मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि

दंगों में कई प्रदर्शनकारी और 10 सैनिक घायल हो गए हैं। पूरे लेबनान में 20 महीने के आर्थिक संकट के बिगड़ने के बाद विरोध प्रदर्शनों की सूचना मिली है। विश्व बैंक ने मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि इस संकट को 150 साल में सबसे खराब संकट बताया है। आर्थिक संकट राजनीतिक गतिरोध के साथ जुड़ा हुआ है जिसने अगस्त 2020 से लेबनान को बिना किसी सरकार के छोड़ दिया है।
अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था हाल के दिनों में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक है। मैकिन्से की ग्लोबल इंस्टीट्यूट रिपोर्ट 2016 के अनुसार, देश नए उपभोक्ताओं के रूप मे दूसरा नया और व्यापक बाजार मुहैया कराने मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि मे सफल होगा, एक दशक के भीतर 2025 तक 69 शहरों की आबादी 1 मिलियन से अधिक होने की संभावना है। देश में 2030 तक 90 मिलियन कॉलेज शिक्षित कार्यबल होगा। देश की जीडीपी का 77% 49 शहरी समूहों द्वारा (2021 और 2025 के बीच) संचालित किया जाएगा। सकल घरेलू उत्पाद, जीडीपी 7.1% और प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2018-19 तक 11.1% की दर से बढ़ रही है। हालाँकि आज भारतीय अर्थव्यवस्ता एक मजबूत और बेहतरीन स्तिथि में हैं, मगर तीन दशक पहले - देश की अर्थव्यवस्ता चरमराने की स्तिथि में थी।
1991: संकट में भारतीय अर्थव्यवस्ता
वर्ष 1991 था और भारत ने अभी अभी लगातार दो सरकारों को गिरते देखा था | पहली सरकार का नेतृत्व विश्वनाथ प्रताप सिंह कर रहे थे, जिन्होंने 1984 और 1989 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सत्ता मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि में कदम रखा था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा वी पी सिंह के अल्पसंख्यक सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उनकी सरकार गिर गई। वी.पी. सिंह का स्थान चंद्रशेखर ने लिया, मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि जिन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थित एक और अल्पसंख्यक सरकार का नेतृत्व किया। 1991 में कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद उनकी सरकार भी गिर गई।
डॉलर के मुकाबले रुपया दो वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा
विदेशों में डॉलर में तेजी के साथ साथ कमजोर घरेलू शेयर बाजार के बीच बेहतर डॉलर मांग के कारण मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि अन्तर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 65.12 रुपया प्रति डॉलर पर कमजोर खुला। कारोबार के दौरान यह निरंतर गिरता हुआ 65.36 रुपये प्रति डॉलर के नए निम्न स्तर को छूने के बाद अंत में 31 पैसे अथवा 0.48 फीसदी की गिरावट दर्शाता 65.31 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
बंबई शेयर बाजार का सूचकांक सोमवार को 189.04 अंक की भारी गिरावट मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि दर्शाता 27,878.27 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक ने कारोबार के दौरान संदर्भ दर 65.220 रुपये प्रति डॉलर और 72.3942 रुपये प्रति यूरो निर्धारित की थी। पौंड मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि और जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट आई जबकि यूरो के मुकाबले इसमें सुधार आया।
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लेबनान आर्थिक संकट
लेबनान आर्थिक या तरलता संकट लेबनान में चल रहा वित्तीय संकट है। यह अगस्त 2019 में शुरू हुआ था। लेबनान में COVID-19 महामारी के फैलने और 2020 बेरूत बंदरगाह विस्फोट मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि से संकट और बढ़ गया। नतीजतन, लेबनान ईंधन, दवा और चिकित्सा उत्पादों जैसे महत्वपूर्ण उत्पादों की भारी कमी का सामना कर रहा है।
1997 में लेबनानी पाउंड को अमेरिकी डॉलर में 1,507.5 LBP प्रति USD की दर से आंका गया है। अगस्त 2019 में, काला बाजार विनिमय दर 1,600 LBP प्रति USD तक पहुंच गई, जबकि अप्रैल 2020 में यह बढ़कर 3,000 LBP प्रति USD और जून में 15200 LBP प्रति USD हो गई। लेबनानी पाउंड के अवमूल्यन के कारण USD काला बाजार विनिमय दर में लगातार उतार-चढ़ाव हो रहा है। 27 जून को लेबनान की मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18,000 एलबीपी तक पहुंच गई थी। इस संकट मुद्रा अवमूल्यन की पृष्ठभूमि के शुरू होने के बाद से लेबनानी पाउंड अपने मूल्य का 90% खो चुका है।