भारत में डेमो खातों के साथ दलाल

बाजार का राज्य और विकास

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भारत में सूती वस्त्र उद्योग के .

Solution : भारत में सूती वस्त्रों के उपयोग की परम्परा बहुत प्राचीन है। सिन्धु सभ्यता में बने वस्त्रों की माँग यूरोपीय और मध्य-पूर्व के देशों में बहुत अधिक थी। उस काल में सूती वस्त्र उद्योग ग्रामीण या कुटीर उद्योग के रूप में संचालित किया जाता था। वस्त्र के लिए धागा बनाने की मशीन मात्र चरखा थी। उन्नीसवीं शताब्दी केआरम्भिक वर्षों में कोलकाता के निकट सूती मिल की स्थापना की गई। परन्तु इस उद्योग का वास्तविक विकास सन् 1954 ई० से प्रारम्भ हुआ, जब पूर्ण रूप से भारतीय पूँजी द्वारा मुम्बई में सूती मिल की स्थापना की गई थी। महत्त्व – सूती वस्त्र उद्योग एक प्रमुख उद्योग है। यह न केवल वस्त्र जैसी अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति करता है वरन् बड़ी मात्रा में रोजगार भी उपलब्ध कराता है। यह निर्यात द्वारा बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी कमाकर देता है। स्थानीयकरण के कारण – भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण बाजार का राज्य और विकास के निम्नलिखित कारण हैं पर्याप्त कच्चे माल (कपास) का स्थानीय उत्पादन। अनुकूल नम जलवायु तथा स्वच्छ जल। रासायनिक पदार्थों का सरलता से मिलना। सस्ते एवं कुशल श्रमिकों का मिलना। परिवहन के सस्ते साधनों बाजार का राज्य और विकास का मिलना। वस्त्र बनाने वाली मशीनरी की उपलब्धता। वस्त्र उद्योग को सरकारी संरक्षण तथा सहायता प्राप्त होना। उपभोक्ता बाजार निकट स्थित होना। शक्ति के पर्याप्त संसाधन मिलना। विदेशी सूती वस्त्रों पर भारी आयात कर का होना। सूती वस्त्र निर्यात की उदार सरकारी नीति का पालन करना। उत्पादन-सूती वस्त्र उद्योग भारत का प्राचीनतम एवं महत्त्वपूर्ण उद्योग है। यह वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा तथा विकसित उद्योग है। यह देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग 14% का अंशदान करता है। देश के कुल निर्यात व्यापार में लगभग 23% की हिस्सेदारी रखने वाला निर्यातपरक यह उद्योग लगभग 35 लाख लोगों की जीविका चला रहा है। भारत का विश्व के सूती वस्त्र उत्पादन में चीन के बाद दूसरा स्थान है। परन्तु तकुओं की दृष्टि से प्रथम स्थान है। भारत में सूती वस्त्र बनाने का कार्य पहले कुटीर उद्योग के रूप में किया जाता था, परन्तु अब यह एक महत्त्वपूर्ण संगठित उद्योग के रूप में विकसित हो गया है। भारत के अनेक राज्यों में सूती वस्त्र उद्योग का स्थानीयकरण हुआ है। यह क्षेत्र हैं-मुम्बई, हैदराबाद, सूरत, शोलापुर, कोयम्बटूर, नागपुर, मदुरै, कानपुर, बंगलुरु, पुणे और चेन्नई। सूती वस्त्र उद्योग उत्पादन के क्षेत्र एवं महत्त्वपूर्ण केन्द्र यद्यपि भारत के अनेक राज्यों में सूती वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है, परन्तु इसका सर्वाधिक विकास गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्यों में हुआ है। मुम्बई तथा अहमदाबाद नगर सूती वस्त्र उद्योग के प्रधान केन्द्र हैं। भारत के प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन राज्यों का विवरण निम्न प्रकार है 1. गुजरात-सूती वस्त्र उत्पादन के क्षेत्र में गुजरात राज्य का भारत में प्रथम स्थान है। यह देश का लगभग 33% सूती वस्त्र का उत्पादन करता बाजार का राज्य और विकास है। अहमदाबाद महानगर सूती वस्त्र उद्योग का मुख्य केन्द्र है। यही कारण है कि अहमदाबाद को भारत का मानचेस्टर और पूर्व का बोस्टन कहा जाता है। बड़ोदरा, सूरत, भरूच, बिलिमोरिया, मोरवी, सुरेन्द्रनगर, राजकोट, कलोल, भावनगर, नाडियाड, पोरबन्दर तथा जामनगर अन्य प्रमुख सूती वस्त्र बनाने वाले केन्द्र हैं। 2. महाराष्ट्र – इस राज्य का भारत के सूती वस्त्र उद्योग में दूसरा स्थान है। मुम्बई महानगर में खटाऊ, फिनले तथा सेंचुरी जैसी प्रसिद्ध सूती वस्त्र मिले हैं। महाराष्ट्र में सूती वस्त्र उद्योग के अन्य केन्द्रों में शोलापुर, कोल्हापुर, पुणे, नागपुर, सतारा, वर्धा, (UPBoardSoluti अमरावती, सांगली, थाणे, जलगाँव, अकोला, सिद्धपुर, चालीसगाँव, धूलिया, औरंगाबाद आदि प्रमुख हैं। 3. तमिलनाडु – इस राज्य में कोयम्बटूर सूती वस्त्र का प्रमुख केन्द्र है। सलेम, चेन्नई, रामनाथपुरम, तूतीकोरिन, तंजावूर, मदुरै, पेराम्बूर आदि अन्य प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक केन्द्र हैं। 4. उत्तर प्रदेश – यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा सूती वस्त्र उत्पादक राज्य है, कानपुर महानगर इस उद्योग का मुख्य केन्द्र है, इसे उत्तर भारत का मानचेस्टर कहा जाता है। अन्य सूती वस्त्र उत्पादक केन्द्रों में वाराणसी, रामपुर, मुरादाबाद, आगरा, बरेली, अलीगढ़, हाथरस, मोदीनगर, पिलखुवा, सण्डीला, इटावा आदि मुख्य हैं। 5. पश्चिम बंगाल – सूती वस्त्र उत्पादन की दृष्टि से इस राज्य का भारत में तीसरा स्थान है। यह राज्य भारत का 15% सूती वस्त्र उत्पादित करता है। कच्चे माल की कमी आयातित कपास से पूरी की जाती है। चौबीस-परगना, हावड़ा एवं हुगली प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन जिले हैं। कोलकाता, श्रीरामपुर, हुगली, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, रिशरा, फूलेश्वर, धुबरी आदि प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक केन्द्र हैं। अन्य राज्य – भारत के अन्य सूती वस्त्र उत्पादक राज्यों में कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, केरल, बिहार एवं दिल्ली प्रमुख हैं। व्यापार – भारत सूती वस्त्र का निर्यात मुख्यतः हिन्द महासागर के तटवर्ती देशों-ईरान, इराक, म्यांमार (बर्मा), श्रीलंका, बंगलादेश, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड, मिस्र, सूडान, टर्की, इथोपिया, नेपाल, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड आदि को करता है।

निर्यात बाजार विकास

जबकि गोवा सरकार अधिसूचित 06.08.2003 को सरकारी राजपत्र, असाधारण संख्या 4 श्रृंखला 1 संख्या 8 दिनांकित 06-08-2003 में प्रकाशित अधिसूचना सं। 1/4 9/2000 / एस (आईएनडी) / वॉल्यूम II दिनांकित है। गोवा औद्योगिक नीति, 2003 (इसके बाद "कहा नीति" के रूप में जाना जाता है)।


अब, कहा नीति के खंड 5.9 (iii) के अनुपालन में, गोवा सरकार निम्नलिखित योजना को तैयार करने के लिए प्रसन्न है, अर्थात्: -

1. लघु शीर्षक और शुरूआत _ (1) इस योजना को गोवा स्टेट एक्सपोर्ट मार्केट डेवलपमेंट स्कीम, 2008 कहा जाएगा।

(2) यह आधिकारिक राजपत्र में अपने प्रकाशन की तारीख से लागू होगा, और 31 मार्च, 2011 तक लागू रहेगा।

2. परिचय - कहा गया नीति के प्रावधानों को प्रभावी करने के लिए, गोवा सरकार ब्याज मुक्त ऋण के रूप में सहायता प्रदान करके गोवा में निर्यात और स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाइयों के लिए इस योजना को पेश करने से प्रसन्न है। ।

3. उद्देश्यों - योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार हैं: -

(ए) निर्यात बाजारों में सुधार के लिए गोयन इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहित करना।

(बी) गोयन इंडस्ट्रीज को निर्यात बाजार में दृढ़ता से अपने सामान स्थापित करने के लिए समर्थन देना, जिससे विकास और रोजगार पैदा हो सके।

(ए) गोवा में स्थापित केवल उन इकाइयों और उद्योगों, व्यापार और वाणिज्य निदेशालय द्वारा उद्यमी ज्ञापन द्वितीय के साथ स्थायी रूप से पंजीकृत या स्वीकृत पात्र होंगे।

(बी) इकाई कम से कम तीन साल के लिए संचालन में होना चाहिए।

(सी) इकाई के पास भारतीय रिजर्व बैंक / भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आयात / निर्यात कोड या भारत सरकार के किसी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा होना चाहिए।

(डी) पिछले तीन कार्यवाही वित्तीय वर्षों के लिए यूनिट की कुल बारी 10 करोड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इस योजना के तहत 5 लाख रुपये तक अधिकतम ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाएगा।

6. सहायता के लिए उद्देश्य -

(ए) भारत के बाहर शो / प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए 5 लाख रुपये तक इस योजना के तहत ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाएगा।

(बी) भारत से बाहर बाजार अध्ययन दौरे के लिए 5 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण भी प्रदान किया जाएगा।

(सी) एक इकाई जीवन भर में इस योजना के तहत केवल एक बार इस सुविधा का लाभ उठा सकती है।

(डी) यदि मूल इकाई ने इस योजना के तहत पहले से ही लाभ उठाए हैं, तो बेची गई / स्थानांतरित इकाई इस योजना के तहत कोई लाभ प्राप्त करने के लिए योग्य नहीं होगी।

(ई) यदि ऊपर (ए) से (डी) की व्याख्या करने में कोई विवाद है, तो निदेशक, उद्योग निदेशालय, व्यापार और वाणिज्य का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा।

7. पुनर्भुगतान अनुसूची:

(ए) इस योजना के तहत प्राप्त कुल ऋण बराबर अर्ध-वार्षिक किस्तों में पांच वर्ष की अवधि में चुकाया जाएगा।

(बी) इस योजना के तहत ऋण देने वाला एक आदेश पुनर्भुगतान का समय निर्धारित करेगा और भुगतान में देरी प्रति वर्ष @ 14% ब्याज लेगी।

इकाइयां पात्र योग्यता के बराबर या बराबर योगदान के बराबर संपार्श्विक सुरक्षा जमा करेंगी। चुकाने में विफलता के मामले में, इसलिए उत्पादित सुरक्षा जब्त की जाएगी।

ऋणदाता किस्तों के पुनर्भुगतान के लिए पोस्ट डेटेड चेक भी प्रस्तुत करेगा और किसी भी चेक के गैर-प्राप्ति के मामले में, वह कानून के मौजूदा प्रावधान के अनुसार अभियोजन पक्ष के लिए उत्तरदायी होगा।

8. अनुप्रयोगों को फाइल करने की प्रक्रिया:

इंडस्ट्रीज, ट्रेड एंड कॉमर्स के निदेशक द्वारा सहमत होने पर, इच्छुक इकाइयां अध्ययन दौरे या प्रदर्शनी से कम से कम 30 दिन पहले या 30 दिनों के बाद निर्दिष्ट फॉर्म में इंडस्ट्रीज, ट्रेड एंड कॉमर्स के निदेशालय पर लागू होंगी। निम्नलिखित दस्तावेज: -

(ए) स्थायी पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रति

(बी) आयात / निर्यात सामान प्रमाण पत्र की प्रति।


(सी) पिछले तीन वर्षों से चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा विधिवत प्रमाणित वित्तीय विवरण।

(ए) इंडस्ट्रीज, ट्रेड एंड कॉमर्स के निदेशक इस तरह के यूनिट को दो हफ्तों के भीतर अपना निर्णय समझेंगे, जिन्होंने इस योजना के तहत आवेदन किया है और ऋण को बांट दिया है।

(बी) इस योजना के तहत सुविधा प्राप्त करने वाले इकाई के प्रमोटर ने यात्रा से वापसी के 30 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट जमा कर दी होगी।

10. टास्क फोर्स कमेटी:

जांच के उद्देश्य के लिए एक टास्क फोर्स कमेटी होगी और निम्नलिखित सदस्यों से युक्त इस योजना की सिफारिश करनी होगी: -

1. एक अध्यक्ष के रूप में उद्योग, व्यापार और वाणिज्य निदेशालय के सामान्य प्रबंधक (डीआईसी)।

2. एक सदस्य के रूप में उद्योग, व्यापार और वाणिज्य निदेशालय के सहायक निदेशक (प्रशासन)।

3. एक सदस्य के रूप में सचिव (वित्त) / (व्यय) के तहत।
4. गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री से सरकार द्वारा मनोनीत व्यक्ति को।

5. गोवा स्टेट इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से सरकार द्वारा मनोनीत व्यक्ति को।

यदि आवश्यक हो तो समिति वित्तीय संस्थानों या संघों से अतिरिक्त सदस्यों को सह-चयन कर सकती है। इसे यू.ओ.एन. के माध्यम से वित्त (एक्सप।) विभाग की सहमति के साथ जारी किया गया है। 1650 दिनांक 26/6/2008।

के लिये
निदेशक, मुद्रण और स्टेशनरी, सरकारी प्रिंटिंग प्रेस, पणजी, गोवा, असाधारण बाजार का राज्य और विकास राजपत्र में इसे प्रकाशित करने के अनुरोध के साथ और आधिकारिक उपयोग के लिए इस विभाग में 10 प्रतियां प्रस्तुत करने के अनुरोध के साथ।

को कॉपी :-
1) उद्योग, व्यापार और वाणिज्य निदेशक, पणजी, गोवा।
2) ओ / सी।
3)जी / एफ।

गोल बाजार के विकास के लिए व्यापारियों का सहयोग आवश्यक: कलेक्टर रजत बंसल

जगदलपुर: गोल बाजार के विकास के लिए व्यापारियों का सहयोग आवश्यक है। दुकानों के आबंटन के लिए व्यापारियों के प्रतिनिधि तथा नगर निगम और राजस्व अधिकारियों द्वारा आपसी समन्वय से प्रक्रिया पूर्ण करेंगे। उक्त बातें शुक्रवार को कलेक्टर रजत बंसल ने गोल बाजार के व्यापारियों से समूह चर्चा के दौरान कही। कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री रोहित व्यास शहर में चल रहे अन्य विकास कार्यों का जायजा लिया। इस अवसर पर आयुक्त नगर निगम प्रेम पटेल, एसडीएम जगदलपुर दिनेश नाग, लोक निर्माण विभाग के राजीव बतरा, तहसीलदार पुष्पराज पात्र सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

गोल बाजार के विकास कार्य में व्यापारियों से चर्चा के दौरान कलेक्टर ने व्यापारियों से प्राप्त दावा-आपत्ति का समय-सीमा में निराकरण कर अन्य कागजी कार्यवाही को पूरा करने के निर्देश राजस्व और नगर निगम के अधिकारियों को दिए। साथ ही उन्होंने दुकान आबंटन में पारदर्शिता के साथ, किराया, बाजार का राज्य और विकास रजिस्ट्री दर, फ्री होल्ड, आफसेट वैल्यू का अवलोकन कर आवश्यक कार्यवाही को जल्द करने कहा। साथ ही गोल बाजार से संबंधित व्यापारियों की सूची बनाकर फेसवन के निर्माणाधीन नए भवन में नियमानुसार दुकान आबंटन की कार्यवाही करने के भी निर्देश दिए। इस अवसर पर व्यापारियों ने भी अपनी शंकाओं को प्रशासन के समक्ष रखे।

इसके उपरांत कलेक्टर श्री बंसल और सीईओ श्री व्यास ने महारानी अस्पताल का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और वार्डों में भर्ती मरीजों से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की स्थिति तथा अस्पताल प्रबंधन द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की भी जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने ओपीडी में मरीजों का पंजीयन तथा अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी व स्वास्थ्य कर्मचारी के उपस्थिति पत्रक का भी निरीक्षण किया। जिसमें बिना पूर्व अनुमति के अनुपस्थित अधिकारी-कर्मचारी को स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए। अस्पताल परिसर में उन्होंने मातृ-शिशु वार्ड की आवश्यक संसाधन को पूरा करने और निर्माणाधीन बर्न-स्पर्श यूनिट के कार्यों का अवलोकन कर जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को सीनियर सिटीजन की सुविधाओं में वृद्धि करने, रेफरेंस रजिस्टर को अद्यतन रखने तथा व्हील चेयर में अटेंडर रखने के निर्देश दिए।

इसके अलावा कलेक्टर श्री बंसल ने हाता ग्राउण्ड से जिला न्यायालय को जोड़ने वाले सड़क के चौड़ीकरण कार्ययोजना का मौका निरीक्षण कर निर्माण संस्था को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने प्रियदर्शनी स्टेडियम में विकास कार्यों का अवलोकन कर समय-सीमा कार्य को पूर्ण करने के निर्देश दिए। साथ ही अनुविभागीय दंडाधिकारी जगदलपुर को प्रियदर्शनी स्टेडियम के लिए प्रबंधन समिति का जल्द गठन कर मैदान की सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं का सूचारू संचालन करने कहा। इसके साथ ही आमागुड़ा चौक और एनएमडीसी चौक के सौन्दर्यीकरण के कार्य के साथ-साथ पुराने बस स्टैंड में स्थित व्यावसायीक परिसर में सी-मार्ट की स्थापना के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

4 राज्यों के सबसे बड़े कार बाजार की शिफ्टिंग टली, विकास पर जोर

चंडीगढ़ कार बाजार

चंडीगढ़ में चल रहे चार राज्यों के सबसे बड़े कार बाजार की शिफ्टिंग टल गई है। नगर निगम इसके विकास पर जोर दे रहा है। नगर निगम ने कार बाजार हल्लोमाजरा में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। हर डीलर के लिए जगह की ई-मार्किंग करने और पार्किंग बनाने के लिए निगम ने प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे मेयर अरुण सूद ने मंजूरी दे दी है।

अब यह प्रस्ताव पास होने के लिए 30 मार्च को सदन की बैठक में आ रहा है। मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन को 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। गौर करने वाली बात है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट नहीं हो पाएगा। निगम ने बाजार का राज्य और विकास इसे शिफ्ट करने का प्रस्ताव इस माह होने वाली सदन की बैठक में लाने का निर्णय लिया है।

इस समय सेक्टर-7 के मध्य मार्ग में हर रविवार को कार बाजार लगता है। जहां से कार बाजार शिफ्ट करने की मांग शोरूम के व्यापारी और इस सेक्टर में रहने वाले रेजिडेंट कर रहे हैं।

दूसरे राज्यों से भी आते हैं डीलर्स
इस समय मध्य मार्ग पर संडे कार बाजार लगता है। जिसमें पंजाब-हरियाणा से डीलर आकर कारोबार करते हैं। हर रविवार को यहां से करीब 100 गाड़ियां बिकती हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा कार बाजार शहर में लगता है।

कार बाजार को हल्लोमाजरा में ही शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। इस माह होने वाली सदन की बैठक में बाजार को विकसित करने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आ रहा है।
- अरुण सूद, मेयर

यहां से कार बाजार शिफ्ट करने के लिए तैयार हैं। लेकिन जहां उन्हें जगह दी जाए वह स्थायी हो वहां सुरक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूरी व्यवस्था हो, जहां वह अपने कार्यालय भी बना सकें।
- गुलशन कुमार, कार डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष

चंडीगढ़ में चल रहे चार राज्यों के सबसे बड़े कार बाजार की शिफ्टिंग टल गई है। नगर निगम इसके विकास पर जोर दे रहा है। नगर निगम ने कार बाजार हल्लोमाजरा में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। हर डीलर के लिए जगह की ई-मार्किंग करने और पार्किंग बनाने के लिए निगम ने प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे मेयर अरुण सूद ने मंजूरी दे दी है।

अब यह प्रस्ताव पास होने के लिए 30 मार्च को सदन की बैठक में आ रहा है। मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन को 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। गौर करने वाली बात है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट नहीं हो पाएगा। निगम ने इसे शिफ्ट करने का प्रस्ताव इस माह होने वाली सदन की बैठक में लाने का निर्णय लिया है।

इस समय सेक्टर-7 के मध्य मार्ग में हर रविवार को कार बाजार लगता है। बाजार का राज्य और विकास बाजार का राज्य और विकास जहां से कार बाजार शिफ्ट करने की मांग शोरूम के व्यापारी और इस सेक्टर में रहने वाले रेजिडेंट कर रहे हैं।

दूसरे राज्यों से भी आते हैं डीलर्स
इस समय मध्य मार्ग पर संडे कार बाजार लगता है। जिसमें पंजाब-हरियाणा से डीलर आकर कारोबार करते हैं। हर रविवार को यहां से करीब 100 गाड़ियां बिकती हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा कार बाजार शहर में बाजार का राज्य और विकास लगता है।

कार बाजार को हल्लोमाजरा में ही शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। इस माह होने वाली सदन की बैठक में बाजार को विकसित करने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आ रहा है।
- अरुण सूद, मेयर

यहां से कार बाजार शिफ्ट करने के लिए तैयार हैं। लेकिन जहां उन्हें जगह दी जाए वह स्थायी हो वहां सुरक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूरी व्यवस्था हो, जहां वह अपने कार्यालय भी बना सकें।
- गुलशन कुमार, कार डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष

4 राज्यों के सबसे बड़े कार बाजार की शिफ्टिंग टली, विकास पर जोर

चंडीगढ़ कार बाजार

चंडीगढ़ में चल रहे चार बाजार का राज्य और विकास राज्यों के सबसे बड़े कार बाजार की शिफ्टिंग टल गई है। नगर निगम इसके विकास पर जोर दे रहा है। नगर निगम ने कार बाजार हल्लोमाजरा में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। हर डीलर के लिए जगह की ई-मार्किंग करने और पार्किंग बनाने के लिए निगम ने प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे मेयर अरुण सूद ने मंजूरी दे दी है।

अब यह प्रस्ताव पास होने के बाजार का राज्य और विकास लिए 30 मार्च को सदन की बैठक में आ रहा है। मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन को 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। गौर करने वाली बात है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट नहीं हो पाएगा। निगम ने इसे शिफ्ट करने का प्रस्ताव इस माह होने वाली सदन की बैठक में लाने का निर्णय लिया है।

इस समय सेक्टर-7 के मध्य मार्ग में हर रविवार को कार बाजार लगता है। जहां से कार बाजार शिफ्ट करने की मांग शोरूम के व्यापारी और इस सेक्टर में रहने वाले रेजिडेंट कर रहे हैं।

दूसरे राज्यों से भी आते हैं डीलर्स
इस समय मध्य मार्ग पर संडे कार बाजार लगता है। जिसमें पंजाब-हरियाणा से डीलर आकर कारोबार करते हैं। हर रविवार को यहां से करीब 100 गाड़ियां बिकती हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा कार बाजार शहर में लगता है।

कार बाजार को हल्लोमाजरा में ही शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। इस माह होने वाली सदन की बैठक में बाजार को विकसित करने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आ रहा है।
- अरुण सूद, मेयर

यहां से कार बाजार शिफ्ट करने के लिए तैयार हैं। लेकिन जहां उन्हें जगह दी जाए वह स्थायी हो वहां सुरक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूरी व्यवस्था हो, जहां वह अपने कार्यालय भी बना सकें।
- गुलशन कुमार, कार डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष

चंडीगढ़ में चल रहे चार राज्यों के सबसे बड़े कार बाजार की शिफ्टिंग टल गई है। नगर निगम इसके विकास पर जोर दे रहा है। नगर निगम ने कार बाजार हल्लोमाजरा में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। हर डीलर के लिए जगह की ई-मार्किंग करने और पार्किंग बनाने के लिए निगम ने प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे मेयर अरुण सूद ने मंजूरी दे दी है।

अब यह प्रस्ताव पास होने के लिए 30 मार्च को सदन की बैठक में आ रहा है। मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन को 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। गौर करने वाली बात है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद 31 मार्च तक कार बाजार शिफ्ट नहीं हो पाएगा। निगम ने इसे शिफ्ट करने का प्रस्ताव इस माह होने वाली सदन की बैठक में लाने का निर्णय लिया है।

इस समय सेक्टर-7 के मध्य मार्ग में हर रविवार को कार बाजार लगता है। जहां से कार बाजार शिफ्ट करने की मांग शोरूम के व्यापारी और इस सेक्टर में रहने वाले रेजिडेंट कर रहे हैं।

दूसरे राज्यों से भी आते हैं डीलर्स
इस समय मध्य मार्ग पर संडे कार बाजार लगता है। जिसमें पंजाब-हरियाणा से डीलर आकर कारोबार करते हैं। हर रविवार को यहां से करीब 100 गाड़ियां बिकती हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा कार बाजार शहर में लगता है।

कार बाजार को हल्लोमाजरा में ही शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। इस माह होने वाली सदन की बैठक में बाजार को विकसित करने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आ रहा है।
- अरुण सूद, मेयर

यहां से कार बाजार शिफ्ट करने के लिए तैयार हैं। लेकिन जहां उन्हें जगह दी जाए वह स्थायी हो वहां सुरक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूरी व्यवस्था हो, जहां वह अपने कार्यालय भी बना सकें।
- गुलशन कुमार, कार डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष

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