ट्रेड फोरेक्स

ट्रेडिंग नियम

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News18 हिंदी 5 दिन पहले News18 Hindi

Gold Trading: सोने की ट्रेडिंग होगी आसान, सरकार ला रही नए नियम

नई दिल्ली. सोने में ट्रेडिंग करना अब और आसान होने वाला है. Paper Gold में ट्रेडिंग करने वालों कारोबारियों लिए अच्छी ख़बर आई है. Electronic Gold Receipts में Trade करने पर ITC रिफंड नहीं अटकेगा. सूत्रों के मुताबिक EGR यानी Electronic Gold Receipts के जरिए निवेश और ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्रालय GST से जुड़े नियमों में ढील देने पर विचार कर रहा है.

बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट से इस प्रीसियम मेटल प्रभावी और पारदर्शी कीमत का पता लगाने में मदद मिलेगी. EGR यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट अन्य सिक्‍योरिटीज जैसा ही होगा. इसकी ट्रेडिंग क्लियरिंग और सेटलमेंट भी दूसरी सिक्‍योरिटीज की तरह किया जा सकेगा.

अभी होता सिर्फ Gold ETF का कारोबार

अभी भारत में सिर्फ गोल्ड डेरिवेटिव्स और गोल्ड ईटीएफ का कारोबार होता है. इसमें गोल्ड कमोडिटी को सिक्योरिटी ईजीआर में कन्वर्ट करते हैं. जिसके पास फिजिकल गोल्ड का रिसपॉन्सिबल सोर्स है, वह उस गोल्ड को वोल्ट में जाकर जमा करवाएगा. वहां उसे इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिट मिलेगी. जिसे वह एक्सचेंज पर खरीद-बिक्री के लिए रखेगा.

सोने की कीमत के आधार पर होगी ट्रेंडिंग

अब गोल्ड की कीमतों और डिमांड के आधार पर उसकी ट्रेडिंग होगी. एक्सचेंज पर निवेशकों को ये ईजीआर उपलब्ध होगी. जिस तरह निवेशक बीएसई पर शेयरों की खरीद-बेच करते हैं, वैसे ही गोल्ड की इन रिसिट की ट्रेडिंग कर सकेंगे. जहां निवेशकों को बाय-सेल करने के लिए डिलिवरी लेने की जरूरत नहीं है. निवेशक डीमैट अकाउंट में अपनी ये ईजीआर रख सकेंगे.

बता दें कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बीएसई को अपने प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट (EGR)) की शुरुआत करने की अनुमति दी थी. जिसके बाद बीएसई ने इसकी शुरूआत की. बीसई ने 95 और 999 शुद्धता के दो नए उत्पाद पेश किए हैं. ट्रेडिंग 1 ग्राम के मल्‍टीपल में और डिलिवरी 10 ग्राम व 100 ग्राम के मल्‍टीपल में होगी.

हरी झंडी का इंतजार

EGRs के जरिए ट्रेडिंग करने वालों को राहत मिलेगी. ITC रिफंड क्लेम के लिए Conversion तक इंतजार नहीं करना होगा. GST नियमों को लेकर SEBI के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है. वित्तमंत्रालय की हरी झंडी के बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए GST Council भेजा जाएगा. Gold Menetization को बढ़ावा देने के लिए SEBI ने EGRs में Trading की इजाजत दी है. BSE के बाद NSE भी जल्द EGRS में Trading की इजाजत दे सकता है.

Gold Trading: सोने की ट्रेडिंग होगी आसान, सरकार ला रही नए नियम

News18 हिंदी लोगो

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नई दिल्ली. सोने में ट्रेडिंग करना अब और आसान होने वाला है. Paper Gold में ट्रेडिंग करने वालों कारोबारियों लिए अच्छी ख़बर आई है. Electronic Gold Receipts में Trade करने पर ITC रिफंड नहीं अटकेगा. सूत्रों के मुताबिक EGR यानी Electronic Gold Receipts के जरिए निवेश और ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्रालय GST से जुड़े नियमों में ढील देने पर विचार कर रहा है.

बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट से इस प्रीसियम मेटल प्रभावी और पारदर्शी कीमत का पता लगाने में मदद मिलेगी. EGR यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट अन्य सिक्‍योरिटीज जैसा ही होगा. इसकी ट्रेडिंग क्लियरिंग और सेटलमेंट भी दूसरी सिक्‍योरिटीज की तरह किया जा सकेगा.

अभी होता सिर्फ Gold ETF का कारोबार

अभी भारत में सिर्फ गोल्ड डेरिवेटिव्स और गोल्ड ईटीएफ का कारोबार होता है. इसमें गोल्ड कमोडिटी को सिक्योरिटी ईजीआर में कन्वर्ट करते हैं. जिसके पास फिजिकल गोल्ड का रिसपॉन्सिबल सोर्स है, वह उस गोल्ड को वोल्ट में जाकर जमा करवाएगा. वहां उसे इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिट मिलेगी. जिसे वह एक्सचेंज पर खरीद-बिक्री के लिए रखेगा.

सोने की कीमत के आधार पर होगी ट्रेंडिंग

अब गोल्ड की कीमतों और डिमांड के आधार पर उसकी ट्रेडिंग होगी. एक्सचेंज पर निवेशकों को ये ईजीआर उपलब्ध होगी. जिस तरह निवेशक बीएसई पर शेयरों की खरीद-बेच करते हैं, वैसे ही गोल्ड की इन रिसिट की ट्रेडिंग कर सकेंगे. जहां निवेशकों को बाय-सेल करने ट्रेडिंग नियम के लिए डिलिवरी लेने की जरूरत नहीं है. निवेशक डीमैट अकाउंट में अपनी ये ईजीआर रख सकेंगे.

बता दें कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बीएसई को अपने प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट (EGR)) की शुरुआत करने की अनुमति दी थी. जिसके बाद बीएसई ने इसकी शुरूआत की. बीसई ने 95 और 999 शुद्धता के दो नए उत्पाद पेश किए हैं. ट्रेडिंग 1 ग्राम के मल्‍टीपल में और डिलिवरी 10 ग्राम व 100 ग्राम के मल्‍टीपल में होगी.

हरी झंडी का इंतजार

EGRs के जरिए ट्रेडिंग करने वालों को राहत मिलेगी. ITC रिफंड क्लेम के लिए Conversion तक इंतजार नहीं करना होगा. GST नियमों को लेकर SEBI के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है. वित्तमंत्रालय की हरी झंडी के बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए GST Council भेजा जाएगा. Gold Menetization को बढ़ावा देने के लिए SEBI ने EGRs में Trading की इजाजत दी है. BSE के बाद NSE भी जल्द EGRS में Trading की इजाजत दे सकता है.

Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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Mutual Fund पर भी इनसाइडर ट्रेडिंग के नियम हो सकते हैं लागू, SEBI ने कंसल्टेशन पेपर जारी किया

Insider trading in Mutual Funds: अब तक इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों के तहत सिक्योरिटीज की परिभाषा में म्यूचुअल फंड यूनिट शामिल नहीं थे. लेकिन सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स में इनसाइडर ट्रेडिंग की घटनाओं को देखते हुए इसे अब इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के तहत लाने का मन बनाया है.

Insider trading in Mutual Funds: कई बार अंदरूनी जानकारी होने पर लोग शेयरों में खरीद या बिक्री के सौदे कर मोटा लाभ कमा लेते हैं या घाटे से बच जाते हैं. लेकिन, अंदरूनी जानकारी के आधार पर इस तरह के सौदे करना सेबी नियमों के खिलाफ माना जाता है. ठीक इसी तरह अंदरूनी जानकारी होने पर लोग म्यूचुअल फंड की स्कीम में निवेश घटा या बढ़ा लेते हैं. क्योंकि अच्छी खबर पर NAV बढ़ती है जबकि निगेटिव पर NAV घट जाती है. ऐसे में सेबी अब म्यूचुअल फंड्स यूनिट के लिए भी इनसाइडर ट्रेडिंग नियम लागू करने पर विचार कर रहा है.

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अभी तक शामिल नहीं थे म्यूचुअल फंड्स

अब तक इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों के तहत सिक्योरिटीज की परिभाषा में म्यूचुअल फंड यूनिट शामिल नहीं थे. लेकिन सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स में इनसाइडर ट्रेडिंग की घटनाओं को देखते हुए इसे अब इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के तहत लाने का मन बनाया है. सेबी ने इसके लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. निवेशकों से इस मामले पर 29 जुलाई तक राय मांगी गई है. डिस्कशन पेपर के नियमों के तहत ओपेन एंडेड और क्लोज एंडेड स्कीमों के लिए इनसाइडर ट्रेडिंग के प्रावधानों को लागू करने की योजना बनाई है.

क्या-क्या शामिल किया जा सकता है?

SEBI के डिस्कशन पेपर के मुताबिक अब ट्रेडिंग की परिभाषा में म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद, बिक्री के अलावा रीडीम करना यानि भुनाना, एक स्कीम का पैसा दूसरी में डालना यानि स्विचिंग भी शामिल होगा. जबकि इनसाइडर में कनेक्टेड पर्सन यानि MF के कामकाज से जुड़े लोग और ऐसे लोग जिन्हें किसी भी तरह से अंदरूनी जानकारी हो वो सभी इनसाइडर माने जाएंगे.

इसी तरह इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए बिना छपी संवेदनशील जानकारी किसे माना जाए ये भी साफ किया है. जैसे कि अगर किसी को स्कीम के निवेश का मकसद बदलने की जानकारी है या फिर अकाउंटिंग पॉलिसी में बदलाव की जानकारी हो तो उसे बिना छपी संवेदनशील जानकारी माना जाएगा. इसके अलावा किसी सिक्योरिटी में डिफाल्ट, असेट के वैल्युएशन में बड़ा बदलाव, स्कीम के बंद होने या भारी रिडेम्पशन की जानकारी भी इसी श्रेणी में आएगी. किसी स्कीम की लिक्विडिटी में बदलाव होने, स्कीम के ओपेन से क्लोज या क्लोज से ओपेन एंडेड होने, स्विंग प्राइसिंग ट्रिगर होने, सेग्रिगेटेड पोर्टफोलियो बनाने की जानकारी भी बिना छपी संवेदनशील जानकारी में आएगी.

कंस्लटेशन पेपर में इस पर लोगों की राय मांगी गई है कि कनेक्टेड पर्सन की जो मौजूदा परिभाषा है क्या उसे बदले जाए. आमजन को उपलब्ध जानकारी किसे कहा जाए. डेजिग्नेडेट पर्सन की मौजूदा परिभाषा में किसे किसे शामिल करना चाहिए. सिस्टेमिक ट्रांजैक्शन जैसे कि SIP, SWP , STP को ही रखा जाए या फिर इसमें और भी सौदे शामिल हों. किन किन स्थितियों में इनसाइडर के पास बचाव के मौके होंगे. डेजिग्नेटेड पर्सन जिन्हें माना गया है वो कब कब MF के किए हुए अपने सौदों की रिपोर्टिंग करें. साथ ही डेजिग्नेटेड पर्सन अपने MF सौदों को करने से कितना पहले और कब प्री-क्लीयरेंस लें.

अभी नियम ये है कि म्यूचुअल फंड के कामकाज से जुड़े लोगों के पास अगर अंदरूनी जानकारी है तो वो सौदे नहीं कर सकते हैं. साथ ही दूसरी किस्म की शर्तें हैं. लेकिन सेबी ने अब इसे और व्यापक बनाने का मन बनाया है.

MF यूनिट्स के लिए भी इनसाइडर ट्रेडिंग नियम
SEBI ने कंसल्टेशन पेपर जारी किया, अब तक MF यूनिट बाहर थे
सेबी ने 29 जुलाई तक डिसक्शन पेपर पर लोगों से सुझाव मांगा है
इनसाइडर ट्रेडिंग रेगुलेशन में MF के लिए अलग से नियम आएगा
ओपेन, क्लोज एंडेड स्कीमों के लिए अलग से इनसाइडर ट्रेडिंग नियम
ट्रेडिंग की परिभाषा में रीडिमिंग, स्विचिंग, यूनिट की खरीद, बिक्री जुड़ेगा

क्या संवेदनशील जानकारी मानी जाएगी?
- स्कीम में निवेश का मकसद बदलना
- अकाउंटिंग पॉलिसी में बदलाव होना
- किसी असेट के वैल्युएशन में बड़ा बदलाव
- स्कीम का क्लोज एंड से ओपेन एंड या उल्टा
- स्कीम बंद होने या ज्यादा रिडेम्पशन की जानकारी
- सेग्रिगेटेड पोर्टफोलियो बनाना
- स्विंग प्राइसिंग ट्रिगर होना
- लिक्विडिटी पोजीशन में बदलाव होना
- सिक्योरिटीज में डिफाल्ट की जानकारी

इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में लाने का फैसला क्यों?
- कई बार जिनको अंदरूनी जानकारी थी उन्होंने फायदा उठाया
- एक RTA ने अंदरूनी जानकारी के आधार पर यूनिट भुनाई थी
- एक केस में MF में अहम लोगों को जानकारी थी जिसका लाभ लिया
- अभी PIT रेगुलेशन लिस्टेड या लिस्ट होने वाली सिक्योरिटी पर लागू
- अभी इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के लिए MF यूनिट्स सिक्योरिटी नहीं
- हालांकि MF, ट्रस्टीज के कर्मचारियों के ट्रेडिंग के लिए नियम बने हैं
- कंप्लायंस के लिए औऱ ट्रेडिंग की रिपोर्टिंग के लिए नियम आया था
- अभी नियम कि जिनके पास अंदरूनी जानकारी वो ट्रेडिंग नहीं करेंगे

सेबी ने किन मुद्दों पर राय मांगी?
- कनेक्टेड पर्सन किसे माना जाए
- आमजन को उपलब्ध जानकारी किसे मानें ( क्या अलग प्लेटफॉर्म बने)
- डेजिग्नेटेड पर्सन किसे माना जाए
- क्या सिस्टेमिक ट्रांजैक्शन की परिभाषा बदले ( SIP, SWP, STP आदि)
- किन स्थितियों में इनसाइडर का बचाव ( ऑफ मार्केट सौदे, रेगुलेटरी ऑब्लिगेशन, सिस्टेमिक प्लान आदि)
- कब डेजिग्नेटेड पर्सन ट्रांजैक्शन रिपोर्ट करें ( 7 दिन)
- ट्रांजैक्शन के पहले कब डेजिग्नेटेड पर्सन प्री-क्लीयरेंस लें.

उत्कृष्ट ट्रेडिंग नियम

हमारे द्वारा शुरू किए गए फ्लोटिंग लिवरेज सिस्टम में, लिवरेज 1:1000 की ऊंचाई तक पहुंच जाती है, इसका मतलब है हमारे ट्रेडर अपनी खरीदने की पॉवर 1000 गुणा तक बढ़ा सकते हैं। उच्च लिवरेज से हमारे ट्रेडरों को ऐसे अवसर मिलते हैं जिनकी उन्होंने कभी् कल्पना भी नहीं की होती; कम अनुपात में फंड डिपॉजिट की क्षमता लेकिन फि‍र भी बड़े वॉल्यूम में ट्रेड करना। हमेशा ध्यान रहे कि लिवरेज से हानि की संभावना भी बनी रहती है।.

टाइट स्प्रैड्स

टाइट स्प्रैड्स एक फॉरेक्स ब्रोकर का चयन करते समय एक प्रमुख शर्त है| ट्रेडिंग की वह प्रारंभिक लागत कम या अधिक की पेशकश स्प्रैड्स कैसे रहे हैं पर निर्भर करता है, हम 0.1* पिप्स से शुरू टाइट स्प्रैड्स को प्रदान करते हैं और यहां तक स्प्रैड्स तथ्य यह है कि शुरू से ही यह लाभ देता है |
*खाता प्रकार एवं बाजारी स्थितियों पर निर्भर करता है

जल्द निष्पादन

ForexTime (FXTM) पर आपके सौदों पर तुरंत कार्यान्वयन किया जाता हैं, तथा यह सुनिश्चित किया जाता हैं कि आपको सबसे अच्छी कीमत मिले और कोई देरी आपकी ट्रेडिंग गतिविधियों के साथ हस्तक्षेप न करें।

कोई लेनदेन डेस्क नहीं है (NDD)

NDD प्रौद्योगिकी हमें क्रम में कई तरलता प्रदाताओं के साथ काम करने के लिए सबसे अच्छा बोली के साथ उपलब्ध कराने और कीमतों में पूछने की अनुमति देता है| इस तकनीक के माध्यम से हम गहरे अंतर बैंक तरलता प्रदान करते हैं और आप तुरंत क्रियान्वित किये जा सकते हैं कि दरों के लिए सीधी पहुँच दे*|
*खाता प्रकार एवं बाजारी स्थितियों पर निर्भर करता है

स्वचालित ट्रेडिंग

स्वचालित ट्रेडिंग स्वचालित ट्रेडिंग के साथ, अन्यथा, एल्गोरिथम ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है| एक ट्रेडर एक ट्रेडिंग रणनीति विकसित करता है या किसी और की ट्रेडिंग रणनीति लागू करता है और यह तब विशेषज्ञ सलाहकार की तरह एक स्वचालित ट्रेडिंग प्रणाली द्वारा अपनाया जाता है| इस प्रणाली को स्वचालित रूप से अपने ट्रेडार्स गतिविधियों को स्वचालित बनाने के लिए , पहले से ही लागू रणनीति के अनुसार आप के लिए ट्रेडिंग करने के लिए शुरू होता है| इस प्रणाली ट्रेडिंग नियम का सबसे बड़ा लाभ ट्रेडार्स को मिलता है और उनको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है| आप जब सो जाते हैं तब भी आप लाभ पा सकते हैं, क्योंकि आपने इस सिस्टम में अपने ट्रेडिंग एल्गोरिथ्म शामिल कर लिया है| यह दिमाग में रखना ज़रूरी है की सिर्फ परंपरागत ट्रेडिंग के साथ ही, नुकसान भी स्वचालित ट्रेडिंग के साथ अनुभव किया जा सकता है|

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    जोखिम चेतावनी: फोरेक्‍स और लिवरेज किए गए वित्‍तीय इंस्‍ट्रूमेंट की ट्रेडिंग में महत्‍वपूर्ण जोखिम हैं और इससे आपकी निवेश की गई पूंजी का नुकसान हो सकता है। आप जितनी हानि उठाने की क्षमता रखते हैं उससे अधिक का निवेश न करें और आपको इसमें शामिल जोखिम अच्‍छी तरह समझना सुनिश्चित करना चाहिए। लेवरिज्ड प्रोडक्‍ट की ट्रेडिंग सभी निवेशकों के लिए उपयुक्‍त नहीं हो सकती। ट्रेडिंग शुरु करने से पूर्व, कृपया अपने अनुभव का स्‍तर, निवेश उद्देश्‍य पर विचार करें और यदि आवश्‍यक हो तो स्‍वतंत्र वित्‍तीय सलाह प्राप्‍त करें। क्‍लायंट के निवास के देश में कानूनी अपेक्षाओं के आधार पर FXTM ब्रांड की सेवाओं का प्रयोग करने की अनुमति है अथवा नहीं, यह निर्धारित करना क्‍लायंट की स्‍वयं की जिम्‍मेदारी है। कृपया FXTM का पूरा जोखिम प्रकटीकरण पढ़ें.

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    जोखिम की ट्रेडिंग नियम चेतावनी: ट्रेडिंग जोखिम भरा है। आपकी पूंजी जोखिम में है। Exinity Limited FSC (मॉरीशस) द्वारा विनियमित है।

    जोखिम की चेतावनी: ट्रेडिंग जोखिम भरा है। आपकी पूंजी जोखिम में है। Exinity Limited FSC (मॉरीशस) द्वारा विनियमित है।

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