बाजार अनुसंधान

बाजार खंडों का अनुसंधान - बाजार की मात्रा, संरचना और गतिशीलता, विकास की मुख्य दिशा, मूल्य स्तर और प्रतिस्पर्धा, मुख्य विशेषताओं और बुनियादी ढांचे, मूल्य निर्धारण कारक, व्यक्तिगत बाजार खंडों की विशेषताएं;
प्रतियोगी अनुसंधान - व्यस्त और मुक्त बाजार niches, प्रतिस्पर्धी लाभ;
उपभोक्ता बाजार अनुसंधान - मांग का स्तर और मात्रा, उपभोक्ता प्रोफ़ाइल, उपभोक्ता वरीयताओं का विश्लेषण, मांग को आकार देने वाले मुख्य कारक;
बाजार के विपणन अनुसंधान के परिणाम हैं: परियोजना के विकास के लिए संभावित विकल्पों के विचार, परियोजना की प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के शोध के परिणामस्वरूप विकसित परियोजना की पदोन्नति, स्थिति, मूल्य निर्धारण और बिक्री की रणनीति पर सिफारिशें, रोजगार और बाजार के रिक्त स्थान का निर्धारण, संभावित ग्राहकों के चित्र का अध्ययन। कंपनी "बेकर ग्रुप" कंपनी "कंसल्ट-इन्वेस्टमेंट" के साथ मिलकर - विपणन अनुसंधान का संचालन करेगी और कन्फेक्शनरी उत्पादों के उत्पादन में सीमा और दिशा पर उनकी सिफारिशें आपके लिए सफल होंगी।
अंतरिक्ष में भारत का एक और मील का पत्थर, विक्रम-एस
शुक्रवार को भारत के सतीश धवन केंद्र से विक्रम-एस नाम का एक रॉकेट पृथ्वी की कक्षा की ओर छोड़ा जाएगा. हर छोटे-बड़े दर्जनों रॉकेट लॉन्च करने वाले भारत के लिए विक्रम-एस का प्रक्षेपण एक नया मील का पत्थर होगा.
विक्रम-एस रॉकेट को एक निजी कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने तैयार किया है. यह भारत में किसी निजी कंपनी का पहला रॉकेट लॉन्च है. इस अहम मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जीतेंद्र सिंह भी मौजूद रहेंगे.
बुधवार को केंद्र सरकार ने देश के पहले निजी रॉकेट लॉन्च को मंजूरी दी थी. इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने एक बयान में बताया कि एक निजी स्पेस स्टार्ट-अप स्काईरूट एयरोस्पेस के विक्रम-एस को 18 नवंबर को 11 से 12 बजे के बीच प्रक्षेपण के लिए मंजूरी दी गई है.
इस घटना की अहमियत जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो की यात्रा में विक्रम-एस का प्रक्षेपण एक अहम मील का पत्थर साबित होगा. भारत ने दो साल पहले ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने की इजाजत दी थी. जीतेंद्र सिंह ने कहा कि रॉकेट लॉन्च करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो के साथ समझौता करने वाला स्काईरूट पहला स्टार्ट-अप था.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में किए गए सुधारों के चलते स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए विकास के नए रास्ते खुल गए हैं और बहुत ही छोटी सी अवधि में 102 स्टार्ट-अप सक्रिय हो गए हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. इनमें रॉकेट लॉन्च से लेकर, अंतरिक्ष में कचरे का प्रबंधन और नैनो-सैटेलाइट स्थापित करने जैसी अत्याधुनिक तकनीकें शामिल हैं.
विक्रम-एस के लॉन्च के लिए अभियान को प्रारंभ नाम दिया गया है. श्रीहरिकोटा से शुक्रवार दोपहर करीब 11 बजे इसे पृथ्वी की कक्षा की बाजार अनुसंधान ओर छोड़ा जाएगा. लगभग 550 किलोग्राम वजनी विक्रम-एस सिंगल-स्टेज रॉकेट है जो अधिकतम 101 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है. पूरे प्रक्षेपण का कुल समय लगभग 300 सेकंड्स का होगा, जिसके बाद यह रॉकेट समुद्र में जा गिरेगा.
अंतरिक्ष और भारतीय निजी क्षेत्र
प्रारंभ अभियान सिर्फ तकनीक का प्रदर्शन करने के लिए है जो दिखाएगा कि भारत के निजी क्षेत्र में इसरो के कंधों को हल्का करने की कितनी क्षमता है.
स्काईरूट ने एक ट्वीट बाजार अनुसंधान में कहा, "श्रीहरिकोटा के रॉकेट इंटिग्रेशन केंद्र में विक्रम-एस की एक झलक. यह ऐतिहासिक दिन के लिए तैयार हो रहा है.”
भारत का इसरो दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है. उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में उसे विशेष दर्जा हासिल है. उसने 34 देशों के लगभग 350 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाया है. लेकिन दो साल पहले भारत सरकार ने इस क्षेत्र को निजी कंपनियो के लिए खोलने का ऐलान किया गया.
इसके लिए इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) की स्थापना की गई जिसका मकसद भारत में निजी कंपनियों को बराबर के मौके उपलब्ध कराना है. यही एजेंसी इसरो और निजी क्षेत्र के बीच संपर्क सूत्र का भी काम करती है. इसके अलावा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड और इंडियन स्पेस एसोसिएशन नाम के दो संगठन भी बनाए गए हैं जो अंतरिक्ष अनुसंधान को बढावा देने के लिए काम करेंगे.
बाजार का विस्तार
निजी क्षेत्र के आने से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में विदेशी निवेश के रास्ते खुले हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई निजी कंपनियों ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबियां हासिल की हैं. इनमें बोइंग, स्पेसएक्स, सिएरा नेवादा और ब्लू ऑरिजिन जैसी कंपनियां शामिल हैं जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ सहयोग से कई शोध और अनुसंधान कार्यों में लगी हैं.
एमरजेन रिसर्च के एक अध्ययन के मुताबिक 2028 तक अंतरिक्ष अनुसंधान का बाजार 630 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करन के मकसद से बड़ी तादाद में निजी कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं. इनमें एमेजॉन और स्पेस एक्स जैसी कंपनियों की तो चांद और मंगल पर बेस बनाने जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा अंतरिक्ष पर्यटन का क्षेत्र भी तेजी से विकास कर रहा है. विक्रम-एस के लॉन्च के साथ भारत का निजी क्षेत्र भी इस बाजार में अपनी दावेदारी की शुरुआत कर देगा.
स्मार्टवॉच समेत इन डिजिटल डिवाइस के शौकीन भारतीय, रिकॉर्ड बिक्री से बढ़ा बिजनेस, जानिए ये आंकड़े
बाजार अनुसंधान और विश्लेषण फर्म आईडीसी ने शुक्रवार को बताया कि सितंबर 2022 को समाप्त हुई तिमाही में भारत में स्मार्ट डिवाइस की शिपमेंट 56 प्रतिशत से बढ़कर 37.2 मिलियन यूनिट हो गई है.
- News18Hindi
- Last Updated : November 12, 2022, 15:49 IST
हाइलाइट्स
इनमें पहनने योग्य डिवाइस सेगमेंट में स्मार्टवॉच, रिस्ट बैंड और ईयरवियर शामिल हैं.
बाजार में BoAT ब्रांड के प्रोडक्ट्स की सबसे ज्यादा 32.1 प्रतिशत हिस्सेदारी रही.
IDC ने कहा- स्मार्टवॉच की विभिन्न कस्टमर्स सेगमेंट में ज्यादा डिमांड है
नई दिल्ली. देश में मोबाइल के बाद अब अन्य डिजिटल वीयरएबल (पहनने योग्य) गैजेट्स की मांग और चलन बढ़ता जा रहा है. बाजार अनुसंधान और विश्लेषण फर्म आईडीसी ने शुक्रवार को बताया कि सितंबर 2022 को समाप्त हुई तिमाही में भारत में स्मार्ट डिवाइस की शिपमेंट 56 प्रतिशत से बढ़कर 37.2 मिलियन यूनिट हो गई है.
इनमें पहनने योग्य डिवाइस सेगमेंट में स्मार्टवॉच, रिस्ट बैंड और ईयरवियर शामिल हैं. 2022 के पहले नौ महीनों में 75 मिलियन यूनिट शिपमेंट दर्ज किया. इमेजिन मार्केटिंग, जो BoAT ब्रांड नाम के तहत प्रोडक्ट बेचती है, इसका सबसे ज्यादा शेयर रहा. इस ब्रांड की बाजार में 32.1 प्रतिशत हिस्सेदारी रही.
त्योहारी सीजन में बढ़ी प्रोडक्ट्स की मांग
आईडीसी ने डिवाइस ट्रैकर रिपोर्ट में कहा कि “विक्रेताओं ने त्योहारी सीजन (अगस्त-अक्टूबर) के लिए इन्वेंट्री बनाने के लिए अपने शिपमेंट में आक्रामक बने रहना जारी रखा. ऑनलाइन बिक्री आयोजनों के दौरान भारी छूट और ऑफ़र भी शुरू किए गए थे. स्मार्टवॉच सेगमेंट साल-दर-साल (YoY) आधार पर 178.8 प्रतिशत बढ़कर सितंबर 2022 तिमाही में 4.3 मिलियन से 12 मिलियन यूनिट से अधिक हो गया.
आईडीसी इंडिया सीनियर मार्केट एनालिस्ट फॉर क्लाइंट डिवाइसेस विकास शर्मा ने कहा “स्मार्टवॉच की विभिन्न कस्टमर्स सेगमेंट में ज्यादा डिमांड है, इसलिए बेहतर विनिर्देशों / सटीक निगरानी की आवश्यकता महत्वपूर्ण होगी. ईयरवियर शिपमेंट सितंबर तिमाही में 33.6 प्रतिशत बढ़कर 2.5 करोड़ यूनिट से अधिक हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 18.73 मिलियन यूनिट था.
रिपोर्ट में कहा गया कि ईयरवियर कैटेगरी की हिस्सेदारी 67.3 प्रतिशत रही. ट्रूली वायरलेस (TWS) 57.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ 94.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, इस बार 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि ओवर-द-ईयर में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.
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विपणन अनुसंधान
कन्फेक्शनरी उद्योग में किसी भी पहल को विकसित करने से पहले, चाहे वह नए प्रकार के उत्पाद हों, रेंज का विस्तार कर रहे हों या किसी मौजूदा उत्पादन का पुनर्निर्माण कर रहे हों, बाजार अनुसंधान करना आवश्यक है।
बाजार अनुसंधान परियोजना के पूरे कारोबारी माहौल का एक बड़े पैमाने पर अध्ययन है। अध्ययन का विषय बाजार की संरचना, प्रतिस्पर्धी माहौल, व्यापक आर्थिक रुझान और अन्य कारक हैं जो बाजार की स्थिति को प्रभावित करते हैं। इस काम का मुख्य लक्ष्य पूरे बाजार और इसके व्यक्तिगत क्षेत्रों दोनों में रुझानों का पूर्वानुमान है।बाजार अनुसंधान में शामिल हैं:
बाजार खंडों का अनुसंधान - बाजार की मात्रा, संरचना और गतिशीलता, विकास की मुख्य दिशा, मूल्य स्तर और प्रतिस्पर्धा, मुख्य विशेषताओं और बुनियादी ढांचे, मूल्य निर्धारण कारक, व्यक्तिगत बाजार खंडों की विशेषताएं;
प्रतियोगी अनुसंधान - व्यस्त और मुक्त बाजार niches, प्रतिस्पर्धी लाभ;
उपभोक्ता बाजार अनुसंधान - मांग का स्तर और मात्रा, उपभोक्ता प्रोफ़ाइल, उपभोक्ता वरीयताओं का विश्लेषण, मांग को आकार देने वाले मुख्य कारक;
बाजार के विपणन अनुसंधान के परिणाम हैं: परियोजना के विकास के लिए संभावित विकल्पों के विचार, परियोजना की प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के शोध के परिणामस्वरूप विकसित परियोजना की पदोन्नति, स्थिति, मूल्य निर्धारण और बिक्री की रणनीति पर सिफारिशें, रोजगार और बाजार के रिक्त स्थान का निर्धारण, संभावित ग्राहकों के चित्र का अध्ययन। कंपनी "बेकर ग्रुप" कंपनी "कंसल्ट-इन्वेस्टमेंट" के साथ मिलकर - विपणन अनुसंधान का संचालन करेगी और कन्फेक्शनरी उत्पादों के उत्पादन में सीमा और दिशा पर उनकी सिफारिशें आपके लिए सफल होंगी।
भारतीय स्मार्टफोन की बिक्री सितंबर तिमाही में दस प्रतिशत घटी : रिपोर्ट
नवभारत टाइम्स 14-11-2022
नयी दिल्ली, 14 नवंबर (बाजार अनुसंधान भाषा) देश में स्मार्टफोन की बिक्री 2022 की तीसरी तिमाही में 10 प्रतिशत घटकर 4.3 करोड़ इकाई बाजार अनुसंधान पर आ गई।
बाजार अनुसंधान कंपनी इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) के अनुसार, यह भारतीय स्मार्टफोन बिक्री बाजार में बिक्री का पिछले तीन साल में सबसे निचला स्तर है।
जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान स्मार्टफोन की कुल बिक्री में 5जी स्मार्टफोन की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत तक पहुंच गई।
इसमें बीती तिमाही के दौरान 5जी स्मार्टफोन की औसत बिक्री का मूल्य बढ़कर 393 डॉलर प्रति स्मार्टफोन (लगभग 32,000 रुपये) पर पहुंच गया। पिछले वर्ष की समान तिमाही में यह 377 डॉलर (लगभग 30,600 हजार रुपये) था।
आईडीसी ने तिमाही आधार पर अपनी वैश्विक मोबाइल फोन निगरानी रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत के स्मार्टफोन बाजार की बिक्री सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत घटकर 4.3 करोड़ इकाई रह गई।’’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘दीपावली और त्योहारों के बावजूद वर्ष 2019 के बाद से किसी भी तीसरी तिमाही में यह सबसे कम बिक्री थी। कमजोर मांग और स्मार्टफोन की कीमतों में बढ़ोतरी से त्योहारी खरीदारी पर नकारात्मक असर पड़ा है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 तिमाही के दौरान ऑनलाइन मंचो का पलड़ा भारी रहा। उन्होंने कुल स्मार्टफोन बिक्री में रिकॉर्ड 58 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की। हालांकि, सालाना आधार पर ऑनलाइन मंचो से स्मार्टफोन बिक्री बाजार अनुसंधान 2.5 करोड़ इकाई पर बराबर रही।
मीडियाटेक प्रोसेसर पर आधारित स्मार्टफोन की बाजार में कुल हिस्सेदारी 47 प्रतिशत तक बढ़ गयी जबकि क्वालकॉम के यूएनआईएसओसी स्मार्टफोन की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत घटकर 25 प्रतिशत रह गई।
शियोमी ने तिमाही के दौरान 21.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे अधिक स्मार्टफोन बेचे। वहीं एप्पल 63 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ प्रीमियम श्रेणी में सबसे आगे रही।
ESOMAR बाजार अनुसंधान निर्देशिका ईमेल सूची 1000 ईमेल
ESOMAR बाजार, सामाजिक और राय शोधकर्ताओं के लिए एक सदस्यता संगठन है जिसे 1947 में स्थापित किया गया था। ESOMAR नाम उनके मूल नाम, द यूरोपियन सोसाइटी फॉर ओपिनियन एंड मार्केटिंग रिसर्च का एक संक्षिप्त नाम है, जो संगठन के मूल आकर्षण को दर्शाता है।