अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

डेली अपडेट्स
यह एडिटोरियल दिनांक 23/10/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “International trade is not a zero-sum game” लेख पर आधारित है। इसमें भारत द्वारा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद को दूर करने की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।
संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने अपनी वर्ष 2021 की "विदेश व्यापार बाधाओं पर राष्ट्रीय व्यापार अनुमान रिपोर्ट" (National Trade Estimate Report on Foreign Trade Barriers) में बताया है कि भारत की औसत टैरिफ दर 17.6% है जो किसी भी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में उच्चतम है।
अपने घरेलू उद्योगों की चीन एवं अन्य देशों द्वारा डंपिंग तथा अन्य व्यापार विकृति अभ्यासों से रक्षा करने के उद्देश्य से भारत ने अपनी टैरिफ दरों में वृद्धि की है और अपने अन्य गैर-टैरिफ उपायों को कठोर बनाया है।
यद्यपि व्यापार संरक्षणवाद (Trade protectionism) का अर्थव्यवस्था को तत्काल लाभ हो सकता है, लेकिन सभी अर्थशास्त्री सहमति रखते हैं कि दीर्घावधि में यह देश के आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचाता है।
संरक्षणवाद के साधन
भारत के साथ ही अन्य देश अनुचित व्यापार अभ्यासों से अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिये विभिन्न उपाय अपनाते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख उपाय हैं-
- टैरिफ: टैरिफ किसी देश की सरकार द्वारा माल के आयात या निर्यात पर लगाया जाने वाला कर है। उच्च टैरिफ विदेशी उत्पादकों के लिये किसी घरेलू बाज़ार में अपना माल बेचने की लागत बढ़ा देते हैं, जिससे स्थानीय उत्पादकों को रणनीतिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है लाभ प्राप्त होता है।
- भारत में विश्व के उच्चतम टैरिफ दरों में से एक लागू है।
- WTO के अनुसार, वर्ष 2015 से 2019 के बीच भारत ने 233 एंटी-डंपिंग जाँचों की शुरुआत की जो वर्ष 2011 से 2014 के बीच ऐसे 82 जाँचों की तुलना में तेज़ वृद्धि को दर्शाता है।
- प्रतीत होता है कि भारत ने यह शर्त इसलिये आरोपित की है ताकि आयातक भारत के मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भागीदारों से माल का आयात न कर सकें।
संरक्षणवाद के पक्ष में तर्क
- राष्ट्रीय सुरक्षा: यह आर्थिक संवहनीयता के लिये अन्य देशों पर निर्भरता के जोखिम से संबंधित है। यह तर्क दिया जाता है कि युद्ध की स्थिति में आर्थिक निर्भरता विकल्पों को सीमित कर सकती है। इसके साथ ही, कोई देश किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकता है।
- नवजात उद्योग: यह तर्क दिया जाता है कि उद्योगों को उनके प्रारंभिक चरणों में संरक्षण प्रदान करने के लिये संरक्षणवादी नीतियों की आवश्यकता होती है। चूँकि बाज़ार खुला होता है, वैश्विक स्तर की बड़ी कंपनियाँ बाज़ार पर कब्जा कर सकती हैं। इससे नए उद्योग में घरेलू खिलाड़ियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है लिये अवसर का अंत हो सकता है।
- डंपिंग: कई देश अन्य देशों में अपने माल की डंपिंग (उत्पादन लागत या स्थानीय बाज़ार में उनकी कीमत से कम मूल्य पर बिक्री करना) करते हैं।
- डंपिंग का उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करते हुए विदेशी बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना और इस तरह एकाधिकार स्थापित करना होता है।
संरक्षणवाद के विरुद्ध तर्क
- व्यापार समझौते: भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों से व्यापक लाभ हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, भारत ने 54 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किये हैं।
- वे टैरिफ रियायतें प्रदान करते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) से संबंधित उत्पादों के साथ ही वृहत रूप से उत्पादों के निर्यात को अवसर प्राप्त होता है।
- ऐसे प्रतिबंध केवल भुगतान संतुलन की कठिनाइयों, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कुछ उद्देश्यों से ही आरोपित किये जा सकते हैं। घरेलू उद्योग को स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा से बचाने के लिये ऐसी बाधाएँ नहीं लगाई जा सकती हैं।
आगे की राह
- ‘कारोबार सुगमता’ में सुधार: हालाँकि भारत ने कई दिशाओं में प्रगति की है, लेकिन व्यवसाय शुरू करने, अनुबंध लागू करने और संपत्ति को पंजीकृत करने जैसे संकेतकों में वह अभी भी कई बड़े देशों से पीछे है।
- इन संकेतकों में सुधार से भारतीय फर्मों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकने और बड़ी बाज़ार हिस्सेदारी प्राप्त कर सकने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
भारत को घरेलू उद्योग के हितों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से FDI के रूप में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये व्यापार रियायतें प्रदान करने के बीच एक बेहतर संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है।
वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये व्यापक, बहुआयामी और बहु-क्षेत्रीय प्रयासों की ज़रूरत है।
अभ्यास प्रश्न: "संरक्षणवाद अल्पावधि में तो लाभप्रद हो सकता है, लेकिन दीर्घावधि में यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है।" टिप्पणी कीजिये।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के बारे में जानकारी प्राप्त करें
आगरा, उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास संस्थान (एमएसएमईडीआई) द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई है। चीन के आयात अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है और निर्यात मेलों, मध्य पूर्व के ऑटो मैकेनिक, बुडापेस्ट अंतरराष्ट्रीय मेलों, उनकी अवधि और प्रदर्शित उत्पादों के बारे में जानकारी दी गई है। प्रयोक्ता अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भाग लेने पर मिलने वाले पुरस्कारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है
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भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार .
Solution : स्वाधीनता के बाद हमारे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ निम्नलिखित
(i) इस व्यापार की वृद्धि केवल मात्रा तथा मूल्य में ही नहीं हुई बल्कि दिशा में भी परिवर्तत हुई है।
अब इंग्लैंड तथा अन्य राष्ट्र संघ देशों के साथ हमारे व्यापारिक संबंध एक तरफा नहीं रह गए जैसा कि स्वाधीनता से पहले था।
(ii) अब हम विदेशों को कच्चा माल तथा तैयार उत्पाद भी निर्यात करते हैं।
(iii) हमारे प्रमुख उत्पाद हैं-कृषि तथा संबंधित उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद तथा अयस्क और खनिज। भारत पेट्रोलियम तथा संबंधित उत्पाद, मोती तथा बहुमूल्य रत्न, सोना और चाँदी आदि का आयात करता है।
(iv) अब हमारे व्यापारिक संबंध इंग्लैंड की अपेक्षा अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, रूस, यूरोप तथा तेल उत्पादक देशों के साथ हैं।
(v) सार्क (SAARC) देशों के साथ भी भारत के व्यापारिक संबंध बढ़ रहे हैं।
(vi) अमेरिका तथा अरब देशों के बाद चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे हैं।डेली अपडेट्स
यह एडिटोरियल दिनांक 23/10/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “International trade is not a zero-sum game” लेख पर आधारित है। इसमें भारत द्वारा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद को दूर करने की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।
संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने अपनी वर्ष 2021 की "विदेश व्यापार बाधाओं पर राष्ट्रीय व्यापार अनुमान रिपोर्ट" (National Trade Estimate Report on Foreign Trade Barriers) में बताया है कि भारत की औसत टैरिफ दर 17.6% है जो किसी भी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में उच्चतम है।
अपने घरेलू उद्योगों की चीन एवं अन्य देशों द्वारा डंपिंग तथा अन्य व्यापार विकृति अभ्यासों से रक्षा करने के उद्देश्य से भारत ने अपनी टैरिफ दरों में वृद्धि की है और अपने अन्य गैर-टैरिफ उपायों को कठोर बनाया है।
यद्यपि व्यापार संरक्षणवाद (Trade protectionism) का अर्थव्यवस्था को तत्काल लाभ हो सकता है, लेकिन सभी अर्थशास्त्री सहमति रखते हैं कि दीर्घावधि में यह देश के आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचाता है।
संरक्षणवाद के साधन
भारत के साथ ही अन्य देश अनुचित व्यापार अभ्यासों से अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिये विभिन्न उपाय अपनाते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख उपाय हैं-
- टैरिफ: टैरिफ किसी देश की सरकार द्वारा माल के आयात या निर्यात पर लगाया जाने वाला कर है। उच्च टैरिफ विदेशी उत्पादकों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है लिये किसी घरेलू बाज़ार में अपना माल बेचने की लागत बढ़ा देते हैं, जिससे स्थानीय उत्पादकों को रणनीतिक लाभ प्राप्त होता है।
- भारत में विश्व के उच्चतम टैरिफ दरों में से एक लागू है।
- WTO के अनुसार, वर्ष 2015 से 2019 के बीच भारत ने 233 एंटी-डंपिंग जाँचों की शुरुआत की जो वर्ष 2011 से 2014 के बीच ऐसे 82 जाँचों की तुलना में तेज़ वृद्धि को दर्शाता है।
- प्रतीत होता है कि भारत ने यह शर्त इसलिये आरोपित की है ताकि आयातक भारत के मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भागीदारों से माल का आयात न कर सकें।
संरक्षणवाद के पक्ष में तर्क
- राष्ट्रीय सुरक्षा: यह आर्थिक संवहनीयता के लिये अन्य देशों पर निर्भरता के जोखिम से संबंधित अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है है। यह तर्क दिया जाता है कि युद्ध की स्थिति में आर्थिक निर्भरता विकल्पों को सीमित कर सकती है। इसके साथ ही, कोई देश किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकता है।
- नवजात उद्योग: यह तर्क दिया जाता है कि उद्योगों को उनके प्रारंभिक चरणों में संरक्षण प्रदान करने के लिये संरक्षणवादी नीतियों की आवश्यकता होती है। चूँकि बाज़ार खुला होता है, वैश्विक स्तर की बड़ी कंपनियाँ बाज़ार पर कब्जा कर सकती हैं। इससे नए उद्योग में घरेलू खिलाड़ियों के लिये अवसर का अंत हो सकता है।
- डंपिंग: कई देश अन्य देशों में अपने माल की डंपिंग (उत्पादन लागत या स्थानीय बाज़ार में उनकी कीमत से कम मूल्य पर बिक्री करना) करते हैं।
- डंपिंग का उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करते हुए विदेशी बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना और इस तरह एकाधिकार स्थापित करना होता है।
संरक्षणवाद के विरुद्ध तर्क
- व्यापार समझौते: भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों से व्यापक लाभ हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, भारत ने 54 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किये हैं।
- वे टैरिफ रियायतें प्रदान करते हैं, जिससे लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) से संबंधित उत्पादों के साथ ही वृहत रूप से उत्पादों के निर्यात को अवसर प्राप्त होता है।
- ऐसे प्रतिबंध केवल भुगतान संतुलन की कठिनाइयों, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कुछ उद्देश्यों से ही आरोपित किये जा सकते हैं। घरेलू उद्योग को स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा से बचाने के लिये ऐसी बाधाएँ नहीं लगाई जा सकती हैं।
आगे की राह
- ‘कारोबार सुगमता’ में सुधार: हालाँकि भारत ने कई दिशाओं में प्रगति की है, लेकिन व्यवसाय शुरू करने, अनुबंध लागू करने और संपत्ति को पंजीकृत करने जैसे संकेतकों में वह अभी भी कई बड़े देशों से पीछे है।
- इन संकेतकों में सुधार से भारतीय फर्मों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकने और बड़ी बाज़ार हिस्सेदारी प्राप्त कर सकने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
भारत को घरेलू उद्योग के हितों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से FDI के रूप में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये व्यापार रियायतें प्रदान करने के बीच एक बेहतर संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है।
वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये व्यापक, बहुआयामी और बहु-क्षेत्रीय प्रयासों की ज़रूरत है।
अभ्यास प्रश्न: "संरक्षणवाद अल्पावधि में तो लाभप्रद हो सकता है, लेकिन दीर्घावधि में यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है।" टिप्पणी कीजिये।