प्रकार के व्यापारियों

फुटकर व्यापारी से आप क्या समझते हैं? यह थोक व्यापारी से किस प्रकार भिन्न है? एक फुटकर व्यापारी प्रकार के व्यापारियों की समाज के प्रति सेवाओं का वर्णन कीजिए।
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व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने पैकटबंद खाद्य पदार्थों पर GST लगाने को बोझ प्रकार के व्यापारियों बताया, फैसले पर विचार करने को कहा
दिल्ली: पैक किए गए और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने से खाद्यान्न व्यापारियों को नुकसान होगा, अनुपालन का बोझ बढ़ेगा और रोजमर्रा के इस्तेमाल का जरूरी सामान महंगा होगा। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह बात की। कैट ने यह भी कहा कि संगठन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिलकर इस फैसले पर फिर से विचार करने को कहेगा। जीएसटी परिषद ने पिछले दिनों अपनी बैठक में डिब्बा या पैकेट बंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया था। कर दर में बदलाव 18 जुलाई से प्रभाव में आएंगे।
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पैक किए अथवा लेबल लगाए गए सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों एवं कुछ अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश पर देश के खाद्यान्न व्यापारियों में बेहद रोष एवं आक्रोश है। व्यापारी संगठन ने इस कदम को छोटे विनिर्माताओं एवं व्यापारियों के हितों के खिलाफ करार दिया गया, और कहा कि इस फैसले से ब्रांडेड सामान को फायदा पहुंचेगा। खंडेलवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को ज्ञापन देकर इस फैसले को वापिस लेने की मांग की जाएगी। इस मौके पर मौजूद दिल्ली खाद्यान्न व्यापार संघ के अध्यक्ष नरेश गुप्ता और दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप जिंदल ने बताया कि इस संबंध में देशभर के अनाज व्यापार संगठनों से लगातार संपर्क किया जा रहा है और सभी संगठन इस निर्णय से बेहद नाराज हैं।
घरेलू व्यापार
घरेलू व्यापार , अंतरराष्ट्रीय व्यापार से अलग, एक देश की सीमाओं के भीतर घरेलू सामानों का आदान-प्रदान है। इसे दो श्रेणियों, थोक और खुदरा में उप-विभाजित किया जा सकता है । थोक व्यापार का संबंध निर्माताओं या डीलरों या उत्पादकों से बड़ी मात्रा में सामान खरीदने और उन्हें कम मात्रा में दूसरों को बेचने से है जो खुदरा विक्रेता या उपभोक्ता भी हो सकते हैं । थोक व्यापार थोक व्यापारियों या थोक कमीशन एजेंटों द्वारा किया जाता है।
खुदरा व्यापार का संबंध उपभोक्ताओं को कम मात्रा में माल की बिक्री से है। इस प्रकार का व्यापार खुदरा विक्रेताओं द्वारा किया जाता है। वास्तविक व्यवहार में, हालांकि, निर्माता और थोक व्यापारी मध्यस्थ खुदरा विक्रेता को दरकिनार करने के लिए माल का खुदरा वितरण भी कर सकते हैं, जिससे वे अधिक लाभ कमाते हैं ।
किसी देश में घरेलू व्यापार का महत्व यह है कि यह देश के भीतर वस्तुओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। ऐसा करने से यह भी सुनिश्चित होता है कि उत्पादन के कारक सही जगहों पर पहुंचें ताकि देश की अर्थव्यवस्था विकसित हो सके। सभी विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं को देश के सभी हिस्सों तक प्रकार के व्यापारियों पहुंचने की अनुमति देकर यह देश के निवासियों के जीवन स्तर के साथ-साथ देश की रोजगार दर में सुधार करता है। और यह कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करके एक उद्योग के विकास में मदद करता है ।
देश के बाहर के प्रकार के व्यापारियों व्यापारियों को आंतरिक व्यापारियों के संपर्क में आना होगा, क्योंकि सीधे दूसरे देश में आना और आवश्यक उत्पाद प्राप्त करना आसान नहीं है।
घरेलू व्यापार के संचालन में थोक व्यापारी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कोई यह भी कह सकता है कि यह घरेलू बाजार की रीढ़ है। एक थोक व्यापारी सीधे निर्माताओं के संपर्क में होता है लेकिन उपभोक्ताओं के साथ अप्रत्यक्ष प्रकार के व्यापारियों प्रकार के व्यापारियों संपर्क में होता है। एक थोक व्यापारी आम तौर पर एक प्रकार के उद्योग से संबंधित होता है। जैसे मशीनरी , कपड़ा , स्टेशनरी । एक थोक व्यापारी न केवल उत्पादों की बिक्री में है, बल्कि यह पैकेजिंग , विज्ञापन , ग्रेडिंग और बाजार अनुसंधान में भी शामिल है । उनके पास अपने स्वयं के डाउन डाउन हैं जो निर्माताओं को भंडारण के बारे में परेशान होने से बचाते हैं। वे आम तौर पर खुदरा विक्रेताओं और कभी-कभी उपभोक्ताओं से नकद भुगतान करते हैं और अग्रिम भुगतान करते हैं जिससे निर्माताओं को लाभ होता है। वे खुदरा विक्रेताओं को कम मात्रा में बेचते हैं, जिससे खुदरा विक्रेताओं को भंडारण स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। वे कई बार खुदरा विक्रेताओं को ऋण सुविधा की अनुमति देते हैं। उदाहरण के लिए, जैसा कि हम देखते हैं कि भीजा एक महान थोक व्यापारी है जो आमतौर पर खुदरा विक्रेताओं से सूचना दस्तावेज प्राप्त करता है।
एक खुदरा विक्रेता आम तौर पर किसी उत्पाद का अंतिम विक्रेता होता है। यह थोक विक्रेताओं से अपनी खरीदारी करता है और बिक्री सीधे ग्राहकों को की जाती है। खुदरा विक्रेताओं को विशेष रूप से एक उद्योग से होने की आवश्यकता नहीं है अर्थात वे एक ही समय में विभिन्न प्रकार के उत्पादों का व्यापार कर सकते हैं। इसमें आम तौर पर क्रेडिट द्वारा की गई खरीदारी और नकद में की गई बिक्री होती है। थोक विक्रेताओं की तुलना में बिक्री कम मात्रा में की जाती है। खुदरा विक्रेता अपना व्यापार उन जगहों पर करते हैं जहाँ उपभोक्ता रहते हैं
व्यापारियों प्रकार के व्यापारियों ने बताया अनाज के ई ट्रेडिंग को गलत, सरकार के फैसले पर जताया विरोध
अनाज की ई-ट्रेडिंग (e-trading) को लेकर व्यापारियों के भीतर भारी गुस्सा है। इसको लेकर हरियाणा में बहुत सारे अनाज व्यापारी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि व्यापारियों को जबदस्ती परेशान करने के लिए सरकार ने ये आदेश जारी किया है, जो बिलकुल गलत है।
व्यापारियों ने बताया कि इस धंधे में बहुत सारी समस्याएं हैं और मुनाफा दिनों दिन कम होता जा रहा है। ऐसे में सरकार व्यापारियों की सहायता न करके उनको तंग करने के लिए नए नए फरमान लेकर आ रही है, जो व्यापारियों के साथ-साथ किसानों के लिए भी अच्छा नहीं है। व्यापारियों ने बताया कि ई ट्रेडिंग के पहले, सरकार को किसानों के अनाज की खुली में बोली सुनिश्चित करनी चाहिए। जब खुली बोली के दामों से किसान संतुष्ट न हो तब ही फसल की ई ट्रेडिंग की स्वीकृति देनी चाहिए। इसके साथ ही व्यापारियों ने कहा कि सरकार को मंडी गेट पास (mandi gate-pass) बनवाने में भी छूट देना चाहिए और फसल की खरीद पर आढ़तियों को मिलने वाली पूरी 2.5 प्रतिशत आढ़त भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
इनके अलावा भी व्यापारियों की सरकार से अन्य शिकायतें हैं। व्यापारियों ने बताया कि पहले धान पर मार्केट फीस व एचआरडीएफ दोनों मिलाकर मात्र 1 प्रतिशत लगता था, लेकिन अब सरकार की तरफ से इसको बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे फिर से घटाकर 1 प्रतिशत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही तुली हुई फसलों का उठान भी समय से नहीं होता जो कि गलत है। गेहूं और धान का उठान सरकार को निर्धारित 72 घंटे के समय से पहले ही करवाना चाहिए, क्योंकि अगर उठान में देरी होती है तो उसमें किसी भी प्रकार की हानि हो सकती है। कई बार तो अनाज खुले में पड़ा रहता है और बरसात के कारण भीग जाता है। इसके साथ ही सरकार को तय समय 72 घंटे के भीतर ही किसानों का भुगतान कर देना चाहिए, जो सरकार फिलहाल प्रकार के व्यापारियों नहीं करती है।
एक व्यापारी ने बताया कि सरकार गेहूं और धान की खरीदी में आढ़तियों का कमीशन और पल्लेदारों की पल्लेदारी देने में एक साल तक समय लगा देती है जो सरासर गलत है। क्योंकि जब कभी सरकार को व्यापारियों से पैसे मिलने होते हैं तो देरी के एवज में सरकार व्यापारियों के ऊपर पैनल्टी लगाती है और कभी कभार तो ब्याज भी लेती है। लेकिन यदि सरकार व्यापारियों, किसानों और मजदूरों के भुगतान में देरी करती है तो किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति नहीं करती। ये सरासर गलत है।
व्यापारियों ने ई ट्रेडिंग को बेहद कमजोर व्यवस्था बताते हुए कहा कि, यह बेहद चिंता का विषय है कि सरकार इसकी खामियों पर ध्यान नहीं दे रही है। ई-ट्रेडिंग के माध्यम से किसान की फसल की बिक्री होने पर, फसल का भुगतान किस प्रकार से किया जाएगा यह सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है। क्योंकि सरकार किसानों से फसल ख़रीदने पर कई महीनों तक भुगतान नहीं करती। जबकि इसके लिए उन्होंने कानून बना रखा है कि सरकार फसल खरीदने के 72 घंटे के भीतर भुगतान कर देगी। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। इसके साथ ई-ट्रेडिंग के माध्यम से फसल की बिक्री होने पर फसल का उठाव कैसे किया जाएगा, इसको लेकर भी सरकार ने कोई ठोस रूप प्रकार के व्यापारियों रेखा तैयार नहीं की है।
व्यापारियों ने फसलों की ई ट्रेडिंग को किसानों को बर्बाद करने की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि अगर फसलों का व्यापार ई ट्रेडिंग के माध्यम से होने लगा तो फसलों के सारे व्यापार पर नियंत्रण देश के अमीर उद्योगपतियों का हो जाएगा। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार यही चाहती है कि प्रकार के व्यापारियों देश में उपलब्ध अनाज पर बड़े उद्योग घरानों का कब्जा हो जाए। जिससे ये बड़े उद्योगपति अनाज के दामों का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रख पाएं। ये जब चाहेंगे तब बाजार में अनाज की सप्प्लाई बढ़ाकर या कम करके अनाज के भावों को ऊपर नीचे कर सकते हैं। अनाज खरीदी में एकाधिकार आ जाने से ये किसानों को उनका अनाज कम दामों में बेंचने पर भी मजबूर कर सकते हैं।
व्यापारियों ने कहा कि यदि अनाज का कंट्रोल उद्योगपतियों के हाथ में आ गया तो आटा, बेसन, दालों जैसी मूलभूत चीजों के दाम आसमान छूने लगेंगे। ये चीजें फिलहाल इतने ज्यादा ऊंचे दामों पर नहीं बिकती हैं क्योंकि इन चीजों को अभी ज्यादातर बाजार में खुला ही बेचा जाता है।
व्यापारियों ने कहा कि सरकार किसानों को बर्बाद करने की कई साजिशें रचती रहती है, इसके तहत सरकार किसानों के लिए कई काले कानून लेकर आई थी, जिसे भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा।
ई-ट्रेडिंग के नाम पर आढ़तियों और किसानों को तंग किया जा रहा है। यदि किसान अपनी फसल पहले की तरह में मंडी में आढ़तियों को बेचेंगे तो किसानों को फसल के दाम ज्यादा मिल सकते हैं, क्योंकि मंडी में किसानों के अनाज की खुली बोली कई आढ़तियों के बीच लगाई जाती है, जहां कम्पटीशन बना रहता है और वहां पर किसान अपनी फसल को ऊंचे दामों में बेंचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकता है।
FLIPKART की तरह छोटे व्यापारियों का हो सकता है अपना ई-पोर्टल, Cat ने रखी मांग
खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्र सरकार से देश के छोटे कारेाबारियों के लिए ई-कॉमर्स पोर्टल शुरू करने की मांग की.
ऑनलाइन कंपनियां एफडीआई नीति का खुला उल्लंघन कर रही हैं. (फोटो : डीएनए)
छोटे व्यापारियों को भी Flipkart, Amazon जैसा प्लेटफॉर्म मिल सकती है. वह केंद्र सरकार से ऐसा प्लेटफॉर्म शुरू करने की मांग कर रहे हैं. खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्र सरकार से देश के छोटे कारेाबारियों के लिए ई-कॉमर्स पोर्टल शुरू करने की मांग की. संगठन ने कहा कि उसने ऑनलाइन कंपनियों की मनमानी रोकने के लिए ई-कॉमर्स नीति की घोषणा करने और ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक नियामक गठित करने की भी मांग की.
ई-कॉमर्स व्यापार पूरी तरह खराब होने का आरोप लगाया
कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को ज्ञापन भेजकर कहा कि अभी बड़ी ऑनलाइन कंपनियों के मनमाने रवैये से देश का ई-कॉमर्स व्यापार पूरी तरह खराब हो गया है. ऑनलाइन कंपनियां एफडीआई (FDI) नीति का खुला उल्लंघन करते हुए लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, बड़े डिस्काउंट देना आदि सभी प्रकार के हथकंडे अपना कर बाज़ार पर कब्ज़ा जमाने का षड्यंत्र रच रही हैं.
सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई करे
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने लगातार शिकायत करने के बाद भी प्रकार के व्यापारियों इन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर अफ़सोस व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि नीति के अभाव में कंपनियां मनमाना व्यवहार कर रही हैं जिससे लाखों व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. खंडेलवाल ने कहा कि व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर सरकार एक ई-कॉमर्स पोर्टल शुरू करे जिस पर व्यापारी, छोटे कारीगर, महिला उद्यमी आदि पारदर्शी तरीके से व्यापार कर सकें.