विशेषज्ञ बोले

एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत

एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत

देवेंद्र फडणवीस का ऐलान, श्रद्धा की शिकायत पर क्यों नहीं हुई थी कार्रवाई होगी जांच

Shraddha Murder Case महाराष्ट्र सरकार ने श्रद्धा वाल्कर के लिखे गए पत्र पर पालघर पुलिस की 'निष्क्रियता' के लिए जांच के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहाकि, पत्र में बहुत गंभीर कंटेंट है।

shraddha_murder_case_1.jpg

महाराष्ट्र सरकार ने नवंबर 2020 में श्रद्धा वाल्कर के लिखे गए एक पत्र पर पालघर पुलिस की 'निष्क्रियता' के लिए जांच के आदेश दिए हैं। श्रद्धा वाल्कर ने शिकायत पत्र में लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला की मौत की धमकी का जिक्र किया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहाकि, पत्र में बहुत गंभीर कंटेंट है। मामले में जांच की जरूरत है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास राज्य के गृह विभाग की भी जिम्मेदारी भी है। फडणवीस ने कहाकि, किसी को दोष दिए बिना, हमें सच्चाई जानने की जरूरत है। अगर पुलिस ने समय पर एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत कार्रवाई की होती, तो हत्या को टाला जा सकता था।

23 नवंबर, 2020 को श्रद्धा वाल्कर ने तुलिंज पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दी थी। जिसमें उसने कहा था कि कैसे आफताब ने उसे मारने और टुकड़ों में काटने की धमकी दी थी। पत्र के खुलासे के बाद स्थानीय पुलिस ने ने इस बात को विधिवत स्वीकार भी किया। पुलिस ने कहा कि हालांकि उसने मामले की जांच की थी, लेकिन श्रद्धा ने बाद में अपनी शिकायत वापस ले ली और एक और पत्र दिया, जो इस मुद्दे को समाप्त करने का संकेत था।

पत्र में लिखे शब्दों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि, वह कितनी दुखी थी। उसने लिखा कि, आफताब उसकी पिटाई करता है, उसे ब्लैकमेल करता है। और उसकी हत्या करने और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी भी देता है।

अब लगभग दो साल बाद यह सब 12 नवंबर को आफताब की गिरफ्तारी के साथ सच साबित हुआ। 18 मई को दिल्ली में आफताब ने उसके शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया और फिर कई हफ्तों में उन टुकड़ों को ठिकाने लगा दिया।

श्रद्धा वाल्कर (25 वर्ष) ने अपने पत्र के जरिए बताया कि, कैसे वह और 26 वर्षीय आफताब विजय विहार कॉम्प्लेक्स में एक साथ रह रहे थे। लेकिन वह छह महीने से उसे गाली दे रहा था। और उसकी पिटाई कर रहा था। आज उसने मुझे मारने की कोशिश की। उसने मुझे डरा दिया और ब्लैकमेल किया कि वह मुझे मार डालेगा, मेरे टुकड़े-टुकड़े कर देगा और मुझे फेंक देगा।

उसने पत्र में लिखा, छह महीने हो गए हैं, वह मुझे लगातार पीट रहा है। मुझमें पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि वह मुझे जान से मारने की धमकी देता एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत है।

श्रद्धा ने यह भी बताया कि, आफताब के माता-पिता जानते हैं कि वह मुझे मारता है और उसने मुझे मारने की कोशिश की। वे हमारे साथ रहने के बारे में भी जानते हैं। और वे सप्ताहांत पर हमसे मिलने आते हैं। मैं आज तक उसके साथ रहती आई हूं क्योंकि हम जल्द ही शादी करने वाले हैं। और मुझे उसके परिवार का एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत आशीर्वाद भी हासिल है।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी वसई पूर्व में उसके घर में भी गया था। जहां युवा जोड़ा रहता था। लेकिन उसने स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है।

चूंकि उसने अपनी पिछली शिकायत को वापस लेने के लिए पहले ही एक पत्र दिया था। इसलिए पुलिस ने कहा कि, वे उसे मामले एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं।

विश्व कप में, जापान कचरा बाहर निकालता है, और दूसरों को संकेत मिलता है

विश्व कप में, जापान कचरा बाहर निकालता है, और दूसरों को संकेत मिलता है

अल रेयान, कतर – रविवार की दोपहर अंतिम सीटी बजाई गई और जापानी प्रशंसकों ने, जिन्होंने चिलचिलाती दोपहर के सूरज के नीचे कूदते हुए घंटों बिताए थे, कोस्टा रिका को अपनी टीम की 1-0 से हार की निराशा में डूबने के लिए खुद को एक पल के लिए अनुमति दी।

लेकिन वह पल जल्दी बीत गया, और नीले कचरे के थैले बाहर आ गए।

में खेल के बाद की रस्म वापसी इस साल के विश्व कप में बड़े पैमाने पर विस्मय का स्वागत करते हुए, जापानी दर्शकों के एक समूह ने, जो कुछ ही क्षण पहले अपनी टीम के लिए गा रहे थे, अहमद बिन अली स्टेडियम में स्टैंड की सावधानीपूर्वक सफाई शुरू कर दी, अपने चारों ओर बेंचों की पंक्तियों में बिखरे कचरे को उठाया।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि यह क्या था- आधी-खाली सोडा की बोतलें, संतरे के छिलके, गंदे टिश्यू- या किसने इसे पीछे छोड़ दिया। प्रशंसकों ने मुस्कुराते हुए – और जाहिर तौर पर खुश – स्टेडियम के कर्मचारियों को बाहर निकलने से पहले थैलों में कचरा फेरते हुए गलियारों से गुजारा।

“यह आयोजन स्थल के लिए सम्मान का संकेत है,” टोक्यो के एक प्रशंसक, 32 वर्षीय इजी हतोरी ने कहा, जिनके पास स्टेडियम से बोतलों, टिकट स्टब्स और अन्य बचे हुए बैग थे। “यह जगह हमारी नहीं है, इसलिए अगर हम इसका इस्तेमाल करते हैं तो हमें इसे साफ करना चाहिए। भले ही यह हमारा कचरा नहीं है, फिर भी यह गंदा है, इसलिए हमें इसे साफ करना चाहिए।”

विश्व कप के दौरान चुपचाप गार्ड ड्यूटी करने वाले दर्शकों की छवि ने संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों के पर्यवेक्षकों को आकर्षित किया है, जहां चिपचिपे सोडा फैल, पॉपकॉर्न के टूटे हुए बैग और मूंगफली के गोले के छोटे पहाड़ों के आसपास स्केटिंग करना अक्सर सामान्य खेलों के हिस्से के रूप में स्वीकार किया जाता है। . स्टेडियम का अनुभव।

लेकिन जापान में साफ-सफाई, खासकर सार्वजनिक स्थानों पर, व्यापक रूप से एक सद्गुण के रूप में स्वीकार किया जाता है। खेल में शामिल जापानियों ने कहा कि इस तरह के रीति-रिवाजों को घर पर पढ़ाया जाता है और स्कूलों में प्रबलित किया जाता है, जहाँ छोटी उम्र से ही छात्रों से नियमित रूप से कक्षाओं और स्कूल की सुविधाओं की सफाई करने की अपेक्षा की जाती है।

सामान्य क्षेत्रों, जैसे खेल के मैदानों की सफाई, एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी बन जाती है, और इसे करने के लिए अक्सर श्रमिकों की कोई सेना नहीं होती है।

दिसंबर में ग्रहों के राशि परिवर्तन से इन 4 राशि के लोगों को होगा सबसे ज्यादा फायदा

दिसंबर के महीने में प्रमुख ग्रह राशि परिवर्तन करने वाले हैं. दिसंबर में सबसे पहले बुद्धि, व्यापार और वाणी के कारक ग्रह बुध राशि परिवर्तन करेंगे.

दिसंबर में ग्रहों के राशि परिवर्तन से इन 4 राशि के लोगों को होगा सबसे ज्यादा फायदा

TV9 Bharatvarsh | Edited By: प्रदीप तिवारी

Updated on: Nov 26, 2022 | 1:31 PM

साल 2022 अब धीरे-धीरे अपने आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है. दिसंबर का महीना साल का आखिरी महीना होगा, जो कुछ ही दिनों के बाद शुरू होगा. ग्रह-गोचर के हिसाब से साल का आखिरी महीना काफी महत्वपूर्ण रहने वाला होगा. दिसंबर के महीने में प्रमुख ग्रह राशि परिवर्तन करने वाले हैं. दिसंबर में सबसे पहले बुद्धि, व्यापार और वाणी के कारक ग्रह बुध राशि परिवर्तन करेंगे. बुध 3 दिसंबर को वृश्चिक राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करके धनु राशि में प्रवेश करेंगे.

फिर दो दिन बाद ही 5 दिसंबर को सुख और भोग विलासिता के कारक ग्रह शुक्र का गोचर धनु राशि में ही होगा. शुक्र के गोचर के बाद सूर्य 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे. इस तरह दिसंबर के महीने में तीन प्रमुख ग्रह एक ही राशि में गोचर करते हुए बुध,शु्क्र और सूर्य के साथ युति का निर्माण करेंगे.

दिसंबर में कब कौन सा ग्रह बदलेगा राशि

03 दिसंबर 2022- बुध का धनु राशि में गोचर

बुद्धि,वाणी,व्यापार, तर्कक्षमता और गणित के कारक ग्रह 03 दिसंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 34 मिनट पर वृश्चिक राशि की यात्रा को विराम देते हुए धनु राशि में प्रवेश करेंगे.

05 दिसंबर 2022- शुक्र का धनु राशि में गोचर

सुख, वैभव, सौंद्रर्य और धन-दौलत के कारक ग्रह 05 दिसंबर को गुरु के राशि धनु में प्रवेश करेंगे. शुक्र धनु राशि में 05 बजकर 39 मिनट पर होगा.

16 दिसंबर 2022- सूर्य का धनु राशि में गोचर

बुध, शुक्र के बाद सभी ग्रहों के राजा और आत्मा के कारक ग्रह सूर्य 16 दिसंबर 2022 को शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे.इस तरह दिसंबर में तीन प्रमुख ग्रह एक ही राशि में रहकर युति करेंगे.

28 दिसंबर 2022- बुध का मकर राशि में गोचर

03 दिसंबर के बाद दोबारा बुध मकर राशि में गोचर करेंगे.बुध का यह गोचर 28 दिसंबर को होगा.

29 दिसंबर 2022 – शुक्र का मकर राशि में गोचर

दिसंबर माह में शुक्र ग्रह फिर से राशि परिवर्तन करेंगे.शुक्र मकर राशि में 29 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 45 मिनट पर गोचर करेंगे.

वक्री बुध का धनु राशि में गोचर- 31 दिसंबर 2022

दिसंबर माह के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को 2022 को धनु राशि में गोचर करेंगे.यह साल 2022 का आखिरी गोचर होगा.

दिसंबर में चार राशि के लोगों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

दिसंबर में सबसे पहले बुध ग्रह अपनी राशि बदलेंगे. बुध के राशि परिवर्तन से मिथुन राशि के जातकों को सबसे ज्यादा फायदा मिलने के आसार है.मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध लग्न और चौथे भाव के स्वामी ग्रह होते हैं. दिसंबर में तीन ग्रह एक ही राशि में होने से मिथुन राशि के जातकों के लिए दिसंबर का महीना काफी अच्छा रहने वाला होगा. व्यापार में मुनाफा का महीना रहेगा. आपको इस महीने अपनी मेहनत का पूरा फायदा मिलेगा. रूके हुए कार्य इसी माह पूरे हो जाएंगे. जिसके लिए आप पिछले कई महीनों से परेशान थे. आय में इजाफा होगा. जमीन की खरीदारी का सौदा आपके पक्ष में रह सकता है. नौकरीपेशा जातकों के लिए दिसंबर का महीना सुख और चैन से बीतेगा. परिवार के सदस्यों के बीच ज्यादा से ज्यादा समय बिताने में कामयाब रहेंगे.

सिंह राशि

यह महीना सिंह राशि के जातकों के भाग्य में बढ़ोत्तरी लेकर आ रहा है. दिसंबर के महीने में आपकी मुलाकात प्रभावशाली लोगों से होगी. जिसका फायदा आपको मिलेगा. जमीन और कारोबार से जुड़े मामलों में आपको अच्छा लाभ मिल सकता है. कोई नई योजना का शुभारंभ भी इसी माह होने के संकेत हैं. इस माह आपको अचानक धन लाभ भी हो सकता है जिसके बारे में आपने पहले कभी सोचा भी नहीं होगा. परिवार संग माह के अंत में धूमने-फिरने जा सकते हैं जिससे परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ सकता है.

मकर राशि

दिसंबर में तीन ग्रहों के शुभ प्रभाव मकर राशि के जातकों पर भी पड़ सकता है. नौकरी और व्यापार में तरक्की के अच्छे एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत योग बनेंगे. कार्यक्षेत्र में आपके काम की चर्चा हर तरफ की जाएगी. सहकर्मियों का साथ अच्छे से मिलेगा. जो जातक नौकरी में बदलाव के बारे में सोच रहे हैं उनको इस महीने नए-नए कई अवसर प्राप्त हो सकते हैं. इस महीने आपकी भागदौड़ कम होने वाली होगी. सरकारी कार्यों में सफलताएं प्राप्ति होंगी. किसी पैतृक संपत्ति के बारे में आपको पता चलने से आपकी खुशी का ठिकाना नहीं होगा.

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए साल का आखिरी महीना शानदार तरीके से बीतेगा. जो जातक नौकरीपेशा है उनके लिए यह महीना किसी वरदान से कम नहीं है. नौकरी के लिए आपको एक से बढ़कर एक मौके प्राप्त होंगे. धन के निवेश के लिए यह महीना बहुत ही लाभदायक रहने वाला होगा. तीन ग्रहों के एक ही राशि में होने से आपके सुख और ऐशोआराम में बढ़ोतरी देखने को मिलेगा. कोई मकान या जमीन का सौदा कर सकते हैं. परिवार में खुशियां रहेगी. आपका रूझान धर्म की तरफ बढ़ेगा.

अतीत में लिए फैसलों की काली छाया से भयभीत बीजेपी, पीएम मोदी तक अपनी राजनीतिक पूंजी का जिक्र करने से कर रहे परहेज

केंद्र में अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में बीजेपी और पीएम मोदी ने जो राजनीतिक पूंजी कमाई थी, वह सब खर्च हो चुकी है। हालत यह है कि अतीत में लिए फैसलों का जिक्र तक करने से बीजेपी परहेज कर रही है। उसे इन फैसलों की काली छाया डरा रही है।

Getty Images

आकार पटेल

बीजेपी सरकार 2019 के चुनावों में जबरदस्त ऊर्जा और गतिमान शक्ति के साथ उतरी थी। मई 2019 में उसे मिली जीत न सिर्फ निर्णायक थी बल्कि 2014 के मुकाबले प्रधानमंत्री को अधिक सीटें हासिल हुईं। इसी जनादेश के दम पर और इस विचार के साथ कि बदलाव के लिए लोग उनके साथ हैं, प्रधानमंत्री ने इतने वर्षों में कमाई अपनी राजनीतिक पूंजी खर्च करना शुरु कर दी। करीब एक साल तक यानी जून 2020 तक यह पूंजी खर्च होती रही और इसके बाद यह हवा हो गई।

इन 12 महीनों के दौरान काफी कुछ हुआ और इसके परिणाम और प्रभाव आज भी देश पर हावी हैं। आइए देखते हैं कि कैसे क्या-क्या हुआ।

25 जुलाई को लोकसभा में तीन तलाक बिल पास हुआ। वैसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक को अवैध घोषित कर चुका था, लेकिन इस बिल के जरिए इसे अपराध बना दिया गया। इसके साथ ही कई बीजेपी शासित राज्यों ने फ्रीडम ऑफ रिलीजन (धार्मिक स्वतंत्रता) कानून बनाकर हिंदू और मुसलमानों के बीच अंतरधार्मिक विवाह पर पाबंदी लगा दी। इसे एक तरह से कथित लव जिहाद के खिलाफ कदम बताया गया।

कुछ दिनों बाद 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया। बीजेपी के लिए यह एक अहम लम्हा था। 31 अगस्त को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनपीआर) को असम में प्रकाशित किया गया और इसके साथ ही उन लोगों को जेल में डालने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई जो लोग यह साबित नहीं कर पाए कि उनके पुरखे 1971 से पहले ही असम में रह रहे थे।

कुछ सप्ताह बाद ही 9 नवंबर को बीजेपी के लिए एक और उत्साही क्षण आया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन मंदिर को सौंप दी और बीजेपी के तीन दशक पुराने आंदोलन का पटाक्षेप कर दिया।

अगले महीने ही 9 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लोकसभा से पास कर दिया गया। पाठकों को याद होगा कि किस तरह केंद्रीय गृहमंत्री ने इसकी क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा था कि पहले सीएए आएगा और उसके बाद देशव्यापी एनआरसी लागू होगा।

इसके बाद बीजेपी की कथित उपलब्धियों का चरम उस समय हुआ जब कुथ सप्ताह बाद ही तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम के उद्घाटन में पहुंचे। और शायद इसके साथ ही बीजेपी के तरकश के सारे तीर खत्म हो चुके थे।

सीएए के खिलाफ देश भर में आंदोलन हुए और विश्व स्तर पर इसके खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान ही दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़के और साफ हो गया कि बीजेपी का व्यवस्था पर दिल्ली तक में पूर्ण नियंत्रण नहीं है।

इसके अगले महीने ही देश भर में कोविड के नाम पर लॉकडाउन लगा दिया गया। इसके बारे में आम धारणा यह रही कि यह दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन था। लेकिन लॉकडाउन के बावजूद कोविड संक्रमण की रफ्तार में कोई कमी नहीं आई। कुछ ही ही सप्ताह बाद लद्दाख में चीन के साथ भीषण लड़ाई हुई जिसमें हमारे 20 सैनिकों की शहादत हुई। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भारत के नजरिए में बड़ा बदलाव आया और फोकस परंपरागत रूप से पश्चिम और पाकिस्तान से हटकर पूर्व की तरफ हो गया। हमें आज तक नहीं पता है, यहां तक कि विदेश मंत्री भी नहीं समझा पाए कि आखिर चीन ने ऐसा किया क्यों था।

उसी साल 5 जून को, यानी सरकार की सत्ता में वापसी के एक साल बाद एक बड़ा कदम उठाते हुए कृषि कानूनों का अध्यादेश ले आया गया। इसके खिलाफ किसानों के आंदोलन ने सरकार की गतिशीलता को विराम दे दिया।

कश्मीर में यूं तो अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया लेकिन बीजेपी को नहीं पता था कि इसके बाद क्या करना है। और उसे अभी भी शायद ही समझ आ रहा है कि क्या किया जाए। दक्षिण एशिया में शायद कश्मीर ही ऐसी जगह है जहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। अनुच्छेद 370 हटने के तीन साल और विधानसभा एक व्यापार को समाप्त करने के लिए संकेत भंग किए जाने के 4 साल बाद भी अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित उस रवैये के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जो उनके साथ किया जा रहा है।

अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले कानून भी पचड़े में पड़े हुए क्योंकि उन्हें बनाने और लागू करने से पहले शायद दिमाग लगाया ही नहीं गया। इसी महीने कानूनी खबरों की जानकारी देने वाली एक वेबसाइट की हेडलाइन थी, “मध्‍य प्रदेश धर्म स्‍वतंत्रता अधिनियम: हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक जोड़ों को कलेक्टर के सामने धर्मांतरण की घोषणा करने के प्रावधान को 'प्रथम दृष्टया असंवैधानिक' पाया”। गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस कानून के खिलाफ ऐसा ही आदेश सुनाया।

इसी तरह विवादित कृषि कानूनों को भी प्रधानमंत्री ने माफी मांगते हुए तब वापस लेने की घोषणा की जब देश भर में इन कानूनों के खिलाफ किसान लामबंद होकर सड़को पर उतर आए। सीएए को भी तीन साल हो गए हैं, लेकिन सरकार किसी न किसी कारण से इसे लागू करने से बचती रही है। देशव्यापी एनआरसी की तो अब कोई चर्चा तक नहीं होती।

आखिर में, अर्थव्यवस्था की बात करें तो, इस अवधि के दौरान इस बारे में कुछ अच्छी बात करने को है ही नहीं। सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि नौ तिमाहियों से देश की जीडीपी धीमी हो गई है, यानी जनवरी 2018 के शुरु होकर अगले करीब सवा दो साल तक। कोविड महामारी ने अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंची और अर्थव्यवस्था को पहले से हो रहे नुकसान पर पड़े पर्दे को नोंच कर फेंक दिया। प्रति व्यक्ति जीडीपी में बांग्लादेश हमसे आगे निकल गया तो इसका कारण सिर्फ कोविड महामारी के दौरान कुप्रबंधन नहीं था। बल्कि हमारा पड़ोसी तो 2015 से ही हमसे होड़ लेकर काफी मेहनत से आगे बढ़ रहा था, और संकेत मिलने लगे थे कि अगर हमने होश नहीं संभाला तो जिस वक्र रेखा पर वह आगे बढ़ रहा है वह हमें पीछे छोड़ ही देगा। और ऐसा ही हुआ। सरकारी आंकड़ों से मिला बेरोजगारी का आंकड़ा बताता है कि देश में इस दौरान बिना काम के लोगों की संख्या 4 साल के सर्वाधिक स्तर पर थी।

2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के घोषणा प्तर में कहा गया था कि सरकार के सुशासन का बड़ा संकेतक यह है कि वह विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस (पहले इसे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कहा जाता था) की रैंकिंग में भारत की स्थिति सुधरी है। लेकिन जब सामने आया कि कुछ देश अपनी स्थिति को बेहतर दर्शाने के लिए प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं तो दुर्भाग्य से 2020 में इस रैंकिंग को बंद कर दिया गया।

उस एक साल की कथित तीव्रगामी रफ्तार के अलावा शासन के स्तर पर दिखाने के लिए कुछ और है नहीं। कोविड की दूसरी लहर ने उस विश्वसनीयता को भी बट्टा लगा दिया जो इसने इस साल कमाई थी, और शायद यही कारण था कि प्रचार और पब्लिसिटी के बिना सांस तक न लेने वाले प्रधानमंत्री पूरे 20 दिन तक लोगों के सामने ही नहीं आ पाए।

यही वे सारे कारण हैं कि राजनीतिक प्रचार अभियानों में सरकार के शासन और प्रदर्शन की चर्चा के बजाए सिर्फ करिश्मे पर भरोसा कर रही है बीजेपी। अतीत में जो कुछ हुआ वह बहुत पुराना तो नहीं है, लेकिन उसका जिक्र भी नहीं किया जा रहा। यहां तक कि नोटबंदी तक पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरु कर दी है, हालांकि बीजेपी चाहती है कि इसे भुला ही दिया जाए।

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

रेटिंग: 4.34
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 703
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *