डीमैट खाता शब्दावली

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम क्या है – Sovereign Gold Bond Scheme (SGB)
देश में सोने (gold) की मांग में कमी लाने तथा घरेलू बचत (personal savings) के लिए सोना खरीदने वाले लोगों को वित्तीय बचत (financial saving) में लाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने महत्वपूर्ण सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना Sovereign Gold Bond Scheme (SGB) शुरू की थी।
चलिये इस स्कीम के बारे मैं पूरी जानकारी लें।
Sovereign Gold Bond Scheme (SGB) – सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम
इस योजना से सोने के आयात (import) पर सही तरीके से निगरानी भी रखी जा सकेगी। ऐसे में इसमें ट्रांसपेरेंसी भी होगी और investors को अपने सोने की सुरक्षा के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
साथ में interest के रूप में कमाई का भी मौका होगा। इस योजना को भारत सरकार ने 2015 के बजट में पेश डीमैट खाता शब्दावली किया था।
इस स्कीम मे लोग एक सोने की पट्टी या एक सोने के सिक्के के बजाय अपने investment के बदले एक कागज प्राप्त करते हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड डिजिटल और डीमैट रूप में भी उपलब्ध हैं और लोन के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
SGB को स्टॉक एक्सचेंज (stock exchanges) में बेचा जा सकता है। Investors को प्रचलित सोने की कीमत के आधार पर रिटर्न मिलेगा।
यदि आप investment के उद्देश्य से सोना खरीदना चाहते हैं तो गोल्ड बॉन्ड आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।
क्या SGB में निवेश जोखिम है?
निवेश (investment) शब्द के साथ जोखिम (risk) का आना स्वाभाविक है। दुनिया में ऐसा कोई निवेश नहीं हो सकता जिसमें पूरी तरह से शून्य जोखिम हो।
ऐसे में गोल्ड बॉन्ड के साथ भी कुछ ऐसा ही है।
अगर गोल्ड का मूल्य गिर जाए तो निश्चित तौर पर आपको नुकसान होगा।
लेकिन गोल्ड ऐसी कॉमोडिटी (commodity) है, जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है।
किसी और निवेश की तुलना में इसकी कीमत काफी हद तक स्थिर रहती है या फिर मामूली उतार-चढ़ाव होता है।
लेकिन SGB की सबसे अच्छी चीज यह है कि आप जितना सोना खरीदेंगे उसकी मात्रा (quantity) में कभी कमी नहीं आएगी.
कौन निवेश (investment) कर सकता है?
Foreign Exchange Management Act, 1999 के तहत भारत का नागरिक कहलाने वाला कोई भी व्यक्ति इस बॉन्ड में निवेश कर सकता है।
इसमें व्यक्तिगत के साथ हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF), ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चेरिटेबल इंस्टीट्यूशन भी निवेश कर सकते हैं।
इसमें ज्वाइंट होल्डिंग (joint holding) की भी अनुमति है. एक नाबालिग (minor) भी investor बन सकता है, लेकिन इसके लिए डीमैट खाता शब्दावली उसके गार्जियन (guardian) को आवेदन करना होगा।
यहां से खरीद सकते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
भारत सरकार की ओर से ये बॉन्ड रिजर्व बैंक जारी करेगा।
गोल्ड बॉन्ड आप बैंकों, डाकघरों, मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों जैसे भारतीय राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE/National Stock Exchange Limited और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE/Bombay Stock Exchange) के अलावा स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) के जरिए भी खरीद सकते हैं।
इस स्कीम मैं इतना मिलेगा ब्याज (Interest)
गोल्ड बॉन्ड की परिपक्वता अवधि (maturity ) आठ साल की होती है और इस पर सालाना 2.5% का ब्याज मिलता है।
और ब्याज का भुगतान हर छह महीने में किया जाता है. बॉन्ड पर मिलने वाला interest निवेशक के टैक्स स्लैब (tax slab) के अनुसार taxable होता है, लेकिन इस पर स्रोत पर कर कटौती (TDS ) नहीं होती है।
इतना होना चाहिए न्यूनतम निवेश (minimum investment)
गोल्ड बॉन्ड में FY (अप्रैल-मार्च) में प्रति व्यक्ति न्यूनतम निवेश (minimum investment) एक ग्राम है, जबकि अधिकतम सीमा 500 ग्राम है।
हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के लिए निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम और ट्रस्टों और संस्थाओं के लिए 20 किलोग्राम रखी गई है।
मैच्योरिटी तक रखने पर गोल्ड बॉन्ड पर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं
मैच्योरिटी तक होल्ड करने पर SGB पर कोई capital gains tax नहीं लगता है।
हालांकि, मैच्योरिटी की तारीख से पहले एक्सचेंज के जरिए बेचने पर यह छूट लागू नहीं होती है।
अगर खरीद के तीन साल के भीतर गोल्ड बॉन्ड को बेचा जाता है तो इसे short term gains माना जाता है।
इस तरह के capital gains को निवेशक (investor) की इनकम के साथ जोड़ा जाता है।
इस पर उसी के हिसाब से टैक्स लगेगा जिस टैक्स स्लैब में निवेशक आता है।
Frequently Asked Questions (FAQ) on Sovereign Gold Bond Scheme (SGB) – सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम
उन लोगों के लिए जो सोने में निवेश करना चाहते हैं उनके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है क्योंकि इसमे निवेशक न केवल कीमती धातु की कीमतों में appreciation कर सकते हैं बल्कि शुरुआती निवेश पर 2.5% की दर से ब्याज भी कमा सकते हैं और वो भी पूरे कार्यकाल के दौरान।
जी हाँ बांड डीमैट खाते में रखे जा सकते हैं।
आपको (KYC) मानदंडों के साथ documents प्रदान करने की आवश्यकता है। केवाईसी दस्तावेजों में पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी आदि शामिल हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आठ साल की परिपक्वता अवधि (maturity) के साथ आता है। पांचवें वर्ष को पूरा करने के बाद बॉन्ड से बाहर निकलने का विकल्प भी है।
हां, प्रत्येक परिवार के सदस्य बांड को पकड़ सकते हैं यदि वे पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड यदि परिपक्वता तक hold किए जाते हैं तो tax free हैं।
इन बांडों को ऋण के खिलाफ (loan collateral) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
तो दोस्तो ये थी information Sovereign Gold Bond Scheme (SGB) – सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के बारे मैं।
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IPO क्या है? इसमे निवेश कैसे करे? आइये जाने विस्तार से
What is IPO in Hindi
IPO क्या है? यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर एक नए निवेशक के मन में जरूर आता है। विशेष करके जो लोग शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं और अभी नए हैं उनके मन में इस तरह के सवाल What is IPO in Hindi रहते हैं। आजकल बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करके अच्छा रिटर्न पाने की तलाश करते रहते हैं। ऐसे में IPO इन्वेस्टमेंट का एक बढ़िया जरिया है।
आईपीओ क्या है (What is IPO)? –
IPO का फुलफोर्म Initial Public Offering होता है। जब कोई कंपनी अपने सामान्य स्टॉक के शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तब उसे आईपीओ (IPO) कहा जाता है। इसे हिंदी में सामाजिक प्रस्ताव के नाम से भी जाना जाता है। ज्यादातर यह छोटी और कंपनियों द्वारा ही जारी किया जाता है जो अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए पूँजी जुटाना चाहती हैं।
लेकिन कई बार यहां निजी स्वामित्व वाली बड़ी कंपनियों द्वारा भी जारी किया जाता है। खास करके जब वह सार्वजनिक बाजार में व्यापार करने की उम्मीद रखती है। आईपीओ जारी करने वाली कंपनी को हामिदार कंपनी से मदद लेती है, जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि किस प्रकार जमानत (सिक्योरिटी) जारी करना चाहिए, साथ ही आईपीओ का सर्वोत्तम मूल्य और उसे बाजार में जारी करने के लिए सही समय क्या है?
ध्यान रहे आईपीओ (IPO) एक जोखिम भरा निवेश हो सकता है क्योंकि व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इस बात की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता डीमैट खाता शब्दावली है कि शेयर अपने प्रारंभिक दिनों में और आने वाले भविष्य में किस तरह से प्रदर्शन करेंगे। क्योंकि नई कंपनियों का विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आंकड़े उपलब्ध नहीं होते हैं।
ज्यादातर आईपीओ उन कंपनियों के होते हैं जो अस्थाई विकास के दौर से गुजर रही होती हैं। इसलिए भविष्य में उनके मूल्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है।
लेकिन जैसा कि कहा जाता है जहां पर अधिक जोखिम होता है वहीं पर अच्छे रिटर्न की भी उम्मीद रहती है। तो आप अपने रिस्क पर IPO में निवेश कर सकते हैं।
इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जब कोई कंपनी पब्लिक (Public) से फंड (Fund) जुटाना चाहती है और शेयर मार्केट (share market) में लिस्टेड होकर जनरल शेयर ( general share) को पब्लिक के लिए पहली बार जारी (issue) करती है तब इस पूरी प्रक्रिया को IPO कहा जाता है।
सामान्य रूप से यह लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। इसके माध्यम वह शेयर बाजार में लिस्टेड होना चाहती है। आईपीओ (IPO) में कोई भी निवेश (Invest) करके कंपनी के स्वामित्व (ownership) में हिस्सेदार बन सकता है।
IPO लाने का क्या कारण है? –
जब किसी कंपनी को अपने व्यापार को विस्तार देने के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती है, तब वह कंपनी अपना आईपीओ जारी करती है।
यह उस वक्त भी जारी किया जा सकता है जब कंपनी के पास पूंजी की कमी हो और कंपनी कर्ज लेने के बजाय आईपीओ (IPO) के माध्यम से फंड जुटाना चाहती हो।
IPO के लाभ –
आईपीओ (IPO) में निवेशक के माध्यम से पूंजी सीधे कंपनी के पास जाते हैं। हालांकि जब डिसइनवेस्टमेंट (विनिवेश) किया जाता है तो आईपीओ से जो भी पूंजी मिलती है वह सरकार के पास जाती है।
यदि एक बार आईपीओ के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाती है तब उन्हें आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। ध्यान रहे शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले लाभ और हानि की जिम्मेदारी निवेशकों की ही होती है।
IPO से जुड़ी शब्दावली –
आईपीओ जब किसी भी कंपनी के द्वारा बाजार में लाया जाता है, तो बोली लगाते समय कुछ तकनीकी शब्दावली इस्तेमाल में लाई जाती हैं। उनके अर्थ को सही ढंग से समझने के लिए हम यहां कुछ आईपीओ से जुड़े शब्दावली लेकर आए हैं जो इस प्रकार से है
- Price Band – सामान्य तौर से प्राइस बैंड वह दायरा है, जिसके आधार पर आप आईपीओ के लिए बोली लगाते हैं।
- Bid Lot बिटलॉर्ड से तात्पर्य शेयर की उस न्यूनतम मात्रा से है, जिसके आधार पर ग्राहक आईपीओ के लिए बोली लगाता है।
- Registrar – रजिस्ट्रार, किसी विशेष कंपनी का निकाय होता है, जिसे आईपीएल से जुड़े काम की जिम्मेदारी दी जाती है। सेबी के अनुसार वह निवेश करवाते हैं। ग्राहकों से पैसे की वसूली करता है और आईपीओ की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है।
- Issue size – डीमैट खाता शब्दावली इशू साइज से तात्पर्य शेयर की उस मात्रा से है जिस पर बोली लगाई जाती है।
- QIB – QIB से तात्पर्य, जितना शेयर प्रतिशत निवेशक संस्थाओ के बोली लगाने के लिए रखा जाता है, उससे है।
- NIB – जितना शेयर प्रतिशत गैर निवेशक संस्थाओं के द्वारा बोली लगाने के लिए रखा जाता है, उसे एनआईबी कहा जाता है।
- Retail – रिटेल से तात्पर्य जितना शेयर रिटेल निवेशकों द्वारा बोली के लिए निर्धारित किया जाता है।
- Listing – लिस्टिंग से तात्पर्य जिन सूचियों पर आईपीओ खुलता है और कारोबार के लिए उपलब्ध रहता है, उसे कहते हैं।
IPO में Investment कैसे करे? –
आईपीओ (IPO) में निवेश (Investment) करने के लिए आप को भारत सरकार के कॉर्पोरेट मंत्रालय और सेबी (SEBI) के द्वारा बनाए गए कुछ नियमों और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। IPO में इन्वेस्ट करने के लिए डीमैट (Demat) या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना पड़ता है।
आईपीओ में निवेश करने के लिए आपके पास प्रमुख रूप से बैंक खाता, डीमैट अकाउंट और पैन कार्ड जरूरी है। इसके बाद आप जिस कंपनी के आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं उसके प्रोस्पेक्टर्स और एप्लीकेशन फॉर्म को लेकर उसे भर सकते हैं और निर्धारित राशि के डिमांड ड्राफ्ट के साथ निर्धारित बैंक में उसे जमा करना होता है।
IPO से जुड़े अपने सवालों को आप हमसे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के पूछ सकते है!
रायपुर कालम दुनिया के गोठ : पितृ-पक्ष और हिंदी-सेवी की आत्मा
हिंदी में उन्होंने बहुत-सी पुस्तकें लिखीं। बोले कि आप हिंदी-सेवी हैं, आपको हिंदी दिवस पर सम्मान मिलता है, इसलिए चाहता हूं कि आप मेरे पिताजी के दिन पर भोजन करने अवश्य पधारें। इससे पिता की आत्मा को शांति मिलेगी।
रायपुर। चिंतकजी गार्डन में मिले। भावुक दिखाई दे रहे थे। कहने लगे, 'पितृपक्ष में कभी किसी के घर भोजन करने नहीं गया, लेकिन आज जाना है। श्राद्ध खाने के लिए जिन सज्जन ने आमंत्रित किया है, उनके आग्रह को टाला नहीं जा सकता।" मैंने उस हृदय-स्पर्शी आग्रह के बारे में पूछा तो बोले, 'सज्जन ने घर आकर कहा कि उनके पिता हिंदी-सेवी थे। हिंदी बोलने और लिखने के लिए लोगों को प्रेरित करते थे।
हिंदी में उन्होंने बहुत-सी पुस्तकें लिखीं। बोले कि आप हिंदी-सेवी हैं, आपको हिंदी दिवस पर सम्मान मिलता है, इसलिए चाहता हूं कि आप मेरे पिताजी के दिन पर भोजन करने अवश्य पधारें। इससे पिता की आत्मा को शांति मिलेगी। यह सुनकर मैं भावुक हो गया और मैंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया।" चिंतकजी की बातें सुनकर मैं भी भावुक हो गया और कहा, 'अवश्य जाइए। उस हिंदी-सेवी की आत्मा को प्रसन्न करिए। दक्षिणा भी अच्छी खासी मिल जाएगी।"
एक कवि हैं। कवि सम्मेलनों में वे खूब नौटंकी करते हैं। उनके बाप-दादा अहिंदी भाषी क्षेत्र से आए थे और यहीं रम गए थे। मैं जिन सज्जन का उल्लेख कर रहा हूं, उनका जन्म और शिक्षा-दीक्षा हिंदी भाषी क्षेत्र में हुई है, लेकिन फिर भी वे स्वयं को अहिंदी भाषी ही मानते हैं। हिंदी भाषियों से उनकी पटरी नहीं खाती। छोटी-छोटी बातों को लेकर आरोप लगाते रहते हैं कि उनकी उपेक्षा होती है, जबकि वे अहिंदी भाषी होने के बावजूद हिंदी की सेवा कर रहे हैं।
स्वयं को अहिंदी भाषी हिंदी-सेवी बताकर वे कई सम्मान-पुरस्कार झटक चुके हैं। हिंदी दिवस के एक आयोजन में वे कहने लगे कि उन्हें कम वजन की माला पहनाई गई है। यह एक अहिंदी भाषी का अपमान है। इस पर एक हंसोड़ ने कहा, 'आप कहां अहिंदी भाषी? जन्म से तो यहीं के हैं। पूरी तरह हिंदी भाषी छत्तीसगढ़िया हो जाइए। क्या नौटंकी करते हैं?"
हिंदी दिवस पर अनेक कार्यक्रम होते हैं। कुछ जगह कवि-सम्मेलन भी आयोजित कर लिए जाते हैं और कवियों को मानदेय मिल जाता है। कई माह पहले से ही कुछ कवि लोग उन साहबों को तेल लगाने लगते हैं, जो हिंदी दिवस, सप्ताह या पखवाड़े के दौरान कवि सम्मेलन कराते हैं। ऐसा करके वे लिफाफा का जुगाड़ कर लेते हैं। कुछ कवि दूसरे का पत्ता काटने या कटवाने में लगे रहते हैं। अधिकारियों को पटाकर या भरमाकर अपना मतलब साधते हैं और दूसरे का नुकसान करते हैं। ऐसे में सच्चे हिंदी-सेवी वंचित रह जाते हैं और जुगाड़ी सम्मान-पुरस्कार झटक लेते हैं।
कई अधिकारी तो किसी कवि को कवि-सम्मेलन का ठेका दे देते हैं। ऐसे में वह ठेकेदार अपने गुट के कवियों को बुलाकर हिंदी का उद्धार कर देता है। हिंदी दिवस पर स्तरीय कार्यक्रम होने चाहिए, उन लोगों को आमंत्रित करना चाहिए, जो वास्तव में हिंदी की सेवा कर रहे हैं।