दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर

न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स में दुनिया के विकसित देश मिले और उन्होंने अमरीकी डॉलर के मुक़ाबले सभी मुद्राओं की विनिमय दर को तय किया. उस समय अमरीका के पास दुनिया का सबसे अधिक सोने का भंडार था. इस समझौते ने दूसरे देशों को भी सोने की जगह अपनी मुद्रा का डॉलर को समर्थन करने की अनुमति दी.
डॉलर के सामने मजबूती से खड़ा है रुपया, भारतीय करेंसी की रिकॉर्ड गिरावट के बीच बोलीं वित्त मंत्री
अमेरिकी करेंसी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिर जाने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अहम बयान दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय रुपये की स्थिति पर लगातार करीबी नजर रखे हुए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कहीं अधिक मजबूती से खड़ा रहा है। आपको बता दें कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81 रुपये के पार पहुंच गया। यह ऑल टाइम लो लेवल है। पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आई है।
Most Expensive Currency: डॉलर नहीं, ये है दुनिया की सबसे महंगी करेंसी, रुपये से कई गुना है 'ताकतवर'
जब भी हम दुनिया की सबसे महंगी करेंसी के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहला नाम डॉलर का आता है. इसका कारण है कि ज्यादातर रुपये की तुलना डॉलर से की जाती है लेकिन डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी नहीं है.
आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि कुवैती दीनार दुनिया की सबसे ज्यादा शक्तिशाली मुद्रा है. दरअसल कुवैत के पास ढेर सारा ऑयल रिजर्व है और बढ़ती तेल की मांग की वजह से कुवैती करेंसी की डिमांड भी काफी ज्यादा हाई है.
1914 में छपा था पहला डॉलर, जानें क्या है दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी का इतिहास
रुपये ने डॉलर तोड़ा अपना पिछला रिकॉर्ड कर 79.99 के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। मंगलवार को बाजार खुले तो 1 डॉलर 80 रुपए से भी ऊपर हो गया। वैसे ग्राफ देखें तो इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से अधिक गिर चुका है। माना जा रहा है कि रुपए में एक बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, क्योंकि फिलहाल अमेरिकी करेंसी ने यूरो को भी पीछे छोड़ दिया है। अपने जन्म के बाद दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर ये पहला मौका है जब यूरो डॉलर से पिटा। ऐसे दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर में रुपए को लेकर वैश्विक बाजार बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं है।
Rupees Vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में आया सुधार, शेयर बाजार में तेजी से पड़ा असर
शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 62 पैसे के सुधार के साथ 80.78 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Nov 11, 2022 | 7:04 PM
अमेरिकी कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI) आंकड़े नीचे आने के साथ डॉलर सूचकांक में गिरावट के चलते अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले Rupee 62 पैसे के सुधार के साथ 80.78 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार सूत्रों ने कहा कि घरेलू Share Market में तेजी के रुख और विदेशी निवेशकों के लगातार निवेश की वजह भी रुपये को समर्थन मिला है.
एक्सपर्ट ने क्या बताई रुपये में तेजी की वजह?
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर अमेरिकी डॉलर और घरेलू बाजारों में तेजी की वजह से भारतीय रुपये में मजबूती आई है. लगातार विदेशी निवेश बढ़ने की वजह से भी रुपये को समर्थन मिला है.
हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ने रुपये की बढ़त पर अंकुश लगा दिया है. इस बीच दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दिखाने वाला डॉलर सूचकांक 0.82 फीसदी घटकर 107.31 रह गया है. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर वायदा 2.56 फीसदी बढ़कर 96.07 डॉलर प्रति बैरल हो गया है.
वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,181.34 अंक की तेजी के साथ 61,795.04 अंक पर बंद हुआ है. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे हैं. उन्होंने गुरुवार को 36.06 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
रुपये का आम लोगों की जिंदगी पर क्या होता है असर?
आपको बता दें कि रुपये में तेजी और गिरावट का असर आम जन जीवन पर देखा जा सकता है. हाल के दिनों में महंगाई दर के रूप में यह देखा भी दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर जा रहा है. रुपये में कमजोरी से अंतररराष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाती है. इस वजह से कच्चे तेल में गिरावट का फायदा पाने में और समय लगेगा, क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाएगा और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहेगा.
वहीं, आम आदमी को फायदा उस स्थिति में मिलता है, जब ग्लोबल बाजारों में कमॉडिटी के भाव गिरेंगे और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति में आता है. आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर राहत तभी मिलती है, जब वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमतें गिरें और रुपया मजबूत हो.
डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
एक समय था जब एक अमेरिकी डॉलर सिर्फ 4.16 रुपये में खरीदा जा सकता था, लेकिन इसके बाद साल दर साल रुपये का सापेक्ष डॉलर महंगा होता जा रहा है अर्थात एक डॉलर को खरीदने के लिए अधिक डॉलर खर्च करने पास रहे हैं. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था और 18 फरवरी, 2020 को यह 71.39 रुपये हो गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि डॉलर दुनिया में सबसे मजबूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर डॉलर को विश्व में सबसे मजबूत मुद्रा के रूप में क्यों जाना जाता है?