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बाजार के उतार

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शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में फंसे रिटेल इनवेस्टर्स जानें कैसे बनाएं रणनीति

दरअसल छोटे निवेशकों या ट्रेडरों को बाजार में टिके रहने के लिए अपनी नजर मध्यम से लंबी अवधि पर टिका कर धैर्य के साथ टिक रहने चाहिए, तभी उन्हें सफलता मिल सकती है

शेयर बाजार का तूफान तब तक शांत नहीं हो सकता जब तक इससे होने वाले नुकसान का पूरा अनुमान बाजार को न मिल जाए।

भुवन भास्कर

माना जाता है कि शेयर बाजार मध्यम से लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था की सेहत का बैरोमीटर होते हैं। लेकिन छोटी अवधि में शेयर बाजार का व्यवहार अक्सर भ्रम पैदा कर देता है। शुक्रवार को भारतीय बाजारों के सूचकांक 2-2 प्रतिशत गिरे। कहा गया कि अमेरिकी फेड इस हफ्ते अपनी पॉलिसी समीक्षा में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है, और इसलिए दुनिया भर के शेयर बाजार नर्वस हैं।

दुनिया भर में गिरावट आई है, तो भारत में भी बिकवाली का जोर बढ़ गया है। कमाल की बात यह है कि अभी फेड की पॉलिसी के नतीजे आने में 24-48 घंटे शेष हैं, लेकिन शुक्रवार की निराशा एकाएक सोमवार को बाजार से गायब दिख रही है। बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ होने के कुछ ही देर बाद फिर खरीदारों का जोश वापस आ गया है। सोमवार 19 सितंबर को सेंसेक्स 300.44 अंक की तेजी के साथ 59,141.23 के लेवल पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 91.40 अंक की तेजी के साथ 17,622.25 पर बंद हुआ। इन सबमें छोटा निवेशक या ट्रेडर हतप्रभ है कि किया क्या जाए।

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छोटे निवेशक क्या करें?

दरअसल छोटे निवेशकों या ट्रेडरों को बाजार में टिके रहने के लिए अपनी नजर मध्यम से लंबी अवधि पर टिका कर धैर्य के साथ टिक रहने चाहिए, तभी उन्हें सफलता मिल सकती है। ऐसे में बाजार में निवेशकों को क्या रुख अपनाना चाहिए, इस सवाल का जवाब भारतीय और विश्व अर्थव्यवस्था की परिस्थितियों के विश्लेषण से मिल सकता है।

वीकेंड के दौरान रेटिंग एजेंसी फिच ने एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिका और यूरोप मंदी के मुहाने पर खड़े हैं। फिच के मुताबिक यूरोजोन और ब्रिटेन इस साल के आखिर तक मंदी में चले जाएंगे, जबकि अमेरिका अगले साल मध्य तक मंदी में आ जाएगा। हालांकि अमेरिका की संभावित मंदी को ‘हल्की’ श्रेणी में बताया गया है। फिच ने 2022 के दौरान दुनिया की आर्थिक वृद्धि की संभावित दर को जून में घोषित 2.9% से आधा प्रतिशत कम कर 2.4% कर दिया है। वहीं 2023 में यह वृद्धि दर पहले जताई गई संभावना से 1% कम होकर अब 1.7% रहने की संभावना है।

कोरोना काल के दौरान ठप पड़ गई आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए आम जनता और उद्योगों को जो लाखों करोड़ डॉलर की मदद दुनिया भर में दी गई, उसका असर अब बढ़ती महंगाई के रूप में दिखने लगा है। इस महंगाई पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भर के देशों ने जिस तरह ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की है, उससे अब धीरे-धीरे ग्रोथ पर ब्रेक लगने लगी है।

ग्रोथ पर ब्रेक का मतलब है मांग धीमी होना और जब मांग कमजोर पड़ती है तो स्वाभाविक तौर पर कमोडिटी की कीमतें नीचे आने लगती हैं। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। मांग कमजोर पड़ने और कीमतें नीचे आने से कंपनियों की प्रॉफिटैबिलिटी कम होने लगती है और उन्हें अपनी विस्तार योजनाओं पर रोक लगानी पड़ती है।

मुनाफा मार्जिन कम होने से आय प्रति शेयर (EPS) कम होती है और क्योंकि मांग कम होती है और भविष्य की संभावना धूमिल होने लगती है तो बाजार कंपनियों को कीमत और आय प्रति शेयर का कम अनुपात (PE) देने को तैयार होता है। जाहिर है कि इससे बिकवाली पैदा होती है। ऐसे में बाजार भले ही फिलहाल किसी दिन तेजी और किसी दिन मंदी दिखाए, लेकिन यह समझना आवश्यक है कि मध्यम से लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था का रुझान क्या है। उस लिहाज से शेयर बाजार के लिए अगले साल भर बहुत उम्मीदपरक नहीं लगते।

फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें जून की शुरुआत में दिखी उच्चतम कीमतों से प्रति बैरल 30 डॉलर नीचे आ चुकी हैं। वैश्विक बाजार का सबसे बड़े संकेतक फ्रेट रेट होते हैं यानी समुद्री जहाज से होने वाले माल परिवहन का भाड़ा। इन्हें दर्शाने वाले दुनिया के सबसे लोकप्रिय ड्रुरी वर्ल्ड कंटेनर इंडेक्स में पिछले हफ्ते 8% गिरावट दर्ज हुई जो लगातार 29वें हफ्ते की गिरावट है। अप्रैल 2021 के बाद पहली बार यह इंडेक्स 40 फुट कंटेनर के लिए 5000 डॉलर से नीचे गया है।

फिच में मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा, “पिछले कुछ महीनों में हमने यूरोप बाजार के उतार में गैस संकट, ब्याज दरों में तेज बढ़त और चीन में गहराते रियल एस्टेट संकट के रूप में वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक परफेक्ट तूफान बनते हुए देखा है।” यह तूफान शेयर बाजार में तब तक डिस्काउंट नहीं हो सकता जब तक इससे होने वाले नुकसान का पूरा अनुमान बाजार को न मिल जाए।

रॉयटर्स के सीनियर मार्केट एनालिस्ट जॉन केम्प ने मौजूदा परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अमेरिका में हालांकि अभी जॉब मार्केट मजबूत स्थिति में है और आर्थिक गतिविधियां भी ऊंचे स्तर पर हैं, लेकिन वित्तीय बाजारों में-जैसा कि वहां के वायदा बाजार संकेत कर रहे हैं- अगले छह महीनों में आर्थिक चक्र में एक जबर्दस्त गिरावट, या मंदी के संकेत साफ उभर रहे हैं।

इन सब बातों को सुनने और समझने के बाद भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों बाजार के उतार को दो बातें खास ध्यान में रखनी चाहिए। पहली, अमेरिकी बाजार या दुनिया के दूसरे सभी बाजार भारतीय बाजारों के लिए एक संकेत का काम करेंगे, लेकिन आखिर में भारतीय शेयर बाजार अपनी बाजार के उतार किस्मत के मालिक खुद होंगे। इसलिए क्योंकि भारत पूरी दुनिया के मंदी जाने के बावजूद लगभग 5-7% के दायरे में आर्थिक वृद्धि बरकरार रखेगा। फिर भी, यह मान लेना कि भारतीय शेयर बाजार अमेरिकी बाजारों से एकदम अलग चलेंगे, यह ठीक नहीं होगा।

दूसरी बात और महत्वपूर्ण है। बाजार हमेशा समय से आगे चलते हैं। तो जिस समय विश्व बाजार इस बात के लिए आश्वस्त होंगे कि अब मंदी का दौर बीत गया है, तब तक भारतीय शेयर बाजार लगभग अपने पुराने शीर्ष के पास पहुंच चुके होंगे। इसलिए बाजार में किनारे बैठ कर सही वक्त का इंतजार करने की जगह फंडामेंटल मजबूती वाली कंपनियों में छोटी मात्रा में लंबे समय के लिए लगातार निवेश करते रहना सही है। यही शेयर बाजार में सफलता का मूलमंत्र भी है।

बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बीच शेयर मार्केट में इन 10 बातों का रखें ध्यान, नुकसान से बचेंगे और फायदे में रहेंगे

 शेयर बाजार लॉन्ग टर्म के लिए निवेश की बेहतर जगहों में से एक है न कि जुआ घर. मजबूत कंपनी में निवेश करिए और लंबे समय या मध्यम अवधि के लिए अच्छा रिटर्न पाइए.

शेयर बाजार लॉन्ग टर्म के लिए निवेश की बेहतर जगहों में से एक है न कि जुआ घर. मजबूत कंपनी में निवेश करिए और लंबे समय या मध्यम अवधि के लिए अच्छा रिटर्न पाइए.

शेयर बाजार में आए नए या युवा निवेशक अक्सर कुछ सामान्य गलतियां करते हैं. इस वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है. किसी निवेशक को कुछ बुनियादी बातों को जरूर सीखना चाहिए और सामान्य सी गलतियां करने से बचना चाहिए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : February 28, 2022, 08:05 IST

Investment Tips: रूस-यूक्रेन संकट के बीच दुनिया भर के शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव चल रहा है. भारतीय शेयर बाजार में उथल-पुथल जारी है. इन सबके बीच निवेशक सोच रहे हैं कि कहां और कैसे निवेश करें. किन गलतियों से बचें और क्या करें ? खासतौर से कोरोना के बाद कोरोड़ों की संख्या में नए डिमैट अकाउंट खुले हैं. इन नए निवेशकों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

शेयर बाजार में आए नए या युवा निवेशक अक्सर कुछ सामान्य गलतियां करते हैं. इस वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है. किसी निवेशक को कुछ बुनियादी बातों को जरूर सीखना चाहिए और सामान्य सी गलतियां करने से बचना चाहिए.

आईए जानते हैं ऐसी ही दस प्रमुख बातें …

1- पहले कंपनी को समझें
यह निवेश का पहला बाजार के उतार और बेसिक नियम है, जिसे हर एक निवेशक को फॉलो करना चाहिए. वैसे हर आदमी से यह उम्मीद करना मुश्किल है कि वह हर एक कंपनी की समझ रखे. इसके बावजूद हमें प्रयास करना चाहिए कि कम से कम कंपनी के बिजनेस की बेसिक समझ रखें, जैसे कंपनी क्या करती है और अपनी प्रतिद्वन्दी कंपनियों के सामने कैसे खड़ी है.

2- पोर्टफोलियों कैसा होना चाहिए
अक्सर हम देखते हैं कि निवेशक या तो अपने पोर्टपोलियो में विविधता नहीं रखते या फिर अत्यअधिक विविधता कर लेते हैं. जबकि इन दोनों के बीच संतुलन रखना सबसे महत्वपूर्ण है. जैसे मान लीजिए आपके पास दस शेयर हैं और आपने किसी एक या दो सेक्टर के ही सारे शेयर ले रखें हैं. इससे बचना चाहिए. दस में से दो बैंकिंग सेक्टर, दो मेटल सेक्टर, दो फार्मा सेक्टर, दो टेक सेक्टर इस तरह से पोर्टफोलियों में विविधता रखनी चाहिए. ज्यादा संख्या में भी शेयर रखने से बचना चाहिए. इसलिए जोखिम से बचने के लिए एक संतुलित वाली पोर्टफोलियों रखें.

3- दूसरे के पोर्टफोलियो का अनुकरण
सफल निवेशकों के पोर्टफोलियो को देखना गलत नहीं है और शुरुआत में उसके निवेश निर्णय से आप भी सीख सकते हैं. इसके साथ ही निवेश की अपनी समझ विकसित करें. लंबे समय में दूसरे को ब्लाइंडली फॉलो करना खतरनाक होता है क्योंकि हर निवेशक के पास विभिन्न फैक्टर होते और अपने प्लान होते हैं. इस चीज को आप ऐसे समझ सकते हैं कि हम सभी जानते हैं कि कार कैसे चलाते हैं लेकिन जब आप सड़क पर गाड़ी लेकर जाते हैं तो सामने वाली कार को देख कर चलाते हैं या अपने हिसाब से निर्णय लेते हैं. सामने वाली कार को फॉलो करना कितना खतरनाक हो सकता है यह आप समझ सकते हैं. यही स्थिति निवेश में भी होती है.

4- अपने निवेश के साथ भावनात्मक लगाव न रखें
सबसे खराब निवेश के निर्णय वो होते हैं जो आप भावनाओं के आधार पर लेते हैं या फिर आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया को आपके इमोशन प्रभावित करते हैं. यह देखने की बजाय कि कंपनी का प्रदर्शन और उसका फंडामेंटल कैसा है.

5- अपनी निवेश के सिद्धांत पर अडिग रहें
जब हम किसी कंपनी को निवेश के लायक समझते हैं तब हम उससे संबंधित कुछ प्रमुख निर्धारक बिंदु देखते हैं. कंपनी कितना विकास करेगी और भविष्य में कंपनी की रणनीति क्या होगी, ऐसी बहुत सारी चीजें हम समझते हैं. यह कंपनी का एक्सपेंसन प्रोजेक्ट, रेवेन्यू ग्रोथ, मार्केट शेयर गेन, प्रोडक्ट की आगे वैल्यू एडिशन जैसे महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं. यदि इनमें से किसी भी चीज को आप निवेश के बाद गड़बड़ होते हुए पाते हैं तो तुरंत समीक्षा करिए.

6. घाटे से डरिए मत, सीखिए
हां, यह हर निवेशक के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है इसे सीखना और इससे बचना. सभी लोग कभी न कभी, किसी न किसी स्टॉक में गलत निर्णय ले लेते हैं, यह कोई बड़ी बात नहीं है. यह हमारे सीखने की प्रक्रिया का भी हिस्सा है. अगर कभी आप गलत शेयर ले लिए हैं और घाटा हो रहा है बाजार के उतार तो घाटे से डरिए मत, उससे निकल लीजिए. ज्यादा देर मत करिए और किसी दूसरे स्टॉक में मौका देखिए. घाटे से डरिए मत, सीखिए.

7. पेनी स्टॉक से बचना चाहिए
अक्सर नए निवेशक जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में पेनी स्टॉक में पैसा लगा देते हैं. किसी दूसरे का सुन के कि इस 2 रुपए के स्टॉक ने 6 महीने में 500 फीसदी रिटर्न दिया, निवेश नहीं करना चाहिए. सैमको सिक्योरिटी के रिसर्च हेड उमेश मेहता कहते हैं पेनी स्टॉक जब चढ़ता है या उसमें अपर सर्किट लगने लगता है तो लोग पैसा लगाने के लिए जल्दीबाजी करने लगते है. लेकिन जब पेनी स्टॉक गिरता है या उसमें लोअर सर्किट लगता है तो निवेशक शेयर बेट भी नहीं पाते औऱ घाटा उठाना पड़ता है. इसलिए हमेशा फंडामेंटली मजबूत कंपनियों में निवेश करें.

8- जल्दी से जल्दी करोड़पति बनने की चाहत वाले शेयर बाजार से दूर रहें
अक्सर नए निवेशक शेयर बाजार में रातों रात करोड़पति बनना चाहते हैं. वो किसी और का सुन रख होते हैं या फिर बाजार को सट्टा का अड्डा समझते है. ऐसा सोचने वालों को बाजार से दूर रहना चाहिए. शेयर बाजार लॉन्ग टर्म के लिए निवेश की बेहतर जगहों में से एक है न कि जुआ घर. मजबूत कंपनी में निवेश करिए और लंबे समय या मध्यम अवधि के लिए अच्छा रिटर्न पाइए.

9 – नए निवेशकों को इंट्रा डे ट्रेडिंग से बचना चाहिए
वर्तमान में बाजार में बहुत ही ज्यादा उतार-चढ़ाव है. सामान्य परिस्थिति में भी नए निवेशक को इंट्रा डे ट्रेडिंग से बचना चाहिए. यहीं जल्दी पैसा डूबता है. क्योंकि आपको बाजार का लंबा अनुभव औऱ ज्ञान नहीं है. बारिकियां नहीं पता है. लिहाजा घाटा होने की आशंका बहुत ज्यादा होती है. इसलिए बेहतर कंपनी में निवेश करें न कि इंट्रा डे ट्रेडिंग करें.

10- जितना पैसा लगाइए उतना ही ज्यादा पढ़िए
शेयर बाजार में आप जितना ज्यादा पैसा लगा रहे हैं उतना ही ज्यादा पढ़िए. मार्केट, कंपनी, रिजल्ट, विशेषज्ञों की सलाह, ग्लोबल मार्केट का रूख इन सारी चीजों के बारे में जितना जानेंगे, आपके लिए बेहतर होगा.

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'शेयर बाजार में उतार चढ़ाव'

वैश्विक बाजारों से मिले जुले संकेत और घरेलू बाजार में उतार चढ़ाव भरे कारोबार में बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेसेक्स 60 अंक ऊंचा बंद हुआ जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 11,350 अंक से ऊपर रहा.

देश में जारी कोरोना संकट के बीच शेयर बाजार में उतार चढ़ाव का दौर जारी है. गुरुवार को दिन के कारोबार की समाप्ती के समय सेंसेक्स में 222.80 अंकों की तेजी रही और सेंसेक्स 30602.61 अंकों पर बंद हुआ.

भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को भी उतार चढ़ाव का दौर जारी रहा, मंगलवार की तेजी के बाद बुधवार को गिरावट दर्ज की गयी. दिन के कारोबार की समाप्ति के समय सेंसेक्स में 173 अंकों की गिरावट देखी गयी और सेंसेक्स 29893.96 के अंकों पर बंद हुआ.

शेयर बाजार निवेशकों के लिए शुक्रवार को शुरुआती 15 मिनट भारी उतार- चढ़ाव भरे रहे. शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों दस प्रतिशत से अधिक टूट गए. इस उतार चढ़ाव के बाद अंत में बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1,325 अंक चढ़कर बंद हुआ.

बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 233.20 अंक यानी 0.56 प्रतिशत की तेजी के साथ 41,692.99 अंक पर और निफ्टी का एनएसई 59.85 अंक यानी 0.49 प्रतिशत की बढ़त लेकर 12,234.50 अंक पर चल रहा था.

Gold Rate: भारत के साथ-साथ अन्य देशों को भी प्रभावित कर रही है, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी सोने की कीमत आसमान को छू रही है. एक तरफ भारतीय बाजार में खाड़ी संकट के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में सोमवार तक लगतार गिरावट हुई थी वहीं सोने के निवेशकों में उत्साह देखने को मिल रहा था.

सोमवार को शेयर बाजार में उतार चढ़ाव का दौर रहा था, शुरूआती गिरावट के बाद शेयर बाजार में सुधार देंखने के बाद सेंसेक्स और निफ्टी बढ़त के साथ बंद हुए थे. दिन के शुरुआत में बढ़त के साथ खुलने के बाद गिरावत दर्ज की गयी थी लेकिन बाद में कारोबार में सुधार देंखने को मिला था. दिन की समाप्ती पर सेंसेक्स 42 अंको की सुधार के साथ 40,487 पर और निफ्टी 11,937 के आंकड़े पर पहुंच गया था.

कमजोर आर्थिक आंकड़ों और विदेशी बाजार से मिलने वाले संकेतों से पिछले सप्ताह घरेलू शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था और भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करने के फैसले ने बाजार को चैंकाया जिसके बाद बिकवाली के दबाव में प्रमुख शेयर संवेदी सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई थी.

बुधवार को कारोबार की शुरुआत में सेंसेंक्स और निफ्टी में तेजी देखने को मिल रही है. बाजार खुलने के साथ ही सेंसेक्स 240 अंक चढ़कर 41,061.10 पर और निफ्टी 12,100 के करीब पहुंच गया. मंगलवार को शेयर बाजार में उतार चढ़ाव का दौर रहा था. शुरुआती तेजी के बाद बाजार में गिरावट देखने को मिली थी सेंसेक्स 67.93 अंक गिरकर 40,821.30 और निफ्टी 12,000 अंक के स्तर पर बंद हुआ था

शेयर बाजार में मंगलवार को उतार चढ़ाव का दौर रहा. शुरुआती तेजी के बाद बाजार में गिरावट देखने को मिली सेंसेक्स 67.93 अंक गिरकर 40,821.30 और निफ्टी 12,000 अंक के स्तर पर बंद हुआ.

शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को कैसे समझें

शेयर बाजार से प्रॉफिट कमाने के लिए बाजार के उतार-चढ़ाव को समझना आवश्यक है मार्केट के उतार-चढ़ाव के बारे में यदि आप पूर्वानुमान लगाने में असमर्थ हैं तो आप शेयर बाजार से कमाई नहीं कर सकते हैं स्टॉक मार्केट से बेहतर रिटर्न पाने के लिए मार्केट के सभी पहलुओं पर ध्यान रखना होगा एक अनुभवी निवेशक शेयर बाजार में तेजी हो या मंदी दोनों ही परिस्थितियों में प्रॉफिट कमाता है

स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव को समझना इतना आसान नहीं होता किंतु असंभव भी बाजार के उतार नहीं होता है यदि आप शेयर मार्केट में लगातार ट्रेडिंग कर रहे हैं और समय दे रहे हैं भारतीय शेयर बाजार सहित ग्लोबल स्टॉक मार्केट पर भी आप नजर बनाए रख रहे हैं सोने चांदी की कीमत से लेकर डॉलर करेंसी आदि के बारे में यदि जानकारी रखते हैं तो स्टॉक मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव को आप आसानी से समझ सकते हैं स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव के इस पूर्वानुमान का हुनर जिन निवेशकों को आता है वह निवेशक शेयर बाजार से अच्छी खासी कमाई करते हैं

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को कैसे समझें

मार्केट के उतार-चढ़ाव को कैसे समझें

शेयर बाजार कब गिरेगा और कब बढ़ेगा इस बात को समझने के लिए आपको भारतीय शेयर बाजार अतिरिक्त विश्व के प्रमुख शेयर बाजारों पर नजर बनाए रखनी होगी भारत में हो रहे तत्कालीन घटनाओं पर भी नजर रखनी होगी साथ ही शेयर की कंपनी की मौजूदा परिस्थितियों को भी देखना होगा उदाहरण के तौर पर एक सामान्य ट्रेडिंग के दिन यदि अमेरिका सहित दुनिया के प्रमुख शेयर बाजारों में तेजी बनी हो तो भारतीय शेयर बाजार में भी बढ़त होना तय है और यह इसके विपरीत यदि ग्लोबल मार्केट में मंदी छाई है तो भारतीय शेयर बाजार पर भी दबाव देखने को मिल सकता है इसीलिए शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के पूर्वानुमान के लिए ग्लोबल स्टॉक एक्सचेंज पर नजर बनाए रखना अति आवश्यक है

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को कैसे समझें

पूर्वानुमान के लिए कैसे तैयार रहें

एक सामान्य परिस्थिति में शेयर बाजार में 200 - 300 पॉइंट के उतार-चढ़ाव के बाद विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए

देश दुनिया में यदि स्टॉक मार्केट के लिए कोई बड़ी नेटिव खबर नहीं है सामान्य परिस्थिति में मान लीजिए भारतीय शेयर बाजार में 200-300 पॉइंट का उतार-चढ़ाव यदि हो गया है तो मार्केट के विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को कैसे समझें

मार्केट में समझदारी से करें निवेश

शेयर बाजार में समझदारी से निवेश करना ही सफलता का मूल मंत्र है यदि स्टॉक मार्केट में आपने बिना सोचे समझे आंख बंद करके निवेश किया है तो नुकसान होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है इसीलिए मौजूद मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्टॉक मार्केट मैं निवेश करें

निवेशकों को चाहिए कि वह शुरुआती दो शॉर्ट टर्म एंड लोंग टर्म के लिए ही निवेश करें इंट्राडे निफ़्टी फ्यूचर ऑप्शन का ट्रेड अनुभव होने के बाद ही करें

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने की जरूरत नहीं, बनता रहेगा पैसा!

शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने की जरूरत नहीं, बनता रहेगा पैसा!

aajtak.in

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  • 19 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST

शेयर बाजार में इन दिनों भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. बाजार ऊपरी स्तरों पर टिक नहीं पा रहा है. ऐसे में निवेशकों की घबराहट बढ़ गई है. लेकिन इस वक्त बाजार में उतार-चढ़ाव से घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि बाजार के फंडामेंटल मजबूत हैं. बाजार की सेहत का तगड़ा पैमाना कॉरपोरेट अर्निंग है. जो कि न सिर्फ मजबूत है बल्कि आगे भी इसमें अच्छी खासी ग्रोथ का अनुमान है. निफ्टी की 50 कंपनियों की औसत प्रति शेयर आय में इस साल 40 फीसदी उछाल आने का अनुमान है.

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