक्ष श्री पवन जेन द्वारा सभा के सम्मुख प्रस्तुत किया गया…

श्री के के शर्मा ने गत वर्ष की चेंबर द्वारा की गयी गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए बताया कि चेंबर जल्द ही रिको द्वारा आवंटित भूमि पर चेंबर भवन का निर्माण शुरू करेगा.

चेंबर महासचिव श्री मनोज जोशी ने कार्यकारिणी का दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर सभी सदस्यों एवं कार्यकारिणी द्वारा सहयोग प्रदान करने पर आभार प्रदर्शित किया तथा नविन कार्यकारिणी के चुनाव की तिथि तथा चुनाव हेतु पद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सहसचिव, कोषाध्यक्ष , सहकोषाध्यक्ष सहित
१२ कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव की घोषणा करी, चुनाव १८ फरवरी २०१२ को सी ऍफ़ सी बिल्डिंग रिको में आयोजित किये जायेगे…. चुनाव अधिकारी एडवोकेट श्री भूपेश पंचोली को नियुक्त किया गया है….

श्री मनोज जोशी ने यह भी बताया कि रिको ओद्योगिक क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं पर उद्यमियों में सरकारी उदासीनता को लेकर काफी रोष है , क्षेत्र में नालियां टूटी हुई हैं तथा वें साफ़ सफाई के अभाव में नालियाँ कचरे से अटी पड़ी है, जिसकी साफ़ सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करी जाती है, ओद्योगिक क्षेत्र की सड़कें
बदहाल हैं तथा उनका निर्माण बहुत ही घटिया स्तर का हुआ है जो सामान्य यातायात के दबाव में ही टूट गयी है, विद्युत् आपूर्ति भी सुचारू रूप से नहीं आती , कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब अघोषित बिजली कटौती नहीं होती है, इससे उत्पादन तो बाधित होता ही है साथ ही साथ कच्चे विदेशी मुद्रा रोष माल का नुक्सान भी होता है तथा महंगे
मानव श्रम का ह्रास होता है….श्री मनोज जोशी ने यह भी बताया कि ओद्योगिक क्षेत्र में इकाइयां आज १२ वर्ष से उत्पादन विदेशी मुद्रा रोष रत है मगर आज भी जन आवागमन के साधन का अभाव है , प्रशासन से कई बार आग्रह किया मगर प्रशासनिक उदासीनता का खामियाजा क्षेत्र के उद्योग भुगत रहे हैं….अगर ओद्योगिक क्षेत्र में
किसी तरह की कोई दुर्गातना हो जाये तो शहर में आने में बहुत समय लगता है, शहर का बाईपास पर हरसमय जाम की स्तिथि रहती है, प्रशासन को जल्द से जल्द इस मार्ग को ६ लेन का बनाना चाहिए तथा गीतांजलि अस्पताल के पास से जो मार्ग है उसे सुदृढ़ करावे जो छोटा है जिससे उस मार्ग का उद्यमी विदेशी मुद्रा रोष कर सकें , महंगे होते
हुए पेट्रोल डीजल की खपत में कमी आएगी साथ ही साथ प्रदुषण में कमी होगी तथा महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी…. आगामी उद्योग सलाहकार समिति कि बैठक में ये सभी मुद्दे सरकार एवं प्रशासन के समक्ष रखे जायेंगे…

महासचिव कलडवास चेंबर ऑफ़ कामर्स एवं इंडस्ट्री , उदयपुर

HINDI – Press Release by Manoj Joshi

Guest Author @UdaipurBlog

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विदेशी मुद्रा रोष

लगातार पांचवें सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट; लगभग https://i.ndtvimg.com/i/2016-05/forex-reserves_625x300_51464419574.jpg?is-pending-load=1.5 बिलियन से $600 बिलियन के ठीक ऊपर

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.47 अरब डॉलर घटा

विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें सप्ताह गिरावट आई क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के सख्त होने की उम्मीदों पर डॉलर का शासन सर्वोच्च है, यहां तक ​​​​कि भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति की ओर और विकास से दूर ध्यान केंद्रित करता है।

दरअसल, केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 8 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.47 बिलियन डॉलर गिर गया, जो कुल मिलाकर $600.004 बिलियन हो गया।

इससे पता चलता है कि आरबीआई ने रुपये की कमजोरी को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया है। जिस चीज ने भंडार में मदद नहीं की है, वह है पूंजी का बहिर्वाह, जब वैश्विक ऊर्जा की कीमतें तेजी से 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो गई हैं, रूस-यूक्रेन युद्ध का नतीजा है।

वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने देश के आयात बिल को धक्का दिया है क्योंकि भारत अपनी तेल जरूरतों के लगभग 85 प्रतिशत के लिए आयात पर निर्भर है, और साथ ही डॉलर की मजबूती ने देश के बाहरी संतुलन और मुद्रा को गंभीर रूप से चोट पहुंचाई है।

विदेशी मुद्रा भंडार में नवीनतम गिरावट कुल $30 बिलियन के नुकसान के साथ लगातार पांचवीं गिरावट है। यह पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह में $11.17 बिलियन की सबसे तेज साप्ताहिक दर से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बाद आता है।

भंडार में भी तेज गिरावट आई है, जो करीब 40 अरब डॉलर है, या 3 सितंबर, 2021 को 642.453 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर से 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

जबकि भारत का 600 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार कम से कम अगले 12 महीनों के लिए देश के आयात बिलों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, पिछले साल मार्च से आयात कवर में लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है।

लेकिन आरबीआई आश्वस्त है कि वह भंडार का प्रबंधन कर सकता है, और मुद्रास्फीति में वृद्धि से लड़ने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करने के साथ, उसे विनिमय दर को कम से कम गतिशील बनाने में मदद करनी चाहिए।

विदेशी मुद्रा रोष

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचापुलिस गश्त बढ़ाने से लेकर त्वरित सुनवाई की बात होती है लेकिन क्या हो जब महिला पुलिस अधिकारी ही रेप जैसी जघन्य वारदात की शिकार हो जाएं और इसे अंजाम देने वाला भी उसी विभाग का अधिकारी हो

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाआइए जानते हैं इस फोन की खास बातेंक्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचासैमसंग ने इस फोन को दो कॉन्फिग्रेशन में लॉन्च किया है

क्रूड संकट: सऊदी अरब का विदेशी मुद्रा भंडार 9 साल के निचले स्तर पर पहुंचा

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाइसके स्टोरेज वेरिएंट की कीमत 28,499 रुपये है, जबकि फोन का 8GB RAM + 128GB स्टोरेज वेरिएंट 29,999 रुपये का हैक्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाहैंडसेट चार कलर ऑप्शन- ऑसम ब्लैक, ऑसम ब्लू, ऑसम वॉइट और ऑसम पीच में आता हैक्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाइसे कंपनी की आधिकारिक साइट और दूसरे स्टोर से खरीदा जा सकेगा

क्रूड संकट: सऊदी अरब का विदेशी मुद्रा भंडार 9 साल के निचले स्तर पर पहुंचा

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाकंपनी ने Galaxy A73 5G स्मार्टफोन को 41,999 रुपये की शुरुआती कीमत पर लॉन्च किया हैक्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाSamsung Galaxy A33 5G में कंपनी ने 6

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क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचा4-inch की Super AMOLED स्क्रीन दी है, जो टीयर ड्रॉप नॉच, Full HD+ रेज्योलूशन और 90Hz रिफ्रेश रेट के साथ आती है

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाफोन में 48MP का मेन लेंस वाला क्वाड रियर कैमरा सेटअप दिया गया हैक्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाजिनकी नौकरियां गईं, उनमें 16

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचा3 लाख पुरुष और 6क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचा7 लाख महिला कर्मचारी थीं

क्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाये भी पढ़ें--- बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री देबाश्री चौधरी ने पढ़े-लिखे युवाओं में बेरोजगारी दर से जुड़े आंकड़े मांगे थेक्रूडसंकटसऊदीअरबकाविदेशीमुद्राभंडार9सालकेनिचलेस्तरपरपहुंचाइस पर श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने जवाब दिया

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