कुल मार्जिन

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) ने वाहन कंपनियों से कहा है कि कारोबार को आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक बनाने के लिए डीलरशिप पर लागत ढांचे में कम से कम 20 प्रतिशत की कमी लाई जाए। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) को लिखे पत्र में फाडा के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले ने मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) या वाहन कंपनियों की ओर से तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि ऊंची लागत और कम परिचालन मार्जिन की वजह से उनका मुनाफा लगातार कम हो रहा है।
सरकार ने ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर बिजनेस मार्जिन किया सीमित, कीमत में कुल मार्जिन 25 से 54 प्रतिशत तक की कमी
By: एजेंसी | Updated at : 12 Jun 2021 09:42 AM (IST)
नई दिल्लीः रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर बिजनेस मार्जिन की सीमा तय होने से सरकार ने उपभोक्ताओं की बचत सुनिश्चित की है. इस कदम से इस महत्वपूर्ण उपकरण के दाम कम हुए हैं. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने तीन जून को ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स के लिये वितरक मूल्य (प्राइस टू डिस्ट्रीब्यूटर) के स्तर पर व्यापार मार्जिन को 70 प्रतिशत पर सीमित कर दिया था.
70 ब्रांड की कीमतों कुल मार्जिन में 54 प्रतिशत तक की कमी
मंत्रालय के अनुसार, ‘‘इस कदम के बाद ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर के कुल 104 निर्माताओं / आयातकों ने 252 उत्पादों / ब्रांडों के लिए संशोधित एमआरपी जमा की हैं.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘70 ब्रांड के मामले में कीमतों में 54 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. यह अधिकतम खुदरा मूल्य में 54,337 रुपये प्रति यूनिट तक की कमी को बताता है. इसके अलावा, 58 ब्रांड ने 25 प्रतिशत तक और 11 ब्रांड ने कीमतों में 26-50 प्रतिशत कमी की सूचना दी है.’’
सार्वजनिक तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल कीमतें नहीं बढ़ने से कुल 18,480 करोड़ रुपये का नुकसान
Published: August 8, 2022 8:07 AM IST
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लागत मूल्य बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखने की वजह से कुल 18,480 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.
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सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल विपणन कंपनियों की तरफ से शेयर बाजारों को दी गई जानकारी के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाने की वजह से उनका घाटा काफी बढ़ गया. ऐसा उनके विपणन मार्जिन में गिरावट आने के कारण हुआ.
पेट्रोल-डीजल के अलावा घरेलू एलपीजी के विपणन मार्जिन में कमी आने से इन पेट्रोलियम कंपनियों को बीती तिमाही में हुआ तगड़ा रिफाइनिंग मार्जिन भी घाटे में जाने से नहीं बचा पाया.
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) को लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करने का अधिकार मिला हुआ है लेकिन बढ़ती खुदरा मुद्रास्फीति के दबाव में चार महीने से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम नहीं कुल मार्जिन बढ़ाए गए हैं. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें बढ़ने से कुल मार्जिन इन कंपनियों की लागत भी बढ़ गई. इन कंपनियों ने रसोई गैस की एलपीजी दरों को भी लागत के अनुरूप नहीं बदला है.
नए मार्जिन नियम: पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलेगी
मुंबई- – ग्राहक स्तर पर कोलैटरल के निगरानी और वर्गीकरण के मामले में सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के सर्कुलर को 2 मई 2022 से लागू कर दिया गया है। एंजेल वन के सीईओ नारायण गंगाधर ने बताया कि यह विनियमन निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा प्रतिभागियों के हितों को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलती है।
इससे पहले ब्रोकर्स या मध्यस्थों को ग्राहकों से मार्जिन जमा करने और फिर एक्सचेंजों के साथ समेकित स्तर पर कोलैटरल जमा करने की आवश्यकता होती थी। ग्राहक स्तर पर वर्गीकरण किए बिना कोई भी ट्रेडिंग करने वाला सदस्य या ब्रोकर स्तर का कोई भी व्यक्ति यह काम कर सकता था, जहां कुल कोलैटरल का कम से कम 50% हिस्सा नकदी या नकदी समतुल्य में होना आवश्यक था। 2 मई 2022 के बाद से नए नियमन के मुताबिक अब ग्राहकों के स्तर पर ग्राहक के फंड और ब्रोकर्स के फंड्स को नकदी और गैर नकदी में अलग करना जरूरी होगा और फिर उसकी जानकारी एक्सचेंजों को देनी होगी।
कुल मार्जिन
Pune, Maharashtra, India: मार्जिन ट्रेड फाइनेंसिंग (MTF) शेयर बाजार में डिलिवरी ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों के लिए एक प्रभावशाली साधन है। एमटीएफ (MTF) के ज़रिये निवेशक अपने पास मौजूद राशि से अधिक मूल्य के शेयर खरीद सकते हैं। निवेशक को ध्यान रखना होगा की मार्जिन ट्रेडिंग में लाभ तभी होगा जब उनके सौदे का मुनाफा इन दोनों के कुल मुल्य से अधिक हो- ब्रोकरेज और एमटीएफ में लिए सौदे पर कुल मार्जिन लागु होने वाला ब्याज धन।
मार्जिन ट्रेडिंग फाइनेंसिंग (MTF) कुल मार्जिन से जुड़ी चुनौतियां
डिलीवरी में ट्रेड करने वाले निवेशक कम से कुल मार्जिन कम ब्याज दरों पर एमटीएफ (MTF) की सुविधा की अपेक्षा करते हैं। आम तौर पर, इंट्राडे ट्रेडर्स को अपने ब्रोकर के प्लेटफॉर्म पर ऑर्डर देते समय मार्जिन (लीवरेज) मिलता है। मगर डिलीवरी ट्रेडर्स के लिए लीवरेज एमटीएफ (MTF) के माध्यम से प्रदान कुल मार्जिन किया जाता है। इस सुविधा को लेने के लिए हो सकता है निवेशक को अपने ब्रोकर से जानकारी लेनी पड़े। एमटीएफ (MTF) की मदद से निवेशक केवल मार्जिन राशि देकर डिलीवरी में अधिक मूल्य के शेयर खरीद सकते हैं। ब्रोकर बाकी राशि प्रदान करते हैं और उस पर ब्याज लगाते हैं। साथ ही उस ऑर्डर पर ब्रोकरेज चार्ज भी लगता है। अगर ब्रोकरेज चार्ज और एमटीएफ (MTF) की ब्याज दरें अधिक हो तो सौदे में अगर लाभ भी हो, फिर भी ज्यादा हिस्सा इन सारे चार्ज की पूर्ती करने में चला जाता है। निवेशक के इस समस्या का समाधान प्रतिष्ठित डिस्काउंट ब्रोकर - बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज लिमिटेड (बीएफएसएल) प्रदान कर रहा है।
Automobile dealers: वाहन डीलरों ने सियाम को लिखा पत्र, बिक्री मार्जिन में बढ़ोतरी की मांग
Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 31, 2020 15:09 IST
Photo:PTI । FILE PHOTO
Auto dealers seek higher sales margin, cost reduction measures to tide over dwindling profitability
नयी दिल्ली। वाहनों डीलरों के संगठन फाडा ने वाहन विक्रेताओं का प्रति वाहन बिक्री मार्जिन बढ़ाकर कम से कम सात प्रतिशत करने की मांग की है। वाहन बाजार में लंबे समय से जारी सुस्ती और अब कोरोना वायरस महामारी की वजह से बिक्री में काफी गिरावट आई है। इससे डीलरों की परिचालन लागत बढ़ गयी है।