रुझान प्रकार

भारत और ब्रिटेन में डिजिटल तकनीक द्वारा मीडिया प्रॉडक्शन, वितरण और ऑडिएंस से संवाद में तेजी से परिवर्तन आ रहा है और अब समय आ गया है कि प्रत्येक देश की क्षमता का उपयोग भविष्य के इन भावी रुझानों को क्रियान्वित करने में किया जाए। ब्रिटेन के पास विश्वस्तरीय रचनात्मक प्रतिभा है और अभिनव तकनीकी मंचों के साथ इन कौशलों के सम्मिश्र से विश्व बाजार में पहुंच बनाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों के निर्माण रुझान प्रकार का अवसर मिलता है।
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रचनात्मक उद्योगों में ब्रिटेन-भारत द्वारा अवसरों और साझा-उपक्रमों की तलाश
इन कार्यक्रमों में ब्रिटेन के नवप्रवर्तन ईकोसिस्टम को दर्शाया जाएगा जिसमें इन बातों को रेखांकित किया जाएगा कि किस प्रकार विश्वस्तरीय रचनात्मक उद्योगों और उभरते डिजिटल प्रौद्योगिकियों का सम्मिश्र नई सामग्रियों, प्लेटफॉर्मों, और बिजनस मॉडलों के अंतर्राष्ट्रीय प्रचालक बल के रूप में काम कर सकता है। रचनात्मक उद्योगों के अंदर उत्पादन प्रक्रियाएं अब प्रायः अंतर्राष्ट्रीय रूप से वितरित होती हैं और सेमिनारों में यह पता लगाया जाएगा कि किस प्रकार इस क्षेत्र में ब्रिटेन-भारत की बढ़ी हुई सहभागिता की उच्च संभावना हो सकती है।
यूकेटीआई के क्रिएटिव इंडस्ट्रीज एडवाइजर मार्क लीवर ने कहा:
भारत और ब्रिटेन में डिजिटल तकनीक द्वारा मीडिया प्रॉडक्शन, वितरण और ऑडिएंस से संवाद में तेजी से परिवर्तन आ रहा है और अब समय आ गया है कि प्रत्येक देश की क्षमता का उपयोग भविष्य के इन भावी रुझानों को क्रियान्वित करने में किया जाए। ब्रिटेन के पास विश्वस्तरीय रचनात्मक प्रतिभा है और अभिनव तकनीकी मंचों के साथ इन कौशलों के सम्मिश्र से विश्व बाजार में पहुंच बनाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों के निर्माण का अवसर मिलता है।
ये दोनों कार्यक्रम डिजिटल प्रभाव; वैश्विक उत्पादन और वितरण को बल देने वाले नई पीढ़ी के साधनों; और रचनात्मक उद्योगों के डिजिटल विकास से उत्पन्न भारतीय कंपनियों के लिए ब्रिटेन में बाजार की उपलब्धता पर केन्द्रित होंगे।
मुंबई और बेंगलुरू में भागीदारों द्वारा इस क्षेत्र में ब्रिटेन-भारत साझेदारी के मौजूदा परिदृश्य की रूपरेखा तैयार करेंगे और यह पता लगाएंगे कि डिजिटल तकनीकियों के तीव्र अंगीकरण के फायदों का लाभ उठाने के लिए किस प्रकार भारतीय और ब्रिटिश कंपनियां आपसी सहयोग कर सकती हैं। इस क्षेत्र से भारतीय कंपनियों की साझेदारी से उनकी आवश्यकताओं के बारे में एक गहरी समझ बनेगी और वे ब्रिटिश विशेषज्ञों के साथ-साथ केस अध्ययन, अनुभव और अंतदृष्टि साझा करेंगे।
टाटा एलक्सी के उपाध्यक्ष अनिल सोन्दुर ने कहा:
रचनात्मक क्षेत्र में ब्रिटेन और भारत के बीच एक मजबूत मौजूदा संबंध है। दोनों देशों में व्यावसायिक विशेषज्ञता, रचनात्मक उत्कृष्टता और तकनीकी नवप्रवर्तन के सम्मिश्र से हमारी जैसी कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन का निर्माण होगा जो दोनों देशों के बाजारों में काम करती हैं। रचानात्मक उद्योगों की रुझान प्रकार अर्थव्यवस्था में ब्रिटेन और भारत के बीच व्यावसायिक साझेदारियों पर यूकेटीआई के संकेन्द्रण का हम स्वागत करते हैं और साझेदारी के रूप में भविष्य के रुझान प्रकार रचनात्मक और तकनीकी रुझानों की खोज में महत्वपूर्ण संदृश्य अवसरों के बारे में उनके विचार साझा करते हैं।
रचनात्मक व्यवसाय के विकास के मुख्य पार्श्व में नवप्रवर्तन की भूमिका पर वक्तागण अपने विचार प्रस्तुत करेंगे और तकनीक अंगीकरण में भविष्य के रुझानों का पूर्वानुमान किया जाएगा और साथ ही उन बिन्दुओं को रेखांकित किया जाएगा जहां ब्रिटेन-भारत संबंधों की अगली पीढ़ी को नया अवसर उपलब्ध होगा।
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में 70 अरब पाउंड प्रतिवर्ष के साथ विश्वस्तरीय रचनात्मक क्षेत्र वाला ब्रिटेन भारतीय कंपनियों के लिए एक पसंदीदा जगह रही है। जी20 देशों में न्यूनतम कॉरपोरेशन टैक्स के साथ ब्रिटेन एक व्यवसाय हितैषी वातावरण उपलब्ध कराता है और रचनात्मक निर्माण तथा आर&डी- दोनों के लिए कोष जुटाने के अवसर मुहैया करता है जिससे भारतीय रचनात्मक और डिजिटल उद्योगों के लिए एक आकर्षक गंतव्य होता है। हाल के वर्षों में प्रमुख भारतीय रचनात्मक उपक्रमों जैसे प्राइम फोकस, विस्तार और टाटा एलक्सी ने ब्रिटेन में सफल व्यावसायिक उपस्थिति दर्ज की है।
आगे की जानकारी
सेमिनार: यूके क्रिएटिव टेक इनोवेशन ईकोसिस्टम की खोज
शहर | दिनांक | समय | स्थान |
मुंबई | 19 जनवरी | 10:30 बजे | लीला, सहार |
बेंगलुरू | 21 जनवरी | 19:00 बजे | जेडब्ल्यू मैरियट होटल |
ग्रेट फॉर कोलैब्रेशन भारत-ब्रिटेन व्यवसाय सहयोग को दर्शाने वाला एक नया महत्वाकांक्षी और रोमांचक अभियान है। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कैमरन द्वारा शुरू किया गया यह अभियान नई साझेदारियों को अनुप्रेरित करेगा और भारत के लिए ब्रिटेन की प्रतिबद्धता की व्यापकता पर जागरुकता लाएगा। कुल मिलाकर इसका उद्देश्य है दोनों देशों के बीच व्यवसाय को बढ़ावा देना। यह अभियान ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, उन्नत विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में भारत ब्रिटेन के आपसी लाभ वाले सहयोगों को प्रदर्शित और प्रोत्साहित करता है।
ग्रेट फॉर कोलैब्रेशन वीडियो
ब्रिटेन क्यों सबसे आकर्षक ओवरसीज व्यवसाय गंतव्य है इसकी जानकारी पाएं।
- 100 साल से भी अधिक समय से ब्रिटेन भारतीय निवेशकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य रहा है। ब्रिटेन में 45,000 कर्मचारियों के साथ टाटा विनिर्माण क्षेत्र का सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है और कोवेंट्री के अपने आर&डी केन्द्र में इसने भारी निवेश किया है। ब्रिटिश संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- ‘प्रमुख भारतीय कंपनी टाटा के दवारा एक प्रमुख ब्रिटिश कंपनी का संचालन किया जाता है और यह आपके देश में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता बन गया है’।
- कम टैक्स और प्रतिभाशाली कार्यबल के साथ ब्रिटेन आपके बिजनस के फलने-फूलने का सबसे सुविधापूर्ण स्थान है।
- 2014-15 में ब्रिटेन ने रिकॉर्ड संख्या में निवेश परियोजनाएं हासिल की और यूरोप में सर्वोच्च निवेश गंतव्य का अपना स्थान बरकरार रखा है। भारत 2014 में ब्रिटेन तीसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता के रूप में उभरा है जहां से इस देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 65% का इजाफा हुआ।
- 2014-2015 में 122 एफडीआई परियोजनाओं में भारतीय निवेश के कारण 7,730 नए रोजगार पैदा हुए और ब्रिटेन में 1620 रोजगार सुरक्षित हुए।
- भारतीय कंपनियों द्वारा ब्रिटेन में रोजगार दिए गए लोगों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई जहां यह 2014 में 1,00,000 से बढ़कर 1,10,000 हो गया। ईयू में कार्यरत 1200 कंपनियों में से 800 कंपनियां ब्रिटेन में स्थापित हैं।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:
स्टुअर्ट ऐडम, प्रमुख,
प्रेस और संचार
ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली- 110021
टेलीफोन: 44192100; फैक्स: 24192411
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत जीडीपी के संदर्भ में विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । रुझान प्रकार यह अपने भौगोलिक आकार के संदर्भ में विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
इतिहास
ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे । औपनिवेशिक युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रिटिश भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में रुझान प्रकार सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्धिमार्गी ह्रास होता था । इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ए डी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया । 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई । इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय रुझान प्रकार योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी ।
1991 में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्तुत किए जो इस दृष्टि से वृहद प्रयास थे जिनमें विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश के प्रति आग्रह शामिल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत आगे निकल आई है । सकल स्वदेशी उत्पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रतिशत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रतिशत के रूप में बढ़ गयी ।
कृषि
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल इसलिए कि इससे देश की अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्कि इसलिए भी भारत की आधी से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है ।
विभिन्न नीतिगत उपायों के द्वारा कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई, जिसके फलस्वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई । कृषि में वृद्धि ने अन्य क्षेत्रों में भी अधिकतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में और अधिकांश जनसंख्या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मिलियन टन का एक रिकार्ड खाद्य उत्पादन हुआ, जिसमें सर्वकालीन उच्चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्पादन हुआ । कृषि क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रतिशत प्रदान करता है ।
उद्योग
औद्योगिक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जोकि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है जैसे कि ऋण के बोझ को कम करना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्मनिर्भर वितरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परिदृय को वैविध्यपूर्ण और आधुनिक बनाना, क्षेत्रीय विकास का संर्वद्धन, गरीबी उन्मूलन, लोगों के जीवन स्तर को उठाना आदि हैं ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार देश में औद्योगिकीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्टि से विभिन्न नीतिगत उपाय करती रही है । इस दिशा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगिक नीति संकल्प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारित हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारित हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रतिबंधों को हटाना, पहले सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित, निजी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनिश्चित मुद्रा विनिमय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि के द्वारा महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्यधिक अपेक्षित तीव्रता प्रदान की ।
आज औद्योगिक क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रतिशत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रतिशत अंशदान करता है ।
सेवाऍं
आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि आधरित अर्थव्यवस्था से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रतिशत ( 1991-92 के 44 प्रतिशत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक तिहाई है और भारत के कुल निर्यातों का एक तिहाई है
भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्लेखनीय वैश्विक ब्रांड पहचान प्राप्त की है जिसके लिए निम्नतर लागत, कुशल, शिक्षित और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्ति के एक बड़े पुल की उपलब्धता को श्रेय दिया जाना चाहिए । अन्य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्यवसाय प्रोसिस आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परिवहन, कई व्यावसायिक सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधित सेवाऍं और वित्तीय सेवाऍं शामिल हैं।
बाहय क्षेत्र
1991 से पहले भारत सरकार ने विदेश व्यापार और विदेशी निवेशों पर प्रतिबंधों के माध्यम से वैश्विक प्रतियोगिता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति अपनाई थी ।
उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परिवर्तित हो गया । विदेश व्यापार उदार और टैरिफ एतर बनाया गया । विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सहित विदेशी संस्थागत निवेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लिए जा रहे हैं । वित्तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्य अन्य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्तियों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।
आज भारत में 20 बिलियन अमरीकी डालर (2010 - 11) का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हो रहा है । देश की विदेशी मुद्रा आरक्षित (फारेक्स) 28 अक्टूबर, 2011 को 320 बिलियन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बिलियन अ.डालर की तुलना में )
भारत माल के सर्वोच्च 20 निर्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्च 10 सेवा निर्यातकों में से एक है ।
दो पुरुष ही बन सके हैं अभी तक जिला पंचायत अध्यक्ष
नर्मदापुरम (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिस प्रकार से पंचायत चुनाव के रुझान आ रहे रहे हैं। उसके मुताबिक जिला पंचायत के कुल 15 वार्डों में से 10 वार्ड पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी आगे बताए जा रहे हैं। तीन पर कांग्रेस और दो पर निर्दलियों ने भी खाते खोले हैं। आ रहे रुझान के अनुसार एक बार फिर से योजन गंधा के जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के
नर्मदापुरम (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिस प्रकार से पंचायत चुनाव के रुझान आ रहे रहे हैं। उसके मुताबिक जिला पंचायत के कुल 15 वार्डों में से 10 वार्ड पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी आगे बताए जा रहे हैं। तीन पर कांग्रेस और दो पर निर्दलियों ने भी खाते खोले हैं। आ रहे रुझान के अनुसार एक बार फिर से योजन गंधा के जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के आसार बनते नजर आ रहे हैं। वे 2010 से 2015 तक अध्यक्ष रह चुकी हैं। इस बार भी आदिवासी महिला के लिए अध्यक्ष पद आरक्षित होने से उनकी दावेदारी प्रबल हैं।
जिला पंचायत के रुझान प्रकार वार्र्डों में आगे रहे प्रत्याशी
वार्ड एक से अजीत मंडलोई, दो से मधु धुर्वे, तीन से राधा सुधीर गौर, चार से ज्योत्सना पटेल, पांच से सीमा कासदे, छह से शिवा राजपूत, सात से सकुन चौरे, आठ से उमेश यादव, नौ से हाकम सिंह गुर्जर,10 से दौलत सिंह, 12 से गीता हीरालाल, 13 से र्ब्रजलाल पठारिया,14 से योजन गंधा जूदेव, और वार्ड 15 से भागवती पटेल के आगे रहने के रूझान सामने आए हैं। इनकी जीत की अधिकृत घोषणा 14 जुलाई को होने की संभावना है।
अब तक इन्होंने संभाली है जिला पंचायत की कुर्सी
पंचायती राज व्यवस्था के शुरू होने रुझान प्रकार के बाद से अब तक सिर्फ दो पुरुषों को ही अध्यक्ष बनने का मौका मिला है। वहीं महिलाएं तीन बार पूर्व में अध्यक्ष रह चुकी हैं। आरक्षण के तहत इस बार भी महिला को ही कुर्सी संभालनी है। प्रथम अध्यक्ष शीला यादव 17 जुलाई 94 से 28 अक्टूबर 99 तक, उमा आरसे 1 मार्च 2000 से 28 फरवरी 2005 तक, भवानी शंकर शर्मा, 1 मार्च 2005 से 26 फरवरी 2010 तक योजन गंधा जूदेव 26 फरवरी 2010 से 26 मार्च 2015 उसके बाद कुशल पटेल 26 मार्च 2015 से सात वर्ष तक रहे। अब पांचवे अध्यक्ष की बारी आने वाली है।