दलाल का व्यापार मंच

व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा

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एनटीटी डेटा पेमेंट सर्विसेज इंडिया, एक अग्रणी एंड-टू-एंड भुगतान सेवा प्रदाता, ने बिहार में अपनी डिजिटल भुगतान सेवाओं के फोकस को तेज किया है, जिसमें इसके पदचिह्न को बढ़ाना शामिल है, जिससे 'डिजिटल इंडिया' विजन में योगदान में वृद्धि हुई है। इस नवीनतम कदम के लिए जापान स्थित अपनी मूल फर्म एनटीटी डेटा कॉरपोरेशन से 90 करोड़ रुपये के फंड जुटाएं है । इस निधि का उपयोग भुगतान एग्रीगेटर स्पेस में कंपनी के समाधानों को तेज करने और वित्तीय प्रौद्योगिकी वर्टिकल में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए छोटी कंपनियों को प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। एनटीटी डेटा पेमेंट सर्विसेज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवांग नेराल्ला ने कहा, “बिहार राज्य हमारी दीर्घकालिक रणनीति का एक अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य हमें इस राज्य में डिजिटल भुगतान के समाधान में शीर्ष खिलाड़ियों में रखना है। हमारी प्राथमिकता इस डिजिटल रूप से बढ़ते राज्य में, विशेष रूप से सरकारी विभागों और शिक्षा क्षेत्र में अभिनव भुगतान समाधान प्रदान करने पर बनी हुई है, जो बदले में उनके डिजिटलीकरण यात्रा का समर्थन करते हुए उनके मुख्य व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। एनटीटी डेटा पेमेंट सर्विसेज इंडिया ने बिहार में 100% की वृद्धि दर्ज की और इसका उद्देश्य निर्बाध और सुरक्षित भुगतान अनुभव के साथ अभिनव डिजिटल भुगतान समाधान प्रदान करके बैंकों, व्यापारियों और पुनर्विक्रेताओं के साथ अपने नेटवर्क को और मजबूत करना है। वर्तमान में, बिहार में कंपनी की पेशकशों में बेगूसराय, छपरा, दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना और अन्य शहरों में ऑनलाइन भुगतान के साथ-साथ प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल शामिल हैं। कंपनी पटना विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा निदेशालय पीयू और झारखंड राय विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के साथ काम करती है। यह नेचर सफारी राजगीर, बिहार राज्य बीज निगम, पूर्व मध्य रेलवे मंडल कर्मचारी मनोरंजन समिति, बिहार राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड, झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण, और झारखंड लघु खनिज पर्यावरण कोष संचालन सहित राज्य सरकार के निकायों को भी सेवाएं प्रदान करता है। कंपनी का वार्षिक लेनदेन मूल्य INR 80,000 करोड़ है और पूरे भारत में 10 करोड़ से अधिक लेनदेन हैं और यह व्यापारियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों के माध्यम से ग्राहकों को एक सहज डिजिटल भुगतान अनुभव प्रदान करने में सहायता करता है। कंपनी शिक्षा, सरकार, खुदरा, बीएफएसआई, स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में पूरे भारत में 6 मिलियन से अधिक व्यापारियों को सेवा प्रदान करती है। बिहार में, अभिनव डिजिटल भुगतान समाधान प्रदान करके शिक्षा क्षेत्र और सरकारी विभागों पर ध्यान केंद्रित करने पर मुख्य जोर दिया गया है। एनटीटी डेटा पेमेंट सर्विसेज इंडिया, एनटीटी डेटा कॉरपोरेशन का हिस्सा है, जो विश्व स्तर पर शीर्ष 10 आईटी सेवा प्रदाताओं में से एक है, जिसका मुख्यालय जापान में है। एक महत्वाकांक्षी विस्तार रणनीति के आधार पर, कंपनी एनटीटी डेटा से तकनीकी प्रगति के समर्थन के साथ डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में गहराई से प्रवेश करने का प्रयास कर रही है।

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Opinion : स्कीम किसानों के लिए, फायदा व्यापारियों को.

किसानों की हालत सुधारने में अपनी कामयाबी के लिए चौहान अक्सर अपनी पीठ खुद थपथपाते रहते हैं. इसके बावजूद सरकार को किसानों की हालत ठीक करने के लिए भारी-भरकम योजना लानी पड़ी.

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Opinion : स्कीम किसानों के लिए, फायदा व्यापारियों को.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले सप्ताह किसानों के लिए सौगातों की झड़ी लगा दी. सरकार गेहूं और धान की खरीदी पर 200 रुपया बोनस देगी, न केवल इस साल बल्कि पिछले साल की गई खरीदी पर भी. बाजार में अनाज की कम कीमत मिलने पर किसानों के घाटे की भरपाई के लिए राज्य में भावान्तर योजना बनी है. उसे और फायदेमंद बनाते हुए सरकार अब किसानों को चार महीने का गोदाम किराया भी देगी. प्रदेश के 17.50 लाख डिफाल्टर किसानों के बकाया ब्याज का 2,600 करोड़ रुपया भी सरकार चुकाएगी.

शिवराज की 23 घोषणाओं से सरकारी खजाने पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा- राज्य के कृषि-बजट का लगभग एक-तिहाई!

सरकार के आलोचक इसे मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं. बेहतर कीमत के लिए आन्दोलन कर रहे किसानों पर पिछले साल मंदसौर में पुलिस फायरिंग के बाद से ही के राजनीतिक माहौल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ है.

अपने-आप को किसानों के व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा नेता के रूप में देखने वाले चौहान ने उन्हें अपने पाले में बनाये रखने के लिए खजाने का मुंह खोल दिया है.

नाकामयाबी की कहानी
पर दस हज़ार करोड़ की ये घोषणाएं मध्य प्रदेश सरकार की नाकामयाबी की कहानी भी कहती हैं. बारह सालों से लगातार सत्ता पर काबिज शिवराज ने खेती को लाभ का धंधा बनाने का और किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वायदा किया था. भाजपा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर किसान नेता के रूप में प्रोजेक्ट करती है. नरेंद्र मोदी की सरकार खेती-किसानी की जो भी पॉलिसी बनाती है, उसमें उनकी प्रमुख भागीदारी रहती है.

किसानों की हालत सुधारने में अपनी कामयाबी के लिए चौहान अक्सर अपनी पीठ खुद थपथपाते रहते हैं. पर इसके बावजूद सरकार को किसानों की हालत ठीक करने के लिए ऐसी भारी-भरकम योजना लानी पड़ी. यह इस बात की स्वीकारोक्ति है कि 12 सालों की किसान-हितैषी नीतियों के बाद भी प्रदेश की खेती गंभीर संकट से जूझ रही है.

यह मध्य प्रदेश में विकास की विडम्बना है: खेत भले सोना उगलने लगे हों, पर किसानों की हालत बदतर हुई है.

खेती की 18 प्रतिशत औसत विकास दर
इसमें कोई शक नहीं कि शिवराज सिंह के राज में खेती पर काफी ध्यान दिया गया है और उसके अच्छे नतीजे भी निकले हैं.

उनके राज में मध्यप्रदेश में कृषि विकास दर 9.7 प्रतिशत रही है- राष्ट्रीय औसत का लगभग तीन गुना! बेहतरीन उत्पादन के लिए राज्य को लगातार पांच साल कृषि कर्मण अवार्ड मिला है. खासकर पिछले चार सालों में खेती की 18 प्रतिशत औसत विकास दर दांतों तले ऊंगली दबाने पर विवश करती है.

प्रतिष्ठित आर्थिक पत्रकार टीएन नैनन लिखते हैं, 'मौजूदा आर्थिक आंकड़ों में सबसे ज्यादा विस्मयकारी है मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर, जिसे देखकर किसी का भी मुंह खुला का खुला रह जाएगा.'

विडम्बना यह है कि उत्पादन बढ़ने से फायदा होने की बजाय किसान नुकसान में आ गए हैं. ज्यादा आवक का फायदा उठाकर व्यापारी जींस की कीमत मंडी में कृत्रिम रूप से गिरा देते हैं. मंडी पर व्यापारियों का कब्ज़ा है.

दूसरी तरफ परंपरागत खेती की लागत बढ़ते जा रही है. आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हर पांचवे घंटे एक किसान ख़ुदकुशी करता है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के मुताबिक मध्यप्रदेश के आधे किसान कर्ज में डूबे हैं.

अभी तक की गई सरकारी कोशिशों का फायदा न तो किसान उठा पा रहे हैं, न ही उपभोक्ताओं तक वह राहत ट्रान्सफर हो रही है. सरकारी मदद और सब्सिडी का फायदा व्यापारी ले जा रहे हैं. उनकी मुनाफाखोरी रोकने में राजनीतिक इक्षाशक्ति की कमी है.

भावान्तर भुगतान योजना का छलावा
इसका एक उदाहरण मध्य प्रदेश की बहु प्रचारित भावान्तर भुगतान योजना है. इसके तहत अगर किसी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत बाज़ार में मिले तो किसानों को उस घाटे की भरपाई सरकार करती है. देखने में स्कीम अच्छी लगती है, पर इसमें एक बड़ा पेंच है. औसत बाज़ार मूल्य क्या है, इसका निर्धारण सरकार करती है. यह “औसत मूल्य” एक रहस्यमय फार्मूला पर आधारित है, जिसे समझने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट की फौज चाहिए.

इसका फायदा व्यापारी उठाते हैं. जैसे ही किसान मंडी में माल लाने लगते है, व्यापारी कार्टेल बनाकर कीमत गिरा देते हैं. अमूनन किसानों को सरकारी “औसत बाज़ार मूल्य” से भी कम कीमत मिलती है और भावान्तर में भुगतान मिलने के बावजूद उन्हें घाटा सहना पड़ता है.

कृषि लागत और मूल्य व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी देश के जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री हैं. भावान्तर योजना के बारे में हाल में उनका एक अध्ययन छपा है. उनके मुताबिक “इस योजना का फायदा किसानों से ज्यादा व्यापारियों को हुआ है.” वे लिखते हैं, “मध्य प्रदेश का प्रयोग दिखाता है कि व्यापारी बाज़ार में उतार-चढ़ाव करवाते हैं.”

इस अध्ययन के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर-दिसम्बर के दौरान 68 प्रतिशत उड़द बिना भावान्तर के फायदे के बिकी जबकि उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य से बाज़ार मूल्य 42 प्रतिशत तक कम था. सोयाबीन मध्य प्रदेश की प्रमुख फसल है. पर प्रदेश का 82 प्रतिशत-- व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा जी हां, 82 प्रतिशत – सोयाबीन बिना भावान्तर स्कीम के बिका!

व्यापारियों ने यह माल सस्ते में खरीद कर इकठ्ठा किया और भावान्तर खरीदी के ख़त्म होते ही झटपट उसका दाम बढ़ा दिया. पिछले दिसंबर तक जो सोयाबीन 2,380 से 2,580 प्रति क्विंटल के भाव बिक रहा था, एक महीने बाद उसकी कीमत एक हज़ार रुपये क्विंटल तक बढ़ गई- महीने भर में 40 प्रतिशत मुनाफा!

भावान्तर योजना के तहत दूसरे अनाजों के साथ भी यही हुआ. स्कीम ख़त्म होने के एक सप्ताह बाद ही भावों में रहस्यमय तरीके से 150 से 500 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल आ गया.

किसानों को 6,534 करोड़ रुपये का नुकसान
अध्ययन के मुताबिक जो किसान भावान्तर में रजिस्टर नहीं हैं, उन्हें तो और भी ज्यादा घाटा हुआ क्योंकि बाज़ार में उन्हें जो वास्तविक कीमत मिली वह सरकारी “औसत बाज़ार मूल्य” से कम है.

नतीजा: “अक्टूबर-दिसम्बर 2017 के सीजन में भावान्तर योजना के तहत 5 जिंसों की खरीदी में किसानों को कुल 6,534 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.”

सरकारें, लगता है, कभी सीखती नहीं हैं.

2016 में प्याज़ खरीदी के दौरान सरकार ने किसानों से 8 रुपये किलो की कीमत से प्याज ख़रीदा, फिर उसे 2.50 रुपये की दर से व्यापारियों को बेचा. बाज़ार में वही प्याज उपभोक्ताओं को 13 रुपये किलो की दर से मिल रहा था. बिचौलियों को 500 प्रतिशत मुनाफा हुआ.

और इस मुनाफे की कीमत किसने चुकी? अभी पिछले सप्ताह ही राज्य कैबिनेट ने इस खरीदी में हुए 100 करोड़ रुपये का घाटा उठाने की स्वीकृति दी.

तेलंगाना की योजना बेहतर
अगर सरकार को किसानों को सब्सिडी देनी ही है, तो क्या उन्हें डायरेक्ट पैसा देना ज्यादा मुनासिब नहीं होगा? गुलाटी के मुताबिक इस मामले में तेलंगाना में हाल में लागू की गई योजना ज्यादा बेहतर है. उसकी तहत हर किसान को चार हज़ार रुपये प्रति एकड़ की दर से पैसा दिया जा रहा है, जो वे खरीफ और रबी की बुवाई पर खर्च कर सकते हैं.

भावान्तर के विपरीत इसमें खेत या फसल रजिस्टर कराने की जरूरत नहीं. किसान जो चाहे उगाये, और जहां चाहे बेचे, खरीदी की कोई स्कीम नहीं और बाज़ार बिगड़ने का कोई खतरा नहीं.

सबसे बड़ी बात तो यह कि व्यापारी के स्टॉक की सीमा तय कर उनकी मुनाफाखोरी पर लगाम कसी जा सकती है और आम उपभोक्ता के हितों का संरक्षण किया जा सकता है.

(लेखक नरेंद्र कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

व्यापारियों को भड़काने के सिवा कांग्रेस ने कुछ नहीं किया, भाजपा ने सदैव रक्षा की: मदन कौशिक

दैनिक समाचार, हरिद्वार। हरिद्वार के व्यापारियों ने रामलीला भवन में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मदन कौशिक को खुलकर समर्थन दे दिया है और व्यापारियों से मदन कौशिक को जीताने की अपील की।
भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक ने व्यापारियों से रूबरू होते हुए कहा कि व्यापारियों के हितों व विकास के लिए वे हमेशा तत्पर रहे और व्यापारियों की समस्याओं को समाप्त करने का काम किया जबकि कांग्रेस की मानसिकता वाले लोगों ने व्यापारियों को भड़काने के सिवा कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में हमेशा व्यापारियों को हितो की रक्षा की गई है। इस मौके पर प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेश गुलाटी ने कहा कि भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक में हमेशा हरिद्वार के व्यापारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर व्यापारियों की समस्याओं को हल कराने का काम किया है। वरिष्ठ व्यापारी नेता मनोज सिंघल ने कहा कि भाजपा सरकार हमेशा व्यापारियों के लिए काम करती चली आ रही है।

जिससे देश का व्यापारी भाजपा से जुड़ा हुआ है। भाजपा सरकार व्यापारी हितों की बात करती है। भाजपा की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। मुकेश भार्गव पार्षद व्यापारी नेता अनिरुद्ध भाटी, शहर व्यापार मंडल के अध्यक्ष कमल ब्रजवासी ,प्रदीप कालरा, विजय शर्मा, नागेश शर्मा, विशाल गुप्ता, गगन नामदेव, डॉ विशाल गर्ग ,संजय त्रिवाल, गुलशन मशीन, गौरव सचदेवा ,विशाल गुप्ता, अनिल गुप्ता, विक्की आडवाणी, महेश गौड़ ,भोला शर्मा ,राहुल कंडवाल, सत्येंद्र झा ,आदित्य झा, विकास कुमार शर्मा, भाजपा जिला महामंत्री विकास तिवारी, मौजूद रहे।

युवा व्यापार मंडल के सवाल, भल्ला रोड विष्णु घाट व्यापार मण्डल की बैठक के दौरान युवा व्यापार मण्डल के जिलाध्यक्ष संदीप शर्मा ने कहा कि जो व्यापारी नेता चुनाव में समर्थन का खेल, खेल रहे हैं उनका समर्थन तो शुरू से ही राजनीतिक दलों को प्राप्त है। जब हरकी पैड़ी स्नान पर्व पर बंद की जाती है तब किसका समर्थन रहा। जब घाट बंद किये गए, ट्रेवल्स व्यापारी पैदल देहरादून तक गये तब किसका समर्थन था। उत्तर प्रदेश हिमाचल प्रदेश दिल्ली के साथ लगभग सभी प्रदेश खुले थे तब उत्तराखण्ड में ही सब बंद कर दिया गया था। उसका दोषी कौन है तब समर्थन कहां था। ऐसा कौन सा शहर का व्यापारी है जो कोरोना काल से अब तक सुखी जीवन व्यतीत कर रहा है। प्रत्येक व्यापारी कर्जों से दबा है सीजन की चाह में तड़प रहा है बच्चों के स्कूलों की फीस सर पर खड़ी है, क्या मिला अब तक विचार करें, अगर व्यापारी नेता चुनाव लड़ता तो समर्थन मिलना तय था।

सिंधी सेंट्रल पंचायत का 25 को भोपाल बंद का आह्वान: शिक्षा मंत्री के भाई से विवाद के बाद बैंककर्मी से भीड़ ने की थी मारपीट, विरोध में उतरा समाज; कारोबारियों ने किया समर्थन

भोपाल में दुकानदारों ने इस तरह दुकानों के बाहर बंद के बैनर-फ्लैग्स लगाए हैं। - Dainik Bhaskar

MP के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के भाई से विवाद के बाद बैंककर्मी को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मंत्री के भाई और समर्थकों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से भोपाल में सिंधी सेंट्रल पंचायत (रजि.) ने 25 सितंबर को राजधानी बंद का आह्वान किया है। इस बंद को कई कारोबारियों ने समर्थन भी दे दिया है। थोक किराना बाजार दोपहर 2 बजे तक बंद रहेगा।

सिंधी सेंट्रल पंचायत के पदाधिकारियों का दावा है कि राजधानी के अधिकांश व्यापारियों ने बंद रखने का आश्वासन दिया है। अध्यक्ष भगवानदेव इसरानी ने बताया कि बैंककर्मी नरेश फूलवानी के साथ स्कूल शिक्षा मंत्री परमार के भाई और उनके समर्थकों द्वारा बैंक के भीतर व बाहर मारपीट की गई थी, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाय पुलिस ने नरेश पर ही केस दर्ज किया था और जेल भेज दिया था। दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए शाजापुर में कलेक्टर-एसपी को ज्ञापन भी दिए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। शासन-प्रशासन के इस रवैये के विरोध में 25 सितंबर को भोपाल बंद का आह्वान किया है। जिसका सभी कारोबारियों ने समर्थन किया है। वहीं विभिन्न समाजों का भी समर्थन है।

थोक किराना बाजार बंद रहेगा

भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के महासचिव अनुपम अग्रवाल ने बताया कि सिंधी सेंट्रल पंचायत के आह्वान पर किए गए बंद का समर्थन करते हुए जुमेराती, हनुमानगंज व जनकपुरी का थोक किराना बाजार दोपहर 2 बजे तक बंद रखा जाएगा। साथ ही दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की जाएगी।

यह थी घटना

घटना 15 जुलाई को शाजापुर जिले के ग्राम पोचानेर स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी नरेश फूलवानी के साथ हुई थी। ये गांव मंत्री परमार का गृह गांव है। नरेश और हरिप्रसाद परमार (70) का पासबुक बनाने के 150 रुपये लेने की बात पर कहासुनी हुई थी। नरेश पर आरोप था कि उसने बुजुर्ग हरिप्रसाद को धक्का देकर बाहर निकाल दिया। मामले में पुलिस ने नरेश पर केस दर्ज किया था और जेल भेज दिया था।

हालांकि, 3 दिन बाद एक वीडियो व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा सामने आया था। जिसमें नरेश को भीड़ द्वारा दौड़ा-दौड़ाकर पीटा जा रहा था। बुजुर्ग हरिप्रसाद मंत्री के भाई हैं। मामला शिक्षा मंत्री से जुड़ा होने से पुलिस ने दूसरे पक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसलिए समाजजन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

NEET-UG 2022: सरकारी स्कूल से पढ़ा, इंटरनेट बंद रहा, फिर भी नहीं मानी हार, फल व्यापारी के बेटे ने neet में हासिल की AIR 10

दक्षिण कश्मीर का शोपियां जिला, जो एक समय आतंकवाद से प्रभावित था, यहां के एक फल व्यापारी के बेटे ने NEET-UG 2022 परीक्षा में अखिल भारतीय 10वीं रैंक हासिल की है। मालूम हो कि NEET-UG 2022 परीक्षा परिणाम इस महीने की शुरुआत में घोषित किए गए थे।

बता दें कि हाजीक परवेज लोन शोपियां जिले के तेनज गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता परवेज लोन एक फल व्यापारी हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं। हाजिक ने नीट-यूजी 2022 में 720 में से 710 अंक हासिल किए, जिसके परिणाम पिछले बुधवार देर रात घोषित किए गए थे।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर में इस साल के नीट टेस्ट में टॉप किया और अखिल भारतीय स्तर के NEET-UG 2022 टेस्ट में 10वीं रैंक हासिल की। हाजिक ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा शोपियां जिले के तुर्कवामगाम गांव के सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय से पास की थी। हाजिक लोन ने श्रीनगर शहर के आकाश इंस्टीट्यूट में नीट-यूजी की कोचिंग की।

हाजीक सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह अपनी सफलता का श्रेय अल्लाह, अपने माता-पिता और कोचिंग संस्थान में अपने शिक्षक रोहिन जैन के मार्गदर्शन को देते हैं। हाज़िक ने कहा, ‘जीवन में किसी सपने को प्राप्त करने के लिए समर्पण, कड़ी मेहनत और माता-पिता का आशीर्वाद और समर्थन आवश्यक है। दिलचस्प बात यह है कि हाज़िक एक ऐसे जिले से ताल्लुक रखते हैं जो कुछ साल पहले यहां के युवाओं के उग्रवादी संगठन में शामिल होने के लिए बदनाम था।

जानें सफलता का मंत्र

जब उनसे सवाल किया गया कि आप उन उम्मीदवारों को क्या संदेश देना चाएंगे जो अभी तैयारी कर रहे हैं। तब हाजिक लोन ने कहा कि, ‘कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। आपको कड़ी मेहनत करनी चाहिए क्योंकि कड़ी मेहनत सकारात्मक परिणाम लाती है। आपको प्रतियोगिता में लगातार बने रहना होगा और अंत में आप अच्छी चीजें हासिल करेंगे।” उन्होंने कहा कि परीक्षा में सफल होने के लिए कम से कम 7-9 घंटे के अध्ययन की जरूरत है। आगे उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के मद्देनजर उन्हें जिस बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा, वह थी ऑफलाइन से ऑनलाइन में बदलाव में होना था।

आगे उन्होंने कहा कि, “ऑनलाइन सीखने की समस्या शोपियां में लगातार इंटरनेट बंद और प्रतिबंधित नेटवर्क के कारण थी। हालांकि, कोचिंग संस्थान ने अतिरिक्त कक्षाएं, वीडियो लेक्चर ऑफर करके सहायता करना, जिससे बहुत मदद मिली।”

सरकारी स्कूल से की थी पढ़ाई

हाजिक लोन ने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा शोपियां के दो निजी स्कूलों में की और फिर 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए जिले के तुर्कवामगाम गांव के सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में दाखिला लिया।

नेताओं ने भी दी बधाई

इस बीच, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और राजनेताओं ने लोन को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा, “शोपियां के हाज़िक लोन को NEET परीक्षा में दसवीं रैंक हासिल करते हुए देखकर बहुत खुशी हुई। इसके अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बधाई देते हुए ट्वीट पर लिखा, “हाजिक लोन को उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं।”

कश्मीर के स्थानीय नेता अल्ताफ बुखारी ने भी लोन को सफलता के लिए बधाई दी और कहा, “NEET यूजी 2022 परिणाम में अखिल भारतीय 10 वीं रैंक हासिल करने के लिए शोपियां के हाज़िक परवेज लोन को बधाई। आपकी उपलब्धियों पर गर्व है। जम्मू-कश्मीर के सभी उम्मीदवारों को मेरी शुभकामनाएं, जिन्होंने नीट परीक्षा में क्वालीफाई किया है।”

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