द्विक लोलक

द्विक लोलक
किसी खूंटी से लटके ऐसे भार को लोलक (साँचा:Lang-en) कहते हैं जो स्वतंत्रतापूर्वक आगे-पीछे झूल सकता हो। झूला इसका एक व्यावहारिक उदाहरण है।
आवर्त काल (Period of oscillation) [ द्विक लोलक सम्पादन ]
साँचा:चिरसम्मत यांत्रिकी दोलन करता हुआ लोलक किसी एक बिन्दु जितने समय बाद पुनः वापस आ जाता है उसे उसका 'आवर्तकाल' कहते हैं। यदि लोलक का आयाम कम हो तो इसका आवर्तकाल आयाम पर निर्भर नहीं करता बल्कि केवल लोलक की लम्बाई और गुरुत्वजनित त्वरण के स्थानीय मान पर निर्भर होता है। लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर भी निर्भर नहीं करता।
जहाँ L लोलक की लम्बाई है, तथा g उस स्थान पर गुरुत्वजनित त्वरण का मान है।
इस सूत्र से साफ है कि यदि आयाम (या स्विंग) कम हो तो आवर्तकाल अलग-अलग आयामों के लिये समान होगा। लोलक के इस गुण को 'समकालिकता' (isochronism) कहते हैं। अपने इसी गुण के कारण लोलक का उपयोग द्विक लोलक समयमापन (timekeeping) में खूब हुआ।
किन्तु यदि आयाम बड़ा है तो आवर्तकाल नियत नहीं रहता बल्कि आयाम बढ़ने पर क्रमशः बढ़ता है। उदाहरण के लिये यदि आयाम θ0 = 23° हो तो आवर्तकाल का मान समीकरण (1) से प्राप्त मान से लगभग १% अधिक होगा।
लोलक के किसी भी आयाम (छोटे या बड़े) के लिये आवर्तकाल का मान निम्नलिखित अनन्त श्रेणी द्वारा दी जाती है-
T & = 2\pi \sqrt
द्विक लोलक
"सरल गुरुत्वीय लोलक" शून्य वायु-घर्षण एवं प्रतिरोध मानकर किसी खूंटी से लटके ऐसे भार को लोलक (pendulum) कहते हैं जो स्वतंत्रतापूर्वक आगे-पीछे झूल सकता हो। झूला इसका एक व्यावहारिक उदाहरण है। .
चुम्बकीय लोलक
चुम्बकीय लोलक चुम्बकीय लोलक (magnetic pendulum) वह दोलक है जिसमें धागे से लटका धातु (लोहा) का लोलक कई चुम्बकों के चुम्बकीय क्षेत्र तथा गुरुत्वीय क्षेत्र के अधीन गति करता है। लोलक के धागे की लम्बाई इतनी रखी जाती है कि वह किसी भी चुम्बक को न छू सके। इसमें लोलक की गति गुरुत्वीय क्षेत्र तथा चुम्बकों के चुम्बकीय क्षेत्र - दोनों से निर्धारित होता है। यद्यपि इस प्रयोग में लोलक की गति 'अनियमित' दिखती है फिर भी यह 'डिटर्मिनिस्टिक' है। यह गति आरम्भिक स्थितियों (starting conditions) पर निर्भर करती है। इस गति को 'डिटर्मिनिस्टिक केओस' (deterministic chaos) कहा गया है। श्रेणी:लोलक.
झूला उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य.
द्विक लोलक
द्विक लोलक गणित और भौतिकी में द्विक लोलक (double pendulum) वह लोलक है जिसमें एक लोलक के साथ दूसरा लोलक भी जुड़ा होता है। यह एक सरल भौतिक निकाय है किन्तु इसकी गतिकी (डाइनेमिक्स) बहुत सम्पन्न है। श्रेणी:लोलक.
फूको का लोलक
फूको के लोलक का एनिमेशन पेरिस (48°52' उत्तर) के पेन्थिओं में फूको के लोलक का एनिमेशन, इसमें पृथ्वी के चक्रण गति को अत्यधिक बढ़ा कर लिया गया है। '''हरा मार्ग''' (ट्रेस) पृथ्वी के ऊपर लोलक के पथ को दर्शा रहा है (घूमते हुए रिफरेंस फ्रेम में), '''नीला मार्ग''' लोलक के तल के साथ-साथ घूम रहे रिफरेंस फ्रेम में लोलक के मार्ग को दर्शा रहा है। पेरिस के पेन्थिओं में स्थित फूको का लोलक फूको का लोलक (Foucault pendulum) धरती के अपनी धुरी पर घूमने की क्रिया को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से निर्मित एक सरल प्रायोगिक युक्ति है। इसका नाम फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री लिओं फूको (Léon Foucault) के नाम पर पड़ा है। फूको ने इस लोलक का निर्माण १८५१ में किया था। श्रेणी:लोलक.
"सरल गुरुत्वीय लोलक" शून्य वायु-घर्षण एवं प्रतिरोध मानकर किसी खूंटी से लटके ऐसे भार को लोलक (pendulum) कहते हैं जो स्वतंत्रतापूर्वक आगे-पीछे झूल सकता हो। झूला इसका एक व्यावहारिक उदाहरण है। .
लोलक (गणित)
गणित में लोलक की गति का विस्तृत और बिना किसी सरलीकरण के अध्ययन किया जा सकता है। .
लोलक घड़ी
साधारण लोलक घडी लोलक घड़ी (pendulum clock) वह घड़ी है जिसमें समय प्रदर्शित करने वाली प्रणाली का चालन एक लोलक की सहायता से होता है। इसका आविष्कार सन १६५६ में क्रिश्चियन हाइगेंस ने किया था। तब से आरम्भ करके लगभग १९३० तक यह संसार की सर्वाधिक शुद्ध समयदर्शी तंत्र था। आजकल इन्हें सजावटी सामान एवं पुरातन सामान के रूप में प्रयोग किया जाता है। लोलक घड़ी वस्तुतः एक अनुनादी युक्ति है जो अपनी लम्बाई के अनुसार एक निश्चित दर से दोलन करती है तथा किसी अन्य दर से दोलन का विरोध करती है। किन्तु यह स्थिर अवस्था में कार्य करने के लिये ही उपयुक्त है। किसी गतिशील एवं त्वरित होने वाली चीज में यह सही समय नहीं बता पायेगी। पेंडुलम घडी की कार्यविधि .
सरल आवर्त गति
घर्षणरहित फर्श पर स्प्रिंग से जुड़े द्रव्यमान की गति 'सरल आवर्त गति' है। भौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है। उदाहरण - किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति, किसी सरल लोलक की गति, किसी घर्षणरहित क्षैतिज तल पर किसी स्प्रिंग से बंधे द्रव्यमान की गति आदि। .
सैकेन्डी लोलक
सैकेण्डी लोलक सैकेन्डी लोलक (seconds pendulum) वह लोलक है जिसका आवर्तकाल ठीक-ठीक २ सेकेण्ड होता है। अतः इसकी आवृत्ति १/२ हर्ट्ज होती है। .
गुरुत्वजनित त्वरण
गुरुत्वजनित त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण (acceleration due to gravity) निम्नलिखित तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है-.
आवृत्ति
विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .
यहां पुनर्निर्देश करता है:
यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।
इस अवधारणा को चित्र के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है कि एक विशाल ऑनलाइन मानसिक नक्शा है। यह प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है और प्रत्येक लेख या दस्तावेज डाउनलोड किया जा सकता है। यह शिक्षकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों या छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है कि एक उपकरण, संसाधन या अध्ययन, अनुसंधान, शिक्षा, शिक्षा या शिक्षण के लिए संदर्भ है, अकादमिक जगत के लिए: स्कूल, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालय, मध्य, महाविद्यालय, तकनीकी डिग्री, कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्नातक, मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री के लिए; कागजात, रिपोर्ट, परियोजनाओं, विचारों, प्रलेखन, सर्वेक्षण, सारांश, या शोध के लिए। यहाँ परिभाषा, विवरण, विवरण, या आप जानकारी की जरूरत है जिस पर हर एक महत्वपूर्ण का अर्थ है, और एक शब्दकोष के रूप में उनके संबद्ध अवधारणाओं की एक सूची है। हिन्दी, अंग्रेज़ी, स्पेनी, पुर्तगाली, जापानी, चीनी, फ़्रेंच, जर्मन, इतालवी, पोलिश, डच, रूसी, अरबी, स्वीडिश, यूक्रेनी, हंगेरियन, कैटलन, चेक, हिब्रू, डेनिश, फिनिश, इन्डोनेशियाई, नार्वेजियन, रोमानियाई, तुर्की, वियतनामी, कोरियाई, थाई, यूनानी, बल्गेरियाई, क्रोएशियाई, स्लोवाक, लिथुआनियाई, फिलिपिनो, लातवियाई, ऐस्तोनियन् और स्लोवेनियाई में उपलब्ध है। जल्द ही अधिक भाषाओं।
लोलक की गति कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंयदि कोई पिंड आवर्त गति करते हुए एक निश्चित पथ पर किसी निश्चित बिंदु के सापेक्ष इधर-उधर गति करता है। तो इस प्रकार की गति को कंपन गति (vibration motion) या दोलन गति (oscillation motion) कहते हैं। जैसा चित्र में एक सरल लोलक प्रदर्शित किया गया है। जिसकी साम्य स्थिति O है।
घड़ी के पेंडुलम की गति कौन सी गति का उदाहरण है?
इसे सुनेंरोकेंआवर्त गति (periodic motion): एक निश्चित पथ पर गति करती वस्तु जब किसी निश्चित समय -अंतराल के पश्चात बार-बार अपनी पूर्व गति को दोहराती है, तो इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहते हैं.
घड़ी के पेन्डुलम लोलक की गति क्या है?
इसे सुनेंरोकेंT = 2π √l/g होता है.
घड़ी कौन सी गति करती है?
इसे सुनेंरोकेंयांत्रिक घड़ी की आवर्तक क्रिया किसी दोलक, अथवा संतुलन चक्र और संतुलन कमानी, अथवा बालकमानी, के दोलन पर निर्भर करती है। इन यंत्रों की आवर्त गति अत्यंत नियमित क्रम से होती है। इनके साथ अनेक दाँतेदार पहियों का संबंध होता है। दोलन प्रणाली का एक दोलन पूरा होने पर इन पहियों के एक या एक से अधिक दाँते धूमते हैं।
पेंडुलम में कौन सी ऊर्जा होती है?
इसे सुनेंरोकेंउपरोक्त आरेख से यह स्पष्ट है कि चरम स्थिति पर लोलक का वेग शून्य होगा इसलिए गतिज ऊर्जा शून्य है और लोलक में केवल स्थितिज ऊर्जा होगी ।
घड़ी के पेंडुलम की गति क्या है?
इसे सुनेंरोकेंलोलक घड़ी (pendulum clock) वह घड़ी है जिसमें समय प्रदर्शित करने वाली प्रणाली का चालन एक लोलक की सहायता से होता है। इसका आविष्कार सन १६५६ में क्रिश्चियन हाइगेंस ने किया था। तब से आरम्भ करके लगभग १९३० तक यह संसार की सर्वाधिक शुद्ध समयदर्शी तंत्र था।
साधारण लोलक क्या है?
इसे सुनेंरोकेंजब किसी छोटे और भारी पिंड को किसी भारहीन पिंड एवं लम्बाई में न बढ़ने वाले धागे के एक सिरे से पिंड को बांधकर धागे को किसी घर्षण रहित दीवार (छत) से लटका दें। तो इस प्रकार बने समायोजन को सरल लोलक (simple pendulum in Hindi) कहते हैं।
द्विक लोलक
द्विक लोलक गणित और भौतिकी में द्विक लोलक (double pendulum) वह लोलक है जिसमें एक लोलक के साथ दूसरा लोलक भी जुड़ा होता है। यह एक सरल द्विक लोलक भौतिक निकाय है किन्तु इसकी गतिकी (डाइनेमिक्स) बहुत सम्पन्न है। श्रेणी:लोलक.
भौतिक शास्त्र
भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .
"सरल गुरुत्वीय लोलक" शून्य वायु-घर्षण एवं प्रतिरोध मानकर किसी खूंटी से लटके ऐसे भार को लोलक (pendulum) कहते हैं जो स्वतंत्रतापूर्वक आगे-पीछे झूल सकता हो। झूला इसका एक व्यावहारिक उदाहरण है। .
पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .
यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।
इस अवधारणा को चित्र के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है कि एक विशाल ऑनलाइन मानसिक नक्शा है। यह प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है और प्रत्येक लेख या दस्तावेज डाउनलोड किया जा सकता है। यह शिक्षकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों या छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है कि एक उपकरण, संसाधन या अध्ययन, अनुसंधान, शिक्षा, शिक्षा या शिक्षण के लिए संदर्भ है, अकादमिक जगत के लिए: स्कूल, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालय, मध्य, महाविद्यालय, तकनीकी डिग्री, कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्नातक, मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री के लिए; कागजात, रिपोर्ट, परियोजनाओं, विचारों, प्रलेखन, सर्वेक्षण, सारांश, या शोध के लिए। यहाँ परिभाषा, विवरण, विवरण, या आप जानकारी की जरूरत है जिस पर हर एक महत्वपूर्ण का अर्थ है, और एक शब्दकोष के रूप में उनके संबद्ध अवधारणाओं की एक सूची है। हिन्दी, अंग्रेज़ी, स्पेनी, पुर्तगाली, जापानी, चीनी, फ़्रेंच, जर्मन, इतालवी, पोलिश, डच, रूसी, अरबी, स्वीडिश, यूक्रेनी, हंगेरियन, कैटलन, चेक, हिब्रू, डेनिश, फिनिश, इन्डोनेशियाई, नार्वेजियन, रोमानियाई, तुर्की, वियतनामी, कोरियाई, थाई, यूनानी, बल्गेरियाई, क्रोएशियाई, स्लोवाक, लिथुआनियाई, फिलिपिनो, लातवियाई, ऐस्तोनियन् और स्लोवेनियाई में उपलब्ध है। जल्द ही अधिक भाषाओं।
सरल लोलक क्या है यह कैसे कार्य करता है?
इसे सुनेंरोकें(simple pendulum in hindi) सरल लोलक क्या है , परिभाषा , उदाहरण , संरचना चित्र , सिद्धांत , समय अवधि : जब एक द्रव्यमान रहित और पूर्ण प्रत्यास्थ डोरी , जिसका एक सिरा दृढ आधार से बंधा हो और दुसरे सिरे पर यदि एक बिंदु द्रव्यमान को लटका दिया जाए तो इस प्रकार की व्यवस्था को सरल लोलक कहते है।
दोलन गति में कर्ण के अधिकतम विस्थापन को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंSHM का आयाम A, कण के अधिकतम विस्थापन का परिमाण होता है।
आवर्तकाल कैसे निकाले?
सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र है T=2π√lg , जहाँ संकेतो के अर्थ सामान्य है l तथा T के बीच खींचा ग्राफ होगा
- A. सरल रेखा
- B. परवलय
- C. वृत्त
- D. दीर्घवृत्त
- b.
लोलक कितने प्रकार के होते हैं?
- सरल लोलक
- द्विक लोलक
- असरल लोलक या पिण्ड लोलक (कम्पाउण्ड पेण्डुलम)
- चुम्बकीय लोलक
- सैकेन्डी लोलक
- बैलिस्टिक लोलक
- फूको का लोलक (Foucault pendulum)
- न्यूटन का लोलक
कोई सरल लोलक 20 पूर्ण दोहन करने में 40 सेकंड लेता है लोलक का आवर्तकाल क्या है?
इसे सुनेंरोकेंलोलक का आवर्तकाल = दोलनों को पूरा करने में लगा समय / दोलनों की संख्या अतः, लोलक का आवर्तकाल 1.6 s है। आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
सरल आवर्त गति से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंभौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है।
सरल लोलक की लंबाई कितनी होती है?
इसे सुनेंरोकेंलोलक की लंबाई में लगभग 10 cm का परिवर्तन करके नयी लंबाई के लिए पुनः लगभग 20 दोलनों के लिए चरण (6) को दोहराइए । 20 दोलनों का समय लगभग 50s अथवा इससे अधिक होना चाहिए।
सरल आवर्त गति में क्या स्थिर होता है?
इसे सुनेंरोकेंV = ω A 2 − y 2 , जहाँ V = वेग, ω = कोणीय वेग, A = आयाम और y = विस्थापन। उपरोक्त चर्चा से, हम कह सकते हैं कि समय अवधि वह है जो एक सरल आवर्त गति में स्थिर रहती है।
दोलनी गति क्या है?
इसे सुनेंरोकेंजब कोई वस्तु एक ही पथ पर एक से अधिक बार गति करे,इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते है।
सरल लोलक क्या है in Hindi?
इसे सुनेंरोकेंसरल लोलक किसे कहते हैं? यदि किसी पदार्थ के भारी (लेकिन बिन्दु समान) कण को एक भारहीन, लम्बाई में न बढने वाली अतन्य डोरी के एक सिरे से बाँधकर किसी दूढ़ आधार से लटका दें, तो उसे सरल लोलक कहते हैं।
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