क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं?

Govt saving schemes: शेयर बाजार कर रहा निराश तो इन 6 स्कीमों में लगाइए पैसा
saving schemes: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, सेविंग बॉन्ड, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल पेंशन स्कीम, पर्सनल प्रोविडेंट फंड.
इस समय शेयर मार्केट (Share Market) कई लोगों को निराश कर रहा है, कई लोग निवेश शुरू करना चाहते हैं लेकिन शेयर मार्केट के रिस्क से दूर रहकर. तो ऐसे में सरकारी स्कीम्स (Govt Saving Scheme) बुरी नहीं है बल्कि रिटर्न अच्छा है और निवेश सुरक्षित है. तो आज हम आपको ऐसी सरकारी सुरक्षित स्कीम्स के बारे में बता रहे हैं. इस वीडियो में हम आपको आपकी बीमा, 4 नए IPO और निवेश की सलाहकारों पर एक चेतावनी भी देंगे. लेकिन पहले सेविंग के सात सरकारी स्कीम.
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड
इसे RBI जारी करता है. इस दौरान निवेशक को प्रतिवर्ष 2.5% के फिक्स्ड रेट के हिसाब से ब्याज मिलता है. ब्याज का भुगतान हर 6 महीने में किया जाता है. इसमें निवेश की अवधि वैसे तो 8 साल है लेकिन जरूरत पड़ने पर 5 साल पूरा होने के बाद भी पैसा निकाला जा सकता है. इसके अलावा आप इसे डिमैट के जरिए भी सेकंडरी मार्केट में खरीद-बेच सकते हैं.
RBI की फ्लेक्सी सेविंग बॉन्ड स्कीम्स
इसमें निवेश करने पर अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आपको भी फायदा मिलेगा. इसमें पैसा जमा करने की कोई लिमिट नहीं है. हर 6 महीने में ब्याज दर बढ़ती है और 6 महीने पर ब्याज मिलता है. 1000 रुपए के मिनिमम अमाउंट से आप निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें टीडीएस कटता है यानी आप टैक्स में फायदा उठा सकते हैं.
सुकन्या समृद्धि योजना
अगर आपके घर में कोई 10 साल से छोटी लड़की हो तो इसमें जरूर निवेश करें. आप इसमें 10 साल के लिए निवेश करते हैं. इसे आप पोस्ट ऑफिस के जरिए खुलवा सकते हैं. इसमें अधिकतम 1.5 लाख का निवेश कर सकते हैं. ब्याज दर बढ़ने पर आपको भी लाभ होगा और टैक्स में भी छूट मिलेगी. यानी आपकी बेटी जब 19-20 साल की हो जाती है तब आपको एक लंपसम अमाउंट मिलता है.
नेशनल पेंशन स्कीम्स
कोई भी व्यक्ति सरकारी कर्मचारी हो या ना हो, कोई भी आम आदमी अपने वर्किंग लाइफ के दौरान पेंशन अकाउंट में नियमित रूप से निवेश कर सकता है. जमा हुए फंड के एक हिस्से को वह एक बार में निकाल भी सकता है और बची हुई राशि का इस्तेमाल रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन हासिल करने के लिए कर सकता है. व्यक्ति के निवेश और उस पर मिलने वाले रिटर्न से NPS अकाउंट बढ़ता है. NPS से फाइनल विड्रॉल पर 60% रकम टैक्स फ्री है. टैक्स पर छूट भी मिलती है तो ऐसी स्कीम में जरूर पैसा लगा सकते हैं
पर्सनल प्रोविडेंट फंड
PPF का अकाउंट का आप 500 रुपए से खोल सकते हैं. पीपीएफ में आप एक वित्त वर्ष तक 1.5 लाख रुपए जमा कर सकते हैं. पीपीएफ में निवेश 15 साल की अवधि के लिए किया जाता है लेकिन फायदा ये है कि निवेश के तीन साल बाद आप अपने पीपीएफ अकाउंट पर लोन ले सकते हैं. इसमें टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इसमें आप बैंक और पोस्ट ऑफिस के जरिए अकाउंट खुलवाकर निवेश कर सकते हैं.
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट
NSC में कम से कम 1000 रुपए का निवेश करना होता है. लेकिन कोई ऊपरी लिमिट नहीं है. एनएससी में 5 साल के लिए निवेश होता है और इससे पहले आप पैसा नहीं निकाल सकते. इसे आप बैंक और पोस्ट ऑफिस के जरिए अकाउंट खुलवाकर निवेश कर सकते हैं.
SIP में हैं बड़े गुण, झट से बन जाएगा करोड़ों का फंड, जानिए मोटे मुनाफे के टिप्स
SIP के जरिए कोई भी नियमित तौर म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है। इसमें निवेश के लिए बड़ी रकम की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें निवेश का जोखिम बेहद कम होता है
SIP: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच हर कोई सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic investment plan –SIP) पर खासतौर से ध्यान दे रहा है। लंबे समय के लिए निवेश के लिए म्यूचुअल फंड निवेशकों को कभी निराश नहीं करते हैं। म्यूचुअल फंड में आप एकमुश्त या फिर किश्तों में पैसे निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश में पूरी तरह पारदर्शी होता है। फंड हाउस के मैनेजर आपका पैसा अलग-अलग स्टॉक में निवेश करते हैं। कितना पैसा किस स्टॉक में लगा रहा है। इसकी पूरी जानकारी आप ऑनलाइन देख सकते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर होता है। यानी, निवेश में जोखिम रहता है। बावजूद इसके कई ऐसे फायदे हैं जो दूसरे निवेश मिलते हैं।
SIP का फायदा यह रहता है कि निवेशक को एकमुश्त रकम जमा नहीं करनी पड़ती है। अपनी सुविधा के अनुसार निवेश कर सकते हैं। आप इसमें 100 रुपये भी निवेश कर सकते हैं। नए निवेशकों के लिए SIP फायदे का सौदा साबित हुआ है।
मोदी सरकार बढ़ा सकती है EPFO में निवेश की बेसिक सैलरी लिमिट, 75 लाख कर्मचारियों पर होगा सीधा असर
EPFO: सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund - PF) में जाने वाले अंशदान की लिमिट को बढ़ा सकती है
EPFO: सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund - PF) में जाने वाले अंशदान की लिमिट को बढ़ा सकती है। अभी कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद सेविंग का ध्यान रखते हुए कर्मचारी और कंपनी दोनों पीएफ क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं? में बराबर का अंशदान करती है। अभी ये सीमा 15,000 रुपये की सैलरी पर है लेकिन सरकार इस लिमिट को बढ़ाकर 21,000 कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो कर्मचारी और कंपनी दोनों की तरफ से होने वाला अंशदान बढ़ जाएगा।
अभी कर्मचारी और कंपनी के लिए ये हैं नियम
अभी के नियमों के मुताबिक कंपनियों के पास अगर कुल कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक है, तो कर्मचारी को अपने वेतन से और नियोक्ता को अपना हिस्सा रिटायरमेंट फंड पीएफ में देना होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैलरी लिमिट पर फैसला लेने के लिए अपने-अपने हिस्से से पीएफ के रिटायरमेंट सेविंग स्कीम में अंशदान करना होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सैलरी लिमिट पर फैसला लेने के लिए एक समिति भी बनाई गई है।
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अभी इतना होता है अंशदान
अभी कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी ईपीएफओ में जाता है। कंपनी और नियोक्ता भी उतना ही पैसा जितना कर्मचारी की सैलरी से कटता पीएफ में अंशदान करता है। कंपनी के 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी कर्मचारी की पेंशन स्कीम और 3.67 फीसदी ईपीएफ में जाता है। हालांकि, 15,000 रुपये से अधिक बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी पीएफ में अपने अंशदान को बढ़ा सकते हैं, लकिन कई बार कंपनियां इसकी इजाजत नहीं देती है।
अब तक इतनी बार हो चुका है पीएफ अंशदान में बदलाव
देश में आठ बार न्यूनतम बेसिक सैलरी की लिमिट में 8 बार बदलाव हो चुका है। 1952 में जब ये योजना शुरू हुई थी तब लिमिट 500 रुपेय थी। साल 1962 में बढ़कर 1,000 रुपये हुई। साल 1976 में 1,600 रुपये, 1985 में 2,500 रुपये, 1990 में 3,500 रुपये, 1994 में 5,000 रुपये, 2001 में 6,500 रुपये और 2014 के बाद यह लिमिट 15,000 रुपये तय की गई है। हालांकि, अब ये लिमिट 21,000 रुपये की जा सकती है। इसका सीधा असर 75 लाख कर्मचारियों को होगा। सरकार पीएफ अंशदान पर अभी 8.1 फीसदी का ब्याज दे रही है।
Pension System: एकमुश्त पेंशन पर दूर कर लें कन्फ्यूजन, सरकारी कर्मचारियों के लिए ये है नियम
एकमुश्त पेंशन निकालने के नियम पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर के नियम देख सकते हैं. इसके मुताबिक, अगर कर्मचारी अपने बेसिक पेंशन का कुछ प्रतिशत हिस्सा एक लमसम अमाउंट में निकालने का विकल्प क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं? चुन चुके हैं या निकाल चुके हैं तो वो ऐसा दोबारा नहीं कर सकते.
Pension System: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पेंशन सिस्टम को लेकर केंद्र सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है. एकमुश्त पेंशन निकालने के नियम पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों (Central Government Employees) के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर (DoPPW) के नियम देख सकते हैं. इसके मुताबिक, अगर कर्मचारी अपने बेसिक पेंशन का कुछ प्रतिशत हिस्सा एक लमसम अमाउंट में निकालने का विकल्प चुन चुके हैं या निकाल चुके हैं तो वो ऐसा दोबारा नहीं कर सकते.
क्या है लमसम पेआउट की लिमिट?
DoPPW ने अपने मेमोरेंडम में कहा है कि Central Civil Services (Commutation of Pension) Rules, 1981 के मुताबिक, पेंशन का लमसम पेआउट की एक बार से ज्यादा अनुमति नहीं है. Central Civil Services (Commutation of Pension) Rules, 1981 के पांचवें नियम के हिसाब से एक सरकारी कर्मचारी अपने बेसिक पेंशन का एक 40 प्रतिशत हिस्सा एकमुश्त निकाल सकता है, लेकिन वो ऐसा एक बार ही कर सकता है.
ऐसा स्पष्ट किया गया है कि रूल 1981 के तहत ऐसा विदड्रॉल का कोई प्रावधान नहीं है कि कोई भी पेंशनर 40 फीसदी का हिस्सा लमसम अमाउंट की तरह निकालने के बाद दोबारा ऐसी निकाली कर सके.
ऐप्लीकेशन फॉर्म में देनी होगी जानकारी
ऐसे सवाल उठ रहे थे कि क्या ऐसे सरकारी कर्मचारी जो बेसिक पेंशन का 40 प्रतिशत हिस्से से एकमुश्त पेंशन पहले ही निकाल चुके हैं क्या वो दोबारा पैसा निकाल सकते हैं? इसपर ही सरकार ने क्या सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं? प्रावधान का हवाला देते हुए स्पष्टीकरण जारी किया है.
रूल में कहा गया है कि कम्यूटेशन के ऐप्लीकेशन में Form 1 या Form 1-A या Form 2 में जो भी हो, उसमें ऐप्लीकेंट को यह बताना होगा कि वो अपने पेंशन के कितने हिस्से को आंशिक तौर पर निकालना चाहता है या फिर उसे यह बताना होगा कि वो बेसिक पेंशन के अधिकतम 40 फीसदी या फिर ऐसी कम लिमिट के अंदर कॉम्यूट या आंशिक तौर पर निकासी करना चाहता है.