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एस एंड पी 500 विश्लेषण

एस एंड पी 500 विश्लेषण

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने चीन की क्रेडिट रेटिंग घटायी

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स रेटिंग एजेंसी के अनुसार चीन के बढ़ते कर्ज की वजह से आर्थिक और वित्तीय जोखिम का अंदेशा बढ़ा है. वर्तमान वर्ष में चीन की क्रेडिट रेटिंग को दूसरी बार घटाया गया.

Standard Poors Chinas credit rating

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने 21 सितम्बर 2017 को चीन की क्रेडिट रेटिंग को घटाने की घोषणा की. स्टैंडर्ड एंड पूअर्स रेटिंग एजेंसी के अनुसार चीन के बढ़ते कर्ज की वजह से आर्थिक और वित्तीय जोखिम का अंदेशा बढ़ा है. वर्तमान वर्ष में चीन की क्रेडिट रेटिंग को दूसरी बार घटाया गया.

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स एस एंड पी 500 विश्लेषण ने चीन की रेटिंग को एए माइनस से घटाकर ए प्लस किया है. इससे पूर्व मूडीज ने मई में चीन की रेटिंग घटायी थी. चीन के आर्थिक और वित्तीय जोखिम के अंदेशे के कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बढ़ते ऋण को लेकर चिंता के हालत बने हुए है.

न्यूयार्क स्थित स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) के अनुसार रेटिंग में कमी इस आकलन को दर्शाता है कि लंबे समय की मजबूत ऋण वृद्धि से चीन का आर्थिक और वित्तीय जोखिम बढ़ा है.

चीन ने तिब्बत से नेपाल तक राजमार्ग शुरू किया

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स के अनुसार ऋण की ऊंची वृद्धि दर से हालिया वर्षों में चीन की आर्थिक वृद्धि बढ़ी है और साथ ही संपत्ति कीमतों में इजाफा हुआ है. इसके साथ कुछ हद तक इससे चीन की वित्तीय स्थिरता भी प्रभावित हुई है.

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स्टैंडर्ड एंड पूअर्स-

  • स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी है. यह मॅकग्रा-हिल कंपनियों का ही एक प्रभाग है जो स्टॉक और बांड पर वित्तीय अनुसंधान और विश्लेषण प्रकाशित करता है.
  • स्टैंडर्ड एंड पूअर्स शेयर बाज़ार सूचकांक के लिए सुविख्यात है. अमेरिका की स्टैंडर्ड एंड पूअर्स 500, ऑस्ट्रेलियाई स्टैंडर्ड एंड पूअर्स/ एएसएक्स 200, कनाडाई स्टैंडर्ड एंड पूअर्स/टीएसएक्स इतालवी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स/ एमईबी और भारतीय स्टैंडर्ड एंड पूअर्स सीएनएक्स निफ़्टी. यह तीन बड़ी साख श्रेणी-निर्धारण एजेंसियों (स्टैंडर्ड एंड पूअर्स, मूडीस इन्वेस्टर सर्विस और फिच रेटिंग्स) में से एक है.

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एक दिन एस एंड पी 500 विश्लेषण एस एंड पी 500 विश्लेषण में जेफ बेजोस के डूबे 80,000 करोड़ रुपये, एलन मस्क को उठाना पड़ा 70,000 करोड़ रुपये का नुकसान

अमेरका में महंगाई के आंकड़े अनुमान से अधिक आने के बाद मंगलवार को अमेरिकी शेयर मार्केट यानी वॉल स्ट्रीट में तबाही का मंजर देखा गया. जिसकी वजह से सबसे अमीर अरबपतियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. एक दिन में जेफ बेजोस के 80,000 करोड़ और एलन मस्क एस एंड पी 500 विश्लेषण को 70,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

Updated: September 14, 2022 12:28 PM IST

Elon Musk and Jeff Bezos

मंगलवार को अमेरिका के सबसे अमीर अरबपतियों की कुल संपत्ति में गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि अमेरिका में महंगाई के आंकड़े के अनुमान से अधिक आए थे. जिससे वॉल स्ट्रीट हिल गया. जेफ बेजोस की संपत्ति में एक दिन में 9.8 बिलियन डॉलर (करीब 80,000 करोड़ रुपये) की गिरावट आई, जो ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स द्वारा ट्रैक किए गए लोगों में सबसे अधिक है.

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इस बीच, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की कुल संपत्ति में 8.4 अरब डॉलर (करीब 70,000 करोड़ रुपये) की गिरावट दर्ज की गई. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, मार्क जुकरबर्ग, लैरी पेज, सर्गेई ब्रिन और स्टीव बाल्मर की संपत्ति में 4 बिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट आई, जबकि वॉरेन बफेट और बिल गेट्स को क्रमशः 3.4 बिलियन डॉलर और 2.8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ.

बता दें, जेफ बेजोस दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन रिटेलर अमेजन के संस्थापक हैं. सिएटल स्थित कंपनी अपनी प्रमुख वेबसाइट के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान और अन्य उत्पाद बेचती है. वह अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी ब्लू ओरिजिन के भी मालिक हैं.

एलन मस्क टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहन और घरेलू सौर बैटरी बेचता है. मस्क स्पेसएक्स के मुख्य कार्यकारी भी हैं, एक रॉकेट निर्माता जिसे नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन को फिर से आपूर्ति करने के लिए टैप किया था, और सोशल नेटवर्किंग कंपनी ट्विटर में उसकी हिस्सेदारी है.

ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स दुनिया के सबसे अमीर लोगों की दैनिक रैंकिंग है. आंकड़े न्यूयॉर्क में हर कारोबारी दिन के अंत में अपडेट किए जाते हैं.

अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जुलाई से 0.1% बढ़ा, पिछले महीने में कोई बदलाव नहीं होने के बाद, श्रम विभाग के आंकड़ों से पता चला. एक साल पहले की तुलना में, कीमतों में 8.3% की वृद्धि हुई, एक मामूली गिरावट लेकिन अभी भी 8.1% के औसत अनुमान से अधिक है. तथाकथित कोर सीपीआई, जो अधिक अस्थिर भोजन और ऊर्जा घटकों को अलग करता है, पूर्वानुमानों में भी सबसे ऊपर है.

वॉल स्ट्रीट के शेयरों में गिरावट आई, डॉव में लगभग 1,300 अंक और एसएंडपी 500 में 4.3 प्रतिशत की गिरावट आई, जो कि अपेक्षा से अधिक गर्म रिपोर्ट के बाद, फेडरल रिजर्व द्वारा बारीकी से देखा गया क्योंकि यह अगले सप्ताह अपने अगले ब्याज दर निर्णय के लिए तैयार करता है. फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेंचमार्क उधार दर में वृद्धि तब तक जारी रहेगी जब तक मुद्रास्फीति पर नियंत्रण नहीं हो जाता. अत्यधिक ऊर्जा और खाद्य बिलों के कारण इस वर्ष दुनिया भर में मुद्रास्फीति बढ़ी है.

हाल के दिनों में स्टॉक्स ने रिबाउंड किया था क्योंकि निवेशक इस उम्मीद से चिपके हुए थे कि धीमी कीमतों में बढ़ोतरी फेडरल रिजर्व को अंततः अपनी कठिन मुद्रास्फीति विरोधी लड़ाई पर वापस खींचने की अनुमति देगी, लेकिन डेटा ने अभी के लिए उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

(With Agency Inputs)

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दुनिया के शेयर बाजारों में उथल-पुथल से वैश्विक मंदी की आहट

दुनिया के शेयर बाजारों में उथल-पुथल से वैश्विक मंदी की आहट

आर्थिक चक्र में बदलाव की भविष्यवाणी करना हमेशा जोखिम भरा होता है। यहां तक कि अपनी भविष्यवाणियों के बारे में मंझे हुए अर्थशास्त्री भी गलत साबित हुए हैं। किसी विशेष भूकंपीय क्षेत्र में भूकंप की भविष्यवाणी करने की तुलना में इस तरह का अभ्यास करना मुश्किल है। हालांकि आर्थिक आंकड़ों के आधार पर इसका आकलन जरूर किया जा सकता है कि वैश्विक मंदी का खतरा कितना प्रमाणिक है। अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट के दायरे से पूरी तरह बाहर नहीं आ पाई है।

इसी दरम्यान अमेरिका के एसएंडपी 500 में उच्चतम स्तर से आई भारी गिरावट ने वैश्विक मंदी आने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है। यह गिरावट सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं है बल्कि आंकड़े बताते हैं कि चीन की विकास दर में भी गिरावट आ सकती है। जापान और यूरोप में भी आर्थिक सुस्ती के लक्षण दिख रहे हैं। यूरो जोन में जर्मनी की स्थिति ज्यादा नाजुक है। शोध एजेंसी एनबीईआर के अनुसार अमेरिका में सबसे लंबे समय तक व्यापार चक्र का विस्तार मार्च 1991 से मार्च 2001 तक एक दशक चला। इसके बाद जून 2009 में शुरू हुआ वर्तमान विस्तार दूसरी सबसे लंबी अवधि का है। लेकिन यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि यह व्यापार चक्र आखिर कितने समय तक चलेगा ?

चीन ने आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए गत 21 दिसम्बर को राजकोषीय प्रोत्साहन कार्यक्रम की घोषणा की है। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पूंजी प्रवाह एस एंड पी 500 विश्लेषण में वृद्धि को कारगर हथियार माना जाता है। इसी के तहत चीन में बैंकों की सेहत को सुधारने के लिए उन्हें पूंजी मुहैया कराई जाएगी ताकि वह ज्यादा कर्ज बांट सकें। इस साल अप्रैल के बाद से चीन का कैक्सिन विनिर्माण सूचकांक नवम्बर 51 के स्तर से नीचे आ गया जो समग्र विनिर्माण गतिविधियों में मंदी का संकेत है।

व्यापार वृद्धि सूचकांक में भी मई 2018 के बाद से लगातार गिरावट देखी जा रही है। मई में 51.9 की तुलना में यह नवम्बर में आंकड़ा 50 पर लुढ़क गया। ब्लूमबर्ग के एक अध्ययन में अर्थशास्त्रियों ने चीन में अगले वर्ष मंदी की 15 फीसद आशंका का अनुमान जताया है। वैश्विक आर्थिक विकास में चीन सबसे अधिक योगदान देता है लेकिन यहां कर्ज का अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 265 फीसद है। यह आंकड़ा इसके आर्थिक संकट का साफ संकेत दे रहा है।

यदि विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के आर्थिक आंकड़ों पर गौर करें तो यह खतरे की घंटी की ओर इशारा कर रहे हैं। यद्यपि कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट इसकी आपूर्ति में जोरदार वृद्धि को दर्शा रही है लेकिन इसकी मांग में कमी को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने वर्ष 2019 में तेल की मांग 14 लाख बैरल प्रतिदिन की वृद्धि का अनुमान लगाया है। पहले यह अनुमान 13 लाख बैरल प्रतिदिन का था। अमेरिका का विनिर्माण सूचकांक अप्रैल में 56.5 की तुलना में नवम्बर में 53.9 पर फिसल गया जो देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट का संकेत देता है।

इसके लिए अमेरिकी सरकार की नीतियां दोषी हैं। इनमें चीन के साथ व्यापार युद्ध आर्थिक वृद्धि के लिए घातक साबित हो सकता है। यदि यह युद्ध तेज होता है तो इससे चीन की अर्थव्यवस्था में और गिरावट आएगी जिसका विशेषकर एशियाई देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इस संकट से उबरने के लिए चीन प्रतिस्पर्धी रुख अपना सकता है। इस स्थिति में चीन अमेरिकी कोषागार की अपनी हिस्सेदारी बेचकर जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

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आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए एस एंड पी 500 विश्लेषण अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व वर्ष 2009 से वित्तीय प्रणाली में तरलता यानी पूंजी की मौजूदगी को बढ़ा रहा है। फेड का मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है। इसके तहत वह अपने कोष में 50 अरब डालर प्रतिमाह तरलता को जमा कर रहा है। हाल ही में फेड रिजर्व ने कहा है कि वह इस प्रक्रिया को आगे भी जारी रखेगा। अर्थव्यवस्था में सुधार का यह उपाय नीतिगत ब्याज दरों में सख्ती के अलावा है। दरअसल, अमेरिकी बांड की यील्ड में बड़ी गिरावट आर्थिक सुस्ती का संकेत दे रही है लेकिन अभी 10 साल के बांड की यील्ड दो साल की तुलना में 13.5 बेसिस प्वाइंट ज्यादा है।

पिछली दो मंदियों के दौरान स्थिति को काबू करने के लिए नीतिगत दरों में सख्ती की गई थी। वर्तमान में अमेरिकी ब्याज दरें तटस्थ दर के निचले स्तर पर हैं। वित्तीय तरलता के प्रणाली से बाहर जाने और अन्य बुनियादी कारकों के बिगड़ने से आर्थिक स्थिति खराब होने की आशंकाएं बढ़ रही हैं। यहां सीबीओई वीआईएक्स यानी ‘भय सूचकांक’ 28 तक बढ़ गया है। भारत में यह सूचकांक पिछले कुछ महीनों में दोगुना हो गया है। वर्ष 2018 की शुरुआत की तुलना में इसमें लगभग 300 फीसद की वृद्धि हुई है।

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उधर यूरो जोन की चिंताओं की बात करें तो यहां जर्मनी की स्थिति ज्यादा नाजुक है। तीसरी तिमाही में इसकी आर्थिक वृद्धि 1.1 फीसद रही है। इसका सेवा एवं विनिर्माण क्षेत्र का कंपोजिट पीएमआई चार साल के निचले स्तर पर आ गया है। यदि जापान की बात करें तो यहां के केंद्रीय बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था के जोखिम पर प्रकाश डालते एस एंड पी 500 विश्लेषण हुए वित्तीय तरलता बढ़ाने के संकेत दिए हैं। हाल ही के एक सर्वे में जापान की अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोरी के संकेत मिल रहे हैं। पिछली तिमाही में जापान की आर्थिक वृद्धि दर ऋणात्मक 0.6 फीसद रही है। बैंक ऑफ जापान ने साफ संकेत दिए हैं कि बैंकों की ब्याज दरों में कटौती, परिसंपत्तियों की खरीद में वृद्धि और मुद्रा प्रवाह में तेजी लाने की जरूरत है।

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आईएमएफ के अनुसार भारत उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है जहां विकास दर बेहतर है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की विकास दर 7.4 फीसद रहने का अनुमान जारी किया है जो एक मजबूत आंकड़ा है। यहां विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल स्थिर पूंजी निर्माण में 12.5 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई है यह लगातार तीसरा मौका है जब यह वृद्धि दर दोहरे अंक में रही है। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है तो शेयर बाजार में गिरावट आना स्वाभाविक है।

हालांकि विश्लेषण से साफ जाहिर होता है कि जब हम विकास की संभावनाओं में मंदी का अनुभव कर रहे हैं तब तक मंदी का दौर नहीं है। वित्तीय तरलता की निकासी और विकास की संभावनाओं में मंदी का आशय है कि शेयर बाजार में कम मूल्यांकन को समायोजित करने की जरूरत है। इसके अलावा समायोजन नीतियों के कारण शेयरों का रिटर्न कम रहा है। ऐसे में आने वाले महीनों में पोर्टफोलियो के लिए स्टाक का चयन ज्यादा महत्वपूर्ण रहेगा।

बहरहाल, हमें आने वाले महीनों में विशेष रूप से चीन के आर्थिक आंकड़ों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। मौजूदा परिदृश्य में वर्ष 2019 में ड्रैगन की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आ सकती है। ऐसे में वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में वैश्विक मंदी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

वैश्विक मंदी की आहट

विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के आर्थिक आंकड़ों पर गौर करें तो यह वैश्विक मंदी के खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले महीनों में खासतौर पर चीन के आर्थिक आंकड़ों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है.

वैश्विक मंदी का बढ़ता खतरा

संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर

  • 03 जनवरी 2019,
  • (अपडेटेड 03 जनवरी 2019, 8:52 PM IST)

आर्थिक चक्र में बदलाव की भविष्यवाणी करना हमेशा जोखिम भरा होता है. यहां तक कि अपनी भविष्यवाणियों के बारे में मंझे हुए अर्थशास्त्री भी गलत साबित हुए हैं. किसी विशेष भूकंपीय क्षेत्र में भूकंप की भविष्यवाणी करने की तुलना में इस तरह का अभ्यास करना मुश्किल है. हालांकि आर्थिक आंकड़ों के आधार पर इसका आकलन जरूर किया जा सकता है कि वैश्विक मंदी का खतरा कितना प्रमाणिक है. अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट के दायरे से पूरी तरह बाहर नहीं आ पाई है. इसी दरम्यान अमेरिका के एसएंडपी 500 में उच्चतम स्तर से आई भारी गिरावट ने वैश्विक मंदी आने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है. यह गिरावट सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं है बल्कि आंकड़े बताते हैं कि चीन की विकास दर में भी गिरावट आ सकती है. जापान और यूरोप में भी आर्थिक सुस्ती के लक्षण दिख रहे हैं. यूरो जोन में जर्मनी की स्थिति ज्यादा नाजुक है. शोध एजेंसी एनबीईआर के अनुसार अमेरिका में सबसे लंबे समय तक व्यापार चक्र का विस्तार मार्च 1991 से मार्च 2001 तक तकरीबन एक दशक तक चला. इसके बाद जून 2009 में शुरू हुआ वर्तमान विस्तार दूसरी सबसे लंबी अवधि का है. लेकिन यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि यह व्यापार चक्र आखिर कितने समय तक चलेगा ?

चीन ने आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए गत 21 दिसंबर को राजकोषीय प्रोत्साहन कार्यक्रम की घोषणा की है. अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पूंजी प्रवाह में वृद्धि को कारगर हथियार माना जाता है. इसी के तहत चीन में बैंकों की सेहत को सुधारने के लिए उन्हें पूंजी मुहैया कराई जाएगी ताकि वह ज्यादा कर्ज बांट सकें. इस साल अप्रैल के बाद से चीन का कैक्सिन विनिर्माण सूचकांक नवम्बर 51 के स्तर से नीचे आ गया जो समग्र विनिर्माण गतिविधियों में मंदी का संकेत है. व्यापार विकसा सूचकांक में भी मई 2018 के बाद से लगातार गिरावट देखी जा रही है.

मई में 51.9 की तुलना में नवंबर में आंकड़ा 50 पर लुढ़क गया. ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने चीन में अगले वर्ष मंदी की 15 फीसद आशंका का अनुमान जताया है. वैश्विक विकास में चीन सबसे अधिक योगदान देता है लेकिन यहां कर्ज का अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 265 फीसद है. यह आंकड़ा इसके आर्थिक संकट का एस एंड पी 500 विश्लेषण साफ संकेत दे रहा है.

यदि विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के आर्थिक आंकड़ों पर गौर करें तो यह खतरे की घंटी की ओर इशारा कर रहे हैं. हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट इसकी आपूर्ति में जोरदार वृद्धि को दर्शा रही है लेकिन इसकी मांग में कमी को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने वर्ष 2019 में तेल की मांग में 14 लाख बैरल प्रतिदिन की वृद्धि का अनुमान लगाया है. पहले यह अनुमान 13 लाख बैरल प्रतिदिन का था. अमेरिका का विनिर्माण सूचकांक अप्रैल में 56.5 की तुलना में नवंबर में 53.9 पर फिसल गया जो देश की आर्थिक वृद्धि में गिरावट का संकेत देता है.

इसके लिए अमेरिकी सरकार की नीतियां दोषी हैं. इनमें चीन के साथ व्यापार युद्ध आर्थिक वृद्धि के लिए घातक साबित हो सकता है. यदि यह युद्ध तेज होता है तो इससे चीन की अर्थव्यवस्था में और गिरावट आएगी जिसका विशेषकर एशियाई देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इस संकट से उबरने के लिए चीन प्रतिस्पर्धी रुख अपना सकता है. इस स्थिति में चीन अमेरिकी कोषागार की अपनी हिस्सेदारी बेचकर जवाबी कार्रवाई कर सकता है.

आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व वर्ष 2009 से वित्तीय पण्राली में तरलता को बढ़ा रहा है. फेडरल रिजर्व का मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है. इसके तहत वह अपने कोष में 50 अरब डालर प्रतिमाह तरलता को जमा कर रहा है. हाल ही में फेडरल रिजर्व ने कहा है कि वह इस प्रक्रिया को आगे भी जारी रखेगा. अर्थव्यवस्था में सुधार का यह उपाय नीतिगत दरों में सख्ती के अलावा है.

दरअसल, अमेरिकी बांड की यील्ड में बड़ी गिरावट आर्थिक सुस्ती का संकेत दे रही है लेकिन अभी 10 साल के बांड की यील्ड दो साल की तुलना में 13.5 बेसिस प्वाइंट ज्यादा हैं. पिछली दो मंदियों के दौरान स्थिति को काबू में करने के लिए नीतिगत दरों में सख्ती की गई थी. वर्तमान में अमेरिकी ब्याज दरें तटस्थ दर एस एंड पी 500 विश्लेषण एस एंड पी 500 विश्लेषण के निचले स्तर पर हैं. वित्तीय तरलता के प्रणाली से बाहर जाने और अन्य बुनियादी कारकों के बिगड़ने से आर्थिक स्थित खराब होने की आशंकाएं बढ़ रही हैं. यहां सीबीआइ वीआईएक्स यानी 'भय सूचकांक' 28 तक बढ़ गया है. भारत में यह सूचकांक पिछले कुछ महीनों में दोगुना हो गया है. वर्ष 2018 की शुरुआत की तुलना में इसमें लगभग 300 फीसद की वृद्धि हुई है.

उधर यूरो जोन की चिंताओं की बात करें तो यहां जर्मनी की स्थिति ज्यादा नाजुक है. तीसरी तिमाही में इसकी आर्थिक वृद्धि 1.1 फीसद रही है. इसका सेवा एवं विनिर्माण क्षेत्र का कंपोजिट पीएमआई चार साल के निचले स्तर पर आ गया है. यदि जापान की बात करें तो यहां के केंद्रीय बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था के जोखिम पर प्रकाश डालते हुए वित्तीय तरलता बढ़ाने के संकेत दिए हैं. हाल ही के एक सर्वे में जापान की अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोरी के संकेत मिल रहे हैं. पिछली तिमाही में जापान की आर्थिक वृद्धि दर ऋणात्मक 0.6 फीसद रही है. बैंक आफ जापान ने साफ संकेत दिए हैं कि बैंकों की ब्याज दरों में कटौती, परिसंपत्तियों की खरीद में वृद्धि और मुद्रा प्रवाह में तेजी लाने की जरूरत है.

आईएमएफ के अनुसार भारत उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है जहां विकास दर लचीली है. आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की विकास दर 7.4 फीसद रहने का अनुमान जारी किया है जो एक मजबूत आंकड़ा है. यहां विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल स्थिर पूंजी निर्माण में 12.5 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई है यह लगातार तीसरा मौका है जब यह वृद्धि दर दोहरे अंक में रही है. अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है तो शेयर बाजार में गिरावट आना स्वाभाविक है. हालांकि विश्लेषण से साफ जाहिर होता है कि जब हम विकास की संभावनाओं में मंदी का अनुभव कर रहे हैं तब तक मंदी का दौर नहीं है. वित्तीय तरलता की निकासी और विकास की संभावनाओं में मंदी का आशय है कि शेयर बाजार में कम मूल्यांकन को समायोजित करने की जरूरत है. इसके अलावा समायोजन नीतियों के कारण शेयरों का रिटर्न कम रहा है. ऐसे में आने वाले महीनों में पोर्टफोलियो के लिए स्टाक का चयन ज्यादा महत्वपूर्ण रहेगा.

बहरहाल, हमें आने वाले महीनों में विशेष रूप से चीन के आर्थिक आंकड़ों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है. मौजूदा एस एंड पी 500 विश्लेषण परिदृश्य में वर्ष 2019 में ड्रैगन की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आ सकती है. ऐसे में वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में वैश्विक मंदी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

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