मूल्य नीति

सलाहकार समिति के सदस्य गिरिराज सिंह ने हरे चारे की भारी मूल्य नीति कमी का मुद्दा उठाते हुए इस बारे में उचित कदम उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं की खरीद के लिए नाबार्ड जैसी वित्तीय संस्थाओं से रियायती दर पर कर्ज पर देने का प्रावधान किया जाना चाहिए। न्यूनतम दर पर कर्ज के लिए छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर मिल्क क्रेडिट कार्ड बनाने पर जोर दिया।
मूल्य नीति-Pricing Policy in hindi
मूल्य निर्धारण (Pricing) मार्केटिंग क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण निर्णय है। उपक्रम के वित्तीय उद्देश्यों (financial objective के साथ मार्केटिंग गतिविधियों को जोड़ने में मूल्य निर्धारण के निर्णयों का महत्वपूर्ण स्थान है। मूल्य निर्धारण के निर्णयों के प्रभा होने वाले अत्यन्त महत्वपूर्ण चर (variables) निम्न है
1. बिक्री की मात्रा (Sales Volume)
2. लाभ मार्जिन (Profit Margin)
3. निवेश पर वापसी की दर (Rate of Return on Investment)
4. ट्रेड मार्जिन (Trade Margin)
5. विज्ञापन तथा बिक्री प्रचार (Advertising and Sales Promotion)
6. उत्पाद कल्पना (Product Image)
7. नया उत्पाद विका(new Product Development)
विक्रय मूल्य (Selling मूल्य नीति price) व्यापार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि मूल्य स्तर (Price level)
मूल्य (Price)
मूल्य (Price) किसी उत्पाद या सेवा के मान को धन के रूप में व्यक्त करता है। जब क्रेता तथा विक्रेता मूल्य | पर सहमत हो जाये तब ही उत्पाद या सेवा के स्वामित्व का आदान प्रदान हो सकता है।
मूल्य निर्धारण के उद्देश्य (Objectives of Pricing) मूल्य निर्धारण के विभिन्न उद्देश्य निम्न है-
(i) लघु अवधि के लिए अधिकतम लाभ (Profit maximisation)
(ii) दीर्घ अवधि के लिए अभिष्ठतम लाभ (Profit optimisation)
(iii) बिक्री की मात्रा का लक्ष्य (Target sales volume)
(iv) मार्केट शेयर का लक्ष्य (Target market share)
(v) बाजार में गहरी पहुँच (Deeper penetration)
(vi) नये बाजारों में प्रवेश।
(vii) कुल उत्पादों पर लाभ का लक्ष्य (किसी उत्पाद विशेष के लाभ स्तर को छोड़ते हुए)
(viii) प्रतिस्पर्धा (competition) को जाँच में रखना,
मूल्य निर्धारण की विधि (Pricing Procedure)
मूल्य निर्धारण के पद, उसके उद्देश्य तथा फर्म द्वारा चयन की गई मूल्य निर्धारण विधि पर निर्भर करते हैं। सामान्यतया मूल्य निर्धारण के लिए प्रयोग होने वाले पद (steps) निम्न है
1. लक्षित ग्राहक समूह तथा उनके प्रोफाइल की पहचान करना
2. ब्रॉड (brand) के लिए मूल्य कल्पना (Price image) तथा वाँछित बाजार स्थिति निर्धारित करना।
3. उत्पाद की माँग पर मूल्य के प्रत्यास्थता की सीमा (Extent of Price-Elasticity) तथा लक्षित ग्राहक मूल्य नीति समूह के मूल्य संवेदनशीलता (Price Sensitivity) की सीमा ज्ञात करना।
4. विभिन्न लागतों का आँकलन (Estimate) करना।
5. उत्पाद की जीवन चक्र अवस्था (Life cycle stage) को गणना में लेना।
6. प्रतिस्पर्धियों के मूल्यों (Competitor’s prices) का विश्लेषण करना।
7. अन्य पर्यावरणीय कारकों (Environmental factors) का विश्लेषण करना।
न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में सब कुछ
एमएसपी का फुल फॉर्म मिनिमम सपोर्ट प्राइस होता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य एक प्रकार का बाजार हस्तक्षेप है जिसका उपयोग भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादकों को कीमतों में तेज गिरावट से बचाने के लिए किया जाता है। भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर बढ़ते मौसम की शुरुआत में विशिष्ट फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। भारत सरकार ने उत्पादकों – किसानों – को बंपर उत्पादन वर्षों के दौरान कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए एमएसपी निर्धारित किया है। एमएसपी को सरकार से उनकी उपज के लिए मूल्य की गारंटी दी जाती है। मुख्य लक्ष्य किसानों को संकटग्रस्त बिक्री के माध्यम से समर्थन देना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न प्राप्त करना है। यदि बंपर उत्पादन और बाजार की भरमार के कारण वस्तु का बाजार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से कम हो जाता है, तो सरकारी एजेंसियां किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेंगी। अब जब आपको एमएसपी का बुनियादी ज्ञान हो गया है, तो आइए इसके इतिहास और एमएसपी की कीमत निर्धारण प्रक्रिया के बारे में और जानें।
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अंतिम अद्यतन तिथि :- 19-03-2019
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नीति आयोग का समर्थन मूल्य मूल्य नीति से कम पर खरीद न करने के लिये कानून लाने का इरादा
नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री. राजीवकुमार ने किसानों से चक्रवृद्धि ब्याज न लेने,वसूली के लिये कुर्की न करने,ऋण पर ब्याज की राशि को किसान द्वारा अदालत में चुनौती देने संबंधित सभी कानून का कडाई से पालन करने के लिये राज्य सरकारों और संबंधित ऐजेंसी को निर्देश जारी करने के लिये आश्वस्त किया है। उन्होने कहा है कि किसान संगठन ऐसे मामलों की जानकारी आयोग को उपलब्ध कराएं और किसानों के बीच कानूनी जानकारी पहुंचाकर जागृति लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार,सदस्य रमेश चन्द्र शर्मा, कृषि सलाहकार डॉ. जे.पी. मिश्रा और भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं किसान की आय वृद्धि संबंधी समिति के अध्यक्ष अशोक दलवाई के साथ राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल की बैठक 17 अप्रैल 2018 को नीति भवन, नई दिल्ली में संपन्न हुई। जिसमें किसान की स्थाई कर्ज मुक्ति और न्यायपूर्ण सुनिश्चित आय के लिए प्रस्तुत 26 सूत्रीय प्रस्ताव पर 2.30 घंटे गंभीरता से विस्तृत चर्चा की गई। मा. उपाध्यक्ष जी ने चर्चा जारी रखने का आश्वासन देते हुये बैठक में उपस्थित मुद्दों पर निर्णय लिये।
दुग्ध मूल्य नीति बनाएगी सरकार?
नई दिल्ली, ब्यूरो। कृषि मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की मंगलवार को हुई बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने देश में दुग्ध मूल्य नीति बनाने का सुझाव दिया। दुधारू पशुओं के प्रजनन की मुश्किलें, पशु चिकित्सकों मूल्य नीति की भारी कमी व हरा चारा की कम उपलब्धता पर चिंता जताई मूल्य नीति गई। देश में दूध की संतोषजनक पैदावार के साथ उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। सदस्यों के सुझावों पर कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने गंभीरता से विचार करने का भरोसा दिलाया।
दूध के मूल्य निर्धारण को लेकर कई सदस्यों ने सवाल उठाए। फिलहाल दूध का मूल्य उसमें पाए जाने वाले फैट (वसा) के आधार पर होता है, जबकि देसी गायों के दूध की पौष्टिकता और उसके औषधीय गुण के आधार पर मूल्य तय होने चाहिए। उसकी पैकिंग पर दूध की क्वॉलिटी का पूरा ब्योरा होना चाहिए। कृषि मंत्री ने इस सुझाव पर विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बैठक में कहा कि देसी नस्ल की गायों के सुधार के लिए सरकार ने दो राष्ट्रीय स्तर के संस्थान स्थापित करने का फैसला किया है। सदस्यों ने उनके सुझावों की प्रशंसा करते हुए यह भी कहा कि इसके साथ हाइब्रिड और अन्य नस्ल के पशुओं को भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।