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Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय किसान मालामाल, पंजाब में गेहूं की रिकॉर्ड खरीद

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध ( Russia-Ukraine War ) ने जहां दुनिया को चिंता में डाला हुआ है, वहीं पंजाब के किसानों इस वजह से मालामाल हो गए हैं.

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध ( Russia-Ukraine War ) ने जहां दुनिया को चिंता में डाला हुआ है, वहीं पंजाब के किसानों इस वजह से मालामाल हो गए हैं. रूस-यूक्रेन दुनिया भर में गेहूं की कुल आपूर्ति का कुल 40 फीसदी अकेले कवर करते हैं लेकिन युद्ध ने इसमें अड़चन पैदा की है. इस वजह से भारत से गेहूं की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

देश में सबसे ज्यादा गेहूं पैदा करने वाले पंजाब में, सिर्फ 2 हफ्ते में राज्य की अनाज मंडियों में प्राइवेट ट्रेडर्स ने एक लाख टन से ज्यादा का गेहूं खरीद लिया ( Wheat procurement by private traders in Punjab at an all-time high ) है और वह भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा की कीमत पर. सरकार को उम्मीद है कि इस बार निजी खरीद का आंकड़ा 5 लाख मीट्रिक टन को पार कर जाएगा तो 10 सालों में सबसे ज्यादा होगा.

state food and civil supplies department के आंकड़ों के अनुसार गुरुवार शाम तक 1,33,370 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद प्राइवेट ट्रेडर्स ने की और शुक्रवार को 33,733 मीट्रिक टन की खरीद हुई. अब तक प्राइवेट ट्रेडर्स के जरिए सबसे ज्यादा गेहूं की खरीद जिन जिलों में हुई है, उनमें मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में 45,851 मीट्रिक टन, लुधियाना में 26,836 मीट्रिक टन, पटियाला में 19,388 मीट्रिक टन और फिर फरीदकोट में 10,955 मीट्रिक टन का आंकड़ा सामने आया है. 2,015 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 250 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा की दर पर ये खरीद हुई है.

सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले सीजन में 1.17 लाख मीट्रिक टन गेहूं निजी कारोबारियों ने खरीदा था और 2020 में सिर्फ 56,000 मीट्रिक टन. जबकि 2014 में प्राइवेट ट्रेडर्स ने सबसे ज्यादा खरीद 2.9 लाख मीट्रिक टन थी.

state food and civil supplies department के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "हमने कभी भी खरीद के समय राज्य की अनाज मंडियों से प्राइवेट ट्रेडर्स द्वारा इस तरह की गेहूं की खरीद नहीं देखी है. आमतौर पर, वे एक से लेकर दो लाख टन से थोड़ा ज्यादा की ही खरीद करते हैं लेकिन इस बार यह पिछले दस वर्षों में अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है. अधिकारी ने कहा कि हमारा अनुमान है, खरीद सत्र के अंत तक प्राइवेट ट्रेडर्स राज्य में लगभग 5 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुके होंगे. पहले जब एमएसपी सालाना नहीं बढ़ाया जाता था तो प्राइवेट ट्रेडर्स राज्य में प्रति वर्ष लगभग 6 से 7 लाख टन गेहूं की खरीद करते थे. हर साल एमएसपी बढ़ने के बाद प्राइवेट ट्रेडर्स द्वारा खरीद बहुत कम हुई लेकिन इस साल यह पहले की तुलना में ज्यादा होगी और इसकी सीधी वजह रूस-यूक्रेन जंग होगी.

state food and civil supplies department ने कुल 135 लाख टन गेहूं खरीद की व्यवस्था की है.

इस बीच, राजनीति भी शुरू हो चुकी है. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आप सरकार से गेहूं की कम पैदावार के कारण भारी नुकसान का सामना कर रहे किसानों के लिए तुरंत 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा करने को कहा है.

व्यक्तिगत और परिवारों के लिए सहायता / Support for individuals and families

ऐसी कई चीजें हैं जो हम सब अपनी और अपने प्रियजनों की मानसिक भलाई को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं:

  • दोस्तों और परिवार के साथ संपर्क बनाए रखें - यह हमारी भलाई के लिए जरूरी है और हमें सुरक्षित महसूस करने, तनावग्रस्त और कम चिंतित महसूस करने में मदद करता है।
  • अपनी भावनाओं को स्वीकार करें - अभिभूत, तनावग्रस्त, चिंतित, या भयभीत महसूस करना पूरी तरह से सामान्य है। आप कैसा महसूस कर रहे/रही हैं इस पर ध्यान देने और उन्हें व्यक्त करने के लिए स्वयं को समय दें।
  • जहां तक संभव हो दिनचर्या का पालन करते रहें - अपने जीवन में कुछ नियमितता पैदा करने की कोशिश करें औरउदास होने पर खाने, पीने, धूम्रपान या वेपिंग जैसी अस्वस्थ आदतों को न बढ़ाएं।
  • ऐसे अन्य लोगों पर नजर रखें जिन्हें मदद की जरूरत हो सकती है - उन लोगों का ध्यान रखना जो तनावग्रस्त या चिंतित महसूस कर रहे हों। इससे आपको और सहायता प्राप्त करने वाले व्यक्ति दोनों को लाभ हो सकता है।
  • ऑनलाइन पर अपने समय को सीमित करें - दिन में एक या दो बार निश्चित समय पर मीडिया और सोशल मीडिया पर जाएं।

आप किससे बात कर सकते हैं

मानसिक भलाई के साथ संघर्ष कर रहे किसी भी व्यक्ति को सहारा देने, जानकारी देने और मदद करने के लिए यहां हैल्पलाइनें उपलब्ध हैं। सारी सेवाएं मुफ्त है, और दिन में 24 घंटे, सप्ताह में 7 दिन उपलब्ध हैं।

सेवाएं और ट्रेडर्स वे सपोर्ट सहायता

मदद मांगने में कोई बुराई नहीं है। जैसा कि हम साथ मिल कर इस पर काम करते हैं, ऐसे बहुत से लोग और एजेंसियां हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं। अगर आपको जरूरत हो, तो यहां कई तरह की सलाह, सहायता या सहारे के साधन उपलब्ध हैं। अगर आप अंग्रेज़ी नहीं बोलते तो ज्यादातर सरकारी विभागों को फोन करते समय आप इंटरप्रेटर (दुभाषिए) की मांग कर सकते हैं।

रंगरेज गली में पार्किग बंद, अब जाम से मिलेगी मुक्ति

रंगरेज गली में पार्किग बंद, अब जाम से मिलेगी मुक्ति

RANCHI (30 Aug) : रंगरेज गली। इस इलाके का नाम सुनते ही शहर के निवासियों के जेहन में जाम और अफरा-तफरी की तसवीर कौंध जाती है। शहर का सबसे व्यस्त व्यावसायिक इलाका, पर गली इतनी संकरी कि पैदल चलना भी मुश्किल। वर्षो से जाम से जूझ रहे इस इलाके के ट्रेडर्स ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे इलाके की सूरत बदलने की उम्मीद जगी है। दीन बंधु लेन ट्रेडर्स एसोसिएशन ने इस गली में पार्किग निषेध करने का फैसला किया है। पिछले तीन दिनों से आधी गली में टू-व्हीलर गाडि़यों की पार्किग नहीं हो रही है। इससे काफी हद तक आधी गली जाम से मुक्त हो गई है।

स्वास्तिक हाउस के मुहाने पर पार्किग

अभी जामा मस्जिद के सामने स्थित स्वास्तिक हाउस से लेकर नगर निगम के पार्किग स्थल वाली गली तक गाडि़यां पार्क की जा रही हैं। इसकी वजह है नये ट्रेडर्स एसोसिएशन द्वारा पार्किग को लेकर पुराने संघ के द्वारा लिये गए फैसले को समर्थन न देना। यही वजह है कि चुरुवाला लेन से घुसने पर आधी गली तो जाम से मुक्त हो गई है, लेकिन दूसरे छोर पर गली का आधे हिस्से में अब भी गाडि़यां खड़ी की जा रही हैं। इससे अभी उद्देश्य पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। दोनों गुटों के बीच आपसी रजामंदी से इस फैसले को मानने को लेकर बातचीत शुरू हुई है। अगर दोनों गुट नो पार्किग के फैसले को मान लेते हैं, तो जल्द ही इस इलाके की एक नयी तसवीर देखने को मिलेगी।

रोजाना होता है तीन करोड़ का कारोबार

रंगरेज गली हर तरह के माल के थोक विक्रेताओं का एक हब है। यहां से हर दिन तीन करोड़ से भी ज्यादा का व्यवसाय होता है। किसी दिन ऐसा नहीं होता, जब यहां दस हजार लोगों का मजमा न लगता हो। साडि़यां खरीदनी हो या कॉस्मेटिक्स, हर तरह के सामान के थोक विक्रेता यहां मौजूद हैं। केवल रांची ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों के भी खरीदार यहीं से थोक के भाव में माल खरीद कर ले जाते हैं और अपने यहां खुदरा बेचते हैं। इसी वजह से रंगरेज गली का महत्व भी बढ़ जाता है।

कुछ लोग कर रहे हैं मनमानी

अभी दुकानदारों के सामने एक समस्या यह भी है कि उनके पास बल प्रयोग का कोई साधन नहीं। कोई सिक्योरिटी नहीं, किसी तरह से पुलिस का सहयोग नहीं। जब वे दुकान के सामने लोगों को गाड़ी लगाने से मना करते हैं, तो कई बार दबंगों के द्वारा उन्हें धमकाया भी जा रहा है। कुछ लोग कहते हैं कि दुकान से सामान खरीद रहे हैं, तो गाड़ी कहां लगाएंगे? वैसे, कुछ ही दूरी पर पार्किग की व्यवस्था तो है, लेकिन वहां काफी कम जगह होने के कारण लोगों को मजबूरी में गली के भीतर ही अपनी गाडि़यां लगानी पड़ती हैं.

यह एक अच्छी पहल है। इससे व्यवसाय भी बढ़ेगा और आम लोगों की परेशानी भी कम होगी। सभी को मिलकर इसका समर्थन करना चाहिए।

जाम से मुक्ति के लिए उठाया गया यह कदम अच्छा है। अब सरकार को पहल करते हुए आसपास कहीं पार्किग के लिए जगह उपलब्ध करानी चाहिए।

यहां दो संगठन हैं। दोनों को एकमत होना होगा, तभी इस समस्या से पूरी तरह से मुक्ति मिल सकेगी। आम लोगों को भी सहयोग करना चाहिए।

पहले यहां पैदल चलना भी मुश्किल होता था। महिलाओं को तो ज्यादा परेशानी होती थी। उम्मीद है कि पार्किग कम होने से कुछ राहत जरूर मिलेगी।

व्यवसायियों के सामने एक मुसीबत यह है कि कई बार मना करने पर भी लोग गाड़ी लगाने को लेकर अड़ जाते हैं। उनसे भिड़ना भी मुनासिब नहीं।

पूरे अपर बाजार इलाके को जाम से मुक्त करने के लिए नो पार्किग जोन घोषित करना चाहिए। इसमें सरकार और आम लोगों की मदद जरूरी होगी।

फसल खरीद 2021: यूपी के गेंहू ट्रेडिंग से सरकार को भुगतना पड़ रहा खामियाजा, नहीं हो रही ट्रेडर्स पर कार्रवाई

अनाज मंडी में चल रही गेंहू की ट्रेडिंग से सरकार को करोड़ों रुपयों का चूना लगाया जा रहा है. किसानों की फसल के लिए निर्धारित किये गए न्यून्यतम समर्थन मूल्य का फायदा आढ़ती उठा रहे हैं. व्यापारियों द्वारा यूपी से मंगवाई गई सस्ते गेंहू को आढ़ती एमएसपी पर बेचने में लगे हैं. मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारी मंडी गेट पर चैकिंग का दावा करते हैं, बावजूद इसके रोजाना हजारों क्विंटल गेंहू की ट्रेडिंग हो रही है. गेंहू ट्रेडिंग का सिलसिला प्रतिदिन देर रात से शुरू होकर सुबह तक जारी रहता है।

ट्रेडर्स का गेंहू मंडी पहुंचा

बुधवार की देर रात मंडी में आधा दर्जन से अधिक ट्रालियां और कैंटर में भरा हुआ ट्रेडर्स का गेंहू मंडी पहुंचा. बिना गेट पास के मंडी में दाखिल हुई गाड़ियों को मजदूर आनन फानन में खाली करने मे जुट गए, सूचना मिलने पर मार्केट कमेटी के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और वे न तो गेंहू लाने वाले व्यक्ति को खोज पाए और न ही उन्हें गेंहू मंगवाने वाले आढ़ती के बारे में जानकारी मिली ।

कर्मचारी कैंटर चालक से सवाल पूछते रहे लेकिन उसने कोई जवाब नही दिए, सस्ते गेंहू की ट्रेडिंग ट्रेडर्स वे सपोर्ट का यह खेल लागतार जारी है बावजूद इसके अधिकारी ट्रेडर्स के खिलाफ सिर्फ कार्रवाई किये जाने के दावे करने मे लगे हैं।

दरअसल अनाज मंडियों में जारी यूपी के गेंहू की ट्रेडिंग ने मंडी व्यवस्था को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है, मंडियों में उत्पन्न हुई बारदाने की शॉर्टेज दरअसल बड़ी मात्रा में हो रही है।

घरौंडा मंडी में यूपी के गेहूं का भाव 1880 से 1920 रूपये प्रति किवंटल है, ट्रैक्टर ट्रॉली में करीब 150 क्विटल गेहूं आता है, जिसका रेट 1910-1920 रूपये किवंटल है. जबकि 300 क्विटल गेहूं लेकर आये ट्रक का भाव करीब 1880 रूपये प्रति क्विटल है।

इस बार सरकार ने गेंहू का न्यून्यतम समर्थन मूल्य 1975 रूपये निर्धारित किया है, ऐसे में व्यापारी को भाव में 55 से 85 रूपये और कमीशन में पचास रूपये की कमाई होती है, यूपी से गेंहू लेकर आये वाहनों को पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों के नाम पर मंडी में एंट्री दी जाती है।

झारखंड: 98 रुपए रोज कमाने वाले मजदूर को मिला 3.5 करोड़ का GST नोटिस

नोटिस अवधि गुजर जाने के बाद भी लादूम ने पैसे जमा नहीं किए तो पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया, लेकिन उसकी हालत देखकर और गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया.

गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया गया

सत्यजीत कुमार

  • जमशेदपुर,
  • 04 दिसंबर 2020,
  • (अपडेटेड 04 दिसंबर 2020, ट्रेडर्स वे सपोर्ट 11:41 PM IST)
  • पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया
  • गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया

झारखंड के घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड में जीएसटी में हेराफेरी का अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां जीएसटी अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मजदूर के आधार और पैन कार्ड पर कंपनी को जीएसटी नंबर वाणिज्य कर विभाग ने आवंटित कर दिया.

दरअसल, यह मामला मुसाबनी के रायपहाड़ी का है, यहां के निवासी, 98 रुपए रोज कमाने वाले मनरेगा मजदूर लादुम मुर्मू (48) को 3.5 करोड़ रुपए जीएसटी भुगतान का नोटिस भेजा. नोटिस अवधि गुजर जाने के बाद भी लादूम ने पैसे जमा नहीं किए तो पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया, लेकिन उसकी हालत देखकर और गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया.

पता चला कि उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक का गलत इस्तेमाल कर मेसर्स एसएस स्टील के नाम से फर्जी कंपनी बनाकर व्यवसाय किया गया. जीएसटी अधिकारियों ने भी बिना भौतिक सत्यापन किए कंपनी को जीएसटी नंबर (20एडब्ल्यूवीपीएम0673क्यूआईजेडवी) अलॉट कर दिया.

इस कंपनी ने वर्ष 2018-19 के नवंबर-दिसंबर माह में त्रिनेत्र ट्रेडर्स, ओमकार ट्रेडर्स, त्रिनाथ इंटरप्राइजेज, आलम मेटल स्टोर, सिंधुजा स्टील और सुभद्रा को कुल 87 ई-वे बिल के जरिए 5,58,05,408 रुपए की स्टील बेची, लेकिन इस लेनदेन का जीएसटी भुगतान नहीं किया गया.

इसके एवज में विभाग ने उक्त कंपनी के मालिक को नोटिस भेजा. पुलिस असली आरोपी की तलाश में जुटी है. पीड़ित के अनुसार उसने अपने भतीजे बैला मुर्मू को 2018 में सहकारिता बैंक का पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड अन्य कागजात दिए थे. उसने बताया कि सरकार उसके खाते में हर महीने 2000 रु. जमा करेगी. इसलिए ये कागजात भतीजे को दिए. बैला मुर्मू ने सारे कागजात अपने दामाद गाोलूडीह देवली निवासी सुनाराम हेंब्रम को सौंपे. सुनाराम ने जमशेदपुर के सोनारी निवासी सुशांत सामंता को दिए. इसके बाद उसका क्या हुआ, पता नहीं.

उसके खाते में तो अब तक पैसे नहीं आए, लेकिन पिछले साल सितंबर में वाणिज्य कर अधिकारी उसके पास पहुंचे और 3.5 करोड़ रुपए जुर्माना भरने को कहा, न भरने पर वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त कंचन बरवा की शिकायत पर जीएसटी अधिनियम की धारा 70 और आईपीसी की धारा के तहत मुसाबनी थाने में केस दर्ज हुआ. जमशेदपुर के जीएसटी कोर्ट में उसका बयान दर्ज हुआ. उससे कंपनी के बारे में 7 सवाल किए गए. उसने कंपनी बनाने और लेनदेन की बात से इनकार किया.

लादुम लगा रहा गुहार
थाने में लादुम मुर्मू पुलिस के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहा था. कह रहा था-इतना पैसा हम कहां से देंगे. माफ करो सरकार. इससे तो हमारा घर-द्वार बिक जाएगा. हम मजदूरी करके पेट पालने वाले हैं. इतने बड़े कारोबार का सपना भी कभी नहीं देखा है. मैं निर्दोष हूं. मामले की जांच कराइए. लादुम की पत्नी की कुछ समय पहले ही मृत्यु हो चुकी है उसका एक बेटा उनके साथ रहता है.

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