परेतो विश्लेषण क्या है?

अन्तर केवल इतना है कि किसी क्रिया के लिए जो तर्क दिया जाय वह कर्ता के अपने दृष्टिकोण या औचित्य पर आधारित हो अथवा वह तर्क प्रामाणिक या अनुभवसिद्ध हो । इसका तात्पर्य है कि कुछ क्रियाएं ऐसी होती हैं जिनके लक्ष्य और साधनों को कर्ता अनेक ऐसे तर्कों के आधार पर स्पष्ट कर देता है जो केवल उसी के दृष्टिकोण से उचित होते हैं । इस तरह के तर्क को परेटो ने ‘ भ्रान्त तर्क ‘ ( Derivation ) कहा है । ऐसे तर्कों पर आधारित क्रियाएं ही अतार्किक क्रियाएँ हैं । इसके विपरीत , जब कोई क्रिया केवल कर्ता के दृष्टिकोण से नहीं बल्कि उन व्यक्तियों के दृष्टिकोण से भी प्रामाणिक तर्क पर आधारित होती है जिन्हें उस विषय का अधिक व्यापक ज्ञान हो , तब ऐसी क्रिया को तार्किक क्रिया कहा जाता है । वास्तविकता यह है कि प्रामाणिक तर्क वे . ही होते हैं जो निरीक्षण और अनुभव पर आधारित होते हैं ।
Tools of Quality Control: 7 Tools | Company Management
TQM is a management’s approach towards the quality; it can be in regard to products, customer satisfaction and employee satisfaction.
TQM places a great deal of responsibility on all workers. If employees are to identify and correct quality problems, they need proper training of using a variety of quality control tools. There are seven tools of quality control, which are easy to understand, yet, extremely useful in identifying and analysing quality problems.
Some of the tools of quality control are: 1. Cause and Effect Diagram 2. Flowchart 3. Checklist 4. Control Chart 5. Scatter Diagram 6. Pareto Analysis 7. Histogram.
Tool # 1. Cause and Effect Diagram:
Cause-and-effect diagrams are charts that identify potential causes for particular quality problems. They are often called fishbone diagrams because they look like the bones of a fish. A general cause-and-effect diagram is shown in Fig, 15.1. The ‘head’ of the fish is the quality problem. The diagram is drawn so that the ‘spine’ of the fish connects the ‘head’ to the possible cause of the problem.
These causes could be related to the machines, workers, measurement, suppliers, materials, and many other aspects of the production process. Each of these possible causes can then have smaller “bones” that address specific issues that relate to each cause.
For example, a problem with machines could be due to a need for adjustment, old equipment, or tooling problems. Similarly, a problem with workers could be related to lack of training, poor supervision, or fatigue.
Tool # 2. Flowchart:
A flowchart is a schematic diagram of the sequence of steps involved in an operation or process. It provides a visual tool that is easy to use and understand. By seeing the steps involved in an operation or process, everyone develops a clear picture of how the operation works and where problems could arise.
परेतो विश्लेषण
पेरेटो एनालिसिस 80/20 परेतो विश्लेषण क्या है? नियम के आधार पर व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए प्रयोग की जाने वाली तकनीक है। यह एक निर्णय लेने की तकनीक है जो सांख्यिकीय रूप से एक सीमित संख्या में इनपुट कारकों को अलग करती है क्योंकि परिणाम पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ता है, या तो वांछनीय या अवांछनीय है।
पेरेटो विश्लेषण इस विचार पर आधारित है कि किसी परियोजना के लाभ का 80% कार्य 20% करने से प्राप्त किया जा सकता है या इसके विपरीत 80% समस्याओं का 20% कारणों का पता लगाया जाता है।
परेतो विश्लेषण को समझना
1906 में, इतालवी अर्थशास्त्री विलफ्रेडो पेरेटो ने पाया कि इटली में 80% भूमि पर देश के केवल 20% लोगों का स्वामित्व था। उन्होंने इस शोध को आगे बढ़ाया और पाया कि पूरे यूरोप में अनुपातहीन धन वितरण समान था। 80/20 नियम औपचारिक रूप से नियम यह है कि शीर्ष 20 एक के लिए एक देश की आबादी खातों की% का अनुमान का 80% के रूप में परिभाषित किया गया था देश के धन या कुल आय ।
जोसेफ जुरान, एक रोमानियाई-अमेरिकी व्यवसाय सिद्धांतकार, पारेतो के शोध कार्य के 40 साल बाद प्रकाशित होने के बाद लड़खड़ा गया, और 80/20 के शासन को पारेतो के सिद्धांत का असमान वितरण नाम दिया । जूरन ने व्यावसायिक स्थितियों में परेतो के सिद्धांत को यह समझने के लिए विस्तारित किया कि क्या नियम व्यवसायों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर लागू किया जा सकता है। उन्होंने देखा कि गुणवत्ता नियंत्रण विभागों में, अधिकांश उत्पादन दोष सभी दोषों के कारणों के एक छोटे प्रतिशत से उत्पन्न हुए, एक घटना जिसे उन्होंने “महत्वपूर्ण कुछ और तुच्छ कई” के रूप में वर्णित किया।
पारेटो विश्लेषण का उदाहरण
एक कंपनी अपनी ऑनलाइन खुदरा कपड़ों की वेबसाइट से उत्पाद रिटर्न में हाल ही में वृद्धि की खोज कर सकती परेतो विश्लेषण क्या है? है। चूंकि रिटर्न की संख्या एक निश्चित सीमा से ऊपर है, कंपनी के विश्लेषकों ने कारणों पर शोध और नज़र रखना शुरू कर दिया है। मुख्य कारण वेबसाइट के साथ एक तकनीकी गड़बड़ प्रतीत होता है जो कई विभागों में ऑनलाइन दुकानदारों द्वारा चयनित कपड़ों के आकार को गलत तरीके से बताता है।
द्वितीयक समस्या एक खराब ग्राहक सेवा का अनुभव है, जिसके परिणामस्वरूप दुकानदार सही आकार के कपड़ों के बदले धन वापसी के लिए चयन करते हैं। चूंकि मुद्दे फर्म के लिए खोए हुए राजस्व में अनुवाद करते हैं, इसलिए विश्लेषकों ने प्रत्येक मुद्दे के लिए जिम्मेदार राजस्व हानि की मात्रा के आधार पर निम्नलिखित मुद्दों को स्कोर किया: तकनीकी गड़बड़, खराब ग्राहक सेवा, और लंबी अवधि में खोए हुए ग्राहक।
फर्म द्वारा सामना की गई समस्या की पहचान करने के लिए एक पेरेटो परेतो विश्लेषण क्या है? चार्ट और ग्राफ का उपयोग किया जा सकता है। चार्ट में पंजीकृत समस्या हो सकती है “अपने ऑनलाइन पोर्टल से उच्च रिटर्न।” कारणों की सूची को प्रत्येक कारण के साथ रेटिंग या स्कोर के साथ चार्ट पर दिखाया जाएगा।
परैटो अनुकूलतम | परैटो मानदण्ड | परैटो अनुकूलतम की दशाएँ
वी० परैटो सर्वप्रथम अर्थशास्त्री थे जिन्होंने उपयोगिता के क्रमवाचक विचार (ordinal concept of utility) के आधार पर कल्याणकारी अर्थशास्त्र का विचार प्रस्तुत किया। परैटो ने उपयोगिता की मापनीयता तथा उसकी अन्तर्वैयक्तिक तुलना के विचार को गलत सिद्ध किया तथा स्पष्ट किया कि पूर्ण प्रतियोगिता समाज को अनुकूलतम कल्याण की स्थिति को प्राप्त करने में सहायक होती है। अत: परैटो ने सामान्य अनुकूलतम (General optimum) का विचार प्रस्तुत किया। परैटो की सामान्य (अथवा सामाजिक) अनुकूलतम वह स्थिति है जिसके अन्तर्गत साधनों (inputs) अथवा उत्पादन (outputs) पुनराबंटन (re-allocation) द्वारा बिना कम से कम एक व्यक्ति को हीनतर (worse off) किए हुए किसी अन्य व्यक्ति को श्रेष्ठतर (better off) करना सम्भव नहीं होता है। जैसा कि परैटो ने स्वयं स्पष्ट रूप में लिखा है, “हम लोग अधिकतम परेतो विश्लेषण क्या है? सन्तुष्टि या कल्याण की स्थिति को परिभाषित करते हैं जिसके अन्तर्गत किसी प्रकार का ऐसा सूक्ष्म परिवर्तन करना असम्भव होता है कि स्थिर रहने वाली संतुष्टियों को छोड़कर, सभी व्यक्तियों की सन्तुष्टियाँ बढ़ जाएँ अथवा घट जाएँ। इस प्रकार परैटो अनुकूलतम की दशा में संसाधनों के पुनर्गठन द्वारा बिना किसी अन्य व्यक्ति के कल्याण को कम किए किसी अन्य व्यक्ति के कल्याण में वृद्धि करना असम्भव होता है। अत: यदि किसी स्थिति में समाज से वस्तुओं परेतो विश्लेषण क्या है? तथा सेवाओं अथवा उत्पादन के साधनों के विभिन्न प्रयोगों में पुनर्वितरण द्वारा कल्याण में वृद्धि सम्भव है तो वह अनुकूलतम दशा नहीं होगी।
परैटो अनुकूलतम की दशाएँ (Conditions of Pareto Optimum)
परैटो ने सामाजिक कल्याण को अधिकतम (अनुकूलतम) करने के लिए उत्पादन तथा विनिमय क्षेत्र की अनेक दशाओं की व्याख्या की है जिसके द्वारा उत्पादन तथा उनके वितरण को अधिकतम सामाजिक कल्याण के अनुरूप बनाने का प्रयत्न किया जाता है। यहाँ पर परैटो अनुकूलतम की विभिन्न दशाओं की व्याख्या करने के पूर्व उनकी मान्यताओं के विषय में जान लेना आवश्यक प्रतीत होता है।
अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
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ताकिक तथा अताकिक क्रियाएँ
परेटो ने तार्किक क्रियाओं तथा इनसे सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के मानव व्यवहारों को ही समाजशास्त्र की मुख्य अध्ययन – वस्तु के रूप में स्वीकार किया है । यही कारण है कि उन्होंने अपने चिन्तन में अतार्किक क्रियाओं की तुलना में इन क्रियाओं की प्रकृति को विस्तार से स्पष्ट किया । परेटो का विचार है कि सभी मानवीय क्रियाओं को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है :
( क ) ताकिक क्रियाएँ ( Logical Actions ) तथा
( ख ) अतार्किक क्रियाएँ ( Non Logical Actions ) ।
यदि सामान्य शब्दों में इनकी प्रकृति को समझा जाय तो यह कहा जा सकता है कि तार्किक क्रियाएं वस्तुनिष्ठ ( Objective ) होती हैं जबकि अतार्किक क्रियाओं का आधार भावनात्मक ( Subjective ) होता है । इसका तात्पर्य है परेतो विश्लेषण क्या है? परेतो विश्लेषण क्या है? कि जब कोई क्रिया को और दूसरे व्यक्तियों के दृष्टिकोण से यथार्थ होती है तब उसे ताविक क्रिया कहा जाता है लेकिन जब कोई क्रिया कुछ भ्रान्त तर्को , भावनाओं अथवा संवेगों पर आधारित होती है तब इसे अतार्किक क्रिया कहा जा सकता है । परेटो का कथन है कि ‘ कोई क्रिया तब तार्किक होती है यदि उससे सम्बन्धित लक्ष्य को वस्तुनिष्ठ रूप से प्राप्त किया जा सके तथा सर्वोत्तम ज्ञान के आधार पर उस लक्ष्य को प्राप्त करने से सम्बन्धित साधन भी उससे यथार्थ रूप से सम्बन्धित हों । इस प्रकार कर्ता तथा उस विषय का ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के मस्तिष्क में जब किसी क्रिया के लक्ष्य और साधनों के बीच एक तार्किक सम्बन्ध स्पष्ट होता है तब ऐसी क्रिया को हम तार्किक क्रिया कहते हैं । अतार्किक क्रिया का तात्पर्य ऐसी सभी मानवीय क्रियाओं से है जो उपयुक्त अर्थ में ताकिकता की परिधि से बाहर होती हैं । यह क्रियाएँ एक ‘ अवशिष्ट श्रेणी ‘ ( Residual Category ) को प्रदर्शित करती हैं । ” स्पष्ट है कि मानव व्यवहारों में ताकिक क्रियाओं की अपेक्षा अतार्किक क्रियाओं का अधिक समावेश होता है । इस तथ्य को एक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट करते हए परेटो ने लिखा है कि समाज के नागरिक कानून को अपने सैद्धान्तिक रूप में तार्किक क्रिया का प्रतिनिधित्व करने वाला समझा जाता है लेकिन इस पर आधा रित न्यायाधीश का व्यवहार साधारणतया अतार्किक ही होता है । परेटो के शब्दों में , ” न्यायालय के निर्णय भी एक बड़ी सीमा तक समाज में प्रचलित भावनाओं तथा हितों पर निर्भर होने के साथ ही बहुत कुछ व्यक्तिगत विचारों तथा संयोग से प्रभावित होते हैं । अनेक अवसरों पर यह निर्णय किसी संहिता अथवा लिखित कानन से बिल्कुल भी सम्बन्धित नहीं होते । ” इसका तात्पर्य है कि अनेक निर्णय यद्यपि वैयक्तिक धारणा से प्रभावित होते हैं लेकिन उन्हें कानून के आधार पर तर्कसंगत प्रमाणित कर दिया जाता है । इस प्रकार किसी भी निर्णय की प्रक्रिया में जो आन्त रिक शक्तियाँ क्रियाशील होती हैं , वे ही तार्किक तथा अतार्किक क्रियाओं के नाजुक विभेद को स्पष्ट करती हैं ।
उद्देश्य
- निर्णय लेने, महत्वपूर्ण सोच और रचनात्मक समस्या को सुलझाने के कौशल का निर्माण और विस्तार करें
- समस्याओं को हल करने और निर्णय लेने के लिए तार्किक और रचनात्मक दृष्टिकोण लागू करें
- कारणों की पहचान करने और समाधान उत्पन्न करने के लिए पारंपरिक और रचनात्मक उपकरणों का उपयोग करें
- व्यावसायिक उपकरण के रूप में रचनात्मकता और पार्श्व सोच को रोजगार दें
- काम पर उनके सामने आने वाली वास्तविक समस्याओं का विश्लेषण और समाधान करें
- 'सही सवाल' पूछने और जटिल निर्णय लेने के तनाव पर काबू पाने का विश्वास हासिल करें
- ऊपरी प्रबंधन के साथ विश्वसनीयता का प्रदर्शन और परेतो विश्लेषण क्या है? निर्माण करें
- समस्या-समाधान और निर्णय लेने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण विकसित करें
प्रबंधक, पर्यवेक्षक और प्रशासक जो बेहतर समस्या को हल करने और निर्णय लेने के कौशल से लाभान्वित होंगे, और व्यावसायिक पेशेवर जो सही चाल और निर्णय लेने के लिए अपने अनुभव और अंतर्ज्ञान दोनों का उपयोग करके अपने महत्वपूर्ण सोच को अगले स्तर तक ले जाना चाहते हैं।