मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में

क्या लाभ मार्जिन बहुत अधिक होना संभव है?
Page Margin क्या होता है
जब भी किसी भी पेज में कुछ टाइप किया जाता है तो उस पेज के चारों तरफ कुछ स्पेस यानी जगह को छोड़ा जाता है. क्योंकि जब भी डॉक्यूमेंट तैयार किया जाता है उस समय उस डॉक्यूमेंट में किसी खास तरह का कोई नंबरिंग या फिर किसी भी तरह का कोई फोर्मेटिंग या बुलेट का इस्तेमाल करने के लिए पाराग्राफको छोड़ना बहुत ही जरूरी है.
डॉक्यूमेंट के चारों तरफ कुछ स्पेस छोड़ने से उस डॉक्यूमेंट का जो बनावट है वो बहुत ही देखने में अच्छा लगता है. और उस डॉक्यूमेंट में किसी भी प्रकार का कोई सजेशन या सलाह भी यदि देना है या कुछ लिखना है तो उसमें थोड़ा जगह चारों तरफ रहता है.
जिसपर कुछ भी उसपे लिखना होता है तो लिखा जा सकता है. या उस डॉक्यूमेंट के बारे में कोई जानकारी को साझा करना है तो वहाँ दिया जा सकता है. इसलिए किसी भी डॉक्यूमेंट को तैयार करते समय उसके पाराग्राफ यानी की Page का मार्जिन को छोड़ना और सेट करना बहुत ही जरूरी है.
Page margin in MS word in Hindi
जब किसी पेज का सेटअप किया जाता है तो उस पेज के चारों तरफ कितना जगह छोड़ना है उसके लिए मार्जिन के ऑप्शन में जाकर के पेज का मार्जिन सेट किया जाता है. क्योंकि किसी भी पेज पर जब डॉक्यूमेंट बनाया जाता है.
तो उसके बाएं दाएं ऊपर नीचे कुछ जगह को छोड़ कर के ही टेक्स्टपेज लेआउट के अंदर मार्जिन के अंदर जाकर के नॉर्मल मार्जिन रखा जा सकता है या नैरो मार्जिन रखा जा सकता है जिस तरह का भी मार्जिन रखना है उसको मार्जिंस ऑप्शन में जाकर के सेट कर सकते हैं.
आईए एक उदाहरण से समझते हैं जैसे किसी भी साधारण एक कॉपी पर जब कुछ लिखना शुरू करते हैं तो उस पेज पर बाए साइड ऊपर में और नीचे में कुछ जगह को मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में छोड़ा जाता है उसी खाली भाग को पेज का मार्जिन कहते हैं.
पेज का मार्जिन कैसे सेट करते हैं
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में पेज का मार्जिन सेट करने के लिए नीचे दियें गये प्रक्रियाओं को फॉलो करना होता हैं.
- माइक्रोसॉफ्ट वर्ड को ओपन करेंगे.
- पेज लेआउट टैब में जाएंगे.
- मार्जिन पर क्लिक करेंगे.
उसके बाद page मार्जिन में कुछ by Default page margin दिया हुआ रहता है उस पर क्लिक करके उसको सेट कर सकते हैं नहीं तो Custom margin पर क्लिक करके अपने हिसाब से page का मार्जिन सेट कर सकते हैं.
सारांश
इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है. फिर भी यदि मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में पेज Margin से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल या सुझाव हों तो कृप्या कमेंट करके जरूर बताएं.
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नमस्कार रवि शंकर तिवारी ज्ञानीटेक रविजी ब्लॉग वेबसाईट के Founder हैं। वह एक Professional blogger भी हैंं। जो कंप्यूटर ,टेक्नोलॉजी, इन्टरनेट ,ब्लॉगिेग, SEO, एमएस Word, MS Excel, Make Money एवं अन्य मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में तकनीकी जानकारी के बारे में विशेष रूचि रखते हैंं। इस विषय से जुड़े किसी प्रकार का सवाल हो तो कृपया जरूर पूछे। क्योकि इस ब्लॉग का मकसद लोगो बेहतर जानकारी उपलब्ध कराना हैंं।
लाभ मार्जिन कैलकुलेटर
जब एक सफल व्यवसाय के संचालन की बात आती है, तो आधुनिक टीमों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह पता लगाना है कि मुनाफे को कैसे ऊंचा रखा जाए। आप अपनी कंपनी में जितना अधिक समय बिताएंगे, आपको नए संभावित अवसरों और बिक्री के रास्ते तलाशने के लिए उतने ही अधिक अवसर मिलेंगे। हालांकि, गलत समाधान में निवेश करने का मतलब यह हो सकता है कि आप अपनी अपेक्षा से कम कमाई कर रहे हैं।
एक लाभ मार्जिन कैलकुलेटर (जैसे हमारे यहां है), राजस्व, बेची गई वस्तुओं की लागत और ओवरहेड्स जैसी संख्याओं के माध्यम से सॉर्ट करने की प्रक्रिया को सरल बना सकता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप वास्तव में जानते हैं कि जब कोई आपके उत्पाद को खरीदता है तो आप कितना कमा सकते हैं।
आप लाभ मार्जिन की गणना कैसे करते हैं?
अपने लाभ मार्जिन की गणना करना एक मुश्किल प्रक्रिया की तरह लग सकता है, क्योंकि आपकी मार्कअप राशि से लेकर आपके विक्रय मूल्य तक, और इसी तरह विचार करने के लिए बहुत सारी संख्याएँ हैं। लाभ मार्जिन की गणना करने के लिए, आपको अपने "बेचे गए माल की लागत" या "सीओजीएस" का पता लगाकर शुरुआत करनी होगी।
आइए देखें कि प्रक्रिया आम तौर पर कैसे काम करती है:
- अपने COGS (बेची गई वस्तुओं की लागत) की गणना करें: यह वह राशि है जिसका भुगतान आप उन उत्पादों के उत्पादन के लिए करते हैं जिन्हें आप अपने दर्शकों को बेचने जा रहे हैं। इसमें सामग्री, श्रम और विकास में जाने वाले किसी भी अन्य खर्च की लागत शामिल है।
- अपने राजस्व का पता लगाएं: आपका राजस्व वह राशि है जिसके लिए आप आइटम बेचते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी उत्पाद को बनाने में $30 का खर्च आता है, तो आप उस वस्तु को $60 में बेचने का निर्णय ले सकते हैं।
- सकल लाभ मार्जिन की गणना करें: आपका सकल लाभ वह सटीक राशि है जो आप प्रतिशत में अर्जित करेंगे। सकल लाभ मार्जिन प्राप्त करने के लिए, राजस्व से COGS घटाएं, और diviराजस्व से सकल लाभ: 60-30 = 30, फिर 30/60 = 0.5 = 50% सकल लाभ मार्जिन
लाभ मार्जिन अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
यदि आप संख्या और वित्तीय स्थिति के बारे में 100% आश्वस्त नहीं हैं, तो लाभ मार्जिन को समझना मुश्किल हो सकता है। आपका सिर घुमाने के लिए बहुत सारे नंबर हैं। जब आप इसे वित्त में सभी अलग-अलग शर्तों के साथ जोड़ते हैं, जैसे राजस्व, सकल लाभ मार्जिन, और बहुत कुछ, यह देखना आसान है कि लोग कैसे खो सकते हैं। आपकी सहायता के लिए यहां कुछ त्वरित प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं।
मार्जिन और मार्कअप में क्या अंतर है?
शब्द "सकल मार्जिन" बिक्री मूल्य के लाभ के अनुपात को संदर्भित करता है, जबकि मार्कअप आपके लाभ के अनुपात को प्रारंभिक खरीद मूल्य, या बेची गई वस्तुओं की लागत के अनुपात को संदर्भित करता है। दूसरे शब्दों में, आपके लाभ को आमतौर पर या तो मार्जिन या मार्कअप के रूप में जाना जाता है, जब आप प्रतिशत को देखने के बजाय अपने व्यवसाय की कच्ची संख्या के साथ काम कर रहे होते हैं।
क्या मार्जिन लाभ के समान है?
प्रॉफिट मार्जिन एक शब्द है जिसका इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि आप अपने सामान और सेवाओं के लिए मूल्यह्रास के बाद कितना पैसा कमा सकते हैं। हालांकि, सकल मार्जिन प्रतिशत और मार्जिन गणना और लाभ की गणना की प्रक्रिया के बीच भी अंतर है।
मार्जिन मेट्रिक्स आम तौर पर प्रतिशत मूल्यों में दिए जाते हैं, और सापेक्ष परिवर्तन की अवधारणा से निपटते हैं। वैकल्पिक रूप से, मुद्रा के संदर्भ में लाभ को स्पष्ट रूप से माना जाता है। लाभ मार्जिन वह जगह है जहां आप अपनी कमाई क्षमता को प्रतिशत मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में में परिवर्तित करके उच्च लाभ की तलाश करते हैं।
आपके पास कभी भी नकारात्मक सकल मार्जिन या शुद्ध लाभ मार्जिन नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह इंगित करता है कि आप अपनी शुद्ध बिक्री पर पैसा खो रहे हैं। अपनी परिचालन लागत और मुनाफे के आसपास के सभी मीट्रिक को ट्रैक करना महत्वपूर्ण है। एक अच्छा ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 20% से अधिक होना चाहिए। लगभग 10% प्रबंधनीय है, लेकिन व्यवसाय के मालिकों को यह विचार करने की आवश्यकता हो सकती है कि यदि मार्जिन 10% से कम हो जाए तो उनकी परिचालन लागत को कैसे कम किया जाए।
लेवरेज और पे-ऑफ (Leverage & Payoff)
पिछले अध्याय में TCS के उदाहरण से हमने सीखा कि फ्यूचर ट्रेडिंग कैसे काम करती है। उस उदाहरण में हमने इस उम्मीद पर TCS के शेयर खरीदे थे कि आगे जा कर उनकी कीमत बढ़ेगी। लेकिन कॉन्ट्रैक्ट करने के अगले ही दिन हमने मुनाफे के लिए उस पोजीशन को स्क्वेयर ऑफ कर दिया था।
वहां पर हमने एक सवाल भी मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में पूछा था। सवाल यह था कि मैंने फ्यूचर्स में वह सौदा करने का फैसला क्यों किया और मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में TCS का शेयर स्पॉट बाजार में क्यों नहीं खरीदा?
आपको पता ही है कि फ्यूचर ट्रेड करते समय हम एक शेयर के लिए एक निश्चित समय के लिए एग्रीमेंट करते हैं। अगर उस समय अवधि में आपकी राय सही नहीं निकली और शेयर की कीमत उल्टी दिशा में चली गई तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है जबकि स्पॉट बाजार में आप सीधे शेयर खरीदकर उसको अपने डीमैट अकाउंट में रख सकते हैं। वहां पर समय की कोई सीमा नहीं होती और ना ही किसी एग्रीमेंट को पूरा करने का कोई दबाव होता है। तो फिर स्पॉट बाजार के बजाय फ्यूचर बाजार में शेयर क्यों खरीदा जाए?
4.2- लेवरेज क्या है?
हम अपनी जिंदगी के बहुत सारे हिस्सों में लेवरेज का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उस समय हम यह नहीं जानते कि यह लेवरेज है। खासकर जब इसे आंकड़ों के नजरिए से नहीं देखा जाए तो इसे समझना थोड़ा मुश्किल भी होता है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मेरा मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में एक दोस्त रियल स्टेट का कारोबार करता है। फ्लैट, बिल्डिंग और ऐसी तमाम चीजें खरीदता है, कुछ समय उन्हें अपने पास रखता है और बाद में मुनाफे पर बेच देता है।
पिछले दिनों यानी नवंबर 2013 में उसने एक फ्लैट खरीदा। यह फ्लैट उसने बेंगलुरु के एक मशहूर बिल्डर – प्रेस्टीज बिल्डर से खरीदा। प्रेस्टीज बिल्डर ने दक्षिण बेंगलुरू के एक हिस्से में एक लग्जरी अपार्टमेंट बनाने का ऐलान किया था। यह फ्लैट इसी में 9वें फ्लोर पर था। दो बेडरूम के इस फ्लैट की कीमत थी 10 , 000 ,000 रुपए। इस प्रोजेक्ट की बस अभी घोषणा ही हुई थी। इसे 2018 में पूरा होना था। इस पर कोई काम भी नहीं शुरू हुआ था। इसलिए खरीदार को सिर्फ 10% बुकिंग अमाउंट देना था बाकी 90% पैसा काम शुरू होने के बाद दिया जाना था।
Stock Market New Rules: जानिए शेयर बाजार के नए नियम, मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में क्या होगा पीक मार्जिन का निवेशकों पर असर
रायपुर। Stock Market New Rules: सेबी (भारतीय प्रतिभूति और मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में विनिमय बोर्ड) ने शेयर बाजार के लिए कुछ नियम बनाए हैं। इन नियमों के बारे में जानना बाजार के निवेशकों के लिए बेहद जरूरी है। अब तक निवेशक शेयर बाजार में शेयर खरीदते व बेचते वक्त ब्रोकर्स मार्जिन्स देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसे सरल शब्दों में कहा जाए तो यह है कि 10 हजार रुपये आपने ट्रेडिंग अकाउंट में डाले तो आसानी से 10 गुना मार्जिन्स के साथ मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में मार्जिन के बारे में सरल शब्दों में एक लाख रुपये के शेयर ग्राहक खरीद लेता था। मगर, अब ये नियम बदल गए हैं।
नए नियम के अनुसार, अगर निवेशक अब एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदना चाहता है, तो उसे ऑर्डर प्लेस करने से पहले ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 75 हजार रुपये होने चाहिए। इसके बाद की राशि वह ट्रेडिंग प्लस एक दिन या ट्रेडिंग प्लस दो दिन में या ब्रोकर के निर्देश के अनुसार चुका सकता है।