बाजार का लगातार अध्ययन

बहरहाल, आंकड़े बताते हैं कि गंगोत्री को गोमुख ग्लेशियर पीछे की ओर खिसक रहा है। इस बाबत वैज्ञानिकों में कोई दो राय नहीं है। वैज्ञानिक जनसंख्या दबाव और मौसम परिवर्तन समेत तमाम तापमान बढ़ाने वाले कारकों को इसका कारण मानते हैं। खुशी की बात यह है कि इसके बावजूद उत्तराखंड के हिमनदों को वैज्ञानिक सर्वाधिक सुरक्षित श्रेणी में गिनते हैं। जबकि नेपाल और सिक्किम के हिमनदों पर बन चुकी विशाल झीलें उन्हें किसी अनहोनी की आशंका से व्यथित कर रही हैं। गढ़वाल विश्वविद्यालय में भूगर्भ विज्ञान विभाग के उपाचार्य डॉ. एमपीएस बिष्ट भारत सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग से ग्लेशियर लेक आउटब्रस्ट फ्लडिंग (ग्लोफ) का अध्ययन करने की सोची है। उनके अनुसार ग्लोफ पर उत्तर भारतीय हिमालय पर नहीं के बराबर अध्ययन हुए हैं। जबकि नेपाल व सिक्किम में इस पर अध्ययन के बाद इनकी तबाही से बचने के लिए प्रस्तावित उपाय भी कार्यरूप में परिणित किए गए हैं।
ठीक नहीं, हिमनद पर हड़बड़ी
हिमनद में दरार आने से बर्फ के पहाड़ टूटते रहते हैं जिससे कई बार मुहाने में परिवर्तित हो जाता है। बर्फ की दरारों में कई बार ग्लोशियर पुल बन जाते हैं, जो समय के साथ सूखते व गायब होते रहते हैं पर हिमनदों के मुहाने पर झीलों का बनना तबाही के संकेत देता है, हालांकि उत्तराखंड के हिमनदों में ऐसी झीलें फिलहाल नोटिस नहीं की गई हैं। हिमाचल के एक हिमनद को छोड़ दें तो देश के तमाम हिमालयी हिमनद पीछे खिसक रहे हैं।
उत्तराखंड बाजार का लगातार अध्ययन के गोमुख ग्लेशियर (हिमनद) की सेहत को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है। गोमुख के बजाए गंगा की धारा के नंदनवन से निकलने से गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारी भी खासे चिंतित नजर आ रहे हैं। हिमालय के भारतीय हिस्से में 9 हजार से अधिक हिमनद हैं जिनमें से करीब 5 हजार हिमनद अकेले उत्तराखंड में हैं। जाहिर है इन प्राकृतिक वरदानों में आ रहे किसी बदलाव से उत्पन्न आशंका से सबसे पहले उत्तराखंड ही प्रभावित होगा। उसमें भी जब मामला राज्य में मौजूद सबसे लंबे हिमनद गंगोत्री की हो तो चिंता जायज ही है। गंगोत्री के मुहाने को ही गौमुख कहते हैं। तीस किलोमीटर लंबा गंगोत्री हिमनद इस मायने में भी खास है कि यह पर्यावरणविदों के अध्ययन का भी लगातार आधार बनता रहा है। वर्ष 1905 से ही वैज्ञानिक इसके अध्ययन में जुटे हैं। इस लंबे अध्ययन का फायदा यह होता है कि इसमें आ रहे बदलावों का विश्लेषण करने के लिए वैज्ञानिकों को पर्याप्त आंकड़े मिल जाते हैं।
Success Tips: बनना चाहते हैं अमीर निवेशक, इस नवरात्रि महिलाओं से सीखें सफलता के 3 मंत्र
Investment Tips: एक सफल निवेशक बनना है तो इस नवरात्रि महिला निवेशकों से तीन जरूरी खूबियां सीखने का एक अच्छा समय है.
Investment Tips: भारत में नवरात्रि का अपना एक खास महत्व है. नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत के बाजार का लगातार अध्ययन उत्सव के रूप में जाना जाता है. रोशनी के त्योहार दिवाली से पहले नवरात्रि मनाई जाती है. यहीं से सर्दियों पहले फेस्ठिव सीजन की शुरूआत हो जाती है. यह वह समय है, जब ग्राहक ग्राहक खरीददारी के लिए बाजार में आते हैं. असल में यह त्योहार भी कुछ नया करने का संकेत देता है, जहां हम यह सोचते हैं कि हम आगे क्या करना चाहिए या क्या करना चाहते हैं. यह वह पल है, जब हम नए सिरे से जोश और उत्साह के साथ सीखने, प्रगति करने और आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं. ऐसे में बहुत से लोग दशहरा के आस पास नए निवेश का महत्व देते हैं.
बाजार में तत्परता
कई महिला निवेशकों ने सफल ट्रेडर्स के रूप में अपनी एक खास जगह या प्रतिष्ठा बनाई है. आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर उनकी सफलता के क्या राज हैं. बाजार में तत्परता दिखाकर, इन महिला निवेशकों ने लगातार बाजार का अध्ययन किया, और अपने ट्रेडिंग अनुभव से सफलता हासिल की. बाजार में तत्परता दिखाने का मतलब है कि एक व्यक्तिगत निवेशक के रूप में, आपके पास अपने कई गुना वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक निवेश नीति होनी चाहिए. मसलन रिटायरमेंट प्लानिंग से प्लान एक्सपेंडिचर्स के लिए फंड बनाना, और दौलत कमाने से लेकर संपत्ति बनाने तक.
Investment Scheme: 10 साल से मिल रहा है 15.50% तक सालाना रिटर्न, ये हैं बैंकिंग सेक्टर में पैसा लगाने वाली 3 दमदार स्कीम
3 महत्वपूर्ण फैक्टर्स: अपनी निवेश यात्रा शुरू करने से पहले आपको तीन महत्वपूर्ण फैक्टर्स पर भी विचार करना चाहिए. जिनमें अपने व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एक निवेश की रणनीति बनाना, चाहे यह अल्पकालिक, मध्यावधि या दीर्घकालिक हो. दूसरा अपनी जोखिम लेने की क्षमता को जानना और तीसरा अपनी पसंदीदा निवेश शैली पर ध्यान देना.
लगातार सीखना
इसका मतलब है कि आप न केवल दिन-प्रतिदिन के आधार पर ट्रेडिंग के बारे में सीखते हैं, बल्कि जो बातें सीखते हैं, उन्हें ट्रेडिंग के दौरान अप्लाई भी करते हैं. लगातार सीखना सफलता की पहचान है, चाहे आप किसी इन्वेस्टमेंट ड्राइवेट एन्वायरनमेंट में काम कर रहे हों. अपने दैनिक कामों के साथ शेयर बाजार के बारे में भी थोड़ा-बहुत सीखते रहें, इससे समय के साथ आप सफल निवेशकों की सूची में भी शामिल हो सकते हैं. जैसा कि सफल महिला निवेशकों ने दिखाया है.
निरंतर सीखने का मतलब अच्छा निवेश पोर्टफोलियो बनाना भी है. ध्यान रहे कि शेयर बाजार आपको डाइवर्सिफिकेशन का लाभ देते हैं, जहां आप स्टॉक, कमोडिटीज, फ्यूचर्स और ऑप्शंस और करंसी में निवेश कर सकते हैं. इसके साथ-साथ, आपको मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटर्स पर लगातार ध्यान देना होगा, जिसका बाजार पर काफी प्रभाव पड़ता है.
धैर्य बनाए रखना
महिलाओं का एक गुण धैर्य भी है. प्रॉफिटेबल और कॉम्पिटीटिव रिटर्न पाने के लिए दीर्घकालिक निवेश नीति रखने के साथ, आपको हर कीमत पर भावनाओं पर आधारित निवेश से बचना है. सफल महिला निवेशकों के अनुसार, ट्रेडिंग को बाजार की चाल और कंपनी की रिपोर्ट जैसे व्यावहारिक विचारों से प्रासंगिक होना चाहिए. अगर बाजार अचानक ही गिरने लगता है, तो यह आपके धैर्य और भावनात्मक बुद्धिमत्ता की परीक्षा का समय होगा.
परीक्षा के इस समय पर, कई निवेशक खरीद और बिक्री से घबराते हैं. यह सफल निवेशक की खूबी नहीं है. याद रखें, बाजार एक निश्चित अवधि के बाद रीबाउंड कर सकता है. कई बार, जब बाजार में गिरावट होती है, तो सफल निवेशक अपनी निवेश नीति पर कायम रहते हैं. बाजार के बेसिक्स का पालन का ही पालन करने, अनुभवी निवेशकों/करते हें.
क्या मुद्रा स्फीति हमेशा ही अर्थव्यवस्था के लिए ख़राब होती है?
मुद्रा स्फीति का मतलब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार वृद्धि से होता हैं. मुद्रा स्फीति की स्थिति में मुद्रा की कीमत कम हो जाती है क्योंकि उपभोक्ताओं को बाजार में वस्तुएं खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या मुद्रा स्फीति सभी लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है या नही?
मुद्रा स्फीति की परिभाषा(Definition of Inflation):
मुद्रा स्फीति का मतलब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार वृद्धि से होता हैं. मुद्रा स्फीति की स्थिति में मुद्रा की कीमत कम हो जाती है क्योंकि उपभोक्ताओं को बाजार में वस्तुएं खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.
अर्थात
‘मुद्रा स्फीति; बाजार की एक ऐसी दशा होती है जिसमे उपभोक्ता “झोला भरकर” रुपया बाजार ले जाता है और हाथ में सब्जियां लेकर आता है’.
मुद्रा स्फीति का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विभिन्न वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद यह बात सामने आई है कि कम और नियंत्रित मुद्रा स्फीति; उद्यमियों को अधिक निवेश के लिए प्रेरित करती है क्योंकि वस्तुएं और सेवाएँ महँगी होने के बाजार का लगातार अध्ययन कारण उन्हें लागत की तुलना में अधिक कीमत मिलती है.
लेकिन यदि उद्यमियों ने इस लाभ को दुबारा निवेश नही किया और विलासिता की वस्तुओं पर खर्च कर दिया तो इकॉनमी को फायदा नही होगा; क्योंकि नए निवेश के आभाव में नए रोजगारों का सृजन नही होगा; इस कारण संसाधनों का सदुपयोग नही होगा.
मुद्रा स्फीति के नकारात्मक प्रभाव:
चूंकि मुद्रा स्फीति के कारण लोगों की वास्तविक आय कम हो जाती है जिसके कारण उनकी बचत में कमी आती है, निवेश कम होता है जिसके कारण उत्पादन कम हो जाता है जो कि आगे निर्यात को कम करता है और भुगतान संतुलन विपरीत हो जाता है. इस प्रकार अधिक मुद्रा स्फीति के कारण पूरी अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है.
समाज के कमजोर वर्ग क्या प्रभाव पड़ता है?
समाज का ऐसा वर्ग जो कि स्थिर आय प्राप्त करता है जैसे दिहाड़ी मजदूर,पेंशनभोगी, वेतनभोगी इत्यादि के लिए मुद्रा स्फीति नुकसान दायक होती है क्योंकि मुद्रा की वास्तविक कीमत में कमी होने के कारण उनकी क्रय शक्ति में कमी आती है. जैसे जिस 100 रुपये की मदद से ये लोग पहले 3 किलो प्याज खरीद लेते थे अब मुद्रा स्फीति के बाद 1 या 2 किलो ही खरीद पाएंगे.
मुद्रास्फीति का विभिन्न लोगों का प्रभाव:
एक्जिट पोल और चुुनाव परिणाम से तय होगी बाजार की चाल
मुम्बई, 20 मई (UNI) बीते सप्ताह हरे निशान में लौटे घरेलू शेयर बाजार पर आगामी सप्ताह सबसे अधिक एग्जिट पोल और चुनावी परिणाम का असर दिखेगा। इसके अलावा डॉलर की तुलना में रुपये की स्थिति, कच्चे तेल की कीमत और वैश्विक रुख भी निवेश धारणा को प्रभावित करेंगे।
आलोच्य सप्ताह में घरेलू शेयर बाजार लगातार तीन सप्ताह की गिरावट से उबरने में कामयाब रहे। बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1.25 प्रतिशत यानी 467.78 अंक की साप्ताहिक बढ़त में 37,930.77 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 128.25 अंक यानी 1.14 प्रतिशत की तेजी में 11,407.15 अंक पर बंद हुआ।
दिग्गज कंपनियाें के विपरीत छोटी और मंझोली कंपनियों को आलोच्य सप्ताह में बिकवाली का दबाव झेलना पड़ा। बीएसई का मिडकैप 81.40 अंक यानी 0.57 प्रतिशत की गिरावट में 14,308.36 अंक पर और स्मॉलकैप 1.55 प्रतिशत यानी 218.59 अंक की गिरावट में 13,887.14 अंक पर बंद हुआ।
क्या मुद्रा स्फीति हमेशा ही अर्थव्यवस्था के लिए ख़राब होती है?
मुद्रा स्फीति का मतलब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार वृद्धि से होता हैं. मुद्रा स्फीति की स्थिति में मुद्रा की कीमत कम हो जाती है क्योंकि उपभोक्ताओं को बाजार में वस्तुएं खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या मुद्रा स्फीति सभी लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है या नही?
मुद्रा स्फीति की परिभाषा(Definition of Inflation):
मुद्रा स्फीति का मतलब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार वृद्धि से होता हैं. मुद्रा स्फीति की स्थिति में मुद्रा की कीमत कम हो जाती है क्योंकि उपभोक्ताओं को बाजार में वस्तुएं खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.
अर्थात
‘मुद्रा स्फीति; बाजार की एक ऐसी दशा होती है जिसमे उपभोक्ता “झोला भरकर” रुपया बाजार ले जाता है और हाथ में सब्जियां लेकर आता है’.
मुद्रा स्फीति का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विभिन्न वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद यह बात सामने आई है कि कम और नियंत्रित मुद्रा स्फीति; उद्यमियों को अधिक निवेश के लिए प्रेरित करती है क्योंकि वस्तुएं और सेवाएँ महँगी होने के कारण उन्हें लागत की तुलना में अधिक कीमत मिलती है.
लेकिन यदि उद्यमियों ने इस लाभ को दुबारा निवेश नही किया और विलासिता की वस्तुओं पर खर्च कर दिया तो इकॉनमी को फायदा नही होगा; क्योंकि नए निवेश के आभाव में नए रोजगारों का सृजन नही होगा; इस कारण संसाधनों का सदुपयोग नही होगा.
मुद्रा स्फीति के नकारात्मक प्रभाव:
चूंकि मुद्रा स्फीति के कारण लोगों की वास्तविक आय कम हो जाती है जिसके कारण उनकी बचत में कमी आती है, निवेश कम होता है जिसके कारण उत्पादन कम हो जाता है जो कि आगे निर्यात को कम करता है और भुगतान संतुलन विपरीत हो जाता है. इस प्रकार अधिक मुद्रा स्फीति के कारण पूरी अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है.
समाज के कमजोर वर्ग क्या प्रभाव पड़ता है?
समाज का ऐसा वर्ग जो कि स्थिर आय प्राप्त करता है जैसे दिहाड़ी मजदूर,पेंशनभोगी, वेतनभोगी इत्यादि के लिए मुद्रा स्फीति नुकसान दायक होती है क्योंकि मुद्रा की वास्तविक कीमत में कमी होने के कारण उनकी क्रय शक्ति में कमी आती है. जैसे जिस 100 रुपये की मदद से ये लोग पहले 3 किलो प्याज खरीद लेते थे अब मुद्रा स्फीति के बाद 1 या 2 किलो ही खरीद पाएंगे.
मुद्रास्फीति का विभिन्न लोगों का प्रभाव: