शुरुआती लोगों के लिए निवेश के तरीके

निवेशक सुरक्षा कोष

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ट्रिब्यूनल की शक्तियां -Powers of Tribunal

ट्रिब्यूनल की शक्तियां - Powers of Tribunal

अत्याचार अथवा कुप्रबंधन के मामलों में ट्रिब्यूनल की व्यापक शक्तियाँ हैं। इससे संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर ट्रिब्यूनल यथोचित आदेश दे सकती है, यदि उसकी राय में :

क) कंपनी के कारोबार का संचालन ऐसे तरीके से किया जा रहा हो जो लोकहित अथवा कंपनी के हितों के प्रतिकूल हो अथवा जिससे किसी सदस्य अथवा सदस्यों के प्रति अत्याचार होता हो: तथा

ख) अिधनियम की धारा 242 (1) के अनुसार, कंपनी के समापन से पीडित सदस्य अथवा सदस्यों को अनुचित हानि पहुँचती हो जबकि अन्यथा तथ्यों को ध्यान रखते हुए इस आधार पर कंपनी का समापन कर दिया जाना उचित होता कि कंपनी का समापन न्याय संगत एवं साम्पिक' है।

अधिनियम की धारा 242 (2) में अभिव्यक्ततः उन व्यापक विवेकीय शक्तियों का उल्लेख किया गया है, जिनका प्रयोग ट्रिब्यूनल इस प्रकार के आवेदन-पत्र का निपटारा करने के लिए कर सकता है। ट्रिब्यूनल के आदेश में निम्नलिखित के लिए व्यवस्था की जा सकती है:

i. भविष्य में कंपनी के कारोबार के संचालन का विनियमन;

ii. कंपनी के किसी सदस्य के शेयरों अथवा हितों की उसी कंपनी के किन्हीं दूसरे सदस्यों द्वारा अथवा कंपनी द्वारा खरीद;

iii. यदि किसी कंपनी को अपने शेयर खरीदने के आदेश दिए गये हों तो उस सीमा तक कंपनी की शेयर पूँजी में कमी करना;

iv. कंपनी के शेयरों के अंतरण अथवा आबंटन पर रोक; कंपनी और उसके प्रबंध संचालक, प्रबंधन अथवा किसी अन्य संचालक के बीच हुए किसी अनुबंध

V. को उन शर्तों पर संशोधित या समाप्त करना जो ट्रिब्यूनल के विचार में न्याय संगत एवं उचित हों;

vi. कंपनी और उपर्युक्त खंड () में निर्दिष्ट न किये गये किसी व्यक्ति के बीच हुए किसी अनुबंध को समाप्त करना अथवा उसमें संशोधन करना बशर्ते कि संबद्ध पक्ष को विधिवत् सूचना दे दी गई ह और उसकी सहमति प्राप्त कर ली गई हो;

vii. आवेदन की तारीख से पहले तीन महीनों के भीतर दी गई किसी कपटपूर्ण प्राथमिकता को समाप्त करना;

viii. कंपनी के प्रबंध संचालक, प्रबंधक या किसी संचालक को हटाना;

ix. किसी प्रबंध संचालक प्रबंधक या संचालक द्वारा अपनी नियुक्ति के दौरान अनुचित लाभ की वसूली और वसूली की उपयोगिता की रीति जिनके अंतर्गत निवेशक शिक्षा एवं सुरक्षा कोष में अन्तरण या पहचानने योग्य पीडित व्यक्तियों का पुनर्भुगतान भी है;

X. वह रीति जिसमें, कंपनी के विद्यमान प्रबंध संचालक या प्रबंधक को हटाये जाने के आदेश के बाद कंपनी के प्रबंध संचालक या प्रबंधक की नियुक्ति की जा सकेगी;

xi. संचालकों के रूप में ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त करना, जिनसे ट्रिब्यूनल द्वारा निर्दिष्ट किये गये मामलों पर निवेशक सुरक्षा कोष ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट देने की अपेक्षा की जा सकेगी;

xii. ऐसे खर्चों का अधिरोपण जिन्हें ट्रिब्यूनल उचित समझे;

xiii. किसी अन्य विषय के संबंध में व्यवस्था. जो किसी मामले विशेष की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रिब्यूनल को न्याय संगत और उचित प्रतीत है।

ट्रिब्यूनल को अपने विवेकानुसार यथोचित शर्तों पर अंतरिम निवेशक सुरक्षा कोष आदेश देने की शक्ति भी होती है।

कंपनी अधिनियम की धारा 242 (4) (5) में यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए आदेश से कंपनी के शासन-पत्र या अंतर्नियमावली में कोई परिवर्तन होता हो तो कंपनी को ट्रिब्यूनल से अनुमति लिए बगैर कोई ऐसा परिवर्तन करने का अधिकार नहीं निवेशक सुरक्षा कोष होगा जो उक्त आदेश के अनुरूप न हो।

अधिनियम की धारा 243 में बताया गया है कि यदि ट्रिब्यूनल के आदेश से किसी प्रबंधकीय कार्मिक के साथ किया गया कोई अनुबंध समाप्त होता हो अथवा उसमें किसी प्रकार का संशोधन होता हो तो उसके आधार पर पद छिन जाने के लिए अथवा क्षतिपूर्ति के लिए अथवा किसी भी अन्य बात के लिए मुआवजे का दावा नहीं किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त जिस प्रबंधकीय कार्मिक का इस प्रकार अनुबंध समाप्त किया गया हो वह ट्रिब्यूनल की अनुमति के बगैर आदेश की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक कंपनी में प्रबंधकीय पद पर नियुक्ति नहीं किया जाएगा अथवा इस हैसियत में कार्य नहीं करेगा।

IEPFA शुभंकर डिजाइन प्रतियोगिता

IEPFA शुभंकर डिजाइन प्रतियोगिता

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (आईईपीएफए) भारत सरकार द्वारा .

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (आईईपीएफए) भारत सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 125 के प्रावधान को लागू करने वाली एक वैधानिक संस्था है। प्राधिकरण के पास निवेशकों की शिक्षा और निवेशकों के हितों से संबंधित सुरक्षा के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और उचित चैनल के माध्यम से सही दावेदार को शेयरों, दावा न निवेशक सुरक्षा कोष किए गए लाभांश, मैच्योर्ड डिपॉजिट/ डिबेंचर आदि की वापसी करने का दोहरा आदेश है।

IEPFA अपनी तरह का सबसे छोटा और एकमात्र संगठन है जिसके पास 1.4 बिलियन की आबादी वाले पूरे देश के लिए उन मुट्ठी भर अधिकारियों के साथ समावेशी वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने का विधायी जनादेश है। कॉरपोरेट मामलों निवेशक सुरक्षा कोष के मंत्रालय के तत्वावधान में 07 सितंबर, 2016 को अपनी स्थापना के बाद से, प्राधिकरण वित्तीय रूप से जागरूक समाज को सुनिश्चित करने के लिए देशवासियों को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है। अपने जनादेश का पालन करते हुए, IEPFA ने 67,000 से अधिक जमीनी निवेशक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जो ग्रामीण, अर्ध शहरी और शहरी क्षेत्रों के 30 लाख नागरिकों तक पहुंचकर आम जनता को जागरूकता संबंधी संदेश फैलाने के लिए जैसे कि धोखाधड़ी और पोंजी योजनाओं का शिकार नहीं होना है; जिससे छोटे/कमजोर निवेशकों की रक्षा हो सके।

IEPFA दो प्रमुख जनादेश को हासिल करना चाहता हैं। जनादेश को निम्नानुसार है: -
• निवेशकों के शेयर, दावा न किए गए लाभांश, मैच्योर्ड डिपॉजिट/ डिबेंचर्स की वापसी सुनिश्चित करना।
• निवेशकों की शिक्षा, जागरूकता और सुरक्षा को बढ़ावा देना।

प्राधिकरण समावेशी वित्तीय साक्षरता, निवेशक शिक्षा, संरक्षण और अधिकारिता का संदेश देने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन भी कर रहा है, यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा शुरू किए गए 75-सप्ताह के भव्य उत्सव की तर्ज पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के 75 साल भी मना रहा है। "आज़ादी का अमृत महोत्सव" की आधिकारिक यात्रा हमारी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर 12 मार्च, 2021 को शुरू हुई और 15 अगस्त, 2023 को समाप्त होगी।

गौरव की इस भावना को बढ़ाने के लिए इंडिया 2.0: 2047 में भारत के लिए विजन जहां निवेशक स्मार्ट, सूचित और सशक्त निवेशक सुरक्षा कोष हैं; आईईपीएफए रन अप प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला की घोषणा कर रहा है, जिनमें से एक "पहचान" आईईपीएफए द्वारा एक हाइब्रिड शुभंकर डिजाइनिंग प्रतियोगिता है, जो अखिल भारतीय स्तर पर छात्रों और आम जनता के लिए है। शुभंकर को डिजाइन करते समय यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह आईईपीएफए का संदेश ले जाएगा, बचत, बजट, निवेश के संदर्भ में पैसे के मूल्य को परिभाषित करना; और वर्तमान और संभावित निवेशकों को कपटपूर्ण योजनाओं से बचाना; और समग्र रूप से वित्तीय साक्षरता के संदर्भ में IEPFA के अधिदेश के आसपास।

प्रतियोगिता का उद्देश्य लोगों को पैसे के मूल्य के बारे में जागरूक करना और सूचित वित्तीय निर्णय लेने के लिए तैयार करना है।

प्रतियोगिता की आयु-वार श्रेणियां निम्नानुसार हैं: -
श्रेणी 1: 11 से 18 वर्ष
श्रेणी 2: 19 वर्ष और उससे अधिक

[कृपया ध्यान दें: प्रतिभागी को विवरण बॉक्स में उस श्रेणी का उल्लेख करना होगा जिसमें वह आवेदन कर रहा है।]

चयन मानदंड: मूल, रचनात्मक, अभिनव, संबंधित और प्रतियोगिता विषय के लिए प्रासंगिक और एक उपयुक्त टैगलाइन के साथ होना चाहिए।

थीम, कॉम्पोनेंट्स, पुरस्कार और मान्यता और समयरेखा जानने के लिए यहां क्लिक करें (PDF- 171KB)

प्रविष्टियां जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2022 है

नियम एवं शर्तें देखने के लिये यहाँ क्लिक करें (PDF-169KB)

जन-धन से जन सुरक्षा पोर्टल

मुख्य पृष्ठ

जन धन से जन सुरक्षा पोर्टल तीन प्रमुख योजनाओं अर्थात् प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना के बारे में उपयोगकर्ताओं के लिए जानकारी प्रदान करता है। आप इस पोर्टल पर सभी तीन योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इन योजनाओं से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न भी दिए गये हैं। पंजीकरण प्रपत्र और दावा प्रपत्र भी दिया गया है। उपयोगकर्ताओं के लिए रिपोर्ट और नियम भी उपलब्ध हैं।

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केंद्रीय बजट एवं आर्थिक सर्वेक्षण की वेबसाइट देखें

आप विभिन्न वर्षों के बजट संबंधी पत्रों, बजट के मुख्य बिन्दुओं, बजट पर दिए गए भाषण, वृहत आर्थिक ढाँचा विवरणी, सूक्ष्‍म आर्थिक मूलसंरचना‍ विवरण, राजस्व नीति कार्यनीति विवरणी, राजस्व विवरणी एवं बजट में की गई घोषणाओं के क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। आप वर्तमान वर्ष एवं पिछले वर्षों का आर्थिक सर्वेक्षण भी देख सकते हैं।

वित्त मंत्रालय की वेबसाइट देखें

वित्त मंत्रालय कराधान, वित्तीय कानून, वित्तीय संस्थानों, पूंजी बाजार, केन्द्र एवं राज्य के वित्त एवं केंद्रीय बजट से संबंधित है। आप मंत्रालय के विभिन्न विभागों, जैसे - आर्थिक कार्य विभाग, व्यय, राजस्व, वित्तीय सेवाएं एवं विनिवेश इत्यादि से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अधिनियम और नियम, दस्तावेजों, रिपोर्ट, राज्य मंत्री (राजस्व) एवं राज्य मंत्री इत्यादि के बारे में जानकारी यहाँ निवेशक सुरक्षा कोष दी गई है। आप प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, आयकर निपटान.

वित्त मंत्रालय के अधिनियम और अधीनस्थ कानून

वित्त मंत्रालय के अधिनियमों और कानूनों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। राजस्व विभाग के भारतीय स्टाम्प अधिनियम, केन्द्रीय बिक्री अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, सम्पत्ति कर अधिनियम इत्यादि अधिनियमों के लिंक उपलब्ध कराए गए हैं। आर्थिक मामले विभाग के धातु सिक्का अधिनियम, धर्मार्थ अक्षयनिधि अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक (संशोधन और विविध प्रावधान) अधिनियम इत्यादि अधिनियमों के बारे में जानकारी दी गई है। वित्तीय सेवा.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (संशोधन) अधिनियम 2013

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (संशोधन) अधिनियम 2013 से संबंधित जानकारी प्राप्त करें। यह अधिनियम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के अनुभाग 15 में संशोधन के पश्चात निकाला गया है। आप इस अधिनियम के बारे में, इसके उद्देश्य, लघु नाम एवं प्रारंभण से संबंधित जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। इस अधिनियम में किये गए संशोधनों एवं इसके अनुभागों से संबंधित जानकारी भी यहाँ उपलब्ध है।

पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 2013

पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 2013 से संबंधित जानकारी प्राप्त करें। आप इस अधिनियम के बारे में, इसके लघु नाम, प्रारंभण, इसकी व्याख्या एवं व्यापकता से संबंधित जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। इस अधिनियम के अनुभागों एवं पेंशन कोष नियामक निवेशक सुरक्षा कोष एवं विकास प्राधिकरण से संबंधित जानकारी भी यहाँ उपलब्ध है।

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की संपर्क विवरणी देखें

आप वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की संपर्क विवरणी यहाँ देख सकते हैं। आप मंत्रालय के मंत्रियों, सचिवों, निदेशकों एवं अन्य अधिकारियों के नाम, पद, उनके फ़ोन नंबर एवं ई-मेल इत्यादि की जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। आर्थिक मामले संबंधी विभाग, व्यय विभाग, वित्तीय सेवा विभाग एवं राजस्व विभाग के बारे में पूर्ण जानकारी यहाँ उपलब्ध है।

सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग से संबंधित निवेशक सुरक्षा कोष राजपत्रित अधिसूचना देखें

आप सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग से संबंधित राजपत्रित अधिसूचना यहाँ देख सकते हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा 28 फ़रवरी 2014 को यह अधिसूचना प्रकाशित की गई है। आप इसके अध्यक्ष - न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार माथुर, सदस्य - श्री विवेक रे, डॉ. रथिन रॉय एवं सचिव - श्रीमती मीना अग्रवाल के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वेतन आयोग के कार्यकाल एवं विचारार्थ विषयों के बारे में भी जानकारी दी गई है।

वित्त मंत्रालय द्वारा राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम के बारे में जानकारी प्राप्त करें

वित्त मंत्रालय द्वारा राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम प्रतिभूति बाजार में पहली बार निवेश कर रहे खुदरा / व्यक्तिगत निवेशकों के लिए एक कर बचत योजना है। 12 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले खुदरा / व्यक्तिगत निवेशक, जिन्होंने प्रतिभूति बाजार में सालाना 50,000 तक का निवेश किया है, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। आप राजस्व विभाग की अधिसूचना देख सकते हैं। सेबी के संचालन संबंधी दिशा-निर्देशों, राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम से संबंधित अक्सर पूछे पूछे.

केंद्रीय बजट 2009-10 के बारे में जानकारी

केंद्रीय बजट 2009-10 के बारे में जानकारी प्राप्त करें। आप बजट की मुख्य बातों और वित्त विधेयक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बजट संबंधी रसीदें, व्यय और केंद्रीय योजना परिव्यय इत्यादि के बारे में जानकारी दी गई है। सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर इत्यादि से संबंधित व्याख्यात्मक नोट उपलब्ध कराए गए हैं।

वित्त मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट

वित्त मंत्रालय की ऑनलाइन वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करें। उपयोगकर्ता 1999 के बाद से मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट देख सकते हैं। अंग्रेजी और हिन्दी में रिपोर्ट डाउनलोड करने के लिए लिंक उपलब्ध है।

चेन्नई के क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान की वेबसाइट देखें

चेन्नई के क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। आप प्रशिक्षण कार्यक्रमों, संसाधन, पाठ्यक्रम, संस्थान के प्रकाशनों आदि से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आर्थिक समीक्षा 2014-15

आर्थिक समीक्षा 2014-15 जो वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का फ्लैगशिप वार्षिक दस्ताकवेज है, विगत 12 महीनें में भारतीय अर्थव्यवस्था में घटनाक्रमों की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों के निष्पादन का सार प्रस्तुत करता है और सरकार की नीतिगत पहलों तथा अल्पावधि से मध्यावधि में अर्थव्यवस्था की संभावनाओं पर विधिवत प्रकाश डालता है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।

अनुदान की मांग, आर्थिक कार्य विभाग

वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक कार्य विभाग के लिए अनुदान की मांगों का पता लगाएं। राजस्व, पूंजी, कुल अनुदान राशि, आदि जैसे विवरण उपलब्ध हैं। उपयोगकर्ता फ़ाइलों को देख और डाउनलोड कर सकते हैं।

सेबी ने NSE पर लगाया 625 करोड़ रुपये का जुर्माना, 6 महीने तक नहीं ला सकेगा डेरिवेटिव प्रोडक्ट

एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी.'

By: एजेंसी | Updated at : 30 Apr 2019 11:19 PM (IST)

नई दिल्लीः शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी ने मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को एक खास जगह स्थापित एक्सचेंज के कुछ सर्वर को कारोबार में कथित रूप निवेशक सुरक्षा कोष से वरीयता देने (को-लोकेशन) के मामले में 625 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष में जमा कराने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों पर भी कार्रवाई की गई है.

एनएसई की को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से उच्च आवृति वाले कारोबार में अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद सेबी ने यह आदेश दिया है.

आदेश में कहा गया है, 'एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी.'

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस मामले में एनएसई के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है. सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर पांच साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगायी है.

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आदेश के मुताबिक सेबी ने दोनों को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में सीधे या परोक्ष रूप से कारोबार करने से भी निवेशक सुरक्षा कोष रोक दिया है.

साल 2015 में एक शिकायत के बाद एनएसई की को-लोकेशन सुविधा नियामकीय जांच के घेरे में आई.

इस मामले में आदेश जारी करते हुए सेबी ने कहा कि एनएसई ने टिक- बाय-टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में आपेक्षित प्रयास नहीं किया.

टीबीटी डेटा फीड ऑर्डर बुक में हुए हर बदलाव के बारे में जानकारी देता है. इसे पारेषण नियंत्रण प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए प्रसारित किया जाता है. इस प्रोटोकॉल के तहत एक-एक करके सूचनाएं निवेशक सुरक्षा कोष प्रेषित होती हैं.

सेबी के पूर्ण कालिक सदस्य जी महालिंगम ने आदेश में कहा 'इसमें कोई संशय नहीं है कि शेयर बाजार ने टीबीटी रूपरेखा को लागू करने के समय आपेक्षित परिश्रम नहीं किया. इसके चलते एक ऐसा कारोबारी माहौल बना, जिसमें सूचनाओँ का प्रसार असमान था. जिसे निष्पक्ष और उचित और न्यायसंगत नहीं माना जा सकता. "

वहीं , दूसरी तरफ सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को अगले छह महीने तक कोई भी नया डेरिवेटिव उत्पाद पेश नहीं करने के लिए कहा है.

Published at : 30 Apr 2019 11:19 PM (IST) Tags: penalty SEBI NSE हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

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